कर्नाटक कैडर के आईएएस अफसर अनुराग तिवारी की संदिग्ध मौत मामले में लखनउ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने पीसीआर में तैनात तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. 17 मई को अनुराग तिवारी का शव मिलने की सूचना पुलिस को डायल 100 की पुलिस रिस्पांस वाहन को सुबह 5.33 मिनट पर दी गई, लेकिन वे आधे घंटे देर से पहुंचे.
एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि ऐसी सूचना मिली थी कि अनुराग तिवारी की मौत के बाद पुलिस रिस्पांस वाहन 467 पर तैनात सिपाही घटना के आधे घंटे के बाद घटना स्थल पर पहुंचे थे. इसी लापरवाही की जानकारी मिलने पर इन तीनों सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया है. इस मामले की सीबीआई जांच करने की सिफारिश की गई है.
डीजीपी सुलखान सिंह और गृह सचिव अरविंद कुमार ने बताया था कि सरकार इस मौत की सीबीआई जांच के लिए तैयार है. अधिकारियों का दावा था कि जांच जल्द ही सीबीआई को सौंप दी जाएगी. मृतक अनुराग के भाई मयंक तिवारी की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत केस दर्ज किया गया है.
क्या है परिवार का आरोप?
अनुराग तिवारी की मां ने आरोप लगाया है कि उनका बेटा ईमानदार था. लेकिन उसपर कर्नाटक में गलत काम काम का दबाव बनाया जाता था. उनके भाई मंयक ने पुलिस को सूचित किया कि उनके भाई ने कर्नाटक में किसी बड़े घोटाले को उजागर करने की बात बताई थी. अनुराग ये सारी जानकारी पीएमओ और सीबीआई को देने वाले थे.
संदिग्ध हालात में मौत
पोस्टमॉर्टम जांच में ये सामने आया था कि आईएएस अनुराग तिवारी की मौत दम घुटने की वजह से हुई थी. लेकिन मयंक तिवारी ने बताया कि जिस जगह से उनकी डेड बॉडी मिली थी, वहां पर उस तरीके से किसी की मौत नहीं हो सकती, साथ ही अनुराग के फोन से भी छेड़छाड़ की गई थी. पूरा मामला संदिग्ध है, इसकी जांच होनी चाहिए.