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वारदातः जाह्नवी के वो आठ दिन

इंडिया गेट से गायब हुई मासूम जाह्नवी की जिंदगी में गुजरे यही वो आठ दिन थे, जो कभी ना भुलाने वाले दिन साबित हुए. खुशकिस्मत जाह्नवी अपने घरवालों को वापस मिल गई, लेकिन इन रहस्यमयी आठ दिनों में वो कहां और कैसे रही? और कैसे इस बच्ची के घरवालों की टीस पूरे हिंदुस्तान की टीस बन गई? वारदात में बात उन हरेक दिन के एक-एक चौंकाने वाले सच की.

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Jahanvi
Jahanvi

इंडिया गेट से गायब हुई मासूम जाह्नवी की जिंदगी में गुजरे यही वो आठ दिन थे, जो कभी ना भुलाने वाले दिन साबित हुए. खुशकिस्मत जाह्नवी अपने घरवालों को वापस मिल गई, लेकिन इन रहस्यमयी आठ दिनों में वो कहां और कैसे रही? और कैसे इस बच्ची के घरवालों की टीस पूरे हिंदुस्तान की टीस बन गई? वारदात में बात उन हरेक दिन के एक-एक चौंकाने वाले सच की.

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दरअसल, दिल्ली के रघुबीरनगर में रहने वाला आहूजा परिवार 28 सिंतबर यानी रविवार की शाम को इंडिया गेट पर घूमने गया था. लेकिन ये रात के कोई 9.15 बजे का वक्त रहा होगा, जब जाह्नवी के घरवालों ने अचानक ये महसूस किया कि उनकी लाडली अब उनके साथ नहीं है. जाहिर है, कलेजे के टुकड़े का यूं अचानक गायब हो जाना आहूजा परिवार के लिए किसी सदमे से कम नहीं था. वो पागलों की तरह जाह्नवी को ढूंढ़ते रहे और इंडिया गेट का चप्पा-चप्पा छान मारा. लेकिन नतीजा सिफर.

हार कर जाह्नवी के घरवालों ने पुलिस से शिकायत की और पुलिस ने देर-सवेर इस सिलसिले में रिपोर्ट दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी. लेकिन इसी सिलसिले में जब पुलिस ने इंडिया गेट के आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले, तो उसमें जाह्नवी की एक चौंकानेवाली तस्वीर नजर आई. क्योंकि इन तस्वीरों में जाह्नवी चलती हुई अपने घरवालों से दूर तो जाती दिखी और इसके बाद वो कैमरे की रेंज से बाहर चली गई. ऐसे में जाह्नवी को कौन और किस तरफ उठा ले गया, इसका जवाब किसी के पास नहीं था.

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मां-बाप का दिल आखिर चुप कैसे बैठता?
जाहिर है, इन हालात में पुलिस भी चाह कर कुछ नहीं कर सकती थी. लेकिन मां-बाप का दिल आखिर चुप कैसे बैठता? सो, आहूजा परिवार ने जाह्नवी की तलाश में एक ऐसी मुहिम की शुरुआत की, जो चंद रोज रघुबीर नगर के इस घर से बाहर निकल कर पूरे हिंदुस्तान की मुहिम बन गई. एक ऐसी मुहिम जिसके पीछे ना तो किसी सियासी पार्टी का हाथ था और ना ही किसी बड़ी कंपनी का पैसा. लेकिन सोशल मीडिया और फिर मीडिया की कोशिशों ने जैसे इस मुहिम को पंख लगा दिए.

व्हाट्स एप्प और फेसबुक पर अब जाह्नवी की तस्वीरें वायरल हो गईं. दो दिन गुजरते-गुजरते जाह्नवी की एक नहीं, बल्कि कई तस्वीरें. स्मार्टफोन और टेलीविजन के जरिए हर किसी के अब घर में पहुंच चुकी थी. और शायद सोशल मीडिया और मीडिया का ही कमाल था कि जाह्नवी से अंजान होने के बावजूद करोड़ों लोग खुद को जाह्नवी से जुड़ा हुआ महसूस करने लगे. कहीं ना कहीं हर दिल में जाह्नवी के गायब होने की कसक पैदा हो गई. और कहीं ना कहीं हर शख्स ये चाहने लगा कि जैसे भी हो जाह्नवी जल्द से जल्द अपने घर लौट आए.

ये मीडिया का कमाल ही था कि कल की गुमनाम जाह्नवी को अब पूरी दुनिया जानने लगी. और ये मीडिया का ही कमाल था, जिसने कहीं ना कहीं हर दिल में जाह्नवी के गायब होने की टीस पैदा कर दी. हर कोई अब ये चाहने लगा था कि चाहे जैसे भी हो, जाह्नवी उसके घरवालों को वापस मिल जाए. लेकिन ये काम इतना आसान भी नहीं था. लेकिन जाह्नवी के गायब होने और मिलने के इन सात दिनों के पल-पल की कहानी भी कम चौंकानेवाली नहीं रही.

