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Inside Story: लूट से एनकाउंटर तक, अभी भी अनसुलझे हैं सिद्धू मूसेवाला के कातिलों से जुड़े कई सवाल

कहने को तो मोहाली में हुई लूट की वारदात आम घटनाओं जैसी ही थी, जिसे मोहाली पुलिस ने हफ्ते भर की मशक्कत के बाद सुलझा लिया था, लेकिन आगे चल कर यही लूट की वारदात मूसेवाला मर्डर केस में पंजाब पुलिस के लिए कामयाबी की सबसे बडी वजह बनी.

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मूसेवाला के कातिल मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा पाकिस्तान भागने की तैयारी में थे
मूसेवाला के कातिल मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा पाकिस्तान भागने की तैयारी में थे

उस दिन भारत-पाक सीमा के करीब एक गांव अचानक गोलियों की आवाज़ से दहल उठा. गांव की एक पुरानी हवेली को पुलिस ने चारों तरफ से घेर रखा था. उस हवेली के अंदर से रुक-रुक कर फायरिंग हो रही थी. पुलिस भी जवाबी कार्यवाई कर रही थी. दोनों तरफ से करीब साढ़े तीन घंटे तक गोलीबारी होती रही और जब ये गोलीबारी थमी तो उस हवेली के अंदर दो लाश मिली. मरने वाले दोनों शातिर बदमाश कोई और नहीं बल्कि पंजाब के मशहूर सिंगर सिद्धू मूसेवाला के कातिल थे. आइए जानते हैं पुलिस के उन दोनों कातिलों तक पहुंचने की पूरी कहानी और वो सवाल जिनके जवाब पुलिस तलाश रही है.

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11 जून 2022, सोहाना, मोहाली
मोहाली के सोहाना थाना इलाके में 11 जून की रात साढे आठ बजे लूट की एक वारदात होती है. प्रवीण ज्वेलर्स नाम की एक दुकान से गुमनाम लुटेरे तकरीबन साढे तीन सौ ग्राम सोने के गहने, ढाई किलो चांदी और दूसरी चीजें लूट कर फरार हो जाते हैं. 

18 जून 2022
लूट के मामले की छानबीन में जुटी पुलिस को कुछ हाथ नहीं लगता. मगर 18 जून यानी ठीक एक हफ्ते बाद पुलिस को इस मामले में कामयाबी मिल जाती है. पुलिस परमदलीप सिंह उर्फ पम्मा नाम के एक अपराधी को लूटी गई ज्वेलरी, पिस्टल और लूट में इस्तेमाल की गई कार के साथ गिरफ्तार कर लेती है. 

लूट की वारदात से ही मिला था सुराग
कहने को तो वो लूट की एक आम वारदात थी, जिसे मोहाली पुलिस ने हफ्ते भर की मशक्कत के बाद सुलझा लिया, लेकिन आगे चल कर यही लूट की वारदात मूसेवाला मर्डर केस में पंजाब पुलिस के लिए कामयाबी की सबसे बडी वजह बनी. जी हां, इसी लूट की वारदात ने पंजाब पुलिस को मूसेवाला के शूटर मनप्रीत उर्फ मन्नू और जगरूपा रूपा के बारे में ऐसा सुराग दिया कि दोनों शूटर ना सिर्फ़ हिंदुस्तान-पाकिस्तान की सरहद के करीब अटारी के एक गांव में घिर गए, बल्कि तकरीबन साढे चार घंटे चली एकाउंटर के बाद पुलिस ने दोनों को ढेर कर दिया गया.

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ऐसे मिला मूसेवाला के कातिलों का सुराग
सवाल ये था कि आख़िर ये कैसे मुमकिन हुआ? परमदीप सिंह पम्मा से कैसे पंजाब पुलिस को मूसेवाला के कातिलों का सुराग मिला? कैसे पम्मा पुलिस के लिए तुरूप का इक्का साबित हुआ? आइए आपको सिलसिलेवार तरीके से इस पूरे मामले की कहानी आपको बताते हैं. दरअसल, पंजाब के तरनतारन का रहनेवाला पम्मा भी मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा की तरह ही एक पुराना क्रिमिनल है और उसकी मन्नू और रूपा से अच्छी दोस्ती भी थी. अकेले पंजाब में ही उसके खिलाफ कत्ल समेत अलग-अलग जुर्म के सात मामले दर्ज हैं. ऐसे में जब पंजाब पुलिस ने पम्मा को गिरफ्तार किया, तो उससे उसके गुनाहों के हिसाब-किताब के साथ-साथ पुलिस ने मन्नू और रूपा के बारे में भी गहराई से पूछताछ की और तब जाकर पुलिस को मन्नू और रूपा की लोकेशन पता चलने लगी और पुलिस के लिए उन्हें ट्रैक करना मुमकिन होने लगा.

