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एक घर में रहस्‍यमयी ढंग से पांच लड़कियों का कत्‍ल

एक भरा-पूरा घर, घर के बाहर दीवार पर लिखे थे दस बच्चों के नाम, पहले पांच नाम घर के लड़कों के और बाकी के पांच नाम लड़कियों के और फिर एक रात उस घर में एक साथ पांच कत्ल होते हैं. यह कत्‍ल उन्‍हीं पांच लड़कियों के होते हैं, जिनके नाम दीवार पर लिखे थे. इसके बाद पुलिस तफ्तीश में जुट जाती है पर कत्ल और कातिल की पहेली उसी दीवार पर लिखे नामों में छुपी थी.

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एक भरा-पूरा घर, घर के बाहर दीवार पर लिखे थे दस बच्चों के नाम, पहले पांच नाम घर के लड़कों के और बाकी के पांच नाम लड़कियों के और फिर एक रात उस घर में एक साथ पांच कत्ल होते हैं. यह कत्‍ल उन्‍हीं पांच लड़कियों के होते हैं, जिनके नाम दीवार पर लिखे थे. इसके बाद पुलिस तफ्तीश में जुट जाती है पर कत्ल और कातिल की पहेली उसी दीवार पर लिखे नामों में छुपी थी.

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कातिल ऊपर से शुरू पहले पांच नामों को छूता तक नहीं, क्‍योंकि ऊपर लिखे पांच लड़कों के नाम में से एक भी घर पर नहीं थे. बचे पांच लड़कियों के नाम, जिनका उस रात कत्‍ल होता है और ये पांचों कोई और नहीं सगी बहनें थीं. नौ से 17 साल की उम्र की पांच सगी बहनें, एक ही घर के पांच कमरों में अकेली सो रही थीं और पांचों को कातिल उनके कमरे में जा-जाकर गोलियां मारता है. यानी कातिल जो भी था उसे घर के मर्दों या लड़कों से कोई मतलब नहीं था। वो सिर्फ लड़कियों की जान लेने गया था.

अब पहेली ये है कि आखिर कातिल ने सिर्फ लड़किय़ों की जान क्यों ली? वो कौन था? ये बात या सवाल अपने आप में ही चौंकाने वाला था कि आखिर कातिल ने सिर्फ लड़कियों को ही क्यों अपना निशाना बनाया? आखिर उसकी सिर्फ लड़कियों से क्या दुश्मनी थी? जबकि उसी घर के बाहर सो रहे घर के दूसरे सदस्यों को उसने छुआ तक नहीं?

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हैरानी की बात ये थी कि ना तो किसी ने कातिल को आते हुए देखा और ना ही जाते हुए. यहां तक कि किसी ने रात के सन्नाटे के बावजूद गोलियों की आवाज तक नहीं सुनी, लेकिन सुबह जैसे ही घरवालों को एक साथ पांच बहनों के कत्ल का पता चला, पूरे गांव में मातम पसर गया. चीख-पुकार और रोने-चिल्लाने की आवाज ने मानों आसमान का कलेजा भी पिघला कर रख दिया.

वारदात पूर्व फौजी पीएन सिंह के घर हुई थी. उनका तीन बेटों और ग्यारह पोते-पोतियों का भरा पूरा परिवार था, लेकिन बीती रात कुछ ऐसा हुआ कि इस परिवार की बेटियां, यानी पीएन सिंह की एक भी पोती जिंदा नहीं बची पर हैरतअंगेज तौर पर घर के बाकी किसी सदस्य खासकर सभी के सभी लड़कों का बाल भी बांका नहीं हुआ.

पुलिस हर पहलू से मामले की तफ्तीश कर रही थी. इसी तफ्तीश के दौरान पुलिस को खुद घरवालों ने बताया कि पड़ोसियों से उनकी पुरानी दुश्मनी है. यानी उन्होंने सारा शक पड़ोसियों पर जता दिया पर कुछ बातें ऐसी थीं, जो पुलिस के गले नहीं उतर रही थी. मसलन वारदात वाली रात घर के सारे मर्दों का घर से बाहर चले जाना और पांचों बहनों को अकेला छोड़ देना.

