Rape Convict Asaram Bapu: आज से ठीक 10 साल पहले आसाराम बापू को गिरफ्तार किया गया था. एक वो दिन था और आज का दिन, पिछले दस वर्षों से आसाराम बापू जेल में है. यानी ये कैद का दसवां साल है और फिलहाल, दूर-दूर तक उनकी रिहाई की कोई उम्मीद नहीं है. तो आइए आपको बताते हैं, जेल में आसराम बापू के इन दस वर्षों की कहानी.
120 महीने और ज़मानत की 15 अर्जी
120 महीने यानी पूरे दस साल. हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक 15 बार से ज़्यादा ज़मानत की अर्ज़ियां लगाई गईं. राम जेठमलानी, सुब्रमण्यम स्वामी और सलमान खुर्शीद जैसे धुरंधर वकील कानून के अखाड़े में उतारे गए, लेकिन फिर भी बाबा के लिए जोधपुर सेंट्रल जेल का दरवाज़ा नहीं खुला.
31 अगस्त 2013
यही वो दिन था, जब आसाराम बापू की गिरफ्तारी हुई थी. तब से जेल के बाहर की खुली हवा बापू को फिर कभी नसीब नहीं हुई. हालांकि, इस दौरान जोधपुर सेंट्रल जेल का दरवाजा कई बार खुला. कई कैदी जेल से रिहा हो गए. यहां तक कि इस जेल में सलमान खान जैसे सेलिब्रिटी भी बाबा के रहते हुए अंदर आए और तीन दिन में ही बाहर आ गए, जिन्हें लेकर बापू अक्सर शिकायत करते रहते थे.
नाबालिग बच्ची से किया था बलात्कार
आसाराम बापू का मानना है कि सलमान जैसा आना भी कोई जेल आना है. पता ही नहीं चलता कि कब आए और कब गए. यहां 15 से ज्यादा कोशिशों के बाद भी ज़मानत नहीं मिली. जिंदगी की उम्मीदों ने दम तोड़ दिया. अब ले-देकर आखिरी उम्मीद गुजरात हाई कोर्ट पर टिकी है, जहां आसाराम बापू ने अपनी सजा की बर्खास्तगी के लिए रिट लगाई है.
मगर, इसका फैसला कब आएगा, ये कोई नहीं जानता. आसाराम बापू जोधपुर जेल में इसलिए हैं क्योंकि उन पर इलज़ाम है कि उन्होंने वहीं एक नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार किया था.
82 साल के हैं आसाराम बापू
आसाराम का जन्म 17 अपैल 1941 को हुआ था. इस हिसाब से उनकी उम्र 82 साल की बनती है. आसाराम इन 82 सालों में दस साल सलाखों के पीछे गुजार चुके हैं और कई बार आसाराम ने अपनी उम्र को हथियार बनाते हुए भी अदालतों से जमानत, रिहाई और पेरोल की मांग की है. मगर, अदालतों ने उन पर कोई रहम नहीं दिखाया.
उधर, उम्र और चाल-चलन के आधार पर उम कैद की सजा पाए अमरमणि त्रिपाठी और आनंद मोहन समेत कई कैदी जेलों से आजाद हो चुके हैं. और तो और गुजरात दंगों में बिल्किस बानों के साथ बलात्कार के आरोपियों को भी रिहाई मिल चुकी है. मगर, आसाराम का नंबर अभी तक नहीं लगा है.
सजा बर्खास्त किए जाने की मांग
असल में आसाराम बापू पर एक नहीं बल्कि दो-दो रेप केस हैं और दोनों में वो दोषी पाए गए हैं. लेकिन दस साल गुजरने के बावजूद उन्हें एक बार भी जेल से बाहर आने का मौका नहीं मिला. फिलहाल, उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट में अपनी सज़ा के खिलाफ एक रिट लगाई है, लेकिन हालत ये है कि आसाराम इस रिट का फैसला आने तक भी इंतजार नहीं करना चाहते और इसीलिए आसाराम ने उसी गुजरात हाई कोर्ट में पिछले महीने एक और रिट लगाई है. इसमें उन्होंने मांग की है कि रिट का फैसला आने तक उनकी सजा की बर्खास्त कर दी जाए.