सीसीटीवी फुटेज देखकर पम्मा ने की थी शिनाख्त
पंजाब के मोगा के नज़दीक समालसर में पुलिस को मूसेवाला हत्याकांड की तफ्तीश के दौरान मिली सीसीटीवी फुटेज में मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा की तस्वीरें कैद हैं. जब फरारी के दिनों में वो दोनों एक बाइक पर बैठ कर किसी नए ठिकाने की तरफ भाग रहे थे और ये पम्मा ही था, जिसने उन तस्वीरों को देख कर इन दोनों की शिनाख्त की थी. यानी पुलिस को ये बताया था कि ये तस्वीर मन्नू और रूपा की ही है. यानी इस तरह धीरे-धीरे ही सही पंजाब पुलिस लगातार मन्नू और रूपा के करीब पहुंचती जा रही थी. उनकी घेरेबंदी की तैयारी करती जा रही थी.

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29 मई 2022
असल में 29 मई की शाम को सिद्धू मूसेवाला के कत्ल के फौरन बाद ही कनाडा में बैठे गैंगस्टर गोल्डी बराड ने अपने तमाम शूटरों को पंजाब छोडने का हुक्म जारी कर दिया था. दरअसल, गोल्डी को लगता था कि मूसेवाला के कत्ल के बाद उसके घरवालों और फैंस के लिए पूरे पंजाब में एक सिम्पैथी वेव यानी सहानुभूति की लहर चल सकती है. ऐसे में उसे निशाना बनानेवाले शूटर्स के लिए पंजाब में छुपना मुश्किल हो सकता है. उसका अंदाजा काफी हद तक सही भी था और पंजाब पुलिस इस वारदात के बाद से ही हाई अलर्ट पर आ गई थी. और इसी चौकसी के बीच अगले दो से तीन दिनों के अंदर प्रियव्रत फौजी, अंकित सिरसा, कुलदीप उर्फ़ कशिश, और दीपक मुंडी के साथ-साथ मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा ने भी पंजाब छोड़ दिया.

अलग-अलग जगहों से ऐसे पकड़े गए आरोपी
मूसेवाला की जान लेनेवाले हमलावरों ने शूटरों के दो मॉडयूल ने हिस्सा लिया था और हमले के बाद इन दोनों के दोनों के मॉड्यूल के शूटर पंजाब से बाहर निकल गए थे. प्रियव्रत फौजी की अगुवाई में उसके शूटर हरियाणा के फतेहाबाद, तोषाम, राजस्थान के पिलानी, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और गुजरात के कच्छ के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और झारखंड के कुछ ठिकानों में छुपते रहे और आखिरकार अलग-अलग जगहों से पकड़े गए.

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जेल में बंद जग्गू भगवानपुरिया से पूछताछ
लेकिन पंजाब मॉड्यूल के मन्नू और रूपा का कोई अता-पता नहीं चला. अब तक छानबीन कर रही पुलिस ये जान चुकी थी कि मन्नू और रूपा दोनों ही जग्गू भगवानपुरिया गैंग के गुर्गे हैं, और दोनों ने भगवानपुरिया के इशारे पर ही इस शूटआउट में हिस्सा लिया था. ऐसे में पंजाब पुलिस ने तिहाड़ जेल में बंद जग्गू भगवानपुरिया को हिरासत में लिया और उससे पूछताछ शुरू की. जग्गू से पुलिस को एक अहम बात पता चली, वो ये कि हरियाणा मॉड्यूल के शूटरों की तरह ही मन्नू और रूपा भी मूसेवाला की हत्या के बाद कुछ दिनों के लिए पंजाब से बाहर चले गए थे, लेकिन अब दोनों पंजाब लौट आए हैं और कहीं पंजाब में ही छुपे हैं.

