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रह-रह कर सात बार हिली धरती, नेपाल से लेकर हिंदुस्तान तक कांप उठे लोग

नेपाल में आए सदी के दूसरे सबसे भयानक भूकंप को अभी महज़ 16 दिनों का वक्त गुज़रा ही था कि अचानक नेपाल से लेकर भारत और आस-पास के तमाम इलाकों में आए ज़लज़ले ने एक बार फिर लोगों के पैरों तले जमीन खिसका दी.

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नेपाल में आए सदी के दूसरे सबसे भयानक भूकंप को अभी महज़ 16 दिनों का वक़्त गुज़रा ही था कि अचानक नेपाल से लेकर भारत और आस-पास के तमाम इलाकों में आए ज़लज़ले ने एक बार फिर लोगों के पैरों तले जमीन खिसका दी.

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हिमालय की गोद में बसे छोटे से मुल्क नेपाल पर कुदरती कहर अपनी हर आहट के साथ हंसते-खेलते इंसानों की ज़िंदगी छीन रहा है. पिछले 17 दिनों में ये दूसरा मौका है, जब नेपाल में आए इस जलजले ने बीसियों लोगों की जानें ली हैं और हज़ारों को जीते-जी मार डाला है. ऐसा तब है, जब लोगों की जेहन में 25 अप्रैल के उस जलजले की याद अभी ताजा है , जिसने एक ही झटके में 8 हजार से ज्यादा लोगों को लील लिया था.

मंगलवार दोपहर के ठीक 12 बजकर 35 मिनट पर अचानक ही धरती के नीचे हलचल हुई और देखते ही देखते नेपाल, भारत, चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत. हिमालय के आस-पास के एक बड़े इलाके में भूकंप के झटके महसूस किए जाने लगे. फिर जिसे जहां जगह मिली, वो वहीं भूकंप से बचने की कोशिश करने लगा. जल्द ही सिस्मोग्राफ ने इस भूकंप की रिपोर्ट भी दे दी. ये झटका रिक्टर स्केल पर 7.3 का था. यानी एक ज़ोरदार भूकंप. और इत्तेफाक से इस बार भी भूकंप का ये केंद्र भारत से सटे नेपाल में था. नेपाल के कोडारी में धरती से 19 किलोमीटर नीचे था भूकंप का केंद्र.

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अगले सवा घंटे में एक के बाद एक छह छोटे-बड़े भूकंप के झटकों ने लोगों को हिला कर रख दिया.

दूसरा झटका: दोपहर 12.47 बजे (5.6 की तीव्रता)
तीसरा झटका: दोपहर 01.06 बजे (6.3 की तीव्रता)
चौथा झटका: दोपहर 01.36 बजे (5.0 की तीव्रता)
पांचवा झटका: दोपहर 1.43 बजे (5.1 की तीव्रता)
छठा झटका: दोपहर 1.51 बजे (5.2 की तीव्रता)
सातवां झटका: दोपहर 2.4 बजे (4.2 की तीव्रता)

नेपाल में इस भूकंप के साथ ही तीन बड़े भूस्खलन हुए. जबकि कोडारी, चौतारा और सिंधुपाल इलाके में कई इमारत जमींदोज हो गए.भूकंप की सबसे डरावनी तस्वीर दिखी नेपाल की नेशनल एसेंबली में, जब कोडारी में आए भूकंप के दौरान नेशनल एसेंबली में लगे कैमरों ने भूकंप की तस्वीर को लाइव कैद किया. नेपाल के एसेंबली में तब संबोधन जारी था, लेकिन अचानक भूकंप ने सबकुछ बुरी तरह हिलने लगा. पूरी एसेंबली में भगदड़ मच गई और देखते ही देखते बिजली भी चली गई. मौके की नजाकत को देखते हुए तकरीबन घंटे भर के लिए नेपाल के काठमांडू एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया.

तबाही सिर्फ नेपाल में ही नहीं हुई थी, बल्कि नेपाल के साथ-साथ भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी भूकंप अपनी बर्बादी के निशान छोड़ गया था.एक मोटे अनुमान के मुताबिक अब तक मंगलवार को आए भूकंप में सिर्फ नेपाल में ही 43 लोगों की मौत हो गई. जबकि बिहार में 12 और उत्तर प्रदेश में 2 लोगों की जान चली गई. ठीक इसी तरह नेपाल के अलग-अलग इलाकों में इमारतों के गिरने और मलबों में फंसने से तकरीबन 1000 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए. इस भूकंप में नेपाल के कोडारी, सिंधुपाल गोरखा और दोल्खा जैसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. सूत्रों की मानें तो दोल्खा इलाके में तकरीबन 90 फीसदी यानी करीब 400 मकान इस भूकंप की वजह से धराशायी हो गए.

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आखिर क्यों रह-रह कर कांप उठती है धरती?
इस सवाल के जवाब तो कई हो सकते हैं. कोई इसे आबादी से जोड़ सकता है, तो कोई पाप और पुण्य से. लेकिन हकीकत यही है कि अपनी जमीन के नीचे का ढांचा ही कुछ ऐसा है कि जब उसमें कोई हलचल होती है, तो ऊपर की दुनिया हिलती है. और ये सबकुछ कम रहस्यमयी नहीं.

साइंसदानों की मानें धरती के नीचे की दो अहम प्लेट इंडियन और यूरेशियन प्लेटों के बीच अक्सर हिमालय के नीचे ही टकराव होता है. दरअसल, धरती चार परतों से बनी है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जाता है. लिथोस्फेयर 50 किलोमीटर की मोटी परत होती है और ये परत वर्गों में बंटी हैं और इन्हीं वर्गों को टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं. जब ये प्लेटों में हलचल तेज होती है तो भूकंप आता है. इस बार हिमालय के नीचे इन प्लेट्स की सक्रियता ने जो तबाही मचाई है, उसका केंद्र महज 19 किलोमीटर नीचे है. भू वैज्ञानिकों की मानें तो ये गहराई जितनी कम होती है, तबाही का खतरा उतना ही ज्यादा होता है.

चारों ओर फॉल्टलाइन से घिरी है दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली चारों ओर फॉल्ट लाइन से जुड़ी है. इनमें से किसी भी फॉल्ट लाइन पर होने वाली कोई बड़ी हलचल दिल्ली को तबाह कर सकती है.

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-इनमें सबसे लंबी फॉल्ट लाइन दिल्ली सरगोदा है, जो पाकिस्तान तक जाती है,
-दूसरी फॉल्ट लाइन दिल्ली-देहरादून है जो इसे हिमालय से जोड़ती है,
-तीसरी फॉल्ट लाइन रोहतक-फरीदाबाद और
-चौथी दिल्ली- आगरा फाल्ट लाइन है.

इन्हीं फॉल्ट लाइन्स की वजह से दिल्ली एनसीआर को सिस्मिक जोन 4 में रखा जाता है. इस समय बड़े भूकंप के खतरे की वजह दिल्ली-सरगोदा फॉल्ट लाइन मानी जा रही है. इस लाइन में सक्रियता इसकी वजह से सोनीपत पिछले कुछ बरसों में कम ताकत वाले भूकंप के कई केन्द्र बने. लेकिन पाकिस्तान तक जाने वाली इस फॉल्ट लाइन पर पिछले 295 साल में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया. लेकिन खतरा सिर्फ लोकल फॉल्ट लाइन ही नहीं है. जानकारों के मुताबिक, पूरे भारतीय उपमहाद्वीप का टैक्टोनिक प्लेट कुछ समय से लॉक है. अगर ये प्लेट खिसके तो हालत भयानक होगी.

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