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कोई प्यार तो कोई अवैध संबंधों में बना कातिल, किसी का गुस्सा जानलेवा... दिल दहला देंगे मियां, बीवी और मर्डर के ये आंकड़े

मियां-बीवी के बीच नोंकझोंक और मजाक तो तब से चले आ रहे हैं जब टीवी, मोबाइल, इंटरनेट, सोशल मीडिया कुछ भी नहीं था. लेकिन बात नोंकझोंक से आगे बढ़कर मियां-बीवी को ड्रम, फ्रिज, कुकर, बैग, दीवार, फर्श और बेड के अंदर तक लाश बनाकर पहुंचा देगी, ये अब लगभग हर दूसरे या चौथे दिन देखने को मिल रहा है.

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पिछले कुछ दिनों से ऐसी घटनाएं सामने आई हैं कि लोग दहशत में हैंं
पिछले कुछ दिनों से ऐसी घटनाएं सामने आई हैं कि लोग दहशत में हैंं

पिछले कुछ वक्त से देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी खबरें आ रही हैं, जिनमें पति पत्नी का और पत्नी पति का कत्ल कर देती है. यूनाइटेड नेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल करीब 50 हजार महिलाओं या लड़कियों का कत्ल हो जाता है. ऐसे 60 फीसदी मामलों में कातिल कोई अपना पार्टनर, पति या फिर कोई फैमली मेंबर होता है. एक रिपोर्ट कहती है कि देशभर में हर साल औसतन सवा दो सौ लोगों को उनकी पत्नियां कत्ल कर देती हैं. और लगभग पौने तीन सौ पत्नियां अपने पति के हाथों मारी जाती हैं.

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वो दौर अलग था, जब मुहब्बत में जान देने की बातें हुआ करती थीं. ये दौर अलग है, यहां मुहब्बत खुद दिलों में खंजर उतार कर अपनी ही मुहब्बत की जान ले रही है. इस वक्त हम लगभग 140 करोड़ हैं. इस 140 करोड़ की आबादी के बीच हर दिन हर महीने हर साल न जाने कितने ही जुर्म होते हैं. मगर इन दिनों घर घर में कुछ घटनाओं की बातें हो रही हैं. उन पर मीम्स बन रहे हैं. जोक्स बनाए जा रहे हैं. मजाक उड़ाया जा रहा है. फिर सब करने के बाद आखिर में हर कोई अचानक बेहद गंभीर होकर एक ही बात कह रहा है. ये आजकल हो क्या रहा है? 

मियां-बीवी के बीच नोंकझोंक और मजाक तो तब से चले आ रहे हैं जब टीवी, मोबाइल, इंटरनेट, सोशल मीडिया कुछ भी नहीं था. लेकिन बात नोंकझोंक से आगे बढ़कर मियां-बीवी को ड्रम, फ्रिज, कुकर, बैग, दीवार, फर्श और बेड के अंदर तक लाश बनाकर पहुंचा देगी, ये अब लगभग हर दूसरे या चौथे दिन देखने को मिल रहा है. एक साथ ऐसे मामलों को खबरों या टीवी स्क्रीन पर जगह देना भी मुश्किल है. इसलिए एक काम करते हैं. ऐसे पति-पत्नी को दो वर्गों में बांट देते हैं. एक वर्ग में वो पति जिनका कत्ल उनकी पत्नी ने किया. और दूसरे वर्ग में वो पत्नी जिन्हें खुद उनके पति ने मारा.

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वैसे ये तो बस हाल की घटनाएं हैं. अगर गड़े मुर्दे उखाड़े जाएं तो पता नहीं ऐसे कितने ही वर्गों में उनको खपाना पड़ जाएगा. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सात जन्मों की कसमें खाने वाली या कसमें खाने वाले पति-पत्नी पहला जनम तो छोडिए पहली रात, दूसरे दिन, पहले हफ्ते, या 15 दिन के अंदर ही अपने हाथों से एक दूसरे की जान क्यों ले रहे हैं? इनमें वो पति पत्नी भी शामिल हैं, जिन्होंने घरवालों और पूरी दुनिया से बगावत कर अपनी मर्जी से लव मैरिज की. और वो भी शामिल हैं, जिन्होंने घरवालों की मर्जी से शादी की.