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घर पर पहुंचने के साथ ही पुलिस को एक ऐसी बात पता चली, जिसे सुन कर वर्दीवालों के कदम ठिठक गए. पता चला कि पीएन सिंह के जिस मकान में इन लड़कियों का कत्ल हुआ, वहां बीती रात बुजुर्ग पीएन सिंह के अलावा इस परिवार का और कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था. यानी घर के सभी के सभी लोग और खासकर तमाम लड़के कहीं बाहर गए हुए थे. तफ्तीश आगे बढ़ी तो पता चला कि पीएन सिंह के तीनों बेटे घर की औरतों के साथ अपने पड़ोस में रहनेवाले एक परिवार के खिलाफ छेड़छाड़ की रिपोर्ट लिखवाने थाने गए थे, जबकि वारदात की शिकार बनी लड़कियों के सभी के सभी छह भाई पड़ोसी के घर सो रहे थे.

तफ्तीश के दौरान ये भी साफ हो हुआ कि जिस मकान में घुस कर कातिल ने लड़कियों को निशाना बनाया, उस मकान में किसी के जबरन दाखिल होने का कोई भी सुबूत नहीं मिला. यानी पहली नजर में ये लग रहा था कि कातिल कोई ऐसा था, जो इस घर-परिवार से अच्छी तरह वाकिफ था और इसीलिए उसे रात के अंधेरे में यहां घुसने में कोई दिक्कत नहीं हुई. ऐन वारदात की रात इस घर के बाकी सदस्यों का भी घर से बाहर रहना कुछ कम अजीब नहीं था.

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घर के तमाम लड़कों का पड़ोसी के घर सोना भी शक पैदा करनेवाला था. एक गौर करनेवाली बात ये भी थी कि जिस घर में पांच-पांच लड़कियों का कत्ल किया गया, उसी घर के बरामदे पर लड़कियों के दादा और पूर्व फौजी बुजुर्ग पीएन सिंह भी सो रहे थे, लेकिन ना तो उन्हें इस वारदात की कोई भनक हुई और ना ही कातिल ने उन पर कोई हमला ही किया. सवाल ये भी था कि आखिर परिवार ने किसने लड़कों को पड़ोसियों के घर सोने के भेजा, जबकि लड़कियों को अपने-अपने कमरों में अकेले सोने को कहा?

तो क्या घरवालों का बाहर होना, लड़कों का पड़ोसियों के घर में सोना और कातिल का घर में आराम से दाखिल हो जाना, महज इत्तेफाक था? या फिर इन बातों का पांच-पांच कत्ल की इस वारदात से सीधे तौर पर कोई रिश्ता था? जाहिर है मौका-ए-वारदात पर पहुंचने के बाद पुलिस भी कुछ देर के लिए इन सवालों के जवाब में उलझ कर रह गई. ऐसे में पुलिसवालों ने सच पता करने के लिए तफ्तीश आगे बढ़ाने का फैसला किया, लेकिन जैसे ही पुलिसवालों ने पीएन सिंह के बेटों यानी लड़कियों के पिताओं से इसके बारे में पूछताछ शुरू की, उन्हें एक नई बात पता चली.

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दरअसल, इस परिवार के सभी के सभी लोग अपने पड़ोस में रहनेवाले उसी परिवार को इन बच्चियों का कातिल करार दे रहे थे, जिनसे उनकी जमीन-जायदाद को लेकर पुरानी दुश्मनी चली आ रही थी और जिस परिवार के खिलाफ छेड़खानी की रिपोर्ट लिखवाने के इरादे से बीती रात पीएन सिंह के घर के तमाम लोग थाने गए हुए थे, लेकिन पड़ोसियों पर इल्जाम लगाने के मामले में भी एक बात बेहद अजीब थी. वो ये कि इस घर के लोग अपने दुश्मनों पर वारदात को अंजाम देने का शक जाहिर नहीं कर रहे थे, बल्कि पूरे यकीन के साथ ना सिर्फ उन्हें ही बच्चियों को कातिल बता रहे थे, बल्कि तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेजने की भी मांग कर रहे थे पर पुलिस ने किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले एक और तरकीब आजमाने का फैसला किया और जैसे ही ये तरकीब आजमाई गई, असली कातिल का चेहरा बेनकाब होने लगा.

