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जाम छलका रही नाबालिगों की टोली, मौत बांटने वाली ड्राइविंग और बेबस कानून- लाचार सिस्टम... पुणे पोर्श कांड की Inside Story

चंद सेकेंड्स के अंदर ही एक कार बाइक पर गुजरती लड़का-लड़की की उस जोड़ी को पीछे से हिट करती है और चूंकि कार की रफ्तार बेहद ज्यादा थी. तो बाइक के पीछे बैठी लड़की कार की टक्कर से करीब 7 से 8 फीट हवा में उछल जाती है और नीचे पथरीली सड़क पर किसी बेजान चीज की मानिंद आ गिरती है.

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नाबालिग आरोपी को महज 15 घंटे में जमानत मिल गई
नाबालिग आरोपी को महज 15 घंटे में जमानत मिल गई

नशे में धुत्त कर कोई अपनी कार के पहियों तले कुचल दो-दो लोगों की जान ले ले और बदले में ऐसा करने के आरोपी को अदालत महज़ एक निबंध लिखने और 15 दिनों तक ट्रैफिक वॉलेंटियर बनने की शर्त पर सिर्फ चंद घंटों में जमानत दे दे, तो इसे आप क्या कहेंगे? पुणे की सड़कों पर 170 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 3 करोड़ की पोर्शु कार दौड़ा कर दो लोगों की जिंदगी छीनने वाले नाबालिग रईसज़ादे की कहानी कुछ ऐसी है. वो कहानी जिसने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को लेकर लोगों को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है.

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जाम छलका रही थी नाबालिगों की टोली
सबसे पहले जो तस्वीरें सामने आईं. वो तस्वीरें एक सीसीटीवी फुटेज का हिस्सा हैं, जो पुणे के एक रेस्ट्रो-बार में कै़द हुई हैं. तस्वीर में नाबालिग लड़के-लड़कियों की एक टोली कायदे कानून से बेफिक्र खुलेआम जाम छलका रहे हैं. फिर दूसरी तस्वीर सामने आई. वो तस्वीरें पुणे के कल्याणी नगर इलाके की हैं. रात के करीब ढाई रहे हैं. और चूंकि इस इलाके में खाने-पीने की कई दुकानें और रेस्टोरेंट्स मौजूद हैं, यहां देर रात तक चहल-पहल बनी रहती है.

यू टर्न बना जिंदगी का आखिरी टर्न
अब तीसरी तस्वीर सामने आई, जिसमें कुछ ऐसा हुआ कि जिसे देख कर ही किसी का भी कलेजा मुंह को आ सकता है. सड़क पर लड़का-लड़की की एक जोड़ी एक बाइक पर नजर आती है, जो यू टर्न लेकर सड़क की दूसरी तरफ चली जाती है. और इसके ठीक चंद सेकेंड्स के अंदर सिल्वर ग्रे कलर की एक हाई प्रोफ़ाइल पोर्शु कार बिजली की रफ्तार से उसी सड़क पर गुज़रती है. इस कार की रफ्तार इतनी ज्यादा है कि ये मंज़र देख कर और कार की आवाज सुन कर ही आस-पास मौजूद लोग घबरा जाते हैं, लेकिन अगले ही पल जो कुछ होता है, उससे तो पूरे इलाके में सन्नाटा खिंच जाता है. मौके पर मौजूद हर किसी को मानों काठ मार जाता है. और फिर लोग खुद को संभालते हुए उसी तरफ दौड़ पड़ते हैं, जिधर कार गई थी.

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7 से 8 फीट तक हवा में उछली लड़की 
असल में चंद सेकेंड्स के अंदर ही एक कार बाइक पर गुजरती लड़का-लड़की की उस जोड़ी को पीछे से हिट करती है और चूंकि कार की रफ्तार बेहद ज्यादा है, ये एक्सीडेंट भयानक साबित होता है. चश्मदीदों की मानें तो बाइक के पीछे बैठी लड़की कार की टक्कर से करीब 7 से 8 फीट हवा में उछल जाती है और नीचे पथरीली सड़क पर किसी बेजान चीज की मानिंद आ गिरती है. और इसी के साथ बीच सड़क पर ही उसकी जिंदगी ख़त्म हो जाती है. ठीक इसी तरह बाइक चला रहे लड़के की हालत तो ऐसी होती है कि वो हिल-डुल भी नहीं पाता. और धीरे-धीरे उसकी भी सांसें साथ छोड़ने लगती हैं. 

कार की रफ्तार ने ली दो लोगों की जान
आनन-फानन में मौके पर मौजदू लोग दोनों को नजदीक के अस्पताल में ले कर जाते हैं, लेकिन डॉक्टर जहां लड़की को ब्रॉट डेड यानी पहले सी ही मुर्दा करार देते हैं, वहीं अस्पताल लाए जाने के कुछ ही देर बाद लड़के की सांसें भी उसका साथ छोड़ देती हैं. यानी करीब 160 से 170 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली कार पलक झपकते बीच सड़क पर दो हंसती-खेलती ज़िंदगियों को हमेशा-हमेशा के लिए खामोश कर देती है.