इसकी दो मिसालें तो सबसे ताजा है. ये ड्रम वाली मुस्कान ने सौरभ से लव मैरिज की थी. लव के चक्कर में सौरभ ने अपने घरवालों तक से रिश्ता तोड़ लिया था. घरवाले उसे बेदखल कर चुके थे. मगर मुस्कान का वही लव अचानक इस साहिल का लव बन गया और सौरभ ड्रम में पहुंच गया. ये दूसरी मिसाल है. औरेया की प्रगति. घरवालों ने एक करोड़पति कारोबारी दिलीप से इसका रिश्ता तय किया. दोनों के घरवालों और दूल्हा-दुल्हन की रजामंदी से शादी हुई. मगर प्रगति ने शादी के पंद्रवें दिन ही मुंह दिखाई का पैसा सुपारी किलर को दे दिया. और 15 दिन पुराने अपने पति दिलीप को निपटा दिया.

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आप जानकर हैरान रह जाएंगे मियां-बीवी के लिए सबसे घातक और खतरनाक जगह वही घर है, जिस घर को बसाने के लिए दोनों एक रिश्ते में बंधते हैं. हालांकि पति के हाथों पत्नी की और पत्नी के हाथों पति के कत्ल की कितनी वारदातें हुईं? इसका सही सही आंकड़ा किसी भी रीसर्च या जांच एजेंसी के पास नहीं है. पर फिर भी कुछ एजेसियों ने इस पर सर्वे किया है. 

यूनाइटेड नेशन ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम यानि UNODC की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में हर ग्यारवें मिनट में एक महिला या लड़की का कत्ल होता है. इनमें से औसतन हर रोज 140 महिलाओं या लड़कियों का कत्ल उनके घर के अंदर होता है. 25 नवंबर 2024 में जारी UNODC की सबसे ताजा रिपोर्ट कहती है कि साल 2023 में दुनिया भर में कुल 51 हजार 100 महिलाओं और लड़कियों का कत्ल हुआ है. इनमें से 60 फीसदी के करीब कत्ल महिलाओं या लड़कियों के अपने पार्टनर, पति या फैमिली मेंबर ने किया. 

इसी UNODC की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में दुनिया भर में कुल 48 हजार 800 महिलाओं और लड़कियों के कत्ल हुए थे और इनमें से भी 60 फीसदी से ज्यादा कत्ल पार्टनर, पति या फैमिली मेंबर ने ही किए थे. 2022 में ऐसे मामलों में अफ्रीका पहले नंबर पर था और एशिया दूसरे नंबर पर. पर अब 2023 में एशिया पहले नंबर पर है और अफ्रीका दूसरे नंबर पर. UNODC का एक और आंकड़ा कहता है कि पार्टनर पति या रिलेशनशिप में दुनिया भर में जितने कत्ल होते हैं, उसकी 58 फीसदी शिकार महिलाएं या लड़कियां होती हैं. लेकिन चौंकाने वाला आंकड़ा ये भी है कि इसी पार्टनर और रिलेशनशिप की वजह से 42 फीसदी पुरुषों का भी कत्ल होता है. यानि गैप ज्यादा नहीं है.

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ब्रिटिश मेडिकल जनरल लेनसेट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 60 फीसदी महिलाओं के कत्ल करंट या एक्स पार्टनर की वजह से होती है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में महिलाओं के कत्ल का सबसे ज्यादा खतरा उन्हीं के मौजूदा या पूर्व पार्टनर से ही होता है. जबकि पूर्व या मौजूदा महिला पार्टनर के हाथों पुरुषों के कत्ल का प्रतिशत सिर्फ साढ़े 6 फीसदी है. ये सर्वे वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने लंदन स्कूल ऑफ हाइजिन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड साउथ एफ्रिकन मेडिकल रिसर्च काउंसिल के साथ मिलकर किया है.

भारत में क्राइम का डाटा रखने वाली NCRB यानि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो भी अलग से ये जानकारी नहीं देती है कि देश में हर साल कितने पति अपनी पत्नी का या पत्नी अपने पति का कत्ल करती हैं. लेकिन लव अफेयर और संबंधों को लेकर होने वाले कत्ल के बारे में NCRB डाटा जरूर देती है. NCRB के सबसे ताजा 2022 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इश्क और रिश्तों में लोग अब जान नहीं देते. जान लेते हैं. भारत में जिन वजहों से सबसे ज्यादा कत्ल होते हैं. उनमें लव अफेयर और शादी के बाद संबंधों के मामलों में होने वाला कत्ल तीसरे और चौथे नंबर पर आता है. देश में होने वाले हर 10 में से औसतन एक कत्ल किसी ना किसी आशिक-माशूक या पति-पत्नी के हाथ से ही होता है.

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NCRB के 2022 के आंकडों के मुताबिक पूरे देश में कुल 28 हजार 522 कत्ल के मामले सामने आए. ये तमाम कत्ल 19 अलग अलग वजहों से हुए. मसलन, निजि दुश्मनी, सांप्रदायिक और धार्मिक वजह, राजनीतिक वजह, डायन प्रथा, जातिवाद, विवाद, या लूट-डकैती. पर परेशान करने वाली बात ये है कि इन 19 वजहों में से तीसरी और चौथी नंबर पर कत्ल की जो वजह बनी वो इश्क, धोखा, फरेब और शादी के बाद के संबंध थे. 28 हजार 522 कत्ल के कुल मामलों में से कुल 2 हजार 821 कत्ल इसी वजह से हुए.

