पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे फिलहाल रिहा नहीं होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जिन मामलों में केन्द्रीय एजेंसियों ने
जांच की है, उन मामलों में राज्य सरकार बिना केन्द्र की सहमति के सजा में
छूट या माफ़ी नहीं दे सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु सरकार बिना केंद्र की सहमति के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा नहीं कर सकती है. क्योंकि आजीवन कारावास का मतलब ताउम्र जेल की सजा होता है. अगर कोर्ट ने आदेश में ऐसा लिखा है, तो राज्य सरकार किसी दोषी को नहीं छोड़ सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत के साथ दिया आदेश दिया कि राजीव गांधी के हत्यारों की सज़ा पर फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय बेंच करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि कोई भी राज्य सरकार स्वतः संज्ञान लेकर किसी भी दोषी को रिहा नहीं कर सकती.
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक दोषी को छोड़ने के फ़ैसले के पहले दोषी की तरफसे अर्ज़ी दी जानी चाहिए और साथ ही निचली अदालत के जज से अनुमति लेनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी के तहत दोषी को छोड़ने की प्रक्रिया का पालन करना सभी राज्य सरकारों को होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने यह दिशा निर्देश तमिलनाडु सरकार की उस मंशा के चलते दिए जिसमें उसने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की सजा माफ किए जाने और उन्हें रिहा किए जाने की इच्छा जाहिर की थी.