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आखिर क्यों सबको अलविदा कह गई प्रत्यूषा?

प्रत्यूषा बनर्जी की खुदकुशी की खबर ने ग्लैमर की रंगीन दुनिया को एक बार फिर झकझोर कर रख दिया है. एक बार फिर ये सवाल कचोटने लगा है कि क्या तड़क-भड़क की जिंदगी का अंजाम तन्हाई और अकेलेपन के तौर पर ही सामने आता है? और क्या नाकामी और गुमनामी ही अक्सर मौत की वजह बन जाती है?

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प्रत्यूषा बनर्जी
प्रत्यूषा बनर्जी

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प्रत्यूषा बनर्जी की खुदकुशी की खबर ने ग्लैमर की रंगीन दुनिया को एक बार फिर झकझोर कर रख दिया है. एक बार फिर ये सवाल कचोटने लगा है कि क्या तड़क-भड़क की जिंदगी का अंजाम तन्हाई और अकेलेपन के तौर पर ही सामने आता है? और क्या नाकामी और गुमनामी ही अक्सर मौत की वजह बन जाती है?

15 दिन पहले डाला मौत से जुड़ा व्हाटसएप स्टेटस
कई बार इत्तेफाक भी होता है जब अमूमन लोग ऐसी बातें फेसबुक या वाट्सएप पर अपने स्टेटस में लिख देते हैं. 'मर के भी मुंह ना तुझसे मोड़ना' ये प्रत्यूषा का व्हाटसएप स्टेटस 15 मार्च का है. यानी उसकी मौत से 15 दिन पहले का. अब सवाल ये है कि क्या ये स्टेटस महज इत्तेफाक है या फिर इसी एक लाइन में बालिका वधू की आनंदी यानी प्रत्यूषा बनर्जी की मौत का राज छुपा है?

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इस चमकती दुनिया की चकाचौंध ने जितनों को शोहरत की बुलंदी पर पहुंचाया है, उससे कहीं ज्यादा लोगों को बर्बादी के अंधेरे कुएं में धकेला है. यहां कामयाब लोगों को लोग सिर आंखों पर बिठाते हैं, और तन्हा या नाकाम लोगों को अपने बीच से उठा कर ऐसा फेंकते हैं कि फिर ना वो सपनों की इस दुनिया में जी पाते हैं और ना हमारी और आपकी दुनिया में. पर आनंदी के साथ आखिर ऐसा क्या हुआ कि मौत से 15 दिन पहले उसने मरने की बात लिख दी?

क्या वजह थी सुसाइड की?
क्या चकाचौंध भरी ग्लैमर की दुनिया के बीच भी अकेलेपन का अंधेरा निगल गया प्रत्यूषा को? क्या शोहरत की बुलंदी से जमीन पर आ गिरने के डर और नाकामी और गुमनामी के खौफ में आकर 24 साल की प्रत्यूषा ने खुद ही अपनी धड़कनें छोड़ दीं? क्या खराब माली हालत से टूट गई थी प्रत्यूषा? या फिर रिश्तों का धोखा खा गया प्रत्यूषा को? आखिर प्रत्यूषा किससे मर कर भी मुंह ना मोड़ने वाली थी? कहीं वो उसका ब्वायफ्रैंड तो नहीं? मौत से पहले अपने ब्वायफ्रैंड से क्यों लड़ रही थी प्रत्यूषा? क्या प्रत्यूषा को ये शक था कि उसका ब्वायफ्रेंड किसी और लड़की से प्यार करता है?

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नहीं मिला कोई सुसाइड नोट
प्रत्यूषा की मौत अचानक हुई है. मौत की खबर से हर कोई सन्न है. सभी सकते में हैं. मरने से पहले प्रत्यूषा ने कोई सुसाइड नोट भी नहीं छोड़ा. जाहिर है ऐसे में पुलिस सीधे-सीधे केस बंद करने से पहले हर शक और सवाल को टटोलेगी. और टटोल भी रही है. और इस शक और सवाल के बीच मे सबसे आगे खड़ा है प्रत्यूषा का वही ब्वायफ्रेंड जिसे कुछ लोग उसका मंगेतर भी बता रहे हैं. नाम है राहुल राज.

प्रत्यूषा का वही ब्वायफ्रेंड जिससे प्रत्यूषा ने मरने से पहले आखिरी बार बात की थी. जिसके साथ वो आखिरी बार देखी गई थी. जिसके साथ वो आखिरी बार लड़ी थी. और जो प्रत्यूषा की मौत के बाद सबसे पहले उसके पास पहुंचा था. यानी जिसे प्रत्यूषा की मौत की खबर सबसे पहले मिली. तो सवाल अनगिनत हैं. जवाब आनंदी का हर चाहने वाला जानना चाहता है.

