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आतंकियों की पनाहगाह है PAK, इंटरनेशनल आतंकी ने खोली पोल

1993 का मुंबई धमाका..वो पहला ऐसा आतंकवादी हमला था, जिसने पाकिस्तान को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया था. उसके बाद से तो पिछले 24 सालों में ये सिलसिला ही चल पड़ा. ना जाने हिंदुस्तान के कितने शहर जख्मी और छलनी हो गए. पर पाकिस्तान के रास्ते हिंदुस्तान आने वाला आतंक बंद नहीं हुआ.

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इंटरनेशनल आतंकी ने खोली PAK की पोल
इंटरनेशनल आतंकी ने खोली PAK की पोल

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क्या कभी आपने देखे हैं बिलखती हुई मांओं के गोद में खामोश लेटे लाल. ख्वाबों को मरा देख चीखता हुआ बाप. छटपटाकर मर गईं खिलखिलाती हुई नौनिहाल नस्लें? ये वो गम है जिसका मरहम किसी के पास नहीं, हो भी कैसे? जब ज़मीन के अंदर बारूद और ज़मीन के ऊपर आतंक की फसलें उगाई जाएंगी तो ज़ख्म भरते नहीं हरे ही रहते हैं. पाकिस्तान के हुक्मरान पाकिस्तान की सरज़मीन से आतंक और आतंकवाद को खत्म करने का हमेशा दम भरते हैं. पर फिर जैसे ही आतंक की लहलहाती फसलों के बीच से कभी दाऊद, कभी हाफिज सईद, कभी मसूद अज़हर और कभी सैयद सलाउद्दीन का चेहरा झांकता नज़र आता है तो अचानक सारे दम बेदम नज़र आने लगते हैं. हिज़बुल मुजाहिदीन के मुखिया सैयद सलाउद्दीन को अमेरिका ने बेशक इंटरनेशनल आतंकवादी करार दे दिया हो मगर पाकिस्तान की ज़िद है कि वो तो इन्हें पालेगा.

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हिंदुस्तान ने झेले आतंक के कई जख्म

इनके दिए ज़ख्म सबसे ज्यादा हिंदुस्तान ने झेले हैं. इनकी करतूत से पूरी दुनिया वाकिफ है. मगर ठप्पा लगते-लगते वक्त लग गया. समाज और इंसानियत के दुश्मन इन आतंकवादियों को आतंकवादी करार देने में वक्त लग गया. पहले दाऊद का नाम खतरनाक डॉन की लिस्ट में शामिल करने में, फिर हाफिज़ सईद को आतंकवादी घोषित करने में और अब सैयद सलाउद्दीन को इंटरनेशनल आतंकवादी करार देने में. पर क्या फायदा इन शोशेबाजियों का. ये तब भी पाकिस्तान की गोद में इत्मीनान से बैठे थे. और अब भी उसी इत्मीनन से उसी गोद में बैठें हैं. वो भी खुल्लमखुल्ला. और तो और ये लोग तो ऐसी तोहमत को तमगे के तौर पर लेते हैं. अमेरिका ने सैयद सलाउद्दीन को इंटरनेशनल आतंकवादी क्या करार दिया, ज़रा सुनिए उसके सुर क्या निकल रहे हैं. कुसूर इन लोगों का भी नहीं है. क्योंकि इन्हें पता है कि जिसकी गोद में ये बैठे हैं वो जब तक अपनी गोद से इन्हें झटक नहीं देता, तब तक इनका कोई कुछ बिगाड़ भी नहीं सकता.

पाकिस्तान है आतंकियों की पनाहगाह

1993 का मुंबई धमाका..वो पहला ऐसा आतंकवादी हमला था, जिसने पाकिस्तान को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया था. उसके बाद से तो पिछले 24 सालों में ये सिलसिला ही चल पड़ा. ना जाने हिंदुस्तान के कितने शहर जख्मी और छलनी हो गए. पर पाकिस्तान के रास्ते हिंदुस्तान आने वाला आतंक बंद नहीं हुआ. दरअसल पाकिस्तान को दाऊद, हाफिज, मसूद और सलाउद्दीन जैसे आतंकवादियों का गढ़ बनाने वालों में वहां की सरकार से ज्यादा फौज और आईएसआई का हाथ रहा है. पाक फ़ारसी शब्द है जबकि स्थान हिंदी. इन दोनों शब्दों को मिलाकर बना था पाकिस्तान. पर अब? अब क्या है पाकिस्तान? आतंक का अड्डा. आतंकवादियों की पनाहगाह. आखिर कैसे एक पूरा मुल्क देखते ही देखते आतंक के चंगुल में फंस गया? कैसे एक पूरे मुल्क पर आतंकवादी संगठनों और उनके आकाओं ने कब्जा कर लिया? जवाब जानने से पहले हिंदुस्तान के किसी भी ज़ख्मी शहर को याद कीजिए. 93 के लहूलुहान मुंबई की कराह सुनिए. सबसे हरे ज़ख्म उरी की आह महसूस कीजिए. आतंकवादी संगठन और उनके आकाओं के नाम याद कीजिए. देश के सबसे बड़े भगोड़े डॉन के बारे में सोचिए.

