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Law and Order: पटियाला की जेल में ऐसा है नवजोत सिंह सिद्धू का हाल, मुश्किल से गुजर रहा है वक्त

क़ैदी नंबर 241383 यानी पूर्व स्टार क्रिकेटर और नामचीन सेलिब्रिटी नवजोत सिंह सिद्धू. ये नंबर अब उनकी नई पहचान है. कल तक पांच सितारा ज़िंदगी जानेवाले सिद्धू के लिए जेल में एक-एक पल गुज़राना भारी पड़ रहा है. बात सिर्फ खाने-पीने की नहीं है, जेल में मिलनेवाले सुविधाओं की भी हैं, जिन्हें सिद्धू की निजी ज़िंदगी को भी मुश्किल बना दिया है.

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रोड रेज के मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई है
रोड रेज के मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को सुनाई है एक साल की सजा
  • पटियाला जेल की बैरक 10 में बंद हैं सिद्धू
  • खाने को लेकर परेशान है पूर्व स्टार क्रिकेटर

कैदी नंबर 241383, बैरक नंबर 10, पटियाला जेल. ये नया नाम और पता है नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) का. एक साल की सजा पाने वाले सिद्धू ने एक दिन की कैद तो बरसों पहले काट ली थी. अब बाकी बचे 364 दिन की कैद वो पटियाला जेल (Patiala Jail) में काट रहे हैं. मगर जेल की जिंदगी क्या होती है ये सिद्धू को पहले 4 दिन में ही समझ आ गया. कुछ खास वजहों से सिद्धू जेल में खाना नहीं खा रहे हैं. उनके पहले तीन दिन जेल में कैसे कटे आइए आपको तफ्सील से बताते हैं.

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कल तक जिनकी लच्छेदारों बातों पर दुनिया वारी जाती थी. कल तक जिनके लतीफ़ों पर लोग लोट-पोट हुआ करते थे. कल तक जिनके आगे-पीछे अफ़सरों-वर्दीवालों का पूरा का पूरा अमला चला करता था. आज वो सदमे से घिरा है. तन्हा, बेबस और लाचार. उनकी आज़ादी छिन गई है. और अब वो सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं. अब तो हालत ये है कि जेल के अंदर पिछले तीन दिनों से उन्हें ढंग का खाना तक नसीब नहीं हुआ. वो पिछले तीन दिनों से ही कामचलाऊ सलाद से काम चला रहे हैं. क्योंकि हमारी और आपकी तरह ना तो वो रोटी खा सकते हैं और ना ही चावल. 

जी हां, क्रिकेटर से कमेंटेटर और कमेंटेटर से पॉलिटिशियन बने नवजोत सिंह सिद्धू का वक़्त कुछ ऐसा बदला है कि हालात ने उन्हें सीधे अर्श से फ़र्श पर पहुंचा दिया है. 34 साल पुराने रोड रेज के मामले में सुप्रीम कोर्ट से एक साल की क़ैद की सज़ा सुनाए जाने के बाद सिद्धू फिलहाल पंजाब की पटियाला जेल में बंद हैं. आइए उनकी मौजूदा हालत को समझने की कोशिश करते हैं.

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सीजेएम कोर्ट पटियाला, शुक्रवार दोपहर 03.45 बजे
यही वो वक़्त था जब नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में सरेंडर किया था. हालांकि सरेंडर करने से पहले उन्होंने शुक्रवार को उसी सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से अपनी फ़रियाद लगा कर सरेंडर के लिए थोड़ी और मोहलत लेने की कोशिश की, जहां से उन्हें सज़ा सुनाई गई थी. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट में ये फरियाद अनसुनी रह गई तो सिद्धू के पास सरेंडर करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं था. बहरहाल, उन्होंने सरेंडर तो किया और जेल भी चले गए. लेकिन बीमारियों ने सिद्धू की जेल में ज़िंदगी कुछ इस क़दर मुहाल कर दी, कि सिद्धू अब भी डॉक्टरों के डायट प्लान का इंतज़ार कर रहे हैं. असल में सिद्धू को तीन ऐसी गंभीर बीमारियां हैं, जिनकी वजह से वो ना तो रोटी खा सकते हैं और ना ही चावल. ऐसे में उन्हें वैकल्पिक भोजन पर ही निर्भर रहना पड़ता है. 