कोई तीसरा तो नहीं बना कारण
मुंबई पुलिस की अब तक की जो तफ्तीश सामने आई है उसमें प्रत्यूषा और उसके ब्वायफ्रेंड राहुल के बीच एक तीसरी लड़की का जिक्र आ रहा है. उस लड़की की वजह से ही इन दोनों के रिश्तों में कड़ुवाहट की बातें भी सामने आ रही हैं. और सामने ये भी आ रहा है कि उसी लड़की की वजह से प्रत्यूषा ने अपना आखिरी स्टेटस राहुल के लिए ही लिखा था.

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लिव-इन-रिलेशनशिप में रहते थे प्रत्यूषा-राहुल
बात मार्च के शुरूआत की है. प्रत्यूषा कांचपाड़ा इलाके से शिफ्ट होकर इसी साल जनवरी में ही बांगुरनगर के हारमोनिक रेसिडेंसी अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 703 में रहने आई थी. यहां प्रत्यूषा और उसका ब्वायफ्रेंड राहुल साथ रहते थे. यानी दोनों लिव-इन-रिलेशनशिप में थे. मार्च के शुरूआत में इसी अपार्टमेंट में सलोनी नाम की एक लड़की आई थी. राहुल से मिलने. कहते हैं कि तब सलोनी के साथ प्रत्यूषा का काफी झगड़ा हुआ था. यहां तक कि हाथापाई भी हुई. बाद में अपार्टमेंट के लोगों ने झगड़े की वजह से पुलिस को भी बुला लिया था. ये मामला बागुंरनगर थाने में आज भी दर्ज है.

होने लगा था प्रत्यूषा और राहुल में झगड़ा
दरअसल प्रत्यूषा को शक था कि राहुल का सलोनी के साथ अफेयर है. और इसी बात को लेकर दोनों में हमेशा झगड़ा भी होता रहता था. 31 मार्च की रात को भी राहूल इसी फ्लैट में प्रत्यूषा के साथ था. उस रात और फिर अगली सुबह यानी एक मार्च को भी प्रत्यूषा के फ्लैट से झगड़े की आवाज बाहर आ रही थी. इसके बाद एक मार्च की सुबह करीब दस बजे राहुल और प्रत्यूषा घर से निकले. दोनों साथ में घर के पास ही एक छोटा सा मॉल है वहां गए. कहते हैं कि वहां भी दोनों का झगड़ा हुआ. झगड़े की जड़ में इस बार भी वही सलोनी नाम की लड़की थी.

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झगड़े के बाद दोनों साथ घर आए और फिर कुछ देर बाद राहूल घर से अकेले निकल गया. ये उन दोनों की आखिरी मुलाकात थी. इसके बाद सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे लॉन्ड्री वाला घर पर आया था. तब प्रत्यूषा ने घर का दरवाजा खोला था. मगर उसके बाद फिर किसी ने प्रत्यूषा को नहीं देखा.

शाम के चार बजे जब राहुल फ्लैट पर वापस लौटा. उसने काफी देर तक घंटी बजाई पर दरवाजा नहीं खोला. प्रत्यूषा घर से बाहर भी नहीं निकली थी और फोन भी पिक नहीं कर रही थी. लिहाजा राहुल पास से ही एक चाभी वाले को बुलवाकर उससे दरवाजा खुलवाता है. तब सोसायटी का गार्ड भी मौजूद था.

राहुल ने प्रत्यूषा को लटकते हुए देखा
दरवाजा खोल कर राहुल जब अंदर पहुंचता है तो देखता है कि प्रत्यूषा बेडरूम में पंखे से झूल रही है. वो फौरन उसे नीचे उतारता है. उसे लगता है कि प्रत्यूषा की सांसें अब भी चल रही हैं. लिहाजा वो तुरंत उसे लेकर पास के कोकिलाबेन अस्पताल भागता है. मगर अस्पताल पहुंचने से पहले ही प्रत्यूषा की मौत हो चुकी थी. तब शाम के करीब पांच बजे थे. इसके बाद राहुल सबसे पहले प्रत्यूषा के चाचा को इसकी खबर देता है. पुलिस को हादसे की खबर शाम करीब सात बजे मिलती है.

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पिछले कुछ दिनों से माली हालत ठीक नहीं थी
राहुल से पुलिस लंबी पूछताछ कर चुकी है. प्रत्यूषा के साथ उसके रिश्तों से लेकर, शादी, उस दूसरी लड़की और दोनों की माली हालत को लेकर. अब अगर मुंबई पुलिस की मानें तो मार्च 2015 के बाद से प्रत्यूषा और राहुल दोनों का ही करियर लगभग ढलान पर था. बालिका वधु की आनंदी बन कर जो प्रत्यूषा रातों-रात घर-घर की चहेती बन गई थी, उसी आनंदी के किरदार से बाहर आते ही अचानक सब बदल गया. पिछले कई महीनों से दोनों की माली हालत भी ठीक नहीं थी.

अगर पुलिस की तफ्तीश क लाइन लें तो फिलहाल पुलिस हर एंगल से मामले की जांच कर रही है. इसमें कत्ल भी शामिल है. और इसकी वजह ये है कि जिस फ्लैट में प्रत्यूषा रहती थी उस दरवाजे का ताला अंदर और बाहर दोनों से खुल सकता है.

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