बात 2020 की है. फरीदाबाद की कोर्ट में एक गैंगस्टर की पेशी थी. अचानक वहां उस गैंगस्टर के दर्जनभर साथी पहुंच जाते हैं. फिर वे गोलियां चलाते हुए पुलिस हिरासत से उस गैंगस्टर को निकालकर वहां से फरार हो जाते हैं. इसके बाद उस गैंगस्टर के सिर पर 7 लाख का इनाम रखा जाता है. इस घटना के बाद से ही वो गैंगस्टर देश छोड़कर भाग निकला.
इसी तरह 2015 की बात है. एक दूसरा गैंगस्टर जिसे पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस ने रात-दिन एक कर रखा था. उसकी तलाश में पुलिस ने एक बाद एक दर्जनभर बदमाशों को गिफ्तार किया, तब जाकर वो शातिर गैंगस्टर पुलिस के हाथ आया. इसके बाद उसे तिहाड़ जेल भेज दिया गया. लेकिन वो जेल से भी अपना गैंग चला रहा है. ये वही दो गैंगस्टर हैं, जिनका रिश्ता रेसलर सुशील कुमार से है.
कई लोगों के मन में सवाल है कि आखिर कौन हैं ये दिल्ली के दो टॉप गैंगस्टर? कहां से हुई इनकी शुरुआत? कैसे बन गए ये दिल्ली के सबसे बड़े डॉन? और कैसे बढ़ी इनकी पहलवान सुशील कुमार से नज़दीकी? आज हम आपको इन दोनों गैंगस्टर्स के बारे में बताने जा रहे हैं. तो इस कड़ी में सबसे पहले बात इन दिनों दिल्ली के सबसे चर्चित गैंगस्टर काला जठेड़ी की.
कौन है काला जठेड़ी?
सुशील कुमार जैसी हस्ती को सबक सिखाने की धमकी देनेवाले काला जठेड़ी की शुरुआत कहां से हुई? वो इतना बड़ा गैंगस्टर कैसे बना? उसके ऊपर किसका हाथ था? उसकी मॉडस आपरेंडी क्या है? ये सब जानना कम अहम नहीं है. काला जठेड़ी का जन्म आज से 31 साल पहले सोनीपत के राई में मौजूद जठेड़ी गांव में हुआ. घरवालों ने उसका नाम संदीप रखा और उसे लेकर बड़े-बड़े ख्वाब देखे. लेकिन काला को होश संभालते ही जुर्म का चस्का ऐसा लगा कि उसने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उसने मारपीट और लूटपाट की छोटी-मोटी वारदातों से इसकी शुरुआत की.
लेकिन जून 2009 में हरियाणा के सांपला में लूट और क़त्ल की एक बड़ी वारदात को अंजाम देकर वो रातों-रात सुर्खियों में आ गया. उन दिनों काला पुराने गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई के संपर्क में था. लॉरेंस की पुश्तो-पनाही में ही उसने इस वारदात को अंजाम दिया. पहले तो पुलिस ने इसे लॉरेंस का ही काम समझा था, लेकिन बाद में उसे पता चला कि इसका असली मास्टरमाइंड तो संदीप उर्फ़ काला है यानी काला जठेड़ी. लेकिन अभी पुलिस काला तक पहुंच पाती, इससे पहले ही उसने हरियाणा के गोहाना में रंजिश के चलते एक शख्स की जान ले ली.
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रंजिश में कत्ल करने के बाद संदीप से काला जठेड़ी बन चुका था. अव्वल तो उसका ताल्लुक जठेड़ी गांव से था और दूसरा उसके सांवले रंग की वजह से लोग उसे काला जठेड़ी बुलाने लगे थे. हालांकि गुरुग्राम के पास जठेड़ी नाम के एक और गांव से भी कुछ लोग काला जठेड़ी को जोड़ कर देखते हैं. काला जठेड़ी सिर्फ़ 12वीं तक पढ़ाई की और इसके बाद केबल ऑपरेटर का काम शुरू कर दिया. उसने सबसे पहले जून 2009 में सांपला में लूट के दौरान एक कत्ल किया. फिर 2010 में गोहाना में एक और शख्स की जान ले ली. इसके बाद कई और वारदातों को अंजाम देने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया.
