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महज कुछ घंटे पहले हमने गैंगरेप की शिकार आभा और उसकी भाभी स्वाति की दर्दनाक कहानी आपको बताई थी. पुलिस के बर्ताव से तंग आकर ननद-भाभी ने खुदकुशी कर ली थी. लेकिन आभा ने खुदकुशी करने से पहले गुनहगारों को सजा दिलाने के लिए 'आज तक' से मदद मांगी थी. अब 'आज तक' की उसी कोशिश का नतीजा है कि कानून को अपने हाथ का खिलौना समझने वाले डीएसपी और उसके रीडर के खिलाफ काम में लापरवाही बरतने, वक्त पर कार्रवाई ना करने और पीड़िता को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है.
आभा ने मांगी थी 'आज तक' से मदद
एक बेबस पति और लाचार भाई. जिसकी आवाज़ किसी ने नहीं सुनी. जब उसकी पत्नी स्वाति ने खुदकुशी की, तब भी और जब बहन ने अपनी जान दे दी. तब भी. मौत से पहले आखिरी बार इस भाई की बहन आभा ने अपनी आखिरी फरियाद के लिए 'आज तक' को अपने घर बुलाया था. तब तक हमें खुद पता नहीं था कि आज तक से अपनी बात कहने के कुछ घंटे बाद ही आभा मौत को गले लगा लेगी. काश वो कुछ घंटे और इंतजार कर लेती. तो क्या पता जीते जी उसे इंसाफ मिल जाता. लेकिन आभा की मौत के बाद भी 'आज तक' ने उसकी लड़ाई जारी रखी.
डीएसपी लाइन हाजिर, FIR दर्ज
नतीजा ये हुआ कि आभा की आखिरी फरियाद 'आज तक' पर चलते ही ना सिर्फ श्रीगंगानगर पुलिस ने अगले पांच घंटे के अंदर उसके तीसरे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, बल्कि आभा को खुदकुशी के लिए मजबूर करने के इल्जाम में सूरतगढ़ के डीएसपी प्रतीक मील और उसके रीडर राम प्रकाश के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दोनों को लाईन हाजिर भी कर दिया. आभा की आखिरी फरियाद को सुनने और आज तक की मुहिम के बाद दोनों पुलिस वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होते ही आभा के भाई ने आज तक का शुक्रिया अदा किया.
गैंगरेप की शिकायत लेकर काटे थे DSP ऑफिस के चक्कर
आभा ने जीते जी उसके और उसकी भाभी के खिलाफ होने वाले गैंग रेप को लेकर डीएसपी के दफ्तर के कई चक्कर काटे थे. लेकिन डीएसपी आरोपियों में से एक जो कि राजस्थान के कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा का रिश्तेदार है उसका नाम केस से हटाने के लिए आभा पर दबाव डाल रहे थे. इतना ही नहीं आभा का मेडिकल तक कराने में डीएसपी ने घोर लापरवाही बरती थी. मौत से पहले खुद आभा ने डीएसपी का नाम लेकर ये सारी बातें आज तक के माइक पर कही थी.
आरोपी डीएसपी और रीडर के खिलाफ केस दर्ज
आभा की मौत के बाद जब आज तक पर उसकी खबर चली, तो देश के साथ-साथ उसके गांव बिरादरी के तमाम लोगों ने भी ये खबर देखी. इसी के बाद गुस्साए लोग आभा की अर्थी के साथ पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करने थाने पहुंच गए. महीनों से सोई पुलिस को अब जागना पड़ा. इसी के बाद पुलिस ने ना सिर्फ उस तीसरे आरोपी यानी राज्य के मंत्री के रिश्तेदार श्योचंद को तुरंत गिरफ्तार कर लिया, बल्कि डीएसपी प्रतीक मील और उसके रीडर राम प्रकाश के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने, अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं निभाने समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज करते हुए दोनों को लाइन हाजिर कर दिया. इसी के बाद गुस्साए लोगों ने अपना अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए पुलिस की निगरानी में आभा की अंतिम संस्कार कर दिया.
