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गैंगस्टर, ऑडियो रिकॉर्डिंग और ब्लैकमेलिंग... विदेश में सेटल होना चाहता था गोगामेड़ी का कातिल, जानें Inside Story

ठीक एक सप्ताह पहले यानी मंगलवार, 5 दिसंबर को राजपूत नेता सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के क़त्ल की वारदात के साथ ही इसे अंजाम देने वाले शूटरों और पुलिस के बीच चूहे-बिल्ली का खेल शुरू हो चुका था. वारदात को अंजाम देने के बाद शूटर आगे-आगे थे और पुलिस पीछे.

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सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या एक सोची समझी साजिश के तहत की गई
सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या एक सोची समझी साजिश के तहत की गई

Sukhdev Singh Gogamedi Murder Conspiracy: एक को जेल जाने का बदला लेना था. तो दूसरे को जेल जाने से बचने के लिए विदेश जाना था. और तीसरा अपना मुंह बंद रखने के लिए ज्यादा पैसे चाहता था. जबकि इन तीनों का सरगना और मास्टरमाइंड श्री राष्ट्रीय राजपूत करणनी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की मौत चाहता था. और इसी ताने-बाने बीच रची गई सुखदेव सिंह की मौत की पूरी साजिश. जिसने राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश को दहला दिया.

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चार राज्यों की पुलिस का जाल
ठीक एक सप्ताह पहले यानी मंगलवार, 5 दिसंबर को राजपूत नेता सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के क़त्ल की वारदात के साथ ही इसे अंजाम देने वाले शूटरों और पुलिस के बीच चूहे-बिल्ली का खेल शुरू हो चुका था. वारदात को अंजाम देने के बाद शूटर जयपुर से निकले और अलग-अलग शहरों से होते हुए लगातार भागते रहे. लेकिन आखिरकार शनिवार 9 दिसंबर की रात जयपुर से पौने पांच सौ किलोमीटर दूर चंडीगढ़ में इस खेल का तब दी एंड हो गया, जब पूरे चार दिन बाद सेक्टर 24 के एक होटल में छुपे दोनों शूटरों को जयपुर पुलिस ने दिल्ली, पंजाब और हरियाणा पुलिस की मदद से धर दबोचा. 

शूटर्स के पास नहीं था पुख्ता 'एग्जिट प्लान'
सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के कत्ल की साजिश जितनी गहरी है, कत्ल के बाद शूटरों के भागने और छुपने की कहानी भी उतनी ही चौंकाने वाली. गोगामेड़ी की जान लेने के पीछे वैसे तो दोनों ही शूटरों के अपने-अपने मकसद थे, लेकिन सच्चाई यही है कि इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद दोनों के पास निकल भागने का कोई पुख्ता 'एग्जिट प्लान' नहीं था और दोनों पुलिस से बचने और दूर निकल भागने के लिए पूरी तरह से अपने उन आकाओं पर ही निर्भर थे, जिन्होंने उन्हें कत्ल की सुपारी दी थी और उन्हें फर्ज़ी दस्तावेज़ों से विदेश भिजवाने की बात कही थी. लेकिन इससे पहले कि ऐसा हो पाता, दोनों धर लिए गए.

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जयपुर पुलिस को मिली थी रूट की खबर
5 दिसंबर को क़त्ल की वारदात के सामने आने के साथ ही जयपुर पुलिस पूरी तरह एक्टिव हो चुकी थी. और उसने शूटरों को ढूंढना शुरू कर दिया था, लेकिन शूटर लगातार पुलिस से आगे चल रहे थे. शूटर पहले ट्रेन से कुचामन सिटी तक पहुंचे और फिर वहां से उन्होंने डीडवाणा तक का सफर तय किया. डीडवाणा से उन्हें सुजानगढ़ जाना था और फिर वहां से किसी बस के रास्ते हरियाणा के हिसार. लेकिन इत्तेफाक़ से जयपुर पुलिस को उनके इस रूट की खबर मिल गई. जयपुर पुलिस को पता चला कि वारदात को अंजाम देने के बाद शूटर डीडवाणा भागे हैं. 

