गुरदास सिंह तूर कभी बाबा राम रहीम का खास सेवक हुआ करता था. वह बाबा को पूजता था उनकी इबादत करता था. लेकिन, जैसे-जैसे बाबा के करीब होता गया, खुद को उनकी भक्ती से दूर पाता गया. इसने अपनी आंखों से बाबा की गुफा देखी. गुफा में जाती बेबस साध्वियों को देखा. उनकी लुटती हुई असमत की उन्हीं से कहानियां सुनीं. इसने बाबा को रासलीला रचाते देखा. मतलब इसने बाबा का हर रूप देखा. तो आइए अब आप भी जान लीजिए बाबा के रहस्यलोक में मौजूद बाबा की उस गुफा की असलीयत:
बाबा के पैरों का पानी पीतीं लड़कियां
रोजाना बाबा के डेरे पर बाबा की आवाज में बाबा का गाना बैकग्राउंड में बज रहा होता है. बाबा पानी के फव्वारे पर खड़े होकर पानी में अपने पैर डालते हैं . उनके चारों तरफ उनकी साध्वी और सेवक खड़े होते हैं. बाबा के कदम जैसे ही आगे बढ़ते जाते हैं, साध्वी उनके पैरों के नीचे के पानी को पीने के लिए टूट पड़ती हैं. बाबा पूरी तरह से मगन रहते हैं.
बाबा की 'माफी' वाली गुफा
हिसार में बाबा राम रहीम के कुल दो डेरे हैं. बाबा के ये दोनों डेरे सबसे बड़े हैं. हालांकि इनके अलावा देशभर में बाबा के कुल 179 आश्रम भी हैं. इनमें से ज्यादातर में बाबा की गुफा है. गुफा बोले तो बाबा का बेडरूम. उनके आराम फरमाने की जगह. ये गुफाएं कहीं तहखानों में हैं, तो कहीं जमीन के ऊपर. लेकिन राम रहीम इन्हें गुफा कहना ही पसंद करता था. वो तो जब 2001 में एक साध्वी ने गुमनाम चिट्ठी के जरिए राम रहीम के गुफा की पोल खोल दी, तो बाबा ने अपने अड्डे को गुफा की जगह तेरा-वास कहना शुरू कर दिया.
फाइव स्टार होटल जैसी गुफा
सिरसा के डेरे में बाबा की गुफा किसी फ़ाइव स्टार होटल से कम नहीं है. यहां गुफा के अंदर स्वीमिंग पूल, लीविंग रूम, ड्राइंग रूम, डाइनिंग रूम समेत ऐशोआराम के तमाम इंतजाम हैं. यहां वो अपने साध्वियों का यौनशोषण करता था और अपने खास लोगों से मिलता भी था. पीड़ित लड़की ने हिसार के डेरे में बनी ऐसी ही एक गुफा में अपने साथ हुए रेप का जिक्र किया है. गुफा के बाहरी हिस्से में जहां बाबा के साधक कमांडोज के लिबास में चौबीसों घंटे तैनात रहते थे. वहीं साध्वियों और लड़कियों को लाने-ले जाने के लिए गुफा में खुफिया रास्ता भी था. यही नहीं राम रहीम जब अपने डेरों से दूर होता था, तो अपने साथ चलनेवाली बस में ही टेंट लेकर चलता था, जिससे टेंपररी गुफा बना लेता था.
आलीशान जिंदगी
गुफा में आराम फरमानेवाला बाबा सुबह और शाम दो बार मजलिस करता था. वो सुबह छह बजे उठ कर पहले कसरत किया करता था. फिर तैयार हो कर अपने भक्तों को दर्शन और प्रवचन देता था. इसके बाद बाबा अपने गुफा के ड्रॉइंग रूम में अलग-अलग मकसद से आए लोगों से अलग-अलग जगहों पर मिलता था. फिर आराम करने चला जाता था और शाम को फिर से मजलिस और प्रवचन का सिलसिला चलता था. इसी दौरान वो भक्तों और ख़ासकर बीमार और परेशान लोगों को प्रसाद दिया करता था. फिर शाम को साध्वियों के शोषण वही सिलसिला शुरू हो जाता था.
साध्वियों को राज
बाबा हमेशा ही साध्वियों से घिरा रहता था, लेकिन इन साध्वियों में कुछ को वो अपने बेहद करीब रखता था. हिसार में बाबा के डेरे यानी डेरा सच्चा सौदा में करीब चार सौ साध्वियां हमेशा बाबा के साथ रहती थीं. इनमें करीब दो सौ साध्वियां ऐसी थीं, जिन्हें बाबा ने सत ब्रह्मचारी साध्वी का दर्जा दे रखा था. ये साध्वियां ज्यादा पढ़ी लिखीं, जवान और खूबसूरत थीं, जिन्हें बाबा हमेशा अपने पास रखता था. यह साध्वियां चौबीसों घंटे बाबा के खाने-पीने, उठने-बैठने, नहाने-धोने का इंतजाम करती थीं. जबकि बाबा ने जिन दो सौ साध्वियों को सिर्फ़ ब्रह्मचारी साध्वी का दर्जा दे रखा था, उनसे वो थोड़ी दूरी बना कर रहता था.
गर्ल्स स्कूल से शुरू होता था खेल
हिसार के अपने डेरे पर बाबा ने अपने भक्तों की लड़कियों के लिए गर्ल्स स्कूल भी खोल रखा है, जो बाबा की रहनेवाली जगह यानी आश्रम की गुफा के बिल्कुल क़रीब है. बाबा के भक्त रह चुके लोग बताते हैं कि असल में बाबा इसी गर्ल्स स्कूल से ही लड़कियों के शोषण की शुरुआत कर देता था. साध्वियां स्कूल के दिनों से ही लड़कियों का ब्रेन वॉश कर उन्हें बाबा के करीब लाने और परोसने के जुगाड़ में लग जाती थीं और तो और हर साल पंद्रह अगस्त को अपने जन्मदिन पर बाबा इसी स्कूल में अपने साध्वियों और छात्राओं के साथ ऐसा डांस करता था, जिन्हें देखने की इजाजत लड़कियों के घरवालों को भी नहीं थी.
भगवान कृष्ण का देता था हवाला
अपनी साध्वियों के यौन शोषण के लिए बाबा भगवान कृष्ण का हवाला देने से भी बाज नहीं आता था. वो कहता था कि जब भगवान कृष्ण अपनी गोपियों के साथ रास रचा सकते हैं, तो वो क्यों नहीं? बाबा के इस बोल वचन का जिक्र ना सिर्फ़ खुद उस पीड़ित लड़की ने अपनी शिकायत में थी बल्कि खुद बाबा के साधक रह चुके लोग भी करते हैं.
महंगे कपड़े, आलीशान गाड़ियां, चॉपर
बाबा को कैसे-कैसे महंगे और शानदार कपड़ों का शौक था, वो उसकी किसी भी तस्वीर में देख कर ही आसानी से समझा जा सकता है. गाड़ियों के लिए बाबा का लगाव सबसे अलग था. यही वजह है कि राम रहीम के बेड़े में मर्सिडीज़, बीएमडब्ल्यू, बेंटले, फरारी, रेंज रोवर, लैंड क्रूज़र समेत महंगी और शानदार गाड़ियों की इतनी बड़ी फ्लीट है, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता. राम रहीम ने हिसार के अपने आश्रम में कार डिजाइन की यूनिट तक लगा रखी है. निजी इस्तेमाल के लिए बाबा के पास अपने हेलीकॉप्टर भी हैं.
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