शुक्रवार की शाम 5.45 बजे
सीजेएम कोर्ट से जेल भेजे जाने के बाद सिद्धू शाम पांच जब कर पैंतालीस मिनट पर पटियाला जेल पहुंचे, जहां पहले उन्हें जेलर के साथ वाली लाइब्रेरी के आहाते में कुछ देर के लिए रखा गया और फिर वहां से आगे बैरक में उनके रहने की व्यवस्था बनाई गई. कुछ देर बाद उन्हें बैरक नंबर दस में शिफ्ट कर दिया गया. सिद्धू सुरक्षा के लिहाज़ से आज भी जेल में बेशक एक वीवीआईपी क़ैदी हों, लेकिन क़ानून की नज़र में उनकी हैसियत एक मामूली कैदी के अलावा और कुछ भी नहीं.
 
ऐसे में जेल में उन्हें पहनने के लिए ना सिर्फ़ कैदियों वाले सफ़ेद कपड़े दिए गए, बल्कि रोज़ाना इस्तेमाल के लिए भी वही चीज़ें दी गईं, जो दूसरे कैदियों को मिलती हैं. इनमें एक कुर्सी-टेबल, एक आलमारी, 2 पगड़ी, एक कंबल, एक बैड, तीन अंडरवियर और बनियान, 2 टॉवल, एक मच्छरदानी, एक कॉपी-पैन, जूतों की जोड़ी, 2 बैडशीट, दो तकिया कवर और 4 कुर्ते-पायजामे शामिल हैं. अगर बिस्तर की बात करें तो सिद्धू को सोने के लिए जेल में दूसरे क़ैदियों की तरह ही सीमेंट का बना थड़ा ही नसीब हुआ.

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शुक्रवार की शाम 7.15 बजे
लेकिन असली मुसीबत तब आई, जब बात खाने की आई. जेल में बंद दूसरे क़ैदियों की तरह ही जब शाम सवा सात बजे सिद्धू को खाने में दाल रोटी दी गई, तो सिद्धू ने इसे खाने से साफ इनकार कर दिया. यहां बात सिर्फ सदमे की नहीं, बल्कि बीमारी की थी. असल में सिद्धू को तीन ऐसी बीमारियां हैं, जिसके चलते वो ना तो रोटी खा सकते हैं और ना ही चावल. ऐसे में वो पूरी तरह सलाद, सब्ज़ी, जूस और ऊबले हुए भोजन पर ही निर्भर हैं, लेकिन जेल ना तो उनके लिए ऐसा कोई ख़ास इंतज़ाम था और ही इसकी कोई तैयारी ही थी. ऐसे में उन्हें शुक्रवार की पूरी रात सलाद के चंद टुकड़ों के सहारे ही गुज़ारनी पड़ी और यही सिलसिला शनिवार और रविवार के दिन भी चलता रहा. नवजोत सिंह सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर डल्ला की मानें तो तीन बीमारियों के चलते सिद्धू की जिंदगी दूसरे लोगों के मुकाबले काफ़ी अलग है.

एंबॉलिज़्म की प्रॉब्लम
सिद्धू को पैरों में एंबॉलिज्म की शिकायत है. मतलब ये कि यहां ख़ून का थक्का बनने यानी ब्लड क्लॉट की आशंका बनी रहती है और अगर ये क्लॉट बने तो ये ज़िंदगी पर भी भारी पड़ सकती है. क्योंकि इस बीमारी में ये देखा गया कि कई बार क्लॉटिंग के हिस्से ख़ून के साथ आर्टिरिज़ में बहने लगते हैं, जिससे मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर का ख़तरा भी पैदा हो जाता है. यही वजह है कि सिद्धू अपने पैरों में हमेशा ही लेग बैंड्स पहनते हैं, ताकि ख़ून का थक्का ना बन सके और ख़ून पतला रहे. इसी के साथ वो दवाओं और हर्बल डायट पर भी निर्भर रहते हैं और ख़ाना ऐसा खाते हैं, जो ख़ून को गाढ़ा ना बना सके.

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थ्रोम्बोसिस की शिकायत
उन्हें दूसरी परेशानी थ्रोम्बोसिस की है. थ्रोम्बोसिस भी एंबॉलिज़्म से मिलती-जुलती बीमारी है, जिसमें धमनी या नसों में ख़ून के थक्के जम जाते हैं. जब पैर की गहरी नस में खून थक्का बनता है, तो इसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस कहते हैं. ये ख़ून की धार को रोकता है और शरीर के दूसरे हिस्सों तक भी पहुंच  सकता है.

