कहते हैं भगवान भाव के भूखे होते हैं. लेकिन जीते-जी कइयों के भगवान बन चुके आसाराम तो समर्पण के भूखे निकले. यौन शोषण के इल्जाम में जेल की हवा खा रहे आसाराम के खिलाफ बेशक किसी लड़की ने अब पहली बार कानून का दामन थामा हो, लेकिन आसाराम के इस समर्पण की असलियत बताने वाली और भी हैं. इन लड़कियों की मानें तो आसाराम का ये समर्पण ऐसा-वैसा नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ लड़कियों का समर्पण है और वो भी हर तरह का.
जिस्म पर सफेद चोला, चेहरे पर लंबी दाढ़ी और जुबान पर भगवान की बातें. आसाराम का ये रूप तो पूरी दुनिया ने देखा है, ना सिर्फ देखा बल्कि देखकर यकीन भी कर लिया. लेकिन काश, यही आसाराम की पहली और आखिरी असलियत भी होती. इन बड़े-बड़े बोल-वचनों और इस मायावी हुलिए से अलग आसाराम की एक सच्चाई और भी है. और वो सच्चाई है समर्पण की. समर्पण के चाहत की और वो भी खूबसूरत और कमसिन लड़कियों के समर्पण की.
यकीन मानिए, आसाराम की इस सच्चाई को जिसने भी करीब से देखा, बस देखता ही रह गया. क्योंकि ये सच्चाई उस आसाराम की थी, जिसे लोग भगवान मानकर पूजते थे. जिसके एक इशारे पर अपना सबकुछ समर्पित करने को तैयार रहते थे. लेकिन जरा सोचिए, उस लड़की की हालत क्या होती होगी, जिसे उसका ये भगवान वाकई अपना सबकुछ समर्पित करने का हुक्म सुना देता होगा?
सुनने में ये बात अजीब लगती हैं, लेकिन जब से आसाराम के खिलाफ एक नाबालिग लकड़ी के साथ यौन शोषण की कहानी सामने आई है. लड़कियों से समर्पण की आसाराम की हसरत की दूसरी कहानियां भी सामने आने लगी हैं. चेहरे से खूबसूरत और हसीन दिखने वाली लड़कियों से बाबा की चरणों में समर्पण करवाने का मतलब क्या होता है, ये बात अब साफ हो चुकी है.
समर्पण से जेल तक
जाहिर है, समर्पण की आड़ में लड़कियों से नजदीकी का ये वो खेल है, जिसने फिलहाल आसाराम को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है. कुछ लड़कियां जहां हालात से हार कर आसाराम के सामने समर्पण कर चुकी हैं, वहीं एक लड़की हौसले के बाद अब कुछ लड़कियों ने आसाराम के खिलाफ बोलने की हिम्मत जुटाई है.
वैसे लड़कियों से समर्पण की आस रखने वाले आसाराम के गुरुकुल से 12वीं की लड़कियों के गायब हो जाने के किस्सों के पीछे अब इसी समर्पण का शक पैदा होने लगा है. लड़कियों को समर्पण के नाम पर सब कुछ के लिए तैयार करने वाले आसाराम के किस्सों की कोई कमी नहीं. कभी अपने मोहरों के जरिए तो कभी खुद इशारों ही इशारों में आसाराम ने एक नहीं बल्कि कई लड़कियों को समर्पण का न्यौता दिया, इनमें कुछ तो बच गईं, लेकिन कुछ ऐसी भी थीं, जो हालात से हार गईं.
