सच कहूं तो अच्छा नहीं लगता है. संत जैसे शब्द जिसके साथ जुड़े हों, लाखों भक्तों की भावनाएं और आस्थाएं जिसमें हों, उसके बारे में ऐसी बातें हों. पर क्या करें... जब संत ही झूठ बोलने लगे तो फिर क्या शर्म और क्या शिकायत? संत आसाराम बापू शायद प्रवचन और पुलिसिया पूछताछ को एक ही समझ बैठे थे. फिर क्या था इसी गलतहमी में दावा कर बैठे कि जब वो पुरुष ही नहीं हैं तो बलात्कार या यौन शोण कैसे कर सकते हैं? पर जब डॉक्टरों ने सच बोला तो आसाराम बापू अचानक महापुरुष नजर आने लगे.
आसाराम ने खेला सबसे बड़ा दांव
नए जमाने के आसाराम नाम के नए भगवान ने सच की ऐसी धज्जियां उड़ाई हैं कि झूठ शर्मा बैठा. दुनियादारी, संसार, मोह-माया सब से दूर होने का दावा करने वाले आसाराम बापू ने खुद पर लगे इलजाम को झूठा साबित करने के लिए सबसे बड़ा दांव खेला. 70 पार कर चुके आसाराम को आस थी कि इस दाव से सारे दाग मिट जाएंगे. उन्होंने पुलिस से कहा कि वो बलात्कार या यौन शोषण तो छोड़िए किसी के साथ संबंध बनाने के ही लायक नहीं हैं. क्योंकि वो नपुसंक हैं. नामर्दी का शिकार हैं.
झूठा निकला दावा
दांव बड़ा था. दावा दमदार. दलील जबरदस्त. पर अपने आसाराम भूल गए कि ये उनके भक्तों के सामने उनका प्रवचन नहीं था बल्कि पुलिस के सामने किया गया दावा था. प्रवचन और दावे में फर्क होता है. प्रवचन पर सुना जाता है पर दावे को कसौटी पर कसा जाता है. पुलिस ने यही किया. दावे को दलील समझ कर आसाराम को डाक्टरों की टीम के सुपुर्द कर दिया. डाक्टरों ने अपनी सारी डाक्टरी बापू पर लगा दी. तसल्ली से जांच की गई. और फिर नतीजा आम हो गया. संत आसराम बापू झूठ भी बोलते हैं ये सामने आ गया. क्योंकि डाक्टरो ने सर्टिफिकेट दे दिया कि आसाराम भी वैसे ही नार्मल हैं जैसे बाकी इंसान होते हैं. वो ना तो नपुंसक हैं और ना ही नामर्दी की बीमारी का शिकार.
बात छोटी थी. मुद्दा मामूली. और मामला ऐसा कि आम सूरत में कोई इस तरह अपनी नामर्दी की बीमारी का ढिंढोरा भी नहीं पीटता. क्योंकि इस बीमारी ने आज भी समाज में शर्मिंदगी की चादर ओढ़ रखी है. पर आसाराम ने इस चादर को भी उतार फेंका. खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए. पर ये चाल और दाव भी उलटी पड़ गई. इलज़ामों की फेहरिस्त में उलटे एक नया इलजाम जुड़ गया. आसाराम का एक और चरित्र सामने आ गया. झूठा बोलने का चरित्र. झूठा होने का चरित्र. पर आसाराम के इस झूठ ने सदियों पुराना वो मुहावरा एक बार भी सच कर दिया कि इंसान एक सच को छुपाने के लिए ना जाने कितने झूठ बोलता है.
जरा सोचिए जो छोटे से हवालात को अपवित्र बता रहे थे वही महापुरुष आसाराम बापू पूरी की पूरी जेल में कैसे रहेंगे? अगर हवालात उनके लिए नापाक है तो फिर जेल कितनी ज्यादा अपवित्र होगी? पर क्या कीजिएगा. कानून बापू के प्रवचन के दौरान भक्तों के कतार में बैठी चीज का नाम नहीं है. जो उनके कहने पर चले. कानून बापू के जलवे में आने वाली चीज भी नहीं है.