ऐसा नहीं है कि इश्क में पहले कत्ल नहीं हुआ करते थे. पहले भी आशिकों ने हाथों में खंजर या तमंचे उठाए हैं. लेकिन 2010 के बाद से पति-पत्नी, इश्क, बेवफाई और अवैध संबंध की वजह से होने वाले कत्ल की तादाद तेजी से बढ़ी. पिछले 15 सालों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साफ पता चलता है कि जैसे जैसे सोशल मीडिया का चलन बढ़ा पति पत्नी के रिश्ते, शादी के बाद के संबंध और इश्क और खूनी होता चला गया.

आंकड़ों के हिसाब से 2010 से 2014 के दरम्यान लव अफेयर और संबंधों की वजह से होने वाले कत्ल का प्रतिशत 7 से 8 फीसदी था. लेकिन 2015 से 2022 के दरम्यान ये बढ़कर 10 से 11 फीसदी हो गया. और ये गिनती लगातार बढ़ती जा रही है. NCRB के ही एक डेटा के मुताबिक 2022 में देशभर में खुदकुशी के कुल 17 हजार 924 केस दर्ज हुए थे. जिनमें से अकेले शादी से जुड़े मामलों में 8 हजार 204 पति या पत्नी ने खुदकुशी की. जबकि इश्क के चलते 7 हजार 692 प्रेमी जोड़ों में से किसी एक ने खुदकुशी कर ली. इसके अलावा अवैध संबंधों की वजह से भी 855 लोगों ने खुदकुशी की.

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NCRB के अलावा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के एक आंकड़ें के मुताबिक 4 फीसदी शादीशुदा महिलाओं ने ये माना है कि वो अपने पति को शारिरिक तौर पर चोट पहुंचाती है. इसी तरह स्टडी ऑफ इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंस IIPS की एक रिपोर्ट के मुताबिक वो नौकरीपेशा महिलाएं जो पैसे कमाती हैं और मोबाइल का इस्तेमाल करती हैं अपने पति से ज्यादा झगड़ती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं की जैसे जैसे उम्र बढती जाती है वो अपने पति से ज्यादा झगड़ने लगती हैं. जबकि पति के मामले में ये उल्टा है. पति की उम्र जैसे जैस बढ़ती है वो बीवियों से झगड़ा कम करने लगते हैं.

IIPS की ये रिपोर्ट ये भी कहती है कि न्यूक्लियर फैमिली में पति पत्नी के बीच हिंसक लड़ाई ज्यादा होती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर एक हजार पति में से 29 पति अपनी पत्नियों की हिंसा का शिकार होते हैं. जबकि न्यूक्लियर फैमिली में यही आंकड़ा पत्नियों के लिए हर एक हजार में 32 है. वैसे पति पत्नी से जुड़े दर्ज कत्ल के केसेज के एक आंकड़े के मुताबिक 2022 में देशभर में पत्नी के हाथों पति के 220 कत्ल के मामले सामने आए थे. इसी दौरान पति के हाथों पत्नी के कत्ल के 270 से ज्यादा मामले सामने आए. फिलहाल 2025 की तो अभी शुरुआत है. 24 का आंकड़ा NCRB ने अभी जारी नहीं किया है. 

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लेकिन रिपोर्ट होने वाले आंकड़े डरावने हैं और इन्हीं आंकड़ों को सच करके जब मुस्कान, साहिल, प्रगति, राकेश रौशन ना जाने ऐसे कितने ही नाम और ऐसी कितनी ही तस्वीरें सामने आती हैं तो अहसास करा जाती हैं कि अब मुहब्बत उस अहसास का नाम नहीं रहा जो कभी हर दिल में रहा करता था. वो दौर अलग था, जब नाकाम मोहब्बत में एक दिल के टुकड़े हजार हुआ करते थे. कोई य़हां गिरता था, कोई वहां गिरता था. अब दौर बदल चुका है आज आशिक दिल के टुकड़े पर नहीं रुकते बल्कि जिस मोहब्बत का दम भरते हैं, जिस मोहब्बत में जीने मरने की कसमें खाते हैं, उसी मोहब्बत के सीधे टुकड़े कर डालते हैं. जिसकी सच्चाई जब तब कभी ड्रम, फ्रिज, कुकर, बैग, दीवार, फर्श और बेड की शक्ल में हमारे सामने आती है.

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