फैटी लिवर ग्रेड-3
इसी तरह उन्हें ग्रेड थ्री फैटी लिवर की भी शिकायत है. आम तौर पर फेटी लिवर एक आम बीमारी है, लेकिन ग्रेड थ्री का फैटी लिवर कॉम्पलिकेटेड माना जाता है. डॉक्टरों की मानें तो ऐसी फैटी लिवर के शिकार लोगों के लिए गेहूं और चावल जैसी चीज़ों को पचाना मुश्किल होता है. इन बीमारियों की वजह से वो पिछले तीन सालों में तीन बार अलग-अलग किस्म की सर्जरियों से भी गुज़र चुके हैं.

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ऐसे में सिद्धू अपने लिए जेल में ख़ास क़िस्म के खाने की मांग कर रहे हैं. उनके वकील ने इसके लिए अदालत से फ़रियाद भी की है, लेकिन दिक्कत ये है कि सीजेएम की पहली नोटिस पर जेल प्रशासन से कैंटीन से खाना खरीद कर खाने की सुविधा होने की बात कह कर अपने हाथ खड़े कर लिए, जिसके बाद पटियाला की सीजेएम कोर्ट ने इस मामले पर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले डॉक्टरों की राय लेने की ज़रूरत महसूस की और कोर्ट की ओर से मेडिकल बोर्ड बना कर सिद्धू की बीमारी पर राय मांगी गई. जिसके बाद पटियाला के राजिंदरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तीन डॉक्टरों का बोर्ड बनाया गया, जिसमें एक कार्डियोलॉजिस्ट, एक जनरल फिजिशियन और एक सीनियर डायटिशियन शामिल रहे. 

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सोमवार, 23 मई की दोपहर 1.30 बजे
डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड ने राजिंदरा अस्पताल में सिद्धू की गहन मेडिकल जांच की, जिसमें हार्ट से लेकर, ब्लड, यूरिन, अल्ट्रासाउंड, लिवर टेस्ट, ईसीजी वगैरह सब शामिल था. फिलहाल कोर्ट को डॉक्टरों के इन जांच के नतीजों और उनकी सलाह का इंतज़ार है, जिसके बाद ही ये तय हो सकेगा कि सिद्धू जेल में क्या खायेंगे और क्या नहीं? वैसे सिद्धू बीमारियों के लिए मद्देनज़र इन दिनों कब क्या खाते हैं, ये जान लेना दिलचस्प है. 

सिद्धू सुबह क़रीब साढ़े चार बजे उठते हैं और सुबह नाश्ते में लौकी का जूस, कद्दू का जूस, नींबू पानी जैसी जीज़े लेते हैं. इसके बाद वो मेडिटेशन करते हैं. पत्तेदार सब्जियां खाते हैं. फिर कटोरा भर कर फल खाते हैं, जिनमें रेड बेरीज, ब्लू बेरीज, तरबूज़, पपीता और खजूर जैसी चीज़ें होती हैं. दो घंटे बाद सीज़नल फलों के दो ग्लास जूस पीते हैं.. मसलन संतरा, मौसमी, पाइनएपेल या कुछ और.

इसके बाद दोपहर को वो किन्वा के आटे की रोटी, ज्वार-बाजरे की या फिर मिस्सी रोटी खाते हैं. साथ में साग, भिंडी, शिमला मिर्च, अरबी की सब्जी खाना उनकी रूटीन में है. वो सूप और रॉ सैलड भी खाते हैं.

देर दोपहर को वो लेट्यूस लीव्स वाला सलाद खाते हैं. जिनमें तीन तरह की शिमला मिर्च होती हैं. इसके अलावा कैरट यानी गाजर, ऑलिव्स, कॉर्न, चुकंदर के साथ-साथ ड्रेसिंग होती है.

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इसी तरह रात को भी वो सलाद लेते हैं और साथ में किन्वा के आटे की रोटी और सब्जी खाते हैं. वो राजमा वगैरह कम खाते हैं. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि वो बीमारियों की वजह से ही रोटी और चावल नहीं खा सकते और इसी की वजह से जेल प्रशासन के सामने भी मुसीबत खड़ी हो गई है कि आख़िर वो इस सेलिब्रिटी क़ैदी को खिलाए तो क्या खिलाए? 

 

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