मन्नू और रूपा को थी नशे की लत
पुलिस को पता चला कि मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा दोनों ही नशे के आदि हैं. कई सालों से हेरोइन समेत दूसरे कई तरह के नशे करते रहे हैं और बिना नशे के नहीं रह पाते. पंजाब के बाहर दोनों के लिए नशे का इंतज़ाम कर पाना भी आसान नहीं है. ऐसे में दोनों के पास पंजाब लौटने के सिवाय कोई चारा नहीं है. इतना सबकुछ पता चलने के बाद जहां पुलिस ने एक बार फिर से पंजाब में अपनी चौकसी बढ़ा दी, वहीं उसने नशे के धंधेबाज़ों पर भी शिकंजा कस दिया. अपने मुखबिरों को अलर्ट कर दिया कि अगर कहीं भी मन्नू और रूपा नशे की खेप खरीदते हुए नज़र आए, तो फौरन इसकी इत्तिला पुलिस को दी जाए.

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सरहदी गांव में छुपे होने की आशंका 
ये सारी जानकारी और सारी सूचनाएं पुलिस को लगातार मन्नू और रूपा के पास पहुंचाती जा रही थी. अब बस पुलिस को इंतजार था, उस पिन प्वाइंट इनफॉर्मेशन का, जिसकी बदौलत पुलिस दोनों तक पहुंच पाती. इसी बीच पुलिस को अपने मुखबिरों के ज़रिए ये खबर मिली कि मन्नू और रूपा दोनों ही पंजाब के सरहदी जिले अमृतसर के अटारी इलाके के एक गांव में छुपे हो सकते हैं. वजह ये कि रूपा इस इलाके का ही रहनेवाला है और इन दिनों पंजाब के इन सरहदी इलाकों में नशे की खेप भी आसानी से मिल जाती है. डेवलप करना शुरू किया यानी इन दोनों की लोकेशन के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी जुटाने की शुरुआत कर दी थी.

वीरान पड़ी हवेली को बनाया था ठिकाना
इस कोशिश में पुलिस को दोनों की पहली लोकेशन तरनतारन जिले के एक गांव गुलालीपुर में मिली. पंजाब पुलिस ने गुलालीपुर में दोनों की घेरेबंदी की कोशिश की. मगर सूत्रों की मानें तो पुलिस के इस हलचल की खबर मन्नू और रूपा को हो गई और दोनों ही घेरेबंदी से पहले गुलालीपुर से निकल अटारी के चिचा भकाना गांव पहुंच गए. जहां उन्होंने गांव में ही एक वीरान पड़ी हवेली को अपना ठिकाना बना लिया.

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चिचा भकाना गांव में छुपे थे दोनों हत्यारोपी
पुलिस लगातार दोनों की लोकेशन ट्रैक कर रही थी और पुलिस ने उनका पीछा करना भी शुरू कर दिया था. और तब 20 जुलाई की सुबह 11 बजते-बजते पुलिस को दोनों की फाइनल पिन प्वाइंट लोकेशन पता चली, और वो लोकेशन थी चिचा भकाना गांव की यही हवेली, जो दोनों के छुपने का आखिरी ठिकाना साबित हुई. पहले पुलिस ने पहले सादे लिबास में 2 किलोमीटर की हद में पूरे गांव की घेरेबंदी की और फिर हवेली की. इसके बाद पुलिस ने आस-पास के घरों को खाली करवाने की कोशिश शुरू की.

पुलिस पर गोलियां बरसा रहे थे मन्नू और रूपा
गांववालों ने पुलिस का पूरा साथ दिया और तब आखिरकार माइक के सहारे मन्नू और रूपा को हथियार डाल देने की आखिरी चेतावनी दी गई. लेकिन जिसका डर था, वही हुआ. मन्नू और रूपा ने हथियार डालने की जगह पुरानी हवेली की खिड़कियों और रौशनदानों से फायरिंग शुरू कर दी और तो और दोनों ने एके-47 से भी गोलियां दागना चालू कर दिया। ये सिलसिला पूरे साढे चार घंटे तक चलता रहा और आखिरकार जब एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स यानी एजीटीएफ, लोकल पुलिस और पंजाब कमांडोज की टीम ने मिल कर मूसेवाला के दोनों क़ातिलों को उनके आखिरी अंजाम तक पहुंचा डाला. 