साल 2015-16 में उसे कत्ले के एक मामले में ताउम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई. लेकिन 2 फरवरी 2020 को जठेड़ी ने तब सबको चौंका दिया, जब गुरुग्राम में पेशी के दौरान वो फरीदाबाद पुलिस के चंगुल से भाग गया. बदमाशों ने जठेड़ी को लेकर फरीदाबाद पहुंची पुलिस पर चारों तरफ से गोलियां चला कर काला जठेड़ी को छुड़ा लिया. इसके बाद हरियाणा पुलिस ने काला पर पूरे 7 लाख रुपये का इनाम रखा और दिल्ली पुलिस ने उस पर मकोका के तहत कार्रवाई शुरू कर दी. अब हरियाणा के अलावा दिल्ली, पंजाब, यूपी, राजस्थान, उत्तराखंड और चंडीगढ़ पुलिस को काला की तलाश है.
सूत्रों की मानें तो हरियाणा पुलिस के चंगुल से भागने के बाद काला पहले नेपाल भागा. फिर वहां से थाईलैंड और मलेशिया होते हुए वो दुबई जा पहुंचा और वहीं से अपने जुर्म का साम्राज्य चला रहा है. यहां रहते हुए काला जठेड़ी एक हार्डकोर क्रिमिनल की तरह ऑपरेट करता था, लेकिन देश से बाहर जाने के बाद वो किसी सफेदपोश बदमाश की तरह काम करने लगा है.
पुलिस के सूत्र बताते हैं कि काला की नज़र दिल्ली एनसीआर समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में प्राइम लोकेशंस पर मौजूद ऐसी प्रॉपर्टीज़ पर होती है, जिन पर वो कब्ज़ा कर सकता है. पहले उसके गुर्गे इसके लिए रेकी करते हैं, फिर धीरे-धीरे उस प्रॉपर्टी में एंट्री लेते हैं और फिर कभी जबरद्स्ती से तो कभी धोखे से उन प्रॉपर्टीज़ पेपर हथिया लेते हैं. इस कड़ी में अगर कोई ज़्यादा विरोध करता है, तो फिर काला जठेड़ी उस पर ख़ौफ़ पैदा करता है कि प्रॉपर्टी का मालिक हार कर या तो समझौता कर लेता है या फिर पीछे हट जाता है.
पुलिस सूत्रों की मानें तो काला जठेड़ी से नज़दीकी के बाद ओलंपियन सुशील कुमार भी डिस्प्यूटेड प्रॉपर्टीज़ के मामलों में रुचि लेने लगे थे. समझौते करवाने लगा. मॉडल टाउन में भी करीब तीन करोड़ रुपये का एक फ्लैट भी दोनों ने कुछ इसी तरह हासिल किया था. जिसमें इन दिनों काला के गुर्गे और सागर धनखड़ रह रहा था. लेकिन अब काला इस फ्लैट को बेच कर रुपये बटोरना चाहता था, जबकि सुशील कुमार फ्लैट पर दोबारा कब्जा करना चाहते थे और यही से दोनों के बीच में अदावत की शुरुआत हो गई.
इस अदावत ने सुशील कमार को काला के दुश्मन और दिल्ली के सबसे बड़े गैंगस्टर नीरज बवाना के पास ला दिया. सुशील को कांटे से कांटा निकालने के लिए काला के खिलाफ़ नीरज जैसे किसी किरदार की ज़रूरत थी और नीरज के लिए ये सुशील जैसे बड़े नाम और पहलवानों का सबसे बड़ा मेंटर से जुड़ने का एक सुनहरा मौका था.
कौन है नीरज बवाना उर्फ नीरज सहरावत?
आइए अब आपको बताते हैं दिल्ली के सबसे बड़े गैंगस्टर नीरज बवाना की कहानी. दिल्ली का ये सबसे बड़ा गैंगस्टर फिलहाल तिहाड़ जेल की सलाखों के पीछे है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे साल 2015 में मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया था. अत्याधुनिक अमेरिकी ऑटोमैटिक गन के साथ गिरफ्तार नीरज जेल तो चला गया, लेकिन कहते हैं कि आज भी तिहाड़ जेल में उसकी तूती बोलती है. और वो जेल में बैठे-बैठे ही बड़े आराम से फिरौती और वसूली का कारोबार चला रहा है.
दिल्ली और आस-पास के इलाक़े में नीरज के नाम का खौफ कितना है, इसका अंदाज़ा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके नाम से एक फोन भर करने पर दिल्ली के अमीर और प्रभावशाली लोगों में खौफ हो जाता है. अपनी गिरफ्तारी से पहले नीरज दिल्ली और आस-पास के इलाकों में सौ से ज़्यादा मामलों में वॉन्टेड था. इनमें लूटपाट, डकैती, फिरौती, रंगादारी और क़त्ल जैसे संगीन मामले शामिल थे. सालों से उसकी तलाश में जुटी पुलिस ने उस पर काफी पहले ही मकोका भी लगा दिया था.
