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सिद्धू मूसेवाला के कातिलों से बरामद हथियारों ने पुलिस को भी हैरान परेशान कर दिया है. हथियारों को देखकर साफ पता चलता है कि गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के शूटर्स मूसेवाला को मारने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे. उन्होंने ये भी तय कर रखा था कि अगर घर के बाहर मौका नहीं मिला तो वे मूसेवाला के घर में घुसकर हमला करेंगे. इसके लिए उन्होंने हथगोलों के साथ-साथ पंजाब पुलिस की वर्दी भी तैयार रखी हुई थी.
हथियारों का जखीरा
पुलिस ने जब मूसेवाला मर्डर केस में पकड़े गए शूटर के कब्जे और उसकी निशानदेही पर हथियारों को जखीरा बरामद किया तो सिपाही से लेकर आला अफसर तक हैरान रह गए. इस मामले में अभी तक पकड़े गए आरोपियों से बरामद ये आधुनिक विदेशी हथियार केवल बानगी भर हैं. देश के इतिहास में शायद ये पहली बार है जब किसी एक शख़्स को मारने के लिए हथियारों का पूरा ज़ख़ीरा ही इकट्ठा कर लिया गया हो. हालांकि अभी भी हथियारों की ये बरामदगी अधूरी है. क्योंकि जिन 8 शूटरों ने मूसेवाला पर गोली चलाई, उनमें से चार से छह शूटरों का पकड़ा जाना अभी बाक़ी है.
यानी जब वो पकड़े जाएंगे, तब उनके हथियार भी इन हथियारों में शामिल होंगे. जिनमें एक-47 भी है. पर पहले इन हथियारों की बात करते हैं. पिस्टल गोली तो आप जानते ही हैं. पर इस जखीरे में हैंड ग्रेनेड भी मिले हैं. वो भी रशियन मेड. ग्रेनेड पर बाक़ायदा इसका मार्क और नंबर भी मौजूद है. ग्रेनेड के साथ पिन भी है. ज़ाहिर है ऐसे हथियारों का इस्तेमाल अमूमन देश के किसी भी हिस्से में कोई भी गैंगस्टर किसी को मारने के लिए नहीं करता है. लेकिन लॉरेंस गैंग किसी भी क़ीमत पर सिद्धू मूसेवाला को मारना चाहता था और इसीलिए उसने हर तरह के हथियारों का इंतज़ाम किया था.
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कातिलों का खौफनाक खुलासा
एक अकेले शख़्स को मारने के लिए गोली बंदूक के अलावा इतने सारे हथगोलों की क्या ज़रूरत थी? इन हथगोलों की बरामदगी के बाद खुद पुलिस भी हैरान थी. लेकिन फिर जिन शूटरों के पास से और जिनकी निशानदेही पर ये हथियार और हथगोले मिले, जब उन्होंने पूरा सच बताया तो पुलिसवालों को उनके सवाल के जवाब मिल गए. शूटरों का ख़ुलासा अपने आप में बेहद ख़ौफनाक था.
घर में घुसकर मारने का हुक्म
दरअसल मूसेवाला की रेकी करते-करते काफ़ी वक़्त निकल गया था. ये देरी लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ को बर्दाश्त नहीं हो रही थी. लिहाज़ा शूटरों को सीधे हुक़्म दिया गया कि अगर बाहर हमला करने का मौक़ा ना मिले, बुलेटप्रूफ़ गाड़ी और गनर बीच में आ जाएं, तो सीधे सिद्धू के घर में घुस कर उसे मार डालो और बस इसी के लिए हथियारों का ये पूरा ज़ख़ीरा इकट्ठा किया गया था.
शूटर प्रियव्रत फौजी का कबूलनामा
19 जून को गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से पकड़े गए शूटर प्रियव्रत उर्फ़ फ़ौजी और कशिश ने दिल्ली पुलिस को मूसेवाला के क़त्ल की साज़िश, क़त्ल से पहले की रेकी और क़त्ल वाले दिन की पूरी कहानी सुनाई है. पूरी कहानी कुछ यूं है. मूसेवाला के क़त्ल के लिए सिर्फ़ केकड़ा ही नहीं बल्कि ख़ुद शूटरों को भी रेकी का काम सौंपा गया था. मई के आख़िरी हफ़्ते में ही तमाम शूटर मानसा पहुंच चुके थे. मानसा में उन्होंने किराये का एक घर भी ले लिया था. इसके बाद वो लगातार बोलेरो और कोरोला में मानसा और मूसा गांव के चक्कर लगाते रहे.
