पठानकोट हमले के बाद शक के घेरे में आए गुरदासपुर के तत्कालीन एसपी सलविंदर सिंह का लाई डिटेक्टर टेस्ट होगा. दिल्ली की एक अदालत ने लाई डिटेक्टर टेस्ट के लिए एनआईए को इजाजत दे दी है. इस टेस्ट के लिए सलविंदर के सहमति के बाद एनआईए ने कोर्ट में अर्जी दाखिल किया था.
एनआईए की टीम पठानकोट हमले के सिलसिले में आईपीएस अफसर सलविंदर सिंह, उनके दोस्त राजेश वर्मा, कुक मदनगोपाल और पंज पीर दरगाह के रखवाले से लगातार पूछताछ कर रही है. सलविंदर ने दावा किया था कि आतंकवादियों ने उन्हें दरगाह से लौटते वक्त अगवा कर लिया था.
सूत्रों के मुताबिक, इसस पहले हुई पूछताछ में उन्होंने बताया था कि आतंकवादियों को ड्रग माफिया समझकर उनकी मदद की थी. उनको आतंकवादियों की पहचान नहीं थी. उन्हें लग रहा था कि आतंकवादी ड्रग सिंडिकेट का हिस्सा हैं. इसलिए वह उन्हें सीमा पार करने में मदद करने के लिए गए थे.
ड्रग तस्करी से हो सकता है संबंध
एनआईए ने सलविंदर सिंह के सीडीआर से कई नंबरों की पहचान की है, जो ड्रग तस्करी से जुड़े हुए हैं. हालांकि, सलविंदर इन्हें मुखबिर बता रहे हैं, लेकिन एनआईए इस एंगल से जांच कर रही है कि ये नंबर ड्रग तस्करों के हैं. उस दिन वह वहां ड्रग तस्करों की घुसपैठ के लिए मौजूद थे.
शक के घेरे में है सलिवंदर सिंह
पठानकोट में हुए हमले के बाद से ही सलविंदर सिंह ने शक के घेरे में हैं. वह, उनके दोस्त और कुक के बयानों के बीच विरोधाभास है. सवाल है कि टैक्सी ड्राइवर की हत्या करने वाले आतंकियों ने उन्हें बिना गंभीर नुकसान पहुंचाए कैसे छोड़ दिया. वह बिना हथियार क्यों निकले थे.
आईपीएस ने खुद को बताया पीड़ित
इससे पहले एक बयान में एसपी ने कहा था कि वह खुद पीड़ित हैं, संदिग्ध नहीं. उनको गंभीर चोटें लगी थीं. पठानकोट के कोलिआं मोड़ पर अचानक आतंकी उनकी गाड़ी में घुस गए. उन्होंने अंदर की लाइट बंद करने के लिए कहा. चेक पोस्ट करने के बाद उनको गाड़ी से बाहर फेंक दिया.