जारी रहेगी 'आज तक' की मुहिम
हालांकि आभा के भाई का कहना है कि इंसाफ की ये लड़ाई अभी भी बाकी है. और जब तक दोषियों को सजा नहीं मिल जाती, वो अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. और इसके लिए उन्होंने एक बार फिर आज तक से मदद भी मांगी. आज तक भी ये भरोसा दिलाता है कि जब तक दोषी पुलिसवालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होती, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक उसकी ये मुहिम जारी रहेगी.
आभा ने मीडिया को सुनाई थी आपबीती
बात सिर्फ दो दिन पहले तीन अप्रैल की सुबह की है. राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ इलाक़े में आज तक के संवाददाता हरनेक सिंह को एक फोन आता है. फोन आभा नाम की लड़की ने किया था. उसने गुजारिश करते हुए कहा कि उसे मीडिया के जरिए कुछ कहना है. हरनेक सिंह तीन और चैनल के रिपोर्टर के साथ आभा के घर पहुंच जाते हैं. वहां आभा अपनी कहानी सुनाती है.
मंत्री के रिश्तेदार समेत तीन युवकों ने लूटी अस्मत
इस कहानी की शुरुआत साल भर पहले होती है. आभा की भाभी स्वाति कॉलेज में पढ़ रही थी. घर से कॉलेज वो बस से जाया करती थी. उसी बस में तीन और लड़के अपने कॉलेज जाया करते थे. इन लड़कों के नाम हैं अशोक, लालचंद और श्योचंद. इनमें से श्योचंद राजस्थान के कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा का रिश्तेदार है. बस में आते जाते तीनों लड़कों से स्वाति की दोस्ती हो जाती है. फिर एक रोज़ मौका मिलते ही तीनों स्वाति के साथ जबरदस्ती करते हैं. और इस दौरान मोबाइल पर उन पलों को रिकॉर्ड भी कर लेते हैं. ताकि स्वाति पुलिस या घरवालों से इस बारे में कुछ ना कहे.
महीनों चलता रहा ब्लैकमेलिंग का खेल
इसके बाद तीनों ने इसी धमकी के साथ स्वाति को छोड़ दिया. दो बच्चों की मां स्वाति इस हादसे डर गई. उसे लगा कि अगर उसके वीडियो उसके गांव और ससुरालवालों तक पहुंच गए, तो उसकी शादीशुदा जिंदगी खत्म हो जाएगी. लिहाजा वो खामोश हो गई. इसके बाद स्वाति को नोचने खसोटने का ये सिलसिला महीनों चलता रहा. इज्जत की खातिर स्वाति अब तक खामोश थी. लेकिन फिर अचानक एक रोज़ वही तीनों लड़के स्वाति को धमकी देते हैं कि अब वो अपनी ननद आभा से उन्हें मिलाए, उससे फोन पर बात कराए. वरना वीडियो लीक कर देंगे. स्वाति अपना घर टूटने के डर से आभा को सारी बात बता देती है.
23 दिसंबर 2023 - स्वाति और आभा संग एक साथ दरिंदगी
अब स्वाति के साथ-साथ उसकी ननद आभा भी पूरी तरह से उन तीनों लड़कों के चंगुल में फंस चुकी थी. आभा नहीं चाहती थी कि उसकी भाभी की जिंदगी खराब हो. पर उसे पता नहीं था कि अब खुद उसकी जिंदगी भी अजाब हो चुकी है. ये सिलसिला भी महीनों चलता रहा. घर की इज्जत की खातिर दोनों अब तक खामोश थी. लेकिन फिर तभी 23 दिसंबर 2023 को जब स्वाति और आभा घर लौट रही थी, तब रास्ते में तीनों लड़के फिर से टकरा जाते हैं. इस बार तीनों पहली बार एक साथ दोनों की आबरू लूटते हैं.
स्वाति ने पेट्रोल डालकर खुद को जलाया
लुटती हुई आबरू के बीच स्वाति अपने सामने अपनी ननद को भी लुटती देख रही थी. उससे ये बर्दाश्त नहीं हुआ. इसके बाद उसी शाम स्वाति ने खुद पर पेट्रोल डाल कर खुद को जिंदा जला लिया. हालांकि उसकी सास और कुछ लोगों की उस पर नजर पड़ गई और उन्होंने फौरन आग बुझा दी. लेकिन तब तक स्वाति 80 फीसदी झुलस चुकी थी. बाद में उसे अस्पताल ले जाया गया. लेकिन फिर दो महीने बाद 23 फरवरी स्वाति ने दम तोड़ दिया.