बुलेटप्रूफ़ गाड़ी पर हमले का प्लान
शूटरों और केकड़ा ने क़रीब दस बार मूसेवाला की रेकी की. ये रेकी हमेशा मूसेवाला के घर के बाहर निकलने के बाद होती थी. इत्तेफ़ाक से तब जब भी मूसेवाला घर से बाहर निकले, अपनी बुलेटप्रूफ़ गाड़ी में निकले. गाड़ी में हमेशा गनर भी साथ होता था. शूटरों को अहसास हो चुका था कि अगर गाड़ी को घेर कर रोक भी लें, तो भी गोली चलाने का कोई फ़ायदा नहीं है. क्योंकि गाड़ी बुलेटप्रूफ़ है. मूसेवाला बच जाएंगे. कई बार बुलेटप्रूफ़ गाड़ी पर हैंड ग्रेनेड फेंकने का भी प्लान बनाया, मगर लगा कि वो भी कारगर नहीं होगा.
पंजाब पुलिस की वर्दी पहन घर में दाखिल होते शूटर
मूसेवाला की लगातार रेकी काफ़ी वक़्त ले रही थी. उधर, गोल्डी बराड़ काम जल्द से जल्द ख़त्म करना चाहता था. लिहाज़ा उसने शूटरों तक एक पैग़ाम भिजवाया. पैग़ाम ये था कि घर के बाहर मौका नहीं मिल रहा तो घर के अंदर घुस कर ही मारने की तैयारी करो. मूसेवाला के घर के बाहर अक्सर उनके फ़ैंस की भीड़ हुआ करती थी. योजना ये थी कि शूटर पंजाब पुलिस की वर्दी में घर में दाखिल हों और वहां गोली और गोले से हमला बोल दें.
बुलेटप्रूफ़ गाड़ी छोड़ थार जीप से निकले थे सिद्धू
पुलिस सूत्रों के मुताबिक अगर 29 मई की शाम को शूटरों को वो मौका ना मिलता, तो फिर वो घर में घुस कर ही मूसेवाला पर हमला करते. मगर इत्तेफ़ाक से 29 मई को पहली बार एक अनहोनी हो गई. हमेशा घर के बाहर बुलेटप्रूफ़ गाड़ी में निकलने वाले मूसेवाला उस दिन थार जीप में निकले. वो भी बिना दोनों गनर को लिए हुए. बाहर केकड़ा मौजूद था. केकड़ा ने मानसा में ही चक्कर काट रहे शूटरों को इसकी ख़बर कर दी.
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हत्या के लिए दो मॉड्यूल
उस दिन शूटरों के दो मॉड्यूल काम कर रहा थे. एक मॉड्यूल सफ़ेद बोलेरो में था और दूसरा कोरोला में. इन दोनों मॉड्यूल को लीड कर रहा था प्रियव्रत फ़ौजी. प्रियव्रत बोलेरो में था. बोलेरो कशिश चला रहा था. इन दोनों के अलावा बोलेरो में अंकित सिरसा और दीपक मुंडी नाम के दो और शूटर थे. जबकि दूसरा मॉड्यूल कोरोला में था. कोरोला में सवार चार शूटरों में से फिलहाल दो की शिनाख़्त हो पाई है. पुलिस के मुताबिक कोरोला के अंदर गगनदीप रूपा और मनप्रीत मन्नू बैठा था. मनप्रीत मन्नू के पास एके-47 थी जबकि बाकी सात शूटरों के पास पिस्टल मौजूद थी.
शूटर मन्नू ने चलाई थी मूसेवाला पर पहली गोली
सिद्धू मूसेवाला अपने घर से क़रीब 8 किलोमीट दूर जैसे ही जवाहरके गांव पहुंचे, तभी कोरोला ने थार जीप को ओवरटेक कर रास्ता रोक लिया. पीछे से बोलेरो आ गई. इसके बाद कोरोला से सबसे पहले मनप्रीत मन्नू बाहर निकला. मूसेवाला पर पहली गोली मन्नू ने ही चलाई. उसने एके 47 का बर्स्ट मारा. इसके बाद बाक़ी शूटरों ने पिस्टल से मूसेवाला पर गोलियों की बौछार कर दी. थार जीप को ओवरटेक करते हुए कोरोला का एक दरवाज़ा डैमेज हो गया था. बंद नहीं हो रहा था. लिहाज़ा, शूटरों ने कोरोला वहीं छोड़ दी और एक ऑल्टो कार को गन प्वाइंट पर लूट कर उसी में सवार होकर वहां से भाग गए.