रेप के दो मामलों में दोषी है आसाराम
अदालत में की गई इसी अपील में आसाराम ने जो बातें लिखी हैं, वो कम अजीबोगरीब नहीं है. आसाराम ने खुद पर दर्ज मुकदमे को ही झूठा करार दिया है और कहा है कि जब ये घटना होने की बात कही जा रही है, तब उनकी उम्र 64 साल की थी और लड़की की 21 साल की.
ऐसे में अगर लड़की चाहती, तो वो उन्हें धक्का देकर बच सकती थी. लेकिन ये तो रही गुजरात वाले मुकदमे की बात, राजस्थान के मुकदमे में आसाराम जो सजा भोग रहे हैं, वो अलग है और ये केस आसाराम के गले की सबसे बड़ी हड्डी है.
1012 पन्नों की चार्जशीट
बलात्कार के इल्ज़ाम में गिरफ्तार आसाराम पर 14 कानूनी धाराओं के तहत मुकदमा चला. भारतीय दंड संहिता की इन 14 सख्त धाराओं को 1012 पन्नों की चार्जशीट में समेट कर 140 गवाहों के सहारे जोधपुर पुलिस ने बाबा के परमानेंट जेल में रहने का अपनी तरफ से पुख्ता इंतजाम किया था.
अब देखना ये है कि अदालत इस पर बुधवार को क्या फैसला सुनाती है. सत्संगी बाबा का चोला ओढ़ कर बलात्कार करने के आरोपी आसाराम किन-किन धाराओं में लपेटे गए हैं. आइए ज़रा उन धाराओं को भी देख और समझ लीजिए. ताकि बुधवार के फैसले को भी समझा जा सकें...
आईपीसी की धारा 376 (एफ)
यानी किसी लड़की के साथ उसके शिक्षक, रिश्तेदार, अभिभावक या धर्मगुरु द्वारा बलात्कार करना.
सज़ा- दस साल से लेकर उम्र कैद
आईपीसी की धारा 375 (सी)
यानी किसी लड़की के अंगों से शारीरिक तौर पर छेड़छाड़ करना.
सज़ा- दस साल से लेकर उम्र कैद
आईपीसी की धारा 509/34
यानी लड़की या महिला का शीलभंग करना.
सज़ा- तीन साल कैद
आईपीसी की धारा 506
जान से मारने की धमकी देना.
सज़ा- सात साल तक की कैद
आईपीसी की धारा 354ए
यौन उत्पीड़न.
सज़ा- तीन साल तक की कैद
आईपीसी की धारा 370ए
यानी बाल तस्करी.
सज़ा- आजीवन कारावास
आईपीसी की धारा 120बी
साज़िश रचना.
सज़ा- मुख्य गुनाहगार के बराबर सज़ा
आईपीसी की धारा 109
किसी को गुनाह के लिए उकसाना या मजबूर करना.
सज़ा- मुख्य गुनाह के बराबर सज़ा
पॉक्सो एक्ट की धारा 5 एफ, 6, 7, 8 और 17
किसी शैक्षिक संस्थान में बाल यौन उत्पीड़न.
सज़ा-दस साल से लेकर उम्र क़ैद तक
जाहिर है इनमें से कई संगीन धाराओं में आसाराम को पहले ही दोषी करार दिया जा चुका है. ऐसे में आसाराम उम्र कैद जैसी खतरनाक सजा का मुजरिम है. और फिलहाल जो हालात हैं, उन्हें देख कर तो यही लगता है कि आसाराम को अपनी आने वाली पूरी उम्र की जेल की सलाखों के पीछे ही गुजारनी होगी.
जेल में कैसा है आसाराम का हाल?
