इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि कोई लड़की खुद ही अपनी ही इज्जत की बोली लगा सकती है. गैंगरेप जैसी दर्दनाक और कचोटनेवाली वारदात पर सौदेबाजी हो सकती है. यह सोच पाना भी मुश्किल है कि कोई चंद रुपयों की खातिर इस हद तक नीचे भी गिर सकता है. दिल्ली पुलिस ने गैंगरेप के नाम पर ब्लैकमेलिंग और सौदेबाजी के इल्जाम में लगाकर पैसे ऐंठने वाली एक ऐसी ही जोड़ी को गिरफ्तार किया है. इनकी पोल सीसीटीवी फुटेज के जरिए खुली. अब पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है.
जगह- दिल्ली
तारीख- 10 जून
समय- रात 11 बजे
इसी दिन पुलिस को 100 नंबर पर एक कॉल मिलती है. कॉल करने की वाली लड़की बेहद परेशान है. वह बताती है कि एक कार में अगवा कर उसके साथ तीन लड़कों ने रेप किया है. कॉल सुनते ही पुलिस हरकत में आ जाती है. एक पीसीआर वैन फौरन लड़की के बताए ठिकाने पर आईटीओ के करीब पहुंचती है. वहां पीड़ित लड़की और उसका एक दोस्त पुलिस को मिलते हैं. दोनों बताते हैं कि निजामुद्दीन के एक रेस्त्रां में डिनर के लिए जा ही रही थी. रास्ते में कार से आए लड़कों ने अगवा कर लिया. चलती कार में ही उसके साथ गैंगरेप किया गया.
इसके बाद गैंगरेप करनेवाले लड़के उसे आईटीओ के पास फेंक कर चले गए. पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर तेजी से तफ्तीश शुरू कर देती है, लेकिन इसके बाद पुलिस को तब पहली बार झटका लगता है, जब लड़की के बताए नंबर के मुताबिक वो उस स्विफ्ट कार ट्रेस करती है, जिसमें गैंगरेप की बात कही गई है. ये बात सामने आती है कि उस रात उस स्विफ्ट कार में निजामुद्दीन तक जानेवाले लड़के तीन नहीं, बल्कि दो ही थे. दोनों ही गैंगरेप के इल्जाम से हैरान हो रहे थे. ऐसे में पुलिस को रिपोर्ट लिखवाने वाली लड़की पर शक होने लगा.
पुलिस किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले तस्दीक करना चाहती थी. इसी इरादे से वो उस रेस्त्रां तक भी पहुंची, जिसके बाहर से लड़की के अगवा होने की बात कही गई थी. रेस्त्रां के सीसीटीवी फुटेज में उसे एक ऐसी तस्वीर नजर आई, जिसने उसके कान खड़े कर दिए. दरअसल, इस फुटेज में खुद को पीड़ित बताने वाली लड़की रेस्त्रां के अंदर बड़े आराम से घूमती नजर आ रही थी. जबकि कथित पीड़ित लड़की ने अपनी शिकायत में पुलिस से कहा था कि लड़कों ने उसे रेस्त्रां तक पहुंचने से पहले ही अगवा कर लिया था.
ऐसे में सवाल ये था कि फिर वो लड़की रेस्त्रां के अंदर सीसीटीवी कैमरे में कैसे कैद हुई? जाहिर है, लड़की झूठ बोल रही थी. गिरफ्त में आए लड़कों ने पुलिस को बताया कि मामला झूठा है. लड़की और उसका दोस्त गैंगरेप की रिपोर्ट वापस लेने के लिए उनसे 10 लाख रुपए मांग रहे हैं. अब मामला यू टर्न लेने को तैयार था. तभी पुलिस ने आखिरी सुबूत के तौर पर एक स्टिंग ऑपरेशन करवाने का फैसला किया. ऑपरेशन झूठी शिकायत करने वाली लड़की और उसके दोस्त का. यहां से कहानी में नया मोड़ आ जाता है.
स्टिंग ऑपरेशन में ऐसे दिखा सच...
आरोपी- आपने 100 नंबर पर कंपलेंट की थी. यदि मुकरेंगी तो वे क्या कहेंगे?
लड़की- वो मैं उनको समझा दूंगी कि नशे की हालत में थी. नंबर मिस हो गया.
आरोपी- अरे रुक जाओ. क्या बोलोगी दुबारा कहो?
लड़की- बार-बार बताऊं? ये बोलूंगी कि जब 100 नंबर पर कॉल की थी, तो मैं नशे की हालत में थी. जो लड़के दिखाए वो लड़के भी नहीं थे. मैं इसके आगे कोई कार्रवाई नहीं चाहती. मेरी मैरिज होने वाली है.
आरोपी- ठीक है चलो.
आरोपी- क्या टेंशन है आप थाने से वापस आकर पैसे वाला बैग ले लो या दो लाख अभी ले लो. बाकी साढे सात इनकी गाड़ी में रहने दो.
लड़की का दोस्त- आपने अभी तक 47 हजार दे दिए हैं.
आरोपी- समझ लो 50 ही दिए दिए थे.
लड़की का दोस्त- हां ठीक है.
आरोपी- तो साढे नौ रह गए हैं. आप अभी दो ले लो. सारे पैसे गिन लो. बाकी के उसमे हैं.
लड़की का दोस्त- आप परेशान ना हो. ऐसा करो कि कोर्ट चलो. ये अंदर जाएगी. आप जो है बैग दोगे.
ये उस स्टिंग ऑपरेशन का हिस्सा है, जिसे दिल्ली पुलिस के कहने पर उन लड़कों ने अंजाम दिया, जिनके खिलाफ गैंगरेप की झूठी रिपोर्ट लिखवाई गई थी. इस स्टिंग ऑपरेशन में रिपोर्ट का सच तो सामने आ ही गया, ये भी साफ हो गया कि कैसे रिपोर्ट लिखवाने वाली लड़की और उसका दोस्त अपने शिकार से 10 लाख रुपये की मांग कर रहे थे. इस मामले में लड़की के बार-बार बदलते बयान और लड़कों की बेगुनाही के बाद मामला साफ हो चुका था. पुलिस ने गैंगरेप झूठा का केस खारिज कर लड़की और उसके पार्टनर को गिरफ्तार कर लिया.