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पाकिस्तान भाग गया था दाऊद इब्राहिम

बगदादी से पहले दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी के खात्मे के बारे में गौर कीजिए. कश्मीर में झांकिए. जवाब मिल जाएगा. हिंदुस्तान को आतंक का सबसे बड़ा और पहला ज़ख़्म 1993 में लहूलुहान मुंबई की शक्ल में मिला. पूरे मुंबई को धमाकों से दहला देने वाला चेहरा तभी आम हो गया था. पर दाऊद इब्राहिम तब तक चुपके से भाग चुका था और फिर जाकर बस गया उसी पाकिस्तान में. कराची के घोषित पते पर आराम से रह रहा है वो. 13 दिसंबर, 2001 को पहली बार आतंक संसद की दहलीज तक पहुंच गया था. आतंकवादियों को संसद भवन तक पहुंचाया था जैश के उसी मुखिया मौलना मसूद अज़हर ने, जो कंधार हाईजैकिंग में सौदेबाजी के बाद रिहा हो गया था. रिहाई के बाद वो भी सीधे जा पहुंचा उसी आतंक के पनाहगाह में, यानी पाकिस्तान में. 26/11 को मुंबई के जख्मी सीने को फिर से छलनी किया गया था. गोलियां मुंबई में चल रही थीं, पर ट्रिगर दबाने का इशारा पाकिस्तान से हो रहा था. और इशारा कर रहा था लश्कर का चीफ हाफिज सईद.

हिजबुल मुजाहिदीन का सरगना है सैयद सलाउद्दीन

10 मिलियन डॉलर इनामी आतंकवादी. ये भी कहीं और नहीं वहीं पनाह लिए हुए है. यानी पाकिस्तान में. वो भी खुलेआम. कश्मीर घाटी के अंदर हो, पठानकोर्ट एयरबेस पर आतंकी हमला हो या फिर सेना के कैंप पर अटैक, हिजबुल मुजाहिदीन का सरगना सैयद सलाउद्दीन लगातार हिंदुस्तान को चोट पहुंचाने की कोशिशें करता रहा है. वो भी कहीं और से नहीं बल्कि उसी पाकिस्तान की सरज़मीं से. अमेरिका पर हमला कर इसने तो पूरी दुनिया को दहला दिया था. अलकायदा का मुखिया था ये. पूरे दस साल तक अमेरिका इसकी तलाश में दुनिया भर की खाक छानती रही. पर आखिर में ये भी मिला उसी आतंक के अड्डे में. यानी पाकिस्तान में. दुनिया के नक्शे पर पाकिस्तान के वो तमाम नक्शे मौजूद हैं, जहां आतंक की फैक्ट्री चलती है. जहां आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप हैं. हाफिज सईद, मौलाना मसूद अजहर और सैयद सलाउद्दीन जैसे आतंकवादियों को तो पाकिस्तान में कभी छुपने की भी नौबत नहीं आई. खुल्लमखुल्ला घूमते हैं ये पकिस्तान में.