जैसे-जैसे तफ्तीश आगे बढ़ रही थी शक के घेरे में खुद घरवाले आ रहे थे पर पुलिस के पास अब तक सिर्फ उनको लेकर शक था. इस सवाल का जवाब नहीं कि आखिर खुद घर वाले अपनी ही पांच-पांच बेटियों को क्यों मौत के घाट उतारेंगे? पर फिर वो सच भी सामने आ गया. बेटियां बड़ी होकर बोझ ना बन जाएं बस इसलिए उन्हें उनके अपनों ने ही मार डाला.

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अब पुलिस ने वारदात के वक्‍त सिंह परिवार के तमाम सदस्यों की मौजूदगी यानी लोकेशन के बारे में पता करना शुरू कर दिया. पूछताछ में घर के ज्‍यादातर बालिग सदस्यों ने माना कि बीती रात वो पड़ोस में रहनेवाले एक परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने थाने गए थे, जबकि बच्चे घरों में सो रहे थे, लेकिन अगर पुलिस इन तमाम बयानों पर आंख मूंद कर यकीन कर लेती, तो भला तफ्तीश क्या करती? लिहाजा, उसने परिवार के सदस्यों और खासकर बुजुर्ग पीएन सिंह के तीनों बेटों शशि, भारत और विपिन के मोबाइल फोन से बीती रात के उनके लोकेशन के बारे पता करना शुरू कर दिया. इस कोशिश में शशि और भारत के मोबाइल फोन के लोकेशन तो तकरीबन वही निकले, जहां वो बता रहे थे. लेकिन हैरानी की बात ये थी कि विपिन का लोकेशन वो नहीं था, जहां बीती रात वो खुद के होने की बात कह रहा था. बल्कि उसका मोबाइल फोन तो कुछ और ही कहानी बयान कर रहा था.

पुलिस की मानें तो विपिन शाम के 7 बजकर 45 मिनट से लेकर रात के 2 बजकर 35 मिनट कर गांव में ही मौजूद था. यानी उसके मोबाइल फ़ोन का टावर लोकेशन वही शो कर रहा था, जो आम तौर पर इस गांव के एक्टिव मोबाइल फ़ोन के टावर का होता है. जबकि विपिन अब तक खुद को गांव से दूर होने की बात कह रहा था. साफ था कि कुछ ऐसा जरूर था, जो विपिन पुलिस से छिपाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अभी पुलिस विपिन से कायदे से पूछताछ कर पाती, वो श्मशान घाट से ही बेहद रहस्यमयी तरीके से कहीं गायब हो गया.
वैसे तो मौका ए वारदात की हालत और इस परिवार की बातों को लेकर पुलिस को शुरू से ही मकतूल लड़कियों के घरवालों पर ही शक था, लेकिन विपिन के गायब होने की बात ने उसका ये शक और भी पुख्ता कर दिया. उधर, घरवालों के दबाव पर पुलिस उनके दुश्मन परिवार के कुछ लोगों को पहले ही इस सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया था पर लेकिन अब पुलिस के जांच की दिशा तकरीबन साफ हो चुकी थी और इस वारदात को अंजाम देने के मकसद से भी पर्दा हट चुका था.

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छानबीन में पुलिस को पता चला कि पीएन सिंह के घरवालों ने अपने दुश्मन परिवार को ठिकाने लगाने के लिए ही ये पूरी साज़िश रची थी और फरार विपिन ने कथित तौर पर अपने घरवालों से ये कहा था कि वो बस देखते जाएं कि वो किस तरह अपने सारे के सारे दुश्मनों को फांसी के फंदे तक भिजवा देता है, लेकिन इसके बाद वो खुद अपनी ही भतीजी और बेटियों की जान ले लेगा. ये किसी ने भी नहीं सोचा था. पुलिस की मानें तो विपिन ने ऐसा कर एक साथ दो मकसद पूरा करना चाहा. अव्वल तो दुश्मनों को सबक सिखाना और दूसरा दुश्मनों के बहाने धीरे-धीरे जवान हो रही बेटियों से छुटकारा पाना.

फिलहाल, इस मामले में पुलिस को फरार विपिन का इंतजार है और उसका कहना है कि विपिन के गिरफ्तार होते ही ना सिर्फ पांच-पांच लड़कियों के कत्ल की इस वारदात से पर्दा हट जाएगा, बल्कि ये भी साफ़ हो जाएगा कि इस परिवार का और कौन-कौन का सदस्य इस घिनौनी साजिश में शामिल रहा.

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