रामबीर के पकड़े जाने पर खुलने लगी कहानी
असल में डीडवाणा में पुलिस को एक टैक्सी ड्राइवर का भी पता चल चुका था, जिसकी टैक्सी पर सवार हो कर दोनों आरोपियों ने सुजानगढ़ तक का सफ़र पूरा किया और उस मददगार का भी, जिसने दोनों के लिए डीडवाणा में टैक्सी का इंतज़ाम किया था. इधर, जयपुर में ही पुलिस रामबीर जाट नाम के उस अपराधी के बारे में भी जानकारी जुटा चुकी थी, जो शूटआउट से पहले और शूटआउट के बाद दोनों को लोकल सपोर्ट दे रहा था. लेकिन रामबीर को हिरासत में लेने के बाद कहानी काफी हद तक साफ होने लगी.

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दोनों शूटर्स को ऐसे ट्रैस कर रही थी पुलिस 
जयपुर पुलिस को जब दोनों के डीडवाणा में होने की खबर मिली, तो पुलिस ने उन्हें वहां इंटरसेप्ट करने की कोशिश की, लेकिन दोनों वहां से निकल गए. पुलिस को पता चला कि दोनों डीडवाणा से बस में सवार होकर गुरुग्राम के पास धारुहेड़ा पहुंचे और फिर वहां से उन्होंने हिसार की दूरी तय की. हालांकि राजस्थान पुलिस ने पहले दिल्ली पुलिस को बताया था कि दोनों डीडवाणा से बस पकड़ कर दिल्ली पहुंचे हैं. लेकिन जब पुलिस ने बसों की चेकिंग की, तो वो नहीं मिले. कुछ देर के लिए दिल्ली पुलिस भी क्लू लेस हो गई कि आखिर दोनों कहां चले गए? लेकिन इसी बीच पुलिस को जानकारी मिली कि दोनों दोनों धारुहेड़ा से पहले ऑटो पकड़ कर रेवाड़ी पहुंचे और फिर वहां से ट्रेन से हिसार पहुंचे. दिल्ली पुलिस को हिसार के रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज में भी दोनों की तस्वीरें नजर आईं.

गिरफ्तारी के लिए एक्टिव हो गई थी 4 सूबों की पुलिस
चूंकि शूटरों की धर पकड़ के इस ऑपरेशन में जयपुर पुलिस के साथ-साथ अब पंजाब, हरियाणा और दिल्ली पुलिस भी एक्टिव हो चुकी थी, उन्हें लोकेट करना आसान होने लगा था. वैसे तो शूटरों ने अपने-अपने मोबाइल फोन ऑफ कर लिए थे, लेकिन उन्होंने एक नया सिम लिया था, जिसका इस्तेमाल वो अलग-अलग एप्स के यूसेज के लिए कर रहे थे. और पुलिस को उनके इस नए मोबाइल नंबर की भी जानकारी मिल चुकी थी. 

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हिसार में पुलिस को मिला सुराग
उधर, जयपुर पुलिस के साथ ऑपरेशन में लगी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को जब पता चला कि शूटर वारदात को अंजाम देने के बाद हिसार पहुंचे हैं, तो उन्होंने इसकी वजह पता लगाने की कोशिश शुरू कर दी. असल में पुलिस ये जानना चाहती थी कि हिसार में उनका मददगार कौन हो सकता है और वो हिसार में किनके संपर्क में हैं? इस कोशिश में दिल्ली पुलिस को कामयाबी मिल गई. दिल्ली पुलिस को पता चला कि नितिन फौजी और रोहित राठौर ने हिसार में उधम सिंह नाम के एक लड़के से बात की है. उधम सिंह नितिन का पुराना जानकार था. लेकिन नितिन ने इस वारदात को अंजाम देने के बाद करीब चार साल बाद उधम से संपर्क साधा था. 