वो खुद को भगवान समझने वाली अदा, वो बात-बात पर नाचने लगना, वो रौब, वो तेवर. चेहरे की झुर्रिया... ये चिड़चिड़ा अंदाज़... सहारा लेकर चलना. नाउम्मीदी की खीज. जेल के दस सालों में जेल ने कितना बदल दिया है आसाराम को. वक्त ने वक्त की मार दिखा दी. पिछले करीब पांच साल से आसाराम जेल की बैरक नंबर पांच में बंद है.
रोजाना पांच बजे सुबह उठना होता है. पैर में दर्द की वजह से अब तो व्हील चेयर पर चलना पड़ता है. जेल प्रशासन के मुताबिक, आसाराम रात का खाना नहीं खाता है. मगर ऐसा नहीं है कि उसे जेल में चैन की नींद आती हो. आलम ये है कि रात में वो कई बार घबराकर उठ जाता है. बताया जाता है कि रेपसिस्ट बाबा को कई तरह की बीमारियों ने भी जकड़ रखा है. इनमें...
- साइटिका
- स्लीप डिस्क
- नींद न आना
- भूख न लगना
- दांत दर्द
- पैरों में दर्द
- और कमज़ोरी भी बहुत ज़्यादा हो गई है...
जेल में भी मौजूद हैं बाबा के चेले
अब आपके मन में सवाल होगा कि बाबा की जो हेकड़ी थी, वो तो जेल के बाहर थी, मगर जेल में बाबा की कैसे कट रही है? कौन उसे व्हील चेहर पर बैठाता और घुमाता है? कौन उसे टहलाता है? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बाबा की बैरक में जो 5 लोग हैं उनमें दो तो उसके ही चेले हैं जो इस मामले में उसके साथ आरोपी हैं. और यही वो लोग हैं जो जेल में बाबा की खिदमत में जुटे रहते हैं. मतलब यहां भी बाबा को चेले मिले हुए हैं.
5 साल में बदल गई बाबा की चाल और ढाल
आसाराम को जितनी भी बीमारियां हैं, उनमें सबसे ज़्यादा तकलीफ उसे अपने पैर दर्द से है. लिहाजा, सुबह उठकर वो अपने चेलों से पैरों की मालिश करवाता है. उसके यही चेले उसे बैरक के अंदर रात में बिस्तर पर लिटाते हैं फिर सुबह व्हील चेयर पर बिठाकर गार्डन में घुमाते हैं. जेल सूत्रों के मुताबिक, शुरू शुरू में तो बाबा ने जेल में भी ज्ञान बांटना शुरू किया था.
मगर, अब तो सारा वक्त ये सोचने में निकलता है कि ज़मानत कब मिलेगी? दूसरे कैदियों से भी बाबा ने बात करना छोड़ दिया है और चुपचाप अपनी बैरक में ही ज्यादातर वक्त बिताता है. हालांकि, शुरूआत में ऐसा नहीं था. बाबा को जेल में लाए जाने के काफी वक्त तक वो जेल में खुद ही दौड़ता था. तरोताज़ा नज़र आता था. मगर, पिछले 5 साल में बाबा की चाल और ढाल दोनों बदल गई है.
बीमारी का हवाला देकर मांगी जमानत
जेल में आसाराम को वही सुविधाएं दी जा रही हैं, जो दूसरे बुजुर्ग कैदियों को दी जाती हैं. गंभीर बीमारी के अलावा नॉर्मल बीमारी पर उसे जेल का ही डॉक्टर देखता है. बताया जाता है कि आसाराम ज़्यादातर आयुर्वेदिक दवाओं का ही इस्तेमाल करता है.
जेल सूत्रों के मुताबिक, जेल से बाहर न निकल पाने की कसमसाहट की वजह से वो रोज़ नई बीमारियों से घिरता जा रहा है. ज़मानत मिलने की आस जब टूटने लगी, तो बाबा ने कोर्ट से गुज़ारिश की है कि उसकी बीमारी की वजह से ही उसे ज़मानत दे दी जाए. मगर, अब बात जमानत से आगे फैसले तक पहुंच गई है. देखिए बाबा का इंतजार कब खत्म होता है?
(इंदौर से धर्मेंद्र शर्मा के साथ आजतक ब्यूरो)