scorecardresearch
 

एक करोड़ की सुपारी और ट्रिपल मर्डर का राज

य़कीनन देश में दी गई ये अब तक कि सबसे बड़ी सुपारी में से एक होगी. सुपारी एक करोड़ की. सुपारी..य़ानी किराए पर कातिल लेकर किसी का कत्ल करवाना. जुर्म की दुनिया की ये पुरानी रवायत है. मगर इस सुपारी में जिस तरह कातिल को चुना गया..जिस जगह मकतूल को मारने का प्लान बनाया गया और जहां से सुपारी किलर पकड़े गए वो सब अजीब था.

Advertisement
X
वारदात
वारदात

य़कीनन देश में दी गई ये अब तक कि सबसे बड़ी सुपारी में से एक होगी. सुपारी एक करोड़ की. सुपारी..य़ानी किराए पर कातिल लेकर किसी का कत्ल करवाना. जुर्म की दुनिया की ये पुरानी रवायत है. मगर इस सुपारी में जिस तरह कातिल को चुना गया..जिस जगह मकतूल को मारने का प्लान बनाया गया और जहां से सुपारी किलर पकड़े गए वो सब अजीब था.

Advertisement

आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाके में सबकुछ ठीक-ठाक था. टोल नाके से गाड़ियों की आवाजाही भी रोज़ की तरह बदस्तूर जारी थी. लेकिन तभी एक टवेरा कार बड़ी तेजी से इस नाके से आगे निकलती है और अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा इलाका गूंज उठता है.

फायरिंग हाईवे से गुज़र रही टवेरा को निशाने पर रखकर की जा रही थी. तकरीबन दस मिनट तक इस गाड़ी पर अंधाधुंध गोलियों की बौछारें होती रहीं. इस दौरान गाड़ी से कोई भी बाहर नहीं निकला. इसके बाद जब हमलावरों को य़कीन हो गया कि अब गाड़ी में बैठा कोई भी शख्स जिंदा नहीं बचा होगा तब कहीं जाकर बड़े आराम से वो मौका ए वारदात से रवाना हो जाते हैं.

इस दहला देने वाली वारदात के बाद जल्द ही विजयवाड़ा पुलिस मौके पर थी. कार में एक साथ तीन-तीन लाशें पड़ी थीं. एक लाश ड्राइवर की बगलवाली सीट पर, जबकि बाकी दो लाशें पिछली सीट पर. लेकिन हैरतअंगेज तौर पर इस भयानक गोलीबारी में टवेरा का ड्राइवर साफ बच निकला था.

Advertisement

एक करोड़ की सुपारी
सवाल ये था कि आखिर कौन थे ये कातिल? क्यों ली इन्होंने तीन-तीन लोगों की जान? आखिर मरनेवालों से कातिलों की क्या दुश्मनी थी? और सबसे अहम ये कि इस कत्लेआम के बाद कातिल कहां फ़रार हो गए? जाहिर है पुलिस को अभी इन तमाम सवालों का जवाब ढूंढ़ना था. लिहाजा, उन्होंने शुरुआत मरनेवालों की पहचान पता करने से की. जल्द ही वायरलेस के जरिए गाड़ी का नंबर और दूसरी तमाम जानकारियां पूरे जिले में फ्लैश करवाई गई और थोड़ी ही देर में तफ्तीश और ड्राइवर से हुई पूछताछ के बाद इस शूटआउट का शिकार बने तीनों की पहचान साफ हो गई. तीनों रिश्ते में सगे भाई और फेस रीडिंग और ज्योतिष का काम करनेवाले कारोबारी थे.

चूंकि ये मामला बेहद संगीन था, पुलिस ने भी अपनी तफ्तीश तेजी से आगे बढ़ाई. अगले चंद दिनों में जैसे-जैसे पुलिस की तफ्तीश आगे बढ़ी एक के बाद एक कई चौंकानेवाली बातें भी सामने आ गईं. और इन्हीं बातों में से एक थी, इस कत्ल के लिए दी गई सुपारी. जी हां, इस ट्रिपल मर्डर के लिए कोई लाख, दस लाख नहीं... बल्कि पूरे एक करोड़ की सुपारी दी गई थी.