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अपनी जमीन पर आतंक बो रहा है पाकिस्तान

हां ये सच है कि पाकिस्तान अपनी ज़मीन पर आतंक बो रहा है. मगर आतंक की इन फसलों को उगाने की कीमत भी वो अक्सर चुकाता है. हिंदुस्तान में तबाही फैलाने के चक्कर में खुद उसके पाले आतंकी उसे भी लहूलुहान कर जाते हैं. सैयद सलाउद्दीन इसकी सबसे बड़ी मिसाल है. पिछले ढाई दशक में इस एक अकेले आतंकी ने जहां घाटी के अमन को डस लिया है. वहीं पाक अधिकृत कश्मीर में भी इसने नौजवान नस्लों को तबाह कर दिया है. जब-जब घाटी खून से लाल हो, तो समझिए कि इसके पीछे वो है. जब-जब भारत लहूलुहान तो समझिए कि इसके पीछे भी वो है. और जब-जब हवाओं में उछलते पत्थरों से कश्मीर बेहाल हो तो समझिए कि हां वही है. और अब लंबे वक्त बाद आखिरकार अमेरिका ने भी उसे इंसानियत के लिए खतरा मान लिया है. नाम सैयद मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाउद्दीन है. हिजबुल का वो कमांडर जिसने 90 के दशक से आजतक कश्मीर को कभी इत्मीनान की सांस लेने का मौका ही नहीं दिया.

पाकिस्तान की गोद में बैठा इंटरनेशनल आतंकी

ढाई दशक बाद अब दुनिया ने माना कि पाकिस्तान की गोद में बैठा ये शख्स इंटरनेशनल आतंकवादी है. अब तो ये खुलेआम कहता है कि ये खुद दहशतगर्द है और पाकिस्तान इसका सरपरस्त. इंटरनेशनल आतंकी बनने के बाद तो मारे खुशी के ये टीवी चैनलों पर इंटरव्यू दे रहा है. इस बात से अनजान कि इंटरव्यू देकर ये खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा है. आप भी सुनिए कि ये कैसे कबूल कर रहा है कि भारत में दहशतगर्दी की सबसे बड़ी वजह ये खुद है. सलाउद्दीन के इस 'कबूलनामे' से भारत का ये दावा फिर पुख्ता हुआ है कि पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल भारत में आतंक फैलाने के लिए किया जा रहा है. और उसका ये कारिंदा खुद पाकिस्तानी हुक्मरानों के चेहरे से नकाब उतार रहा है. इंटरनेशल आतंकी घोषित होने के बाद हिजबुल मुजाहिद्दीन के सरगना सैयद सलाउद्दीन का ये पहला इंटरव्यू सामने आया है, जिसमें अमेरिकी बैन से बेपरवाह सलाउद्दीन अपनी आदत के मुताबिक हिंदुस्तान के खिलाफ आग उगल रहा है.

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चैनल पर खुद खोली पाकिस्तान की पोल

साथ ही पाकिस्तान से मिलने वाले सपोर्ट और नाजायज़ तरीक़े से हथियारों की खरीद-फरोख्त के गोरखधंधों की पोल खुद ही खोल रहा है. पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे से ऐन पहले ही सैयद सलाउद्दीन को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी करार दिया गया था. अमेरिका के इस फ़ैसले के अपने आप में कई मायने में हैं. अव्वल तो इस तरह उसने सलाउद्दीन और उसके नापाक आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन पर शिकंजा कसा. दूसरा उसने ये भी इशारा किया है कि सलाउद्दीन जैसे ज़हरीले लोग पाकिस्तान की सरज़मीन पर पल रहे हैं. ऐसे में खुद सलाउद्दीन समेत पाकिस्तानी हुक्मरानों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है. और उसका ये इंटरव्यू उसी मुसीबत की बौखलाहट के तौर पर देखा जा सकता है. बातों-बातों में एक तरफ़ इस आतंकवादी सरगना ने जहां अपनी असलियत और हैसियत जाहिर कर दी, वहीं पाकिस्तान में बैठ कर ही पाकिस्तान की असलियत भी दुनिया के सामने ला दी. शेखी बघारते-बघारते सलाउद्दीन का ज़बान पर काबू ही नहीं रहा.

भारत में किसी भी जगह को बना सकता है टारगेट

वह यहां तक कह गया कि वो चाहे तो भारत में किसी भी जगह को अपना टारगेट बना सकता है. उसने तो यहां तक कह डाला कि वो कश्मीर घाटी को भारतीय सुरक्षा बलों की कब्रगाह बना देगा. 71 साल का हो चुका सलाउद्दीन फिलहाल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में रहता है. हिज्बुल के अलावा वो यूनाइटेड जिहाद काउंसिल भी चलाता है. पठानकोट एयरबेस स्टेशन पर हमले की जिम्मेदारी इसी यूनाइडेट जिहाद काउंसिल ने ली थी. इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक, सलाउद्दीन पाकिस्तान में अपने सुरक्षित ठिकाने से जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को नियंत्रित करता है.

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