संदेशखाली में अब एनआईए की एंट्री हो सकती है. बहुत जल्द इस मामले में एनआईए केस दर्ज कर सकती है. पूरे देश में हो हल्ला होने के बावजूद टीएमसी नेता और इस इलाके के सबसे बड़े दादा शाहजहां शेख की गिरफ्तारी नहीं हुई है. ऐसे में खबर सामने आ रही है कि एनआईए जल्द ही इस मामले की गहराई से जांच शुरू कर सकती है. अभी तक जो कुछ भी सामने आया है उससे ये साफ हो गया है कि यहां की घटनाओं के पीछे इलाके के गुंडों के अलावा राज्य के बाहर के असामाजिक तत्वों की भी मिलीभगत है. यहां बहुत सुनियोजित और संयोजित तरीके से माहौल को अशांत बनाया गया है.
संदेशखाली में एनआईए जांच की वजह यह है कि बड़ी संख्या में महिलाओं का यौन उत्पीड़न और जबरन जमीन कब्जे के आरोपी बंग्लादेश सीमा के पास रहते हैं. पिछले कई सालों से उनकी संदेशखाली में ऐसी गतिविधियां चल रही थी. बताया जा रहा है कि राज्य के राज्यपाल ने केंद्र सरकार को इस सिलसिले में एक सीक्रेट फाइल पहुंचाई है. इसमें संदेशखाली को लेकर पूरी रिपोर्ट है. इस फाइल के खुलते ही संदेशखाली के गुनहगारों के बुरे दिन शुरू हो जाएंगे, जिसकी जांच की आंच वेस्ट बंगाल सरकार तक पहुंचनी तय है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने संसद की विशेषाधिकार समिति के नोटिस पर रोक लगा दी है.
संदेशखाली में 13 वर्षों से जारी जुर्म की हुकूमत, घिनौना अत्याचार
हिन्दुस्तान की हद में होने के बावजूद पश्चिम बंगाल के संदेशखाली के इलाके में जुर्म की हुकूमत कायम है. टीएमसी के उन तीन नेताओं के इर्द गिर्द संदेशखाली का पूरा सच छुपा हुआ है, जिनमें से दो अंदर हैं जबकि एक लापता है, जो कि असली मास्टरमाइंड है. इनके नाम उत्तम सरकार, शिबू हजारा और शाहजहां शेख है. पिछले 13 सालों से संदेशखाली में दमन, शोषण और जुल्म ने यहां की महिलाओं का जीना हराम कर दिया है. इल्जाम है कि इलाके के 'भाई' शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और इलाके के बेलगाम गुंडे यहां की महिलाओं की इज्जत को तार तार करते आ रहे हैं. उनके साथ घिनौना अत्याचार करते रहे हैं.
सवाल पुलिस का तो उसने खुद को गांधी का बंदर मान लिया और कान आंख बंद कर ली. पुलिस कोई भी कार्रवाई करने से कतराती रही है. लेकिन अब चौतरफा दबाव पड़ने के बाद पुलिस हरकत में आई है. दिखावा ही सही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने में लगी है. मुख्य आरोपी शाहजहां शेख को पकड़ने के लिए एक स्पेशल टीम गठित की गई है. इसके साथ ही इस इलाके की महिलाओं की शिकायत सुनने और दर्ज करने के लिए 10 महिला पुलिस अफसरों की एक टीम अलग से बनाई गई है. दूसरी तरफ महिला आयोग की टीम यहां का दौरा कर रही है. महिलाओं से उनके साथ हुए अत्याचार की कहानियां सुन रही है.
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संदेशखाली का असली खलनायक है टीएमसी नेता शाहजहां शेख
यहां एक बड़ा सवाल ये भी है कि आखिर संदेशखाली का खलनायक शाहजहां शेख कहां लापता है. क्यों इसका रसूख इतना ज़्यादा है कि बंगाल की सत्ताधारी पार्टी उसे बचाने पर आमादा है. 42 साल का शेख अपनी दबंगई की वजह से लोगों के बीच में 'भाई' के नाम से मशहूर है. पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना और बंग्लादेश बॉर्डर के नजदीक रहने वाला शेख एक छोटे से मछुआरे के रूप में काम करता था. मछली पालन और ईंट भट्टों में मजदूरी करता था. मजदूरी करते-करते साल 2004 में यूनियन का नेता बन गया. इस टीएमसी नेता की राजनीतिक शुरुआत साल 2006 में वामपंथी शासन में हुई थी.
सीपीआई एम के कद्दावर नेता एम शेख के खास सहयोगी बनने के बाद उसका सियासी ओहदा बढ़ गया. अवैध वसूली और अनैतिक हरकतों के बावजूद राजनीतिक रसूख की वजह से कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद साल 2012 में टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल रॉय की देखरेख में पार्टी में शामिल हुआ. शाहजहां शेख पूर्व वन मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक का बेहद करीबी है, जो कि राशन घोटाले के एक मामले में ईडी की हिरासत में हैं. इतना ही नहीं शेख अपने उग्र भाषणों और सांगठनिक कौशल के लिए भी जाना जाता है. लेकिन अब पानी सिर से ऊपर निकलने के बाद केंद्र सरकार ने संदेशखाली की फाइल केंद्रीय जांच एजेंसी के हवाले करने का इरादा कर चुकी है.
घर-घर जाकर सुंदर महिलाओं की तलाश करते थे शेख के गुंडे
संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं ने जो आपबीती सुनाई है, उसे सुनकर किसी का भी दिल दहल सकता है. महिलाओं ने शाहजहां शेख और उसके समर्थकों पर अत्याचार करने, यौन उत्पीड़न करने और जमीन कब्जाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. एक महिला ने तो यहां तक कहा है कि टीएमसी के लोग गांव में घूमकर घर-घर जाकर चेक करते हैं. सुंदर महिलाओं की तलाश करते हैं. इसके बाद घर में कोई सुंदर महिला या लड़की दिखती है तो टीएमसी नेता शाहजहां शेख के लोग उसे अगवा कर ले जाते हैं. उसे पूरी रात अपने साथ पार्टी दफ्तर या किसी अन्य जगह पर रखकर हवस का शिकार बनाते हैं. अगले दिन उसके घर के सामने लाकर छोड़ जाते हैं.