हिसार से हिमाचल और चंडीगढ़ में गिरफ्तारी
पुलिस को मिली ये इत्तिला तब तकरीबन पूरी तरह से कन्फर्म हो गई, जब उन्होंने देखा कि उधम सिंह का मोबाइल नंबर भी स्विच्ड ऑफ हो चुका है. फोन तो स्विच्ड ऑफ था, लेकिन पुलिस अब सोशल मीडिया अकाउंट के सहारे उधम सिंह समेत दोनों शूटरों का पता लगाने की कोशिश करने लगी. पुलिस को पता चला कि तीनों हिसार से हिमाचल की तरफ गए हैं. अब दिल्ली पुलिस ने तीनों को हिमाचल में इंटरसेप्ट करने की कोशिश शुरू कर दी. पता चला कि तीनों मनाली पहुंचे हैं. लेकिन इससे पहले कि तीनों को मनाली में पकड़ा जाता, तीनों फिर से वापस लौट आए और चंडीगढ़ में ठिकाना बनाया. लेकिन 9 दिसंबर की रात को तीनों को चंडीगढ़ में धर दबोचने में पुलिस को कामायाबी मिल गई.

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विदेश में सेटल होना चाहता था नितिन फौजी
अब बात शूटरों के प्रोफाइल और इस वारदात को अंजाम देने के दोनों शूटरों के अपने-अपने वजहों की. वैसे तो जयपुर पुलिस ने इस मामले की तफ्तीश को लेकर फिलहाल ज्यादा कुछ साफ नहीं किया है, दिल्ली पुलिस की मानें तो शूटर नितिन फौजी चूंकि भारत से बाहर विदेश में सेटल होना चाहता था, उसने इस वारदात को अंजाम दिया. पुलिस की मानें तो नितिन फौज में था, लेकिन वो जुर्म की छोटी-मोटी वारदातों में भी शामिल था. उसके खिलाफ कुछ केसेज भी थे. ऐसे में उसे अपने पकड़े जाने और नौकरी गंवाने का डर सता रहा था. 

जेल में लॉरेंस गैंग के संपर्क में आया था शूटर रोहित राठौर
इसी बीच वो गैंगस्टर रोहित गोदारा के गुर्गे वीरेंद्र चारण के संपर्क में आया और उसने उसे शूटआउट की इस वारदात को अंजाम देने पर फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे विदेश भिजवा देने का भरोसा दिया. जबकि दूसरे शूटर रोहित राठौर का पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड रहा है. पुलिस की मानें तो रोहित राठौर रेप के केस में पहले जेल जा चुका है और जेल में रहने के दौरान ही वो लॉरेंस बिश्नोई गैंग के संपर्क में आ चुका था. राठौर अपनी गर्लफ्रेंड की रेप के मामले में आरोपी था और सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के खिलाफ उसकी गर्लफ्रेंड के घरवालों का  साथ दे रहा था. इसके चलते वो सुखदेव गोगामेड़ी से खुंदक भी पाले हुए था.

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गोगामेड़ी के कत्ल की हैरान करने वाली वजह
फिलहाल गोगामेड़ी के कत्ल के लिए ठीक कितने रुपये की सुपारी दी गई थी, ये तो साफ नहीं है, लेकिन इतना जरूर क्लीयर हो चुका है कि दोनों को एडवांस के तौर पर 50-50 हज़ार रुपये दिए गए थे. लेकिन ये तो रही इस मामले के गिरफ्तार दोनों शूटरों की कहानी. लेकिन गैंगस्टर रोहित गोदारा ने कत्ल की ये साजिश क्यों रची? इस पूरे शूटआउट में मौके पर मारे गए नवीन शेखावत का क्या रोल था? इन शूटरों ने आखिर गोगामेड़ी के साथ-साथ नवीन शेखावत की भी हत्या क्यों कर दी? पूरी वारदात का ये पहलू भी कम अजीब नहीं है.