आसाराम का बुरा वक्त
अपनी भक्त खूबसूरत और दिलकश लड़कियों को कभी किसी रूप में या तो आसाराम ने या फिर उनके रैकेट से जुड़े लोगों ने समर्पण के लिए राजी करने की कोशिश की. कई लड़कियों ने जहां इस इशारे को समझ कर आसाराम के सामने घुटने टेक दिए, वहीं कई ने भनक मिलते ही आसाराम और उनके आश्रम से दूरी बना ली. और तो और जिस लड़की ने आसाराम के खिलाफ यौन शोषण की रिपोर्ट लिखवाई थी, उसे भी अपना शिकार बनाने से पहले आसाराम की शिष्या शिल्पी ने आसाराम के सामने समर्पण के लिए कहा था. और जब वो लड़की इसके लिए तैयार नहीं हुई, तो शिल्पी ने उस पर भूत-प्रेत का साया बताकर उसके घरवालों को ऐसे इलाज की जरूरत बताई, तो सिर्फ आसाराम ही कर सकते थे.
चूंकि घरवाले आसाराम के भक्त थे, वो शिल्पी की इस बात को नहीं टाल सके और आसाराम की शिष्या की बातों पर यकीन करने का जो नतीजा सामने आया, उसके बाद पुलिस और कानून के पास जाने के सिवाय उनके सामने कोई रास्ता ही नहीं बचा.
इंदौर की रहनेवाली एक और लड़की भी कभी आसाराम की भक्त हुआ करती थी. लेकिन उसे भी आसाराम ने कई बार इशारों ही इशारों में समर्पण के लिए तैयार करने की कोशिश की. मौका पाकर उनके बेटे नारायण साईं ने उसके साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ करने की कोशिश जरूर की.
आजतक के स्टिंग में खुली आसाराम की पोल
ये तो हुई ऐसी दो लड़कियों की बात, जिन्हें आसाराम और उनके चेले समर्पण करवाना चाहते थे. आपको याद होगा तीन साल पहले जब आसाराम की असलियत उजागर करने के इरादे से आजतक ने उनका स्टिंग ऑपरेशन किया था, तब भी हमारी अंडरकवर सहयोगी को आसाराम समर्पण के लिए एकांत में ले जाने के फिराक में थे.
जाहिर है, समर्पण के नाम पर आसाराम का ये खेल लंबे समय से चल रहा था. और इस खेल में आसाराम के खास मोहरे थे शिवा, शिल्पी, शरतचंद और प्रकाश जैसे वो लोग जो हमेशा आसाराम के आस-पास होते थे और जो लड़की इनकी बातों में आकर आसाराम के सामने समर्पण के लिए तैयार हो जाती थी. वो आसाराम के आश्रम अहमदाबाद आश्रम में पहुंचा दी जाती थी. जाहिर है, दुनिया की नजरों में ये समर्पण भगवान और गुरु के सामने होने वाला समर्पण होता था, लेकिन हकीकत में कुछ और ही था.
बाप तो बाप, बेटा बाप रे बाप
इसे कहते हैं बाप सेर तो बेटा सवा सेर. जिस आसाराम को यौन शोषण के इल्जाम में जेल की हवा खानी पड़ रही है, उसी आसाराम का बेटा नारायण साईं भी ठीक वैसे ही इल्जामों से घिरा है. नारायण साईं के खिलाफ इंदौर की एक लड़की ने जो इल्जाम लगाए हैं, वो ना सिर्फ चौंकाने वाले बल्कि शर्मनाक भी हैं.
प्रवचन देते-देते यौन शोषण के आरोपों से घिर कर आसाराम खुद तो सलाखों के पीछे पहुंच गए, लेकिन लगता है कि अब उनके बेटे नारायण साईं के सितारे भी गर्दिश में जाने वाले हैं. जी हां, उसी नारायण साईं के जो सिर्फ प्रवचन और बाबागिरी के मामले ही अपने पिता के नक्शे कदम पर नहीं, बल्कि इल्जामों के मामले में भी उन्हीं के रास्ते पर हैं. ठीक आसाराम की तरह नारायण साईं पर ये आरोप किसी और नहीं, बल्कि उन्हीं की शिष्या रही एक लड़की ने लगाए हैं.