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नशे का कॉकटेल, दो परिवारों की तबाही
अब आइए आपको इन दोनों तस्वीरों के बीच का रिश्ता समझाए देते हैं फिर घनघोर लापरवाही और दर्द में लिपटी इस कहानी का एक-एक सच आपके सामने खोल कर रखेंगे. असल में सीसीटीवी की पहली तस्वीर में नजर आ रही नाबालिग लड़कों की जो टोली एक बार में बैठ कर जाम छलका रही है. वही नाबालिग लड़के रात को इस पोर्शु कार से पुणे की सड़कों पर एडवेंचर के लिए निकलते हैं. और इत्तेफाक से इस कार की स्टियरिंग एक ऐसे नाबालिग लड़के के हाथों में होती है, जो नाबालिग होने के साथ-साथ शराब के नशे में धुत्त भी है. और रफ्तार और नशे का यही कॉकटेल ना सिर्फ दो जिंदगी बल्कि दो परिवारों की तबाही की वजह बन जाता है.

अलग है पुणे का ये खूनी सड़क हादसा
वैसे तो हमारे देश में हर घंटे तकरीबन 53 सड़क हादसे होते हैं, जिनमें औसतन करीब 19 लोगों की जान चली जाती है, लेकिन इसके बावजूद पुणे का ये सड़क हादसा इसलिए भी हट कर है, क्योंकि इस हादसे में तमाम नियम कानूनों की जिस तरह से धज्जियां उड़ाई गई हैं, वैसा कम ही देखने सुनने को मिलता है. अब इस हादसे कि लिए जिम्मेदार उन कायदे कानूनों के उल्लंघन की बात कर लेते हैं, जिसने दो जिंदगियों को लील लिया.

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आरोपी ने ऐसे उड़ाई ट्रैफिक कानूनों की धज्जियां
अव्वल तो कार एक नाबालिग लड़का चला रहा था. दूसरा नाबालिक लड़का शराब के नशे में धुत्त था. तीसरा कार की रफ्तार करीब 160 से 170 किमी प्रति घंटे की थी. चौथा कार पर कोई नंबर प्लेट तक नहीं था और पांचवां उसने ट्रैफिक के कई दूसरे नियम कानूनों की धज्जियां उड़ा दीं. ऐसे में इस हादसे के बाद मौके पर मौजूद लोगों का पारा हाई हो जाना लाजिमी था, तो लोगों ने जैसे ही इस पोर्शु कार से शराब के नशे में धुत्त तीन लड़कों को नीचे उतरते और खास कर ड्राइविंग सीट से नाबालिग को बाहर आते देखा, तो उनका गुस्सा आपे से बाहर हो गया और लोगों ने मौके पर ही उन लड़कों की और खास कर गाड़ी चला रहे 17 साल और आठ महीने के नाबालिग की धुनाई कर दी और फिर उसे पुलिस के हवाले कर दिया.

जबलपुर और उमरिया में पसरा मातम 
उधर, जब हादसे का शिकार बने लड़का-लड़की की पहचान साफ हुई, तो पुणे से लेकर मध्य प्रदेश के जबलपुर और उमरिया तक में मातम पसर गया. मारे गए दोनों लोग सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे, जो मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले थे, लेकिन अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों इन दिनों पुणे में ही रह कर जॉब कर रहे थे. इनमें एक थी 24 साल की अश्विनी कोस्टा और दूसरा 24 साल का ही अनीश अवधिया. दोनों अच्छे दोस्त थे और एक-दूसरे को सालों से जानते थे. 18 और 19 मई की दरम्यानी रात को उनके कुछ पुराने दोस्तों के साथ गेट टुगेदर था और दोनों पास के ही एक रेस्टोरेंट में डिनर के लिए गए थे. जहां से लौटते वक़्त ये हादसा हो गया.

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दो बार में पार्टी, फिर जॉय राइड
उधर, हादसे के लिए जिम्मेदार नाबालिग लड़कों की बात करें, तो आरोपी नाबालिग अपने कुछ दोस्तों के साथ उस रात पार्टी कर रहा था. वो पहले एक बार में गए, जहां उन्होंने जम कर शराब पी. ये लड़के वहां रात करीब 12 बजे तक रुके और फिर वहां से निकल कर एक बार फिर एक दूसरे बार में चले गए. जहां से फिर से पीने-पिलाने का दौर चला. और वहां से रात के करीब ढाई बजे ये लड़के इस पोर्शु कार से जॉय राइड के लिए निकले, लेकिन जॉय ड्राइव की जरूरत से ज्यादा रफ्तार ही हादसे की वजह बन गई. नाबालिग ने नशे में धुत्त होकर दो इंजीनियरों को कुछ ऐसे उड़ाया कि दोनों की जिंदगी खत्म हो गई.