साजिश में बराबर का भागीदार था नवीन
वो चाहे जयपुर पुलिस हो या फिर दिल्ली पुलिस, दोनों का ही ये कहना है कि इस शूटआउट की साजिश में नवीन शेखावत भी बराबर का भागीदार रहा है. उसने ना सिर्फ कत्ल की वारदात को अंजाम देने से पहले सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के घर और पूरे रूट की रेकी की थी, बल्कि शूटर्स को अपनी पूरी जानकारी में ही वहां लेकर पहुंचा था, लेकिन अगर ऐसा ही था गोली चलाने वाले दोनों शूटरों ने नवीन को भी अपना निशाना क्यों बना डाला? 

ब्लैकमेल करता था नवीन शेखावत
तो अब इस सवाल का जवाब सुनिए. शूटरों से हुई पूछताछ के मुताबिक नवीन शेखावत वीरेंद्र चारण समेत लॉरेंस गैंग के कई गैंगस्टर के संपर्क में था. लेकिन वो अब हर काम के लिए ज्यादा पैसे मांगने लगा था. यहां तक कि उसने वीरेंद्र चारण समेत कई गैंगस्टरों की ऑडियो भी रिकॉर्ड कर रखी थी, जिसके सहारे वो उन्हें ब्लैकमेल भी कर रहा था. वो अक्सर गैंगस्टरों को इन ऑडियो रिकॉर्डिंग का हवाला देकर उन्हें पकड़वा देने की धमकी देता था.

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लास्ट मोमेंट पर नवीन के कत्ल की प्लानिंग 
ऐसे में वीरेंद्र चारण ने बिल्कुल लास्ट मोमेंट पर नवीन शेखावत के कत्ल की प्लानिंग की. हत्या से ठीक एक घंटे पहले दोनों शूटरों की नवीन की कार में ही वीरेंद्र चारण से फोन पर बात हुई. ये फोन भी नवीन शेखावत का ही था. और तब इसी बातचीत में चारण ने गोगामेड़ी के साथ-साथ नवीन को भी निपटा देने का काम अपने दोनों शूटरों को सौंपा, जिसकी जानकारी नवीन शेखावत को नहीं थी. शूटर नितिन फौजी ने बताया है कि वो गोगामेड़ी को जानता तक नहीं था, उसे तो बस विदेश में अपनी फैमिली के साथ सेटल होना था और इसलिए उसने इस काम के लिए हामी भरी थी. 

चारण ने खेला पूरा खेल
दूसरी ओर रोहित राठौर की गोगामेड़ी से दुश्मनी थी, लेकिन वो अकेला ये काम नहीं कर सकता था. इसलिए चारण ने राठौर का साथ देने के लिए फौजी को चुना. फौजी जब गुरुग्राम की भोंडसी जेल में था, तब भवानी सिंह नाम के एक गैंगस्टर की मदद से चारण ने उसे इस काम के लिए राजी किया था. चारण ने फौजी और राठौर की मुलाकात भी इस वारदात से सिर्फ एक घंटे पहले करवाई थी, ताकि दोनों एक दूसरे से ज्यादा बातचीत ना कर सकें. नवीन दोनों के साथ था, जिसे बार-बार दोनों को उनका मोटिव याद दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

साजिश की बात मानने को तैयार नहीं नवीन के परिजन
शूटआउट की सीसीटीवी फुटेज में भी साफ दिख रहा है कि शूटरों ने पहली गोली गोगामेड़ी को मारी और फौरन ही दूसरी गोली नवीन शेखावत को मार दी. उसे संभलने का मौका ही नहीं दिया. और वारदात की उन तस्वीरों को देख कर साफ है कि शूटरों ने नवीन शेखावत की जान लेने की प्लानिंग पहले ही कर रखी थी. उधर, नवीन शेखावत के घरवाले फिलहाल इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि नवीन शेखावत शूटआउट की इस साजिश में शामिल था. घरवालों का कहना है कि नवीन करणी सेना से जुड़ा था और उस रोज़ गोगामेड़ी को परिवार में हो रही शादी का कार्ड देने पहुंचा था.

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