अब नारायण साईं के खिलाफ अदालत से इंसाफ मांगने पहुंची इंदौर की इस लड़की का कहना है कि पहले तो नारायण साईं ने दिसंबर 2004 में धोखे से उसकी शादी अपने ही एक चेले से करा दी और फिर जब उसका शिष्य उसे सताने लगा, तो उसकी मदद करने की बजाय नारायण साईं ने अकेले पाकर उसके साथ छेड़छाड़ की. दरअसल, नारायण साईं ने इस तलाकशुदा लड़की की शादी एक शख्स ये कह कर करवा दी कि दूल्हा भी तलाकशुदा है. मगर हकीकत में ऐसा था नहीं.
अब ये लड़की धोखे में फंस चुकी थी. लेकिन चूंकि वो आसाराम और नारायण साईं को भगवान मानती थी, सीधे उनकी शरण में गई. लेकिन यहां मदद के बदले मिली धमकी और छेड़छाड़. दरअसल, धोखे से हुई शादी के बाद ही इस लड़की के साथ उसके पति और ससुरालवालों ने जुल्म शुरू कर दिया. जब वो गर्भवती हुई, तो उस पर दहेज और गर्भपात के लिए दबाव बनाया जाने लगा और बस यहीं से उसके दरवाजे ससुराल के लिए बंद हो गए. लेकिन दूसरी ओर नारायण साईं से भी उसे धोखा ही मिला. अदालत ने अब इस लड़की की शिकायत कुबूल कर ली है. ऐसे में कोई हैरानी नहीं कि पिता आसाराम की तरह बेटा नारायण साईं भी कल को सलाखों के पीछे हो सकता है.
क्या है शिवा की असलियत
आसाराम की हर करतूत के राजदार शिवा की कहानी भी कुछ कम दिलचस्प नहीं. कच्छ का एक मामूली नौजवान शिवा आसाराम की शरण में पहुंच कर कैसे बन गया खाकपति से करोड़पति?
अपने गुरु आसाराम के लिए लड़कियों का इंतजाम करने के आरोपी शिवा की कहानी भी कुछ कम नहीं है. आसाराम के आगे-पीछे घूम कर शिवा ने बेशक अब अकूत संपत्ति इकट्ठा कर ली हो, लेकिन घरवालों की नजर में शिवा की हैसियत अब भी एक नालायक औलाद से ज़्यादा कुछ भी नहीं.
कच्छ के एक छोटे से गांव के रहनेवाले शिवा की मां जेतीबेन कभी आसाराम की परम भक्त हुआ करती थीं. लेकिन जैसे ही उन्हें आसाराम की असलियत पता चली, उन्होंने आसाराम के लिए अपने घर के दरवाजे बंद कर लिए. लेकिन शिवा को आसाराम की शक्ल में रुपये कमाने का वो जरिया मिल चुका था, जिसे वो किसी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहता था. और बस यहीं से शिवा और घरवालों के बीच दूरियों की शुरुआत हो गई.
घरवालों ने उसकी शादी करवाने की कोशिश की तो कभी रमाभाई हेडवडिया के नाम से जाना जाने वाला शिवा आसाराम के पास जाकर छिप गया और अपना नाम पर बदल कर शिवा हो गया. इसके बाद आसाराम एक बार खुद शिवा के घरवालों को मनाने उसके गांव पहुंचा, लेकिन तब शिवा की मां ने आसाराम के लिए अपने घर के दरवाजे बंद कर लिए थे.
बहरहाल, शिवा के घरवालों की मानें तो अब आठ सालों से भी ज्यादा का वक्त गुज़रने के बावजूद ना तो शिवा ने कभी अपने नेत्रहीन माता-पिता की सुध ली और ना ही घर में एक भी पैसा भेजा. ये और बात है कि आसाराम की कृपा दृष्टि की बदौलत अब उसी के गांव में उसके नाम पर करोड़ों की ज़मीन है. लेकिन शिवा के माता-पिता के लिए अब उसका होना और ना होना बराबर है.