अब बात नीरज सहरावत के नीरज बवाना बनने की. नीरज ने साल 2004 में तब पहला कत्ल किया था, जब वो नाबालिग था. इसके बाद नीरज ने कुख्यात अमित भूरा को ना सिर्फ भरी अदालत से जबरदस्त फायरिंग कर भगा लिया. बल्कि पुलिस की एके-47 राइफल भी लूट ले गया. दिल्ली के एक पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता रामबीर शौकीन पर नीरज को संरक्षण देने का आरोप है और इन दिनों खुद शौकीन भी जेल में बंद हैं.
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नीरज पर कई मामले तो पहले से ही दर्ज थे. लेकिन 2013 में जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद वो फरार हो गया. इसके बाद उसने न सिर्फ एक बाद एक कई संगीन वारदातों को अंजाम दिया, बल्कि दिल्ली के एक पूर्व विधायक जसवंत राणा से 50 लाख रुपये की रंगदारी भी मांगी. नीरज का ख़ौफ इतना था कि दिल्ली के कई कांग्रेसी विधायकों ने मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित से अपनी जान की हिफाजत के लिए फरियाद भी लगाई थी.
नीरज बवाना भले ही तिहाड़ जेल में बंद है लेकिन अब भी जुर्म की दुनिया में उसका सिक्का चलता है. बाहरी दिल्ली के बवाना के रहनेवाले नीरज ने जब पहला कत्ल किया था, तब उसकी उम्र 17 साल थी. देखते ही देखते नीरज ने दिल्ली एनसीआर में अपराधियों का सबसे बड़ा गैंग बना लिया. इस वक्त नीरज के गैंग में करीब 100 से ज़्यादा क्रिमिनल काम करते हैं. जिनमें कई तो नीरज के साथ ही जेल में बंद हैं, जबकि कई बाहर हैं. साल 2015 में नीरज को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस ने पूरे डेढ़ साल तक अभियान चलाया था. इस काम में 35 से ज़्यादा गुर्गों के पकड़े जाने के बाद तब उसकी बारी आई और उसे स्पेशल सेल ने धर दबोचा.
उसने एक बार अपने दुश्मन नवीन बाली को मारने के लिए अपने दस गुर्गों को रोहिणी कोर्ट में भेजा था, लेकिन वहां पुलिस से उनकी मुठभेड़ हो गई और उसके इरादे नाकाम हो गए. नीरज को छोड़िए, नीरज की मां और भाई भी अपने साथ कारतूस लेकर हवाई अड्डे में घुसने की कोशिश करते हुए पकड़े जा चुके हैं. इन दिनों नीरज भी जबरन वसूली और दूसरे जुर्म के साथ-साथ प्रॉपर्टीज़ हथियाने का काम करता है.
दिल्ली, हरियाणा के अखाड़ों से मिलती है गैंगस्टर्स को मैनपॉवर
काला जठेड़ी, नीरज बवाना और ऐसे ही दूसरे गैंगस्टरों को अपने उल्टे सीधे काम के लिए तगड़े और ताकतवर लड़कों की ज़रूरत होती है. उनकी ये ज़रूरत पूरी होती है दिल्ली और हरियाणा के अखाड़ों से. ये सच है कि अखाड़े में मेहनत करनेवाला हर लड़का ना तो बड़ा पहलवान बन सकता है और ना ही खेल की दुनिया में बुलंदियों को छू सकता है. ऐसे में इनमें से बहुत से लड़के या तो बाउंसर बन कर किसी एजेंसी के साथ काम करने लगते हैं या फिर किसी गैंगस्टर के गुर्गे बन कर उन्हें प्रोटेक्ट करने लगते हैं.
सूत्रों की मानें तो सुशील कुमार इन दिनों ऐसे ही गैंगस्टरों को पहलवानों की सप्लाई में लगे थे. पहले उनका तालमेल काला जठेड़ी के साथ रहा, लेकिन जब बात बिगड़ी तो वो नीरज के करीब आए और 4 मई को हुई काला के गुर्गों की पिटाई और सागर धनखड़ की मौत में नीरज के गुर्गे और कुछ दूसरे गैंगस्टरों ने सुशील कुमार का पूरा साथ दिया. लेकिन अब जब बात बिगड़ गई. काला जेठड़ी सुशील कुमार को निशाना बनाना चाहता है, जबकि नीरज बवाना उनके साथ खड़ा है.
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