इज्जत की खातिर स्वाति ने दी जान
इस बीच स्वाति के झुलसने के बाद स्वाति के घरवालों ने बिना सच्चाई जाने स्वाति के ससुरालवालों पर ही उसे जला डालने का आरोप लगाया. जिस पर पुलिस ने स्वाति के पति और ननद आभा समेत पूरे घरवालों पर मुकदमा दर्ज कर लिया. लेकिन मरने से ऐन पहले खुद स्वाति ने पूरे गांव वालों के सामने ये बयान दिया कि उसका पति, ननद और उसके ससुराल के लोग बेकसूर हैं. उसने खुद को आग इज्जत की खातिर लगाई थी. स्वाति की मौत के बाद अब आभा ने भी हिम्मत जुटाई और घरवालों को सारी कहानी बता दी.
मंत्री के रिश्तेदार को बचाने में जुटी राजस्थान पुलिस
इसके बाद आभा उन तीन लड़कों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाने थाने गई. और यहीं से अंधे कानून की अंधी कहानी की शुरुआत होती है. पहले तो पुलिस आभा पर दबाव डालती है कि वो एक या दो लड़के का ही नाम ले, तीनों का नहीं. खास कर उस लड़के का तो बिल्कुल नहीं, जो राज्य के मंत्री का रिश्तेदार है. यानी पुलिस खुद ही तय कर रही है कि किस रेपिस्ट को छोड़ना है और किसे बचाना है. इतना ही नहीं उन तीनों लड़कों को गिरफ्तार करने की बजाय उल्टे आभा से खुद इलाके का डीएसपी ऐसे ऐसे सवाल पूछ रहा था जिसे सुन कर आभा को लग रहा था जैसे एक बार फिर उसका बलात्कार हो रहा है.
डिप्टी एसपी और पुलिस वालों की बेशर्मी
अंधे कानून के अंधेपन का तमाशा अभी खत्म नहीं होता है. आभा के साथ गैंगरेप हुआ था. जाहिर है मेडिकल रिपोर्ट से उसकी सच्चाई सामने आ जाती. पर कानून को अपने हिसाब से नचाने वाले डिप्टी एसपी और उनके बहादुर पुलिस वालों की बेशर्मी देखिए कि मेडिकल टेस्ट के लिए आभा को उसके गांव से श्रीगंगानगर अकेले उस दिन अस्पताल भेजते हैं, जिस दिन अस्पताल में छुट्टी थी. कोई डॉक्टर तक नहीं था. अभी बेशर्मी खत्म नहीं हुई है. इसके बाद अगले दिन फिर आभा अपने गांव से शहर के उस अस्पताल तक पहुंचती है. खुद से. इस बार उसे थोड़ी सी देरी हो जाती है. बस, इस देरी के लिए उसके साथ ऐसा सलूक होता है, जैसे वो रेप विक्टिम नहीं, बल्कि खुद रेपिस्ट है.
रेप पीड़िता को ही धमाका रही थी राजस्थान पुलिस
हमाम के नंगेपन का आलम देखिए खाकी के साथ-साथ सफेद कोट वाले डॉक्टर साहब भी वैसे ही कानून का तमाशा बना रहे थे, जैसे खाकी वाले बड़े बाबू उन्हें बताते जा रहे थे. आभा पढ़ी लिखी थी. उसने निर्भया की कहानी भी सुन रखी थी. उसे लगता था कि अब देश बदल चुका है. पुलिस वाले किसी बलात्कारी को बख्शेंगे नहीं. इसलिए वो तमाम दुश्वारियों के बावजूद उसके और उसकी भाभी के गुनहगारों को सजा दिलाना चाहती थी. लेकिन आभा की ये जिद खाकी को काट रही थी. लिहाजा, अब नौबत ये आ गई कि आभा की भाभी के उस मुकदमे की धमकी दे कर जिसे खुद मरने से पहले उसकी भाभी झुठला चुकी थी, पुलिस वाले अब उल्टे आभा और उसके घरवालों को जेल भेजने की धमकी देने लगे.
