देश की सबसे बड़ी अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajeev Gandhi Murder) की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा (life sentence) काट रहे एजी पेरारिवलन (AG Perarivalan) को आखिरकार रिहा करने का फरमान सुना दिया. राजीव गांधी की हत्या ने पूरे देश को दहला कर रख दिया था. इस मामले में पेरारिवलन समेत 7 लोगों को दोषी पाया गया था. इसके बाद टाडा अदालत और सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन को मौत की सजा सुनाई थी. इस खौफनाक हत्याकांड की साजिश में एजी पेरारिवलन का अहम रोल था.
कौन है एजी पेरारिवलन?
तमिलनाडु के जोलारपेट कस्बे का रहने वाला है एजी पेरारिवलन. राजीव गांधी हत्याकांड में उसकी गिरफ्तारी 11 जून 1991 को हुई थी. पकड़े जाने के वक्त उसकी उम्र महज 19 साल थी. उसने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में डिप्लोमा किया है. वो आगे की पढ़ाई के लिए चेन्नई आया था. उसी दौरान राजीव गांधी हत्याकांड में शामिल लोगों में उसका नाम आया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. उस पर टेरोरिज्म एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट यानी टाडा लगाया था. जेल जाकर भी पेरारिवलन ने अपनी पढ़ाई जारी रखी थी. उसने जेल में रहते हुए ही 12वीं की परीक्षा पास की थी. जिसमें उसने 91.33 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. फिर उसने तमिलनाडु ओपन यूनिवर्सिटी से एक डिप्लोमा कोर्स किया था. जिसमें उसे गोल्ड मेडल मिला था. उसकी तालीम यहीं नहीं रुकी. बाद में उसने इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से बीसीए किया और फिर कंप्यूटर में ही मास्टर्स की डिग्री हासिल की. पेरारिवलन जेल में अपने कैदी साथियों के साथ मिलकर एक बैंड भी चलाता है.
राजीव गांधी हत्याकांड की साजिश
1990 में राजीव गांधी की हत्या का प्लान बनाने वाला प्रभाकरन इस मामले में कोई कोताही नहीं बरतना चाहता था. लिहाजा उसने इस मिशन की कमान शिवरासन को दी थी, जो उसका विश्वासपात्र था. प्लान को पूरा करने के लिए 1991 में प्रभाकरन ने शिवरासन की चचेरी बहनों धनु और शुभा को उसके साथ भारत भेज दिया था. धनु और शुभा को लेकर शिवरासन अप्रैल 1991 की शुरूआत में चेन्नई पहुंचा. वो धनु और शुभा को नलिनी के घर ले गया. जहां मुरूगन पहले से मौजूद था. शिवरासन ने बेहद शातिर तरीके से पायस- जयकुमारन-बम डिजायनर अरिवू को इनसे अलग रखा. वो खुद पोरूर के ठिकाने में रहता रहा. समय-समय पर सबको कार्रवाई के निर्देश देता था. उस वक्त चेन्नई के तीन ठिकानों पर राजीव गांधी हत्याकांड की साजिश को पूरा करने का काम चल रहा था. हैरानी की बात ये थी कि शिवरासन के अलावा किसी को नहीं पता था कि टारगेट कौन है.
शिवरासन ने टारगेट का खुलासा किए बिना ही बम एक्सपर्ट अऱिवू से एक ऐसा बम बनाने को कहा जो किसी महिला की कमर में बांधा जा सके. शिवरासन के कहने पर अरिवू ने एक ऐसी बेल्ट डिजाइन की, जिसमें छह आरडीएक्स भरे ग्रेनेड लगाए जा सकें. उसके हर ग्रेनेड में 80 ग्राम C4 आरडीएक्स भरा था. हर ग्रेनेड में दो मिलीमीटर के दो हजार आठ सौ स्पिलिंटर थे. सभी ग्रेनेड सिल्वर तार की मदद से पैरलल जोड़े गए. जिसका सर्किट पूरा करने के लिए बेल्ट में दो स्विच लगाए गए थे. उनमें से एक स्विच बम को चार्ज करने के लिए और दूसरा उसमें धमाका करने के लिए था.
राजीव गांधी हत्याकांड में पेरारिवलन की भूमिका
बम एक्सपर्ट अऱिवू ने महिला की कमर में बांधे जाने वाले उस बम को ट्रिगर करने के लिए 9 एमएम की बैटरी लगाई थी. साजिश के मास्टरमाइंड शिवरासन ने बैटरी का इंतजाम करने का काम एजी पेरारिवलन को सौंपा था. शिवरासन के आदेश को पूरा करते हुए एजी पेरारिवलन ने बाजार से 9 एमएम की बैटरी खरीदी और उसे खुद शिवरासन तक पहुंचाया था. उसी बैटरी का इस्तेमाल कर धनु ने 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमलाकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी थी. सीबीआई की एसआईटी ने दावा किया था कि एजी पेरारिवलन इस मामले में लगातार मास्टरमाइंड शिवरासन के संपर्क में था.
पेरारिवलन की गिरफ्तारी और रिहाई
राजीव गांधी की हत्या के बाद देशभर की सुरक्षा एजेंसियां सकते में आ गई थीं. लगातार संदिग्ध आरोपियों की धरपकड़ चल रही थी. इसी दौरान सीबीआई की एसआईटी को बड़ी कामयाबी मिली और 11 जून 1991 को एजी पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया. राजीव गांधी हत्याकांड में बम धमाके के लिए इस्तेमाल की गई दो 9 वोल्ट की बैटरी खरीद कर मास्टरमाइंड शिवरासन को देने का दोष एजी पेरारिवलन के खिलाफ अदालत में सिद्ध हो गया था. इस मामले पेरारिवलन समेत 7 लोग दोषी पाए गए थे, जिन्हें सजा-ए-मौत सुनाई गई थी. लेकिन बाद में कुछ दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था. जिसमें पेरारिवलन भी शामिल था. पेरारिवलन को लेकर कई बार सियासी उठा पठक भी हुई. और अब तीन दशक से ज्यादा का वक्त जेल में बिताने के बाद वो जेल से बाहर आया है.