मूसेवाला की हत्या के बाद गुजरात पहुंच गया था फौजी
उधर, बोलेरो में सवार शूटर भी मौका-ए-वारदात से करीब 13 किमी दूर ख्याला गांव में बोलेरो छोड़ कर निकल भागे. फिर बाद में सभी शूटर अलग-अलग पंजाब से बाहर निकल गए. दिल्ली पुलिस के मुताबिक शूटरों का सरगना प्रियव्रत उर्फ फ़ौजी मूसेवाला के कत्ल के बाद पंजाब से गुजरात पहुंच गया था. वो पिछले 20 दिनों से गुजरात के ही कच्छ इलाके के मुंद्रा में छुपा हुआ था. सर्विलांस और मुखबिरों की सूचना पर पता चला कि वो मुंद्रा के करीब बरोई गांव में खारी मीठी रोड पर किसी से मिलने आ रहा है. इसी के बाद तय जगह और वक़्त पर पहुंच कर पुलिस की टीम ने उसे दबोच लिया. बाद में उसकी निशानदेही पर उसका साथी कशिश और केशव भी पकड़ा गया.
हथियारों का बड़ा जखीरा
इन तीनों से पूछताछ के बाद हरियाणा के हिसार ज़िले के किरमारा गांव में छापा मार कर दिल्ली पुलिस ने हथियारों का वो ज़ख़ीरा बरामद किया, जो मूसेवाला के क़त्ल के लिए लाया गया था. बरामद हथियारों में 8 हाई एक्सप्लोसिव ग्रेनेड, बैरल ग्रेनेड लॉन्चर, 9 इलेक्ट्रिक डेटोनेटर, 1 असॉल्ट रायफ़ल 20 कारतूस के साथ, .30 बोर की तीन सॉफ़िस्टेकेड स्टार पिस्टल, इसी पिस्टल की 36 राउंड गोलियां, साथ ही एके सीरीज़ राइफल के कुछ पार्ट्स शामिल हैं.
दिल्ली पुलिस का कमाल, पंजाब पुलिस नाकाम
सिद्धू मूसेवाला के कत्ल के सिलसिले में अब तक मास्टरमाइंड समेत कुल 16 लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है. आंकड़ों पर जाएं तो इनमें से ज़्यादातर गिरफ़्तारियां दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने की है. गोली चलानेवाले तीनों शूटरों को भी दिल्ली पुलिस ने ही गिरफ़्तार किया है. मूसेवाला के कत्ल की साज़िश और क़त्ल के मास्टरमाइंड लॉरेंस बिश्नोई का ख़ुलासा भी सबसे पहले स्पेशल सेल ने ही किया था. ये तमाम चीज़ें कहीं ना कहीं पंजाब पुलिस की जांच पर सवाल उठाती हैं. सवाल ये कि मूसेवाला क़त्ल की जांच के लिए पंजाब पुलिस ने अलग से एसआईटी बनाई. एसआईटी पिछले 20 दिनों से मामले की जांच कर रही है लेकिन हर बार बाज़ी दिल्ली पुलिस मार रही है, तो फिर पंजाब पुलिस क्या कर रही है?
पंजाब पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
मूसेवाला के कत्ल से ठीक 20 दिन पहले मोहाली में पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर रॉकेट लॉन्चर से हमला हुआ था. आजतक पंजाब पुलिस उन हमलावरों को ढूंढ नहीं पाई है. जबकि इस हमले के बाद इनपुट ये था कि पंजाब में कई गैंगस्टर के पास रॉकेट लॉन्चर और अन्य सॉफिस्टिकेडेट हथियार हैं. मगर कमाल देखिए मूसेवाला के क़ातिल उन्हीं अगले बीस दिनों में एके-47, हैंड ग्रेनेड और दूसरे तमाम असॉल्ट राइफ़ल लिए उसी पंजाब में दनदनाते फिरते रहे. मानसा में रेकी के नाम पर खुलेआम घूमते रहे लेकिन पंजाब पुलिस उनमें से किसी को वक़्त पर पकड़ तक नहीं पाई. कम से कम अपने ही डिपार्टमेंट के दफ़्तर पर हमले के बाद पंजाब पुलिस को हाई अलर्ट पर होना चाहिए था. लेकिन जिस तरह से मूसेवाला के शूटर बेख़ौफ हथियार लिए एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहे, वो बताता है कि हाई अलर्ट तो छोड़िए, पंजाब पुलिस अपनी रूटीन ड्यूटी भी ठीक से नहीं कर रही थी. अब जबकि मूसेवाला का केस क़ायदे से पंजाब पुलिस के पास है, तब भी जांच और गिरफ़्तारी दोनों ही मामलों में वो फिर से पीछे है.
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