पुलिस ने हटाया मंत्री के रिश्तेदार का नाम
पर आभा जितना लड़ सकती थी. लड़ी. उसकी लड़ाई के आगे कानून को झुकना भी पड़ा. तीन में से दो गुनहगारों के खिलाफ गैंगरेप का केस दर्ज कर पुलिस ने उन्हें जेल भी भेज दिया. लेकिन तीसरे और सबसे ताकतवर गुनहगार की लड़ाई अब भी जारी थी. क्योंकि तीसरा गुनहगार कोई मामूली गुनहगार नहीं था. राज्य के एक मंत्री का रिश्तेदार था. लिहाजा पुलिस ने अपना पूरा फर्ज निभाते हुए उसे इस केस से दूर कर दिया. आभा इस तीसरे गुनहगार को भी सजा दिलाने के लिए लड़ती रही. लेकिन इस लड़ाई में कोई उसका साथ नहीं दे रहा था. उल्टे उसकी वजह से घर और घर के लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही थी. इस बात का अहसास अब आभा को होने लगा था.
आभा ने मीडिया को सुनाई आपबीती
लिहाजा, दो दिन पहले यानी तीन अप्रैल को उसने एक आखिरी फैसला लिया. वो अपनी आखिरी बात मीडिया के जरिए देश तक पहुंचाना चाहती थी. और इसीलिए उसने तीन अप्रैल की सुबह कुल चार रिपोर्टर को फोन किया. उनमें से एक आज तक के हरनेक सिंह थे. तीन अप्रैल दोपहर करीब 12 बजे आभा अपनी पूरी कहानी सुनाती है. रिपोर्टर और कैमरामैन आभा के घर से लौट आते हैं. हरनेक सिंह अपनी रिपोर्ट आज तक ऑफिस को भेज देते हैं.
आभा ने फांसी लगाकर की खुदकुशी
उधर, मीडिया से बात करने के बाद आभा उसी रात लगभग 12 घंटे बाद अपने घर में फांसी के फंदे पर झूल जाती है. फांसी पर झूलने से पहले वो अपनी कलाई भी काट लेती है. यानी वो खुद के जिंदा बच जाने की कोई भी गुंजाइश छोड़ना ही नहीं चाहती थी. काश... आभा आज तक को अपनी कहानी सुनाने के बाद थोड़ा इंतजार कर लेती. पर अफसोस ऐसा हो नहीं पाया. शायद वो अंधे बहरे और गूंगे कानून के उकता चुकी थी. उसे यकीन हो चला था कि जो इंसाफ उसे जीते जी नहीं मिल रहा शायद उसकी मौत उसे वो इंसाफ दिला दे. और कमाल देखिए आभा गलत भी नहीं थी.
पुलिस के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग
आभा की मौत के बाद जैसे ही उसकी मौत और उसकी और उसकी भाभी की सच्चाई गांव और गांव के बाहर तक पहुंची, लोगों का नजरिया ही बदल गया. अब वही लोग उसकी लड़ाई को अपनी लड़ाई बना कर पुलिस के खिलाफ सड़क पर उतर आए. पुलिस को भी अहसास था कि आभा और स्वाति की मौत का असली जिम्मेदार उन तीनों के अलावा खुद पुलिस भी है. लिहाजा, अब खुद पुलिस के पास भी अपने बेशर्म चेहरे को छुपाने का कोई रास्ता नहीं बचा था. मजबूरन उन्हें उस तीसरे गुनहगार को भी गिरफ्तार करना ही पड़ा. जी हां, आभा की मौत के ठीक 24 घंटे बाद उस तीसरे गुनहगार को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है, जिसे वो अब तक खुद ही भगाती और बचाती रही थी.
पता नहीं ये सवाल पूछना चाहिए कि नहीं. मालूम भी नहीं है कि ये सवाल अच्छा है या बुरा है. पर जेहन से ये सवाल जाने का नाम ही नहीं ले रहा है. सवाल ये कि अगर आभा ने अपनी जान न दी होती, तो क्या ये तीसरा गुनहगार पकड़ा जाता?
(सूरतगढ़, श्रीगंगानगर से हरनेक सिंह की रिपोर्ट)