खुद ही पुरुष होने से इंकार करने वाले महापुरुष आसाराम का फिलहाल सबसे नया और ताजा पता यही है... केंद्रीय कारागार, जोधपुर.
जोधपुर जेल में नया मेहमान
जोधपुर के इस सेंट्रल जेल में तीन साल बाद कोई मशहूर मेहमान आया है. जी हां. जेधपुर का ये वही सेंट्रल जेल है जहां किश्तों में सलमान खान कई रातें काट चुके हैं. काले हिरण शिकार मामले में. अब उसी सेंट्रल जेल में आसाराम बापू होंगे. कितने दिन और कितनी रातें उनकी यहां कटेंगी पता नहीं. कैसे कटेंगी ये भी नहीं पता. पर इतना जरूर है कि तमाम कोशिशों के बावजूद आखिरकार महापुरुष आसाराम को जेल दर्शन हो ही गए.
आसाराम को इस जोधपुर सेंट्रल जेल के बैरक नंबर एक में रखा गया है. इत्तेफाक देखिए कि इसी बैरक में सलमान खान भी रह चुके हैं. भक्तों के बीच बड़ी-बड़ी बातें करने वाले आसाराम जब सलाखों के पीछे जा रहे थे तो उनका चेहरा उतरा हुआ था. आंखों में आंसू थे और दो-दो तौलियों से चेहरा ढंकने की कोशिश कर रहे थे. साफ लग रहा था आसमान में उड़ रहे आसाराम बुरी तरह जमीन पर गिर चुके
अब आसाराम जैसे मेहमान आ रहे हों तो जेल के जेलर का भी फर्ज बनता है वो खास तैयारी करे. लिहाजा जेल लाए जने से पहले ही जेलर साहब भी कमर कस चुके थे. बोला, होंगे आसाराम बापू अपने आश्रम के हमारे लिए तो बाकी कैदियों की तरह बस एक और कैदी हैं.
आसाराम की जेल में दिनचर्या क्या होगी?
आसाराम की जेल में दिनचर्या क्या होगी? ये भी बड़ा सवाल है. क्योंकि कहा जाता है कि आसाराम सुबह योगा करते हैं. जोधपुर सेंट्रल जेल में भी योगा की सुविधा तो है पर अलग से नहीं.आसाराम को बाकी कैदियों के साथ ही योग करना पड़ेगा. वैसे जेलर साहब ने बाकी बातें तो बता दीं. पर ये नहीं बताया कि कहीं महापुरुष आसाराम बापू ने जेल में प्रवचन देने की ठान दी ली तो क्या होगा? सूत्र कहते है कि जोधपुर सेंट्रल जेल में भी कई कैदी और यहां तक कि खुद कुछ जेल स्टाफ भी उनके भक्त हैं.
स्टिंग ऑपरेशन से खुली पोल
आसाराम बापू पुरुष हैं इसके सबूत के तौर पर डाक्टरों की रिपोर्ट के अलावा जोधपुर पुलिस आजतक के एक स्टिंग ऑपरेशन को भी उनके खिलाफ सबूत बनाने का फैसला कर चुकी है. आजतक ने तीन महीने पहले आसाराम के आश्रम में ही एक स्टिंग ऑपरेशन किया था. कैमरे पर बाबा एक लड़की के साथ रात को सोने की बातें करते पकड़े गए. तीन साल पहले स्टिंग ऑपरेशन के जरिए आजतक जो सच दुनिया के सामने ले आया था, उसी को आधार बनाकर जोधपुर पुलिस अब आसाराम की नीयत को बेपर्दा कर रही है.
आसाराम से पनाह मांगने के लिए जब आजतक की टीम एक महिला रिपोर्टर को लेकर आश्रम पहुंची उस वक्त बापू प्रवचन दे रहे थे. आसाराम बापू को महिला रिपोर्ट का नाम पूनम बताया गया था, और ये कहा गया था कि पूनम अपराधी है और अमेरिका से फ्रॉड करके भागी है. पूनम को देखते ही, बापू ने प्रवचन बंद कर दिया और अकेले ही अपने पास बुलाया. भविष्य देखने के बहाने वो पूनम का बार बार हाथ पकड़ने लगे.
