मुनाफे के हर धंधे के उसने मायने बदल दिए. वो बाजार में इकलौता था, जो दस के बीस नहीं, दस के सौ कर रहा था. नेता हो या अभिनेता, संत हो या महंत, सब उसके चारों ओर थे...और इस चकाचौंध में उसने एक ऐसा मायाजाल अपने चारों ओर बुना कि रातोंरात करोड़पति बनने के चक्कर में अपनी सारी जमा-पूंजी लेकर उसकी झोली में डाल दी.
सपनों के शहर मुंबई में समंदर के बीचोंबीच पानी का एक बड़ा ज़हाज किराए पर लिया गया. रात थी जश्न की, केसिनों में जुए़ की और ज़हाज के डेक पर हसीनाओं के कैबरे की. समंदर में इस जश्न के बीच एक कंपनी का मालिक अपने हज़ारों निवेशकों से पैसे को दो गुना, तीन गुना और चार गुना करने का सपना दिखा रहा था.
समंदर मे आलीशान क्रूज़ का सफर जारी थी और जारी था कंपनी के मालिक के हैरतअंगेज ऐलान. रातोंरात लखपति से करोड़पति बनने के दावे किए जा रहे थे. नाच-कैबरे और केसिनों का सफर रात को परवान चढ़ रहा था.
मुंबई से पचास नॉटिकल माइल दूर समंदर की लहरों में ये जहाज तो नहीं डूबा, लेकिन कंपनी डूब गई और साथ में डूब गई चार लाख से ज्यादा भोले-भाले निवेशकों के गाढ़ी कमाई की रकम.
समंदर के बीच क्रूज पर सपनों का सौदागर हैं रविंदर देशमुख. वो देशमुख जिसने चार लाख से ज्यादा मासूम लोगों की कमाई के दो हज़ार करोड़ रुपये डुबो दिए. वो देशमुख, जिसको देश में कई राज्यों की पुलिस साल भर से ढूंढ रही है, लेकिन वो एक हसीन ख्वाब की तरह कहीं गायब हो गया है. वो देशमुख, जिसने देश के बड़े-बड़े नेताओं और फिल्मी सितारों के चेहरे दिखाकर अरबों रुपये की लूट का एक ऐसा जाल बुना, जिसे आज तक पुलिस भेद नहीं सकी. लूट की इस अमर कथा का एक-एक अध्याय हर किसी की आंखें खोल देगा.
वो सपनों का जहाज़ लेकर मुंबई के समंदर से निकला था और उसके साथ में थे नए सपने लिए सैकड़ों मुसाफिर, जो हकीकत में उसपर लाखों-करोड़ों के दांव पर खेल रहे थे. लेकिन करोड़पति बनने का सफर अचानक बीच रस्ते में ही खत्म हो गया. दरअसल वो चिटफंड की स्कीम नहीं, समंदर की लहरें बेचने निकला था. और हुआ भी आखिर वही...समंदर के इस सुनहरे सफर में जहाज़ तो बच गया, लेकिन लाखों-करोड़ों के सपने डूब गए. रातोंरात करोड़पति बनने की ख्वाइश ने देश में हज़ारों लोगों का पैसा सपनों के इस सौदागर के जाल में फंसकर गवां दिया.
बाजार के हर नियम और मुनाफे के हर फार्मूले को ध्वस्त करके ये कंपनी रकम दुगना और तिगुना करने का ऐसा जादुई ऑफर लेकर आई कि निवेशक लालच की चमक-धमक में चौंधिया गए...
90 दिन में 9000 रुपये 15000 कीजिए
150 दिन में 9000 रुपये 27000 कीजिए
300 दिन में 50,000 के 1,50000
और कंपनी का जेट सुपर प्लान: 150 दिन में 5 लाख 15 लाख कीजिए
जितने बड़े सपने, उतनी बड़ी चमक और जितनी बड़ी चमक उतना ही बड़ा धोखा. लालच, झूठ और फरेब का ये खेल खेला महाराष्ट्र के सतारा इलाके के शख्स रवींद्र देशमुख ने, जिसकी हर बात में छल और हर अंदाज़ में सिर्फ धोखा छिपा था.
हिंदुस्तान के लाखों-लाख लोगों का मुस्तकबिल बदलने जा रहे देशमुख ने अपनी टीम में कई रतन जड़े थे और हर रत्न अपने अपने हलके का महारथी बताया गया.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक देशमुख ने इमेज नाम से ग्रुप बनाया और फिर अर्यारूप टूरिज्म एंड क्लब रिजोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कम्पनी खोली. इस कम्पनी ने अपना धंधा होटल, रिजॉर्ट, एन्टरटेनमेंट पार्क और जिम बनाना बताया, लेकिन उसमे निवेश की आड़ में पैसा बटोरने के स्कीम गढ़ी.
देशमुख का धंधा चिटफंड जैसा था, जहां एक निवेशक को कम्पनी का सदस्य बनने के बाद सदस्यों की एक चैन बनानी पड़ती थी. जितने सदस्य उतना कमीशन.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में आगे कहा गया है कि कम्पनी के मास्टरमाइंड देशमुख ने निवेशकों को लुभाने के लिए सोवेनिअर छपे और उसमे बड़े-बड़े नेताओं के सन्देश प्रकाशित किये. अपने सन्देश में कई नेताओं ने कम्पनी के कामकाज की सराहना की, जिससे और भी अधिक निवेशक देशमुख की तरफ खिंचते चले आए. ज़ाहिर तौर पर इन नेताओं में शायद बहुत को मालूम ही नहीं होगा कि उनके सन्देश किस घपले की भेंट चढ़ाए जा रहे हैं.
नेताओं की चमक जब कम पड़ने लगी, तो देशमुख साहब ने धंधा और ज़माने के लिए बॉलीवुड को अपने मंच पर उतारा. लेकिन असली कांटा निवेशकों को चुभाया जा रहा था, जिनकी जिंदगी भर की कमाई देशमुख की मुट्ठी में बंद हो चुकी थी. ज़ाहिर तौर पर मुट्ठी जब खुली, तो ख़ाक हो गई.
बाजार म देशमुख का असली चेहरा जैसे-जैसे सामने आने लगा, वैसे-वैसे निवेशक के पैसे वापस करने के लिए लाइन लग गई. कंपनी के दफ्तर के शटर गिरने लगे.
मुंबई में CID में केस दर्ज हुआ. उधर कर्नाटक पुलिस और आंध्र प्रदेश पुलिस ने भी केस दर्ज किए. सपनों का सौदा कर, सपने दिखा कर सपने लूट कर अब वो खुद गायब हो गया है. जिनके सपने टूटे हैं, उनके पास सिवाए पछतावे के कुछ नहीं बचा है. इसलिए हमारी आपसे गुजारिश है कि रातोंरात लखपति या करोड़पति बनने या पैसा दुगना करने के लालच में फंसकर अपनी गाढ़ी कमाई यूं ना गंवाएं.