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आसान नहीं थी पुलिस की राह
तीन साल की मासूम जाह्नवी जिन हालत में गायब हुई थी, उससे इतना तो साफ था कि ये बच्ची अकेले अपने दम पर कहीं नहीं गई. बल्कि इंडिया गेट जैसी भीड़-भाड़ और हाई सिक्योरिटी वाली जगह से उसका गायब होना ये साबित करने के लिए काफी था कि जाह्नवी को कोई मौके से उठा ले गया. जाहिर है, जिसने भी ऐसा किया वो किसी भी सूरत में ना तो जाह्नवी को वापस लौटाना चाहता था और ना ही ये भेद खुलने देना और यही वो बातें थीं, जिसने पुलिस का काम और भी मुश्किल कर दिया.

पुलिस ने जाह्नवी के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी थी. इंडिया गेट की तमाम सीसीटीवी फुटेज से लेकर पूरा इलाका छान मारा. एक तरफ जहां पुलिस ने उसकी तलाश में पर्चे छपवाए और उन्हें दिल्ली के तमाम थानों और रिहायशी इलाकों में लगवाया, वहीं दूसरी तरफ पांच अलग-अलग टीमें बना कर इस बच्ची की तलाश शुरू की गई. उधर, लोग मासूम जाह्नवी की तलाश में सोशल मीडिया पर अपनी मुहिम लगातार तेज कर रहे थे. लेकिन जाह्नवी का कोई सुराग नहीं था.

ट्रैक द मिसिंग चिल्ड्रेन
अब तक पुलिस ने जाह्नवी के गुमशुदगी की सूचना नोडल एजेंसी यानी सीबीआई समेत ट्रैक द मिसिंग चिल्ड्रेन जैसी कई वेबसाइट्स में भी डाल दी थी. चूंकि घरवाले इंडिया गेट आने से पहले गुरुद्वारा बंगला साहिब जाने की बात पुलिस को बता चुके थे, पुलिस ने बंगला साहिब समेत तमाम गुरुद्वारों के आस-पास भी जाह्नवी को ढूंढ़ा. मगर, नतीजा कुछ भी नहीं निकला.

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सीसीटीवी से कोई सुराग नहीं मिलने की बात सुन कर अब घरवालों का हौसला कमजोर पड़ने लगा था. लेकिन उन्होंने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा. और सोशल मीडिया के बाद अब मीडिया ने जाह्नवी के घरवालों की आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी.

इधर, जाह्नवी के ना मिलने से घरवाले लगातार पुलिस की शिकायत करने लगे थे. और उधर पुलिस मामले की नजाकत को देखते हुए बच्ची को जी-जान से तलाशने में लगी थी. और तो और दिल्ली पुलिस ने अपने सुपर कॉप्स की टीम यानी स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच को भी जाह्नवी की तलाश में लगा दिया. पुलिस इंटेलिजेंस डेवलप करने पर जोर देने लगी. लेकिन इस रोज भी कोई सुराग नहीं मिला.

विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे लोगों को पुलिस ने लौटाया
अब घरवालों का धैर्य जवाब देने लगा था. लिहाजा, उन्होंने पुलिस पर दबाव बनाने के लिए एक बार फिर से उसी इंडिया गेट पर प्रदर्शन करने का फैसला किया, जहां से छह रोज पहले जाह्नवी गायब हुई थी. लेकिन कैंडल लाइट मार्च करने पहुंचे लोगों को पुलिस ने इंडिया गेट से वापस लौटा दिया.

इस मासूम की गुमशुदगी का ये सातवां दिन भी इंतजार में गुजर गया.

लेकिन इसका अगला दिन इस कहानी का सबसे अहम और खास दिन साबित हुआ. एक तरफ जहां पुलिस ने जाह्नवी के बारे में सुराग देने वाले को 50 हजार का ईनाम देने का ऐलान कर ये जता दिया कि वो बच्ची को तलाशने को लेकर कितनी गंभीर है, वहीं रात के आठ बजते-बजते जाह्नवी को लेकर जो खबर सामने आई, उसने एक बार फिर से सभी को चौंका दिया. ये खबर थी, जाह्नवी के मिल जाने की.

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जी हां, अब जाह्नवी वापस मिल चुकी थी. लेकिन कहां? किस हाल में? और किसने छोड़ा उसे? पुलिस को अभी इन सवालों का जवाब तलाशना था. लेकिन घरवालों से मिलकर मानों जाह्नवी और उसके घरवाले दोनों की जान में जान लौट आई.

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