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बॉर्डर के गांव में क्या कर रहे थे आरोपी?
अब सवाल ये है कि आख़िर मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा ने अटारी के इस गांव में मौजूद इस हवेली को ही अपने ठिकाने के तौर पर क्यों चुना? क्या ये महज़ एक इतेफाक था? या फिर इसके पीछे भी कोई प्लानिंग थी? इस खाली पडी हवेली पर उन्होंने खुद ही कब्जा किया था या फिर किसी ने उन्हें इस हवेली में ठिकाना दिया और यहां तक पहुंचाया था? अब दोनों शूटरों के एनकाउंटर के पास पुलिस इन तमाम सवालों के जवाब तलाश रही है.

कौन है उस हवेली का मालिक? 
आख़िर उस गांव में मौजूद वो हवेली किसकी है और वहां दोनों गैंगस्टरों ने आखिर अपना ठिकाना कैसे बनाया था? पुलिस की मानें तो गांव में खेतों के बीच बनी ये हवेली करीब छह साल से खाली पड़ी है. हवेली के आस-पास इन दिनों धान के हरे-भरे खेत हैं और गांव के दूसरे घरों की बसावट से ये थोड़ी दूरी पर है. हवेली और खेतों का मालिकाना पहने गांव के ही बलविंदर सिंह के नाम पर था, लेकिन बलविंदर सिंह ने कुछ साल पहले इसे पास के ही एक दूसरे गांव में रहनेवाले बलविंदर सिंह दोधी नाम के शख्स को ये हवेली बेच दी थी, लेकिन खरीददार ने भी इस हवेली का अब तक इस्तेमाल नहीं किया. अब पुलिस ये पता करने में जुटी है कि इन दोनों गैंगस्टरों को इनके किसी लोकल सपोर्ट यानी लोकल मददगार ने इस हवेली तक पहुंचाया या खाली हवेली देख कर दोनों खुद ही यहां छुप गए.

सरहद पार भागना चाहते थे दोनों आरोपी!
इस मामले की छानबीन में दोनों की इस आख़िरी लोकेशन को लेकर चौंकानेवाले खुलासे हो रहे हैं. असल में मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा के यहां छुपने के पीछे महज इतेफाक नहीं था, बल्कि ये उनके भारत छोड कर पाकिस्तान जाने की प्लानिंग का एक हिस्सा था. या यूं समझिए कि हिंदुस्तान से बाहर निकलने से पहले का ये उनका आखिरी ठिकाना था. सूत्रों की मानें तो मन्नू और रूपा के लिए वो इलाका हर तरह से मुफीद था. उस इलाके में इन दोनों नशे की खेप भी आसानी से मिल जाती थी और यहीं का निवासी होने की वजह से रूपा यहां की भौगोलिक बनावट से भी अच्छी तरह से वाकिफ था. ऊपर से पाकिस्तान के नज़दीक होने की वजह से वहां से निकल भागने की उम्मीद भी बनी हुई थी.

गैंगस्टर गोल्डी ने दिया था रिंदा के पास जाने का हुक्म
असल में उन दोनों शूटरों को उनके आका गोल्डी बराड ने पंजाब में ना रुकने की सलाह दी थी. लेकिन जब नशे की आदत से लाचार होकर दोनों पंजाब लौट आए, तो फिर गोल्डी ने दोनों को पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगना बब्बर खालसा के इंडिया हेड हरविंदर सिंह रिंदा के पास जाने को कहा था. सूत्रों की मानें तो मन्नू और रूपा ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली थी और वो किसी भी दिन मौका देख कर भारत की सरहद पार कर पाकिस्तान निकल जाते. 

नहीं बन सके थे नकली पासपोर्ट
कुछ सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि चोरी-छिपे सरहद पार करने की जगह पहले दोनों ने नकली पासपोर्ट के सहारे पाकिस्तान जाने की प्लानिंग की थी. लेकिन पुलिस की सख्ती की वजह से नकली पासपोर्ट नहीं बन सका और दोनों की ये प्लानिंग फेल हो गई. इसके बाद मन्नू और रूपा ने चुपके से ही बॉर्डर पार करने का फैसला किया और मौके का इंतजार करने लगे. लेकिन इससे पहले कि दोनों अपनी इस कोशिश में कामयाब हो पाते, पुलिस ने दोनों को घेर लिया और दोनों ही ढेर कर दिए गए.

 

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