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हड़बड़ी में 'सिंघम' की चूक, न सबूत मिला न रिश्वत के पैसे

रविवार की सर्द सुबह पटना के डाक बंगला चौराहे पर जो एक्शन सीन मीडिया के कैमरे में कैद हुआ, वो देखते ही देखते सुपरहिट हो गया. मुख्यधारा की मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह सिर्फ और सिर्फ एसपी सिटी शिवदीप लांडे साहब के ही चर्चे थे .

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रविवार की सर्द सुबह पटना के डाक बंगला चौराहे पर जो एक्शन सीन मीडिया के कैमरे में कैद हुआ, वो देखते ही देखते सुपरहिट हो गया. मुख्यधारा की मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह सिर्फ और सिर्फ एसपी सिटी शिवदीप लांडे साहब के ही चर्चे थे .

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लोगों से अपने 'सिंघम' स्टाइल में निपटने के लिए मशहूर मिस्टर लांडे जब रविवार की सुबह तकरीबन सात बजे पटना के डाक बंगला चौराहे पर नमूदार हुए तो उन्हें जाननेवाले लोगों को किसी एक्शन सीन की उम्मीद हो चली. हुआ भी ठीक वैसा ही. अभी लोग कुछ समझ पाते कि तब तक बीच चौराहे पर लांडे साहब अपनी एसयूवी ने नीचे उतरे और आव देखा ना ताव. सीधे एक शख्स को गिरेबान से पकड़ लिया. लेकिन इस बार एसपी साहब ने जिसे दबोचा था, वो इत्तेफाक से कोई पेशेवर मुजरिम नहीं, बल्कि खुद ही एक पुलिसवाला था.

अचानक हुई इस कार्रवाई से इंस्पेक्टर हैरान था. लेकिन धर-पकड़ के दौरान जैसे ही उसने एसपी साहब को एक लड़के से बात करते हुए देखा, तो उसे सारा माजरा समझ में आ गया. दरअसल, ये वही लड़का था, इंस्पेक्टर साहब अपनी टीम के साथ जिससे पूछताछ के लिए उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से पटना तक चलकर आए थे. लेकिन यहां तो मामला ही उल्टा पड़ गया. इससे पहले कि इस लड़के से पूछताछ होती, लड़का खुद ही पुलिस लेकर आ गया और पुलिस भी ऐसी-वैसी नहीं, बल्कि पटना के 'सिंघम' स्टाइल सिटी एसपी यानी मिस्टर लांडे के साथ.

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जांच करने पटना आए थे मुरादाबाद क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर सर्वचंद्र
दरअसल, पटना के बुद्ध मार्ग के एक सिम कार्ड की दुकान से साल 2012 में एक ऐसा सिम बेचा गया था, जिसका इस्तेमाल मुरादाबाद के किसी क्राइम में हुआ. तब से लेकर अब तक मुरादाबाद पुलिस इस मामले की लगातार जांच कर रही है. दुकान चलाने वाले दोनों भाइयों पंकज और दीपक का कहना है कि इस सिलसिले में पुलिस उनसे पहले भी कई बार पूछताछ कर चुकी है और यहां तक कि उन्हें क्लीन चिट भी दी जा चुकी है.

भाइयों का आरोप है कि उसी मामले की तफ्तीश के बहाने मुरादाबाद क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर सर्वचंद्र उनसे रिश्वत मांग रहे हैं. सर्वचंद्र ने उससे रिश्वत के नाम पर 15 हजार रुपयों की मांग की थी. बाद में डील दस हजार रुपये में तय हुई और रविवार की सुबह इंसपेक्टर सर्वचंद्र रिश्वत के वही दस हजार रुपये लेने के लिए अपने होटल से दूर अकेले ही डाक बंगला चौराहा पर पहुंचे थे.

ना रिश्वत के पैसे मिले, ना कोई सबूत
लेकिन रिश्वत की रकम देने से पहले ही दोनों भाइयों ने एसपी सिटी मिस्टर लांडे को इसकी इत्तिला दे दी. इसके बाद एसपी सिटी भेष बदल कर मौके पर पहुंच गए. कैमरा पहले ही पहंच चुका था. इसके बाद इधर इंस्पेक्टर रिश्वत के रुपये लेने चौराहे पर पहुंचे और उधर मिस्टर लांडे ने उसे गिरेबान से दबोच लिया. मामला तब बिहार के 'सिंघम' को उल्टा पड़ने लगा, जब पटना पुलिस को कुछ ही घंटों में इंस्पेक्टर सर्वचंद्र को थाने से ही रिहा करना पड़ा. दरअसल इंस्पेक्टर के पास ना तो रिश्वत के रुपये मिले थे और ना ही कोई ऐसा सबूत ही पुलिस के हाथ लगा, जिससे उनके रिश्वत मांगने की बात साबित होती.

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एक्शन सीन पर बढ़ा बवाल
मुरादाबाद पुलिस ने पटना पुलिस से लांडे की शिकायत कर दी. लिहाजा पटना के एसएसपी जीतेंद्रा राणा ने लांडे से ना सिर्फ उनके किए की रिपोर्ट मांग ली, बल्कि यहां तक कह डाला कि उनकी इस हरकत से पटना पुलिस की छवि खराब हुई. हालांकि लांडे का कहना है कि उन्होंने जो भी किया कानून के दायरे में किया.

बिहारी 'सिंघम' को हड़बड़ी किस बात की थी? लोगों का ये मानना है कि जब रिश्वत लेनेवाला भी मौके पर था और देनेवाला भी तो फिर बिछाए गए जाल के मुताबिक उन्हें इंस्पेक्टर को तभी पकड़ना चाहिए था, जब वो पैसे ले रहा होता.

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