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सॉरी आरुषि! अफसोस, सच यही है कि तुम्हारे मम्मी-पापा ने ही तुम्हारी जान ली

पिछले 5 साल 6 महीने और 10 दिन से पूरा देश इस सवाल का जवाब जानना चाहता था. हर मां-बाप यही दुआ कर रहे थे कि जो वो सोच रहे हैं वो सच ना हो. पूरी कहानी जानने के बावजूद हर किसी को यही लग रहा था कि ये कहानी अधूरी है, झूठी है. पर, वह फैसला आ ही गया, जिसका इंतजार था. मां-बाप ही आरुषि के कातिल निकले.

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आरुषि-हेमराज मर्डर केस
आरुषि-हेमराज मर्डर केस

पिछले 5 साल 6 महीने और 10 दिन से पूरा देश इस सवाल का जवाब जानना चाहता था. हर मां-बाप यही दुआ कर रहे थे कि जो वो सोच रहे हैं वो सच ना हो. पूरी कहानी जानने के बावजूद हर किसी को यही लग रहा था कि ये कहानी अधूरी है, झूठी है. पर, वह फैसला आ ही गया, जिसका इंतजार था. मां-बाप ही आरुषि के कातिल निकले.

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इस फैसले पर बहस की जा सकती है. इस फैसले पर उंगली भी उठाई जा सकती है. इस फैसले को कुबूल भी किया जा सकता है. मगर इस फैसले के बाद एक सवाल जो हरेक जेहन को झकझोरता रहेगा वो ये कि क्या कोई मां-बाप अपनी ही बेटी का कत्ल करने के बाद पूरे इतने समय तक अपने खूनी जुर्म, अपने दोहरे ज़ज्बात और भावनाओं को यूं छुपा सकता है? अगर डॉक्टर राजेश तवलार और नुपुर तलवार सचमुच अपनी ही बेटी के कातिल हैं तो यकीनन दोनों बेहतरीन अदाकार भी हैं.

सोमवार को दोपहर 3 बजकर 25 मिनट पर गाजियाबाद से देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री पर फैसले की गूंज सुनाई दी. 15-16 मई 2008 की रात नोएडा में आरुषि और हेमराज के मर्डर मामले में गाजियाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि आरुषि और हेमराज को किसी और ने नहीं, बल्कि आरुषि के माता-पिता यानी राजेश तलवार और नूपुर तलवार ने मारा.

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विशेष अदालत के मुताबिक, राजेश तलवार और नूपुर तलवार आरुषि हत्याकांड के दोषी हैं. तलवार दंपती को दोषी करार दिए जाने के बाद अब सजा का एलान मंगलवार को हो सकता है.

कोर्ट ने राजेश और नूपुर तलवार पर आईपीसी की 3 धाराओं के तहत दोषी तय किया है- धारा 302 यानी हत्या का केस, धारा 34 यानी एक से ज्यादा लोगों का है ये अपराध और धारा 201 यानी सबूत मिटाने के दोषी. राजेश तलवार पर अलग से धारा 203 में दोष साबित हुआ है, जिसमें उनपर फर्जी एफआईआर दर्ज कर कोर्ट को गुमराह करने का मामला बना है. अब हर कोई ये जानना चाहता है कि मंगलवार को सीबीआई अदालत तलवार दंपती के खिलाफ क्या सजा सुनाती है.

गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने जब फैसला सुनाया तो अदालत में राजेश तलवार और नूपुर तलवार इसे सुनने के बाद फूट-फूटकर रो पडे. इसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. बाद में उन्हें गाजियाबाद जिले में ही डासना जेल में भेज दिया गया. तलवार दंपती ने सीबीआई कोर्ट के फैसले पर दुख जताते हुए कहा कि वे इस फैसले को नहीं मानते और इंसाफ के लिए जंग ऊपरी अदालतों में भी जारी रहेगी.

सोमवार को देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री पर अदालत ने फैसला सुनाते वक्त डॉक्टर राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपुर तलवार को चार संगीन धाराओं में कसूरवार ठहराया. पर सवाल यही है कि जिन संगीन धाराओं में दोनों को दोषी करार दिया गया है, उनमें आखिर कम से कम और ज्यादा से ज्यादा कितनी सजा मिल सकती है.

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इस बात को समझने से पहले ये समझना बेहद जरूरी है कि जो धाराएं दोनों को मुजरिम ठहराते हुए लगाई गई हैं, उसके तहत अदालत की नजरों में उनका कसूर कितना संगीन है. सजा उसी के हिसाब से तय हो सकती है.

दफा- 302
आईपीसी की दफा 302 का जिक्र हत्या के लिए किया जाता है. यानी अदालत की नजर में राजेश और नूपुर तलवार ने ही आरुषि और हेमराज का कत्ल किया.

दफा- 302 के तहत मुजरिम को अदालत फांसी की सजा तक दे सकती है यदि अदालत इस बात को मान ले कि इस धारा के तहत सामने आया मुजरिम ने जो गुनाह किया है वो रेयर ऑफ द रेयरेस्ट है.

दफा- 201
इस धारा के तहत उस गुनाह का जिक्र होता है जिसमें मौका-ए-वारदात पर सबूतों से छेड़छाड़ किया गया है और ये बात मिले सबूतों और दलीलों से साबित हो चुकी हो. दफा 201 के तहत उम्र कैद तक की सजा दिए जाने का प्रावधान है.

दफा- 203
ये भी एक संगीन दफा है. इसका जिक्र आते ही ये बात समझ में आ जाती है कि मुजरिम ने गलत तरीके से गलत सूचना देकर जांच एजेंसी को भटकाने की कोशिश की. यानी अदालत ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों और दलीलों के आधार पर राजेश तलवार को कसूरवार माना है.

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इसके तहत मुजरिम को दो साल की कैद या जुर्माना या फिर उनके गुनाह के मुताबिक दोनों सजा एक साथ दी जा सकती है. ये धारा राजेश तलवार पर अदालत ने लगाई है.

दफा- 34
किसी संगीन जुर्म में दो या दो से अधिक लोगों के शामिल होने पर ये धारा लगाई जाती है. क्योंकि कानून की नजर में मान लिया जाता है कि दोनों एक ही मानसिकता से काम कर रहे थे.

इस धारा के तहत मुजरिम को गुनाह के आधार पर दो साल तक की कैद और जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है.

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