यकीनन हाल के दिनों में हिंदुस्तान में किसी की जान लेने के लिए दी गई ये सबसे बड़ी सुपारी थी.

Advertisement

लेकिन अभी कई सवाल ऐसे थे, जिनका जवाब सामने आना बाकी था. सवाल ये कि इन तीन भाइयों के कत्ल के लिए आखिर किसने दी एक करोड़ की सुपारी? क्या थी उसकी इन भाइयों से दुश्मनी? क्यों पूरी दुनिया की फेस रीडिंग करने और तकदीर बतानेवाले ये तीन भाई अपने ही आने वाले बुरे वक्त का पता नहीं लगा सके?

विजयवाड़ा में हुई इस शूटआउट की वारदात से पूरा इलाका सहम गया था. बीच सड़क पर एक साथ तीन-तीन भाइयों को जिस तरह से मौत के घाट उतारा गया था, उसने हरेक को सन्न कर दिया था. शूटआउट तीन ऐसे भाइयों को, जिन्हें दुनिया नागार्जुन बंधुओं के नाम से जानती थी और जो दूसरों का चेहरा पढ़ कर और ज्योतिषीय विद्या के सहारे उनकी तकदीर बताया करते थे.

दूसरों की तकदीर जानते थे, अपना नहीं
उधर, मामले की जांच में जल्द ही ये साफ़ हो गया कि धंधे में एक-दूसरे से आगे निकलने के चक्कर में नागार्जुन बंधुओं की उसी इलाके के कुछ और फेस रीडर बंधुओं यानी गोविंदु बंधुओं से पुरानी दुश्मनी थी और ये दुश्मनी निकाय चुनाव और दोनों तरफ के लड़के-लड़कियों की दोस्ती की वजह से कुछ और गहरी हो गई थी.

लेकिन नागार्जुन और गोविंद बंधुओं की दुश्मनी का ये पहला अंजाम नहीं था. बल्कि इससे पहले 6 अप्रैल 2014 को हुई कत्ल की एक वारदात से दोनों पक्षों में खून खराबे की शुरुआत हो चुकी थी. तब गोविंद बंधुओं में से एक गुथम दुर्गा राव को किसी ने मौत के घाट उतार दिया था और जैसा कि शक था, तब तफ्तीश में इन्हीं नागार्जुन बंधुओं का नाम सामने आया था.

Advertisement

दिल्ली से बुलाए गए थे शूटर
अब पुलिस के लिए लाईन ऑफ इनवेस्टिगेशन यानी जांच की दिशा तकरीबन साफ हो चुकी थी. यानी ट्रिपल मर्डर का शक गोविंद बंधुओं पर ही था. लेकिन गोविंद बंधुओं के इस कत्ल के पीछे शामिल होने के लिए अभी पुलिस को कई सबूत जुटाने थे. लेकिन इसी कड़ी में पुलिस को जो नई बात पता चली, उससे उसके कान खड़े हो गए. ये साफ हुआ कि इस शूटआउट के लिए पूरे एक करोड़ रुपए की सुपारी दी गई थी और इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए किराए के कातिल देश की राजधानी दिल्ली से बुलाए गए थे.

इधर सुपारी दी, उधर लाशें बिछीं
दरअसल, गोविंद आंध्र प्रदेश के जिस झंगलु बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं, उसी बिरादरी के कई लोग दिल्ली में भी हैं. और नागार्जुन बंधुओं को ठिकाने लगाने के लिए इस बार गोविंद बंधुओं ने अपने इसी संबंधों का फायदा उठाने का फ़ैसला किया था. उन्होंने दिल्ली में रहनेवाले अपने रिश्तेदारों से संपर्क साधा और कुछ ऐसे सुपारी किलर्स का इंतजाम करने की बात कही, जो आंध्र प्रदेश में आकर काम भी कर जाए और किसी को कानों-कान पता भी ना चले. अब शह मात के इस खेल में आखिरी बाज़ी चली जानी थी. और फिर इधर एक करोड़ की सुपारी कि डिलिवरी हुई और उधर विजयवाड़ा में एक साथ तीन लाशें गिर गईं.

Advertisement
Advertisement