आतंकवाद निरोधक कानून (पोटा) की एक विशेष अदालत ने मुंबई में हुए तिहरे बम विस्फोट केस के 10 आरोपियों को मंगलवार को दोषी करार दिया, जबकि तीन को बरी कर दिया है. विशेष न्यायाधीश पी. आर. देशमुख ने दोषी अभियुक्तों सजा की तय करने के लिए सुनवाई बुधवार तक टाल दी है.
अभियोजन पक्ष ने कहा कि अभियुक्तों में अधिकतर प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सदस्य हैं. ये 1992 में अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस और गुजरात में वर्ष 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगे का बदला लेना चाहते थे.
बताते चलें कि वर्ष 2002 के दिसंबर से 2003 के मार्च के बीच हुए इन विस्फोटों में मुंबई में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई थी और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे. पहला विस्फोट मुंबई सेंट्रल टर्मिनस की मुख्य इमारत में मैकडोनाल्ड आहार गृह के पास छह दिसंबर, 2002 को हुआ था.
वहीं, दूसरा बम विस्फोट 27 जनवरी, 2003 को विले पार्ले बाजार में हुआ था. तीसरा विस्फोट उसके कुछ ही दिनों बाद 13 मार्च को उपनगरीय रेलगाड़ी के भीड़ भरे महिला प्रथम श्रेणी के डिब्बे में हुआ था. इसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी.