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वो एक वहशी दरिंदा है. वो बच्चों की लाश के साथ रेप करता था. वो कम से कम 20 से 30 बच्चों को अपना शिकार बना चुका है. उसे सज़ा-ए-मौत होनी चाहिए. ये सारी बातें वो खुद कुबूल करता है. वो खुद को फांसी दिए जाने की बात भी खुद ही करता है. वो एक ऐसा शैतान है, जिसके करतूतें जानकर शैतान भी शर्मा जाए. अदालत ने उसे मासूम बच्चों का कत्ल करने और उनके साथ यौनाचार करने के मामले में दोषी करार दिया है और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है. इस दरिंदे की करतूत जितनी वहशियाना है, उतनी ही उसकी कहानी भी खौफनाक है.
14 जुलाई 2015
बाहरी दिल्ली के बेगमपुर इलाके में एक खंडहरनुमा इमारत में एक बच्ची की लाश मिलती है. लाश को देख कर पहली ही नजर में ये साफ था कि बच्ची के साथ ज्यादती हुई है. यानी किसी ने शायद रेप करने के बाद उसकी हत्या कर दी है. आनन-फानन में दिल्ली पुलिस लाश बरामद कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवाती है और फिर मामले की जांच शुरू कर दी जाती है. इतेफाक से मौका-ए-वारदात पर पुलिस को कुछ पेपर पड़े मिलते हैं. जिसमें एक आईकार्ड समेत दूसरे दस्तावेज शामिल थे. पुलिस अब इस आईकार्ड से उस शख्स तक पहुंचती है, जिसका वो आई कार्ड था. लेकिन जब पुलिस उससे पूछताछ करती है, तो एक ऐसी कहानी निकल सामने आती है कि खुद पुलिसवालों का भी दिमाग घूम जाता है.
पहली बार हुआ था गिरफ्तार
ये कहानी है कि एक ऐसे सीरियल रेपिस्ट, सीरियल किलर और नेक्रोफिलिया के शिकार इंसान की, जो ना सिर्फ कम उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाता था, बल्कि उनकी लाश के साथ भी ज्यादती करता था. 14 जुलाई 2015 को इस नौजवान को जब दिल्ली पुलिस ने पहली बार गिरफ्तार किया, तब खुद पुलिस भी नहीं सोचा था कि इस वारदात के पीछे इतनी भयानक कहानी छुपी होगी. जांच आगे बढ़ी तो खुलासा हुआ कि खंडहर से मिली बच्ची की वो लाश रेप और कत्ल की इकलौती वारदात नहीं थी, बल्कि इससे पहले उसी रेपिस्ट और किलर ने एक-एक कर कम से कम 30 से ज्यादा बच्चों को अपना शिकार बनाया था. लेकिन अब पूरे 9 साल बाद यानी 25 मई 2023 को अदालत ने बच्चों के इस गुनहगार को उसके किए की सजा सुना दी. उसे ताउम्र कैद-ए-बामुशक्कत की सजा हुई है.
सबसे पहले सामने आया था सन्नी का नाम
अगर नोएडा के निठारी कांड को छोड़ दिया जाए, तो इससे पहले पूरे देश ने इतनी भयानक और इतनी वीभत्स जुर्म की कोई कहानी नहीं सुनी थी. जैसी कहानी उसे रवींद्र को गिरफ्तार करने के बाद पता चली. असल में 14 जुलाई 2015 को बच्ची की लाश मिलने के बाद पुलिस मौके पर मिले कागजों से पहले सन्नी नाम के एक नौजवान तक पहुंची. लेकिन जब पुलिस ने सन्नी को बच्ची की लाश के पास से उसके पेपर मिलने की बात कही और बच्ची के कत्ल के सिलसिले में उससे पूछताछ करने लगी, तो सुन्नी बिल्कुल आसमान से नीचे आ गिरा. उसे ऐसी किसी बच्ची की मौत का पता ही नहीं था.
रवींद्र के साथ हुआ था सन्नी का झगड़ा
ऐसे में सवाल ये था कि आखिर उसका आईकार्ड और दूसरे पेपर आखिर मौका-ए-वारदात पर कैसे मिले? तो जब पुलिस ने इस मुताल्लिक उससे और सवाल जवाब किए, तो असली कहानी सामने आ गई. सन्नी ने बताया कि उसकी अपने पड़ोस में रहनेवाले रवींद्र नाम के एक लड़के के साथ शराब पीने के दौरान लड़ाई हो गई थी और उसी मारपीट के दौरान रवींद्र ने उसका आईकार्ड और दूसरे पेपर्स उससे छीन लिए थे. ऐसे में पुलिस को लगने लगा कि हो ना हो मौका-ए-वारदात पर सन्नी का आईकार्ड और दूसरे पेपर रवींद्र ने ही उसे फंसाने के लिए फेंके होंगे.
बच्चों की लाश के संग रेप करता था रवींद्र
इसके बाद पुलिस ने रवींद्र को धर दबोचा और जब उससे पूछताछ की, तो पुलिस का ये शक बिल्कुल सही निकला, लेकिन इसके बाद जब रवींद्र ने अपना मुंह खोला, तो पुलिस के भी पांव तले जमीन खिसक गई. पुलिस ने रवींद्र को पकड़ा तो सिर्फ एक कत्ल के मामले में था, लेकिन यहां रवींद्र खुद ही अपनी जुबान से एक नहीं बल्कि तीस-तीस बच्चों का कत्ल करने की बात कबूल कर रहा था. बल्कि वो तो यहां तक बता रहा था कि वो बच्चों का कत्ल करने के बाद उसके साथ रेप भी करता था यानी उसे लाश के साथ रेप करने में मजा आता था.
बच्चों को अपना शिकार बनाता रहा रवींद्र
पुलिस की छानबीन में पता चला कि रवींद्र 6 से 12 साल तक के बच्चों की तलाश करता था और उन्हें अपना शिकार बनाता था. हालांकि एक बार उसने 2 साल के बच्चे के साथ भी रेप किया था और उसकी हत्या कर दी थी. वो उत्तर प्रदेश के कासगंज का रहने वाला है. साल 2008 में काम की तलाश में वो पहली बार दिल्ली आया था. उसके पिता प्लंबर का काम करते थे और मां दूसरों के घरों में काम-काज करती थी. मजदूरी करते हुए रवींद्र को नशे की लत गई और वह ड्रग्स लेने लगा. ड्रग्स न मिलने पर शराब के नशे में चूर हो जाता था. एक बार ऐसे ही नशे के दौरान उसने एक पॉर्न फिल्म देख ली, जिसके बाद उसके अंदर का हैवान जाग गया. वो घर से निकला और एक बच्चे की हत्या कर दी और फिर उसकी लाश के साथ रेप किया.
केवल तीन ही मामलों में दाखिल हुई चार्जशीट
गिरफ्तारी के बाद जब रवींद्र ने खुद अपनी जुबान से अपनी तमाम पुरानी करतूतों का भी खुलासा करना शुरू किया, तो कुछ देर के लिए मामले की जांच कर रहे पुलिस अफसर भी हैरान रह गए. पुलिस ने तफ्तीश के दौरान पाया कि रवींद्र ने साल 2008 से 2015 के बीच 30 से ज्यादा बच्चों को अपना शिकार बनाया था. लेकिन पुलिस इस मामले की जांच के बाद सिर्फ तीन ही मामलों में उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर सकी. फिलहाल इनमें से एक मामले में उसे गुनहगार करार देते हुए दिल्ली को रोहिणी कोर्ट के एडिशन सेशन जज ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
फांसी की सजा देने की मांग
हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अदालत से रवींद्र को फांसी की सजा देने की मांग की थी. लेकिन कोर्ट ने कहा कि किसी भी मुजरिम को फांसी की सजा देने की पहली शर्त ये है कि उसका गुनाह तमाम शक से परे हो, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं है. रवींद्र के खिलाफ सबूत तो हैं, लेकिन वो बियोंड डाउट यानी सारे शक से परे नहीं हैं. ऐसे में उसे फांसी की सजा देना मुनासिब नहीं है. फिर जेल में रहने के दौरान भी उसका चाल-चलन ठीक रहा है. लिहाजा, उसे फांसी नहीं बल्कि उम्र कैद की सजा दी जाती है. हालांकि इससे पहले बचाव पक्ष ने उसके गरीब होने की बात कहते हुए उससे रियायत बरतने की मांग की थी. लेकिन अदालत ने कहा कि किसी गुनहगार को गरीब होने की वजह से माफी नहीं दी जा सकती. क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है.