15 घंटे में जमानत, मामूली सजा
हादसे के बाद ही पुलिस ने कार चला रहे नाबालिग और उसके दोस्तों को काबू कर लिया था, लेकिन चूंकि मामला रोड एक्सिडेंट का था और उसकी उम्र 18 साल से कम थी, उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया गया, जहां उसे कुछ शर्तों के साथ महज 15 घंटे में ही जमानत मिल गई. इन शर्तों में उसे सड़क हादसों पर एक निबंध लिखने को कहा गया और 15 दिनों तक ट्रैफिक वॉलेंटियर के तौर पर ट्रैफिक पुलिस के साथ पुणे की सड़कों पर ट्रैफिक संभालने का काम दिया गया. हालांकि इतने भयानक हादसे के लिए जिम्मेदार एक लड़के की चट गिरफ्तारी और फट जमानत की इस प्रक्रिया ने लोगों को गुस्से से भर दिया और इसे लेकर पुणे पुलिस की कार्यशैली पर ही सवाल उठाए जाने लगे. कहा गया कि उसके खिलाफ सख्त धाराओं में कार्रवाई नहीं हुई.

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आरोपी के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला
हालांकि पुणे पुलिस का कहना है कि आरोपी लड़के के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 यानी गैर इरादतन हत्या 304(ए) लापरवाही से कोई ऐसा काम करना जिससे किसी जान चली जाए, 337 लापरवाही से किसी को चोट पहुंचाना, 338 अपने उतावलेपन के चलते किसी की जिंदगी खतरे में डालना, 427 किसी को परेशान करना और नुकसान पहुंचाना, 279 सार्वजनिक जगह पर तेज़ और लापरवाही से गाड़ी चलाना और मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 184 यानी खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाना और 119/177 ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करना जैसे आरोपों के तहत केस दर्ज किया गया है. 

आरोपी के पिता के खिलाफ मामला दर्ज
जबकि अपने नाबालिग बेटे को गाड़ी देने के जुर्म में आरोपी लड़के के पिता विशाल अग्रवाल के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 3, 5, 77, 75 और 199ए के तहत केस दर्ज गिरफ्तार किया गया है. और इसी तरह नाबालिग लड़कों को शराब परोसने के जुर्म में दो रेस्ट्रो-बार के मालिकों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है.

आरोपी का पिता भी गिरफ्तार
लोगों के गुस्से को देखते हुए हरकत में आई पुलिस ने अब नाबालिग आरोपी के बिल्डर पिता विशाल अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया है, जिस पर अपने नाबालिग बेटे को कार की चाबी देने का इल्जाम है. पुलिस ने विशाल अग्रवाल को संभाजी नगर से पकड़ा है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी के पीछे एक और कहानी सामने आई है. पुलिस सूत्रों की मानें तो पुलिस से बचने के लिए उसने अपनी दो और कारों को अपने ड्राइवरों के साथ मुंबई और गोवा के लिए रवाना कर दिया, ताकि उसकी लोकेशन को लेकर कनफ्यूजन पैदा हो जाए. लेकिन पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और दूसरे इनपुट के सहारे उसे संभाजी नगर से ट्रैक कर लिया.

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क्या कहता है जुवेनाइल जस्टिस एक्ट
नशे और रफ्तार के कॉकटेल में दो-दो लोगों की जान लेने वाले नाबालिग का जुर्म साबित होने पर आखिर उसे कितनी सज़ा हो सकती है? एक नाबालिग के ऐसे जुर्म पर आखिर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट क्या कहता है? किसी नाबालिग के ऐसे जुर्म पर क्या उसके माता-पिता के खिलाफ़ कार्रवाई हो सकती है? अगर हां, तो कितनी और कैसी? आप जब इन सवालों के जवाब जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे.

महज 15 घंटे में जमानत
पुणे में पोर्श के पहिए तले लड़का-लड़की को कुचल कर मारने वाले नाबालिग लड़के को पकड़ने के साथ-साथ पुलिस ने उसके पिता को भी गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग लड़के को पकड़े जाने के 15 घंटे के अंदर ही उसे जमानत पर रिहा भी कर दिया. जिससे लोगों में पुलिस के खिलाफ नाराजगी है. ऐसे में सवाल ये है कि कल को इस मामले में अगर नाबालिग और उसके पिता के गुनाह साबित हो भी जाते हैं, तो उन्हें ज्यादा से ज्यादा कितनी सजा हो सकती है? 

नाबालिग आरोपी को नहीं मिलेगी कोई कड़ी सजा
सुप्रीम कोर्ट के वकील रूद्र विक्रम सिंह के मुताबिक, इस मामले में जुर्म साबित होने पर लड़के के पिता को तीन साल तक की सज़ा हो सकती है, लेकिन सवाल उठता है कि जिस नाबालिग ने दो लोगों को कुचल कर मार डाला, उसका क्या होगा? तो आइए इसका भी जवाब जान लेते हैं. एडवोकेट रूद्र विक्रम सिंह बताते हैं कि चूंकि ये मामला एक्सिडेंट का है, जो किसी गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, तो फिर इस मामले में नाबालिग को कोई कड़ी सज़ा होगी, इसकी उम्मीद भी ना के बराबर है.

(पुणे से ओंकार वाबले का इनपुट)

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