बापू ने सुबह की इस पहली मुलाकात में तकरीबन 20 से 25 मिनट पूनम से अकेले में बात की और ये जानते हुए कि वो एक अपराधी है उसे आश्रम में पनाह देने के लिए तैयार हो गए. आसाराम इसमें बोल रहे हैं कि 'तुम यहां रह जाना, मेरे और तुम्हारे सिवा ये कोई नहीं जानता कि तुम कौन हो.'
आसाराम बापू अपने आश्रम में एकांतवास में थे. सुबह से पूनम वहीं थी. दिन बीता शाम आई. आसाराम पूनम को जंगल घुमाना चाहते थे. अकेले में. और फिर रात को अपने साथ सुलाना चाहते थे.
हाथ देखने और छू कर महसूस करने के बाद, आसाराम ने अपने कमरे से सबको किनारे कर दिया और फिर एक साधिका को आवाज लगायी. आसाराम ने पूनम को इस साधिका के हवाले कर दिया और उसे आदेश दिया कि एक कमरा खुलवा कर इस लड़की को दोपहर तक वहीं रखा जाए. आसाराम ने साधिका को कुछ हिदायतें भी दी.
आसाराम को जैसे भरोसा हो चला था कि पूनम उनके झांसे में आ चुकी है, इसलिए उन्होंने पूनम को भरोसा दिलाया कि इस आश्रम में डरना नहीं, उनकी जान पहचान मुख्यमंत्री तक है.
महिला रिपोर्टर ने किसी तरह दोपहर आश्रम के एक कमरे में बितायी. शाम होते होते, आसाराम ने इस महिला रिपोर्टर को अपने पास अकेले बुलाया और गंगा नदी के पार एक जंगल में चलने को कहा.
आसाराम बोले, 'घबराओ मत यहां बड़े डाकू भी शरण लेते हैं और पुलिस भी आती नहीं है.'
आजतक की टीम आसाराम की नीयत पढ़ना चाहती थी इसलिए महिला रिपोर्टर और एक संवाददाता आसाराम के साथ जंगल की ओर बढ़ गए. 15-20 मिनट बाद नदी के किनारे जब हमने एक मोटरबोट खड़ी देखी तो मामला समझ आने लगा, लिहाजा महिला रिपोर्टर ने इस मोटरबोट पर अकेले बैठने से मना कर दिया. आसाराम ने उस वक्त कोई दबाव तो नहीं डाला लेकिन खिसियाकर वहां खड़े कुछ लोगों को फटकार लगाने लगे. शायद आसाराम जो चाहते थे वो हुआ नहीं इसलिए अपना आपा खो दिया.
लेकिन पूनम की रात आना अभी बाकी थी. शाम ढलते ही आसाराम को आश्रम में हजार भक्तों को बीच सिर्फ एक ही की तलाश थी. तलाश पूनम की.
देव भूमि हरिद्वार में आसाराम बापू के आश्रम में पूनम को तकरीब दस घंटे बीत चुके थे. आसाराम शाम को पूनम को जंगल की अकेले सैर कराना चाहते थे, लेकिन पूनम ने नदी पार के उस जंगल में जाने से मना कर दिया था. पूनम के मना करते ही आसाराम अपना आपा खो बैठे अपनी खिसियाहट वहां मौजूद गनर्स पर जाहिर कर दी.
जंगल से लौट कर तकरीबन 7-8 बजे आसाराम ने एक बार फिर, पूनम को अपने कमरे से बुलवाया और आश्रम की छत पर ले गये. वहां आसाराम बोले, 'आज मेरे साथ सो जाना.'
दरअसल पूनम ने बातों बातों में जब आसाराम से कहा कि कुछ दिन से घबराहट की वजह से उसे नींद नहीं आ रही तो आसाराम को बहाना मिल गया और वो बार बार पूनम को अपने कमरे में सुलाने की जिद करने लगे. आसाराम की दलील थी कि वो उनके साथ लेटेगी तो उसे नींद आ जाएगी.
आसाराम का इरादा उस रात पूनम को आश्रम में ही रोकने का था. लेकिन तभी रात साढ़े नौ से 10 के बीच कुछ भक्त आश्रम पहुंचे और इस भीड़ में पूनम और आजतक के संवाददाता आश्रम से भागने में कामयाब रहे.