बारात और बराती तो आपने बहुत देखे होंगे, लेकिन क्या कभी बेशर्मों की बारात भी देखी है? दिल्ली के नज़दीक गाज़ियाबाद में जब बेशर्मों की ऐसी ही एक बारात निकली, तो देखनेवाले बस देखते ही रह गए. सैकड़ों लोगों के बीच एक होटल से शुरू हुई यह बारात पास के थाने तक गई. इस दौरान अनगिनत आंखें उनका पीछा करती रहीं.
दरअसल, पुलिस की छापेमारी के बाद पकड़े गए लड़के-लड़कियों की यह परेड दिल्ली के नज़दीक गाज़ियाबाद के एक ऐसे होटल से निकली, जिसमें लंबे समय से जिस्मफ़रोशी का रैकेट चलने की बात कही जा रही है. यह रैकेट कितना पुराना है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार सुबह जब पुलिस ने इस होटल में दबिश दी, तो इसके अलग-अलग कमरों से पुलिस को कोई एक, दो, चार, दस नहीं, बल्कि पूरे 112 लड़के-लड़कियां आपत्तिजनक हालत में मिले.
यहां सबकुछ महीनों से और खुलेआम चल रहा था. लेकिन भरी आबादी के बीच पुलिस और क़ानून के पहरेदारों के होते हुए आख़िर यह सब मुमकिन कैसे था? वैसे यह भी एक दिलचस्प कहानी है.
जिस्मफ़रोशी का यह रैकेट इतना बड़ा निकलेगा, यह पुलिस ने भी नहीं सोचा था. यही वजह है कि जब एक बार होटल से पकड़े गए लोगों की गितनी शुरू हुई, तो फिर यह गिनती चलती चली गई. अंत में हालात ऐसे पैदा हुए जैसे यह गिरफ्तारी कोई जिस्मफ़रोशी के अड्डे पर नहीं, बल्कि कोई सियासी रैली में हो रही हो.
छापेमारी में पुलिस के हाथ इतने संदिग्ध जोड़े लगे हैं कि वो खुद नहीं समझ पा रही है कि आख़िर इतने लोगों को वो गिरफ्तार करे तो कैसे करे और गिरफ्तार करने के बाद थाने ले जाए, तो कैसे ले जाए.
लिहाज़ा, पुलिस सबसे पहले होटल के कमरों से आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए लड़के-लड़कियों को अलग-अलग बिठाती है. यानी एक तरफ़ लड़के और दूसरी तरफ़ लड़कियां. चूंकि इस मामले में बदनामी का डर है, लिहाज़ा पकड़े गए सभी के सभी लोग नीचे बैठते ही अपना मुंह छिपा लेते हैं. अब पुलिस एक-एक कर लोगों की गितनी शुरू करती है.
एक, दो, तीन, चार, पांच...और इस तरह पूरे 112 लोगों की गितनी करने के बाद पुलिस को भी यह अहसास हो जाता है कि उन्होंने कितना बड़ा हाथ मारा है. लिहाज़ा, अब वह सभी को यहां से ले जाने के लिए न सिर्फ़ अलग से फ़ोर्स, बल्कि बसें भी मंगवाती है. कुछ ऐसे, जैसे आम तौर पर रैलियों में गिरफ्तार होनेवाले किसी सियासी पार्टी के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर कहीं ले जाने के लिए मंगवाई जाती है. तब एक-एक कर 56 लड़कों को एक बस में और इतनी ही लड़कियों को दूसरी बस में बिठाकर पुलिस थाने के लिए रवाना होती है. ज़ाहिर है, देर से सही, पुलिस की इस कार्रवाई से आसपास के लोगों ने अब राहत की सांस ली है.
वैसे भी अभी तो पुलिस ने सिर्फ़ छापेमारी कर संदिग्ध जोड़ों को पकड़ा है. इनमें कौन-सी जोड़ी आशिक-माशूक की है, कौन-सी जिस्मफ़रोशों की और कौन-सी नाजायज़ रिश्ते की, इसकी पड़ताल तो अभी बाकी है.
धंधेबाजों में कॉलेज गर्ल्स भी...
बेशर्मों की इस बारात में क्या सिर्फ़ जिस्मफ़रोशी के धंधेबाज़ ही शामिल थे, या फिर कोई और भी था, जो इस बारात का हिस्सा बना था? पुलिस ने जब गाजियाबाद के इस होटल में दबिश दी, तो एक और ही कहानी सामने आ गई. इस बारात में धंधेबाज़ों के साथ-साथ कॉलेज गर्ल्स, प्रोफ़ेशनल्स, हाउस वाइफ़ और दूसरे कई चेहरे बेनकाब हुए.
ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने जब जिस्मफ़रोशी का रैकेट चलने के इल्ज़ाम में इस होटल पर छापेमारी की, तो जिस्मफ़रोशी के धंधेबाज़ों के बेनकाब होने के साथ-साथ कई ऐसी कहानियां भी सामने आ गईं, जिसके बारे में पुलिस ने सोचा नहीं था.
तमाम पड़ताल के बाद पुलिस ने उन जोड़ों के खिलाफ़ प्रिवेंशन ऑफ़ इम्मोरल ट्रैफिकिंग एक्ट यानी पीटा की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया, जो यहां जिस्मफ़रोशी के इरादे से ही इस होटल के कमरे में पहुंचे थे. लेकिन पुलिस को ऐसे लड़के-लड़कियां भी मिले, जो अपने अज़ीज़ के साथ होटल के बंद कमरे में सुकून के दो पल गुज़ारना चाहते थे. ऐसे लोगों को पुलिस ने मुचलका भरवाकर जाने दिया.
हालांकि इस मामले में होटल का रवैया ज़रूर बेनकाब हो गया. पुलिस की मानें, तो इस होटल में ऐसे ग्राहकों को घंटों के हिसाब के कमरे दिए जाते थे, जिनका रेट 500 रुपये से 2000 रुपये के बीच होता था. इस सिलसिले में आई-कार्ड जैसी ज़रूरी नियम-क़ानूनों की भी अनदेखी की जा रही थी, बल्कि जिन जोड़ों के पास आई-कार्ड नहीं होता था, होटल के मुलाज़िम उन्हें बिना पहचान पत्र के कमरों में एंट्री देने के लिए दोगुनी रकम वसूला सकते थे. यही वजह है कि पुलिस ने इस होटल के मालिक और मुलाज़िमों के खिलाफ़ भी पीटा के तहत मामला दर्ज किया है.
वैसे छानबीन के दौरान पुलिस को ऐसी लड़कियां भी कम नहीं मिलीं, जिनका जिस्मफ़रोशी के धंधे से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है. लेकिन वो अपने पार्टनर के साथ वक़्त बिताने के इरादे से इस होटल में आ पहुंची थीं. वैसे अब इस कार्रवाई के बाद यह बात साफ़ हो गई है कि पुलिस की जानकारी के बगैर यह सबकुछ पुलिस की नाक के नीचे कतई मुमकिन नहीं था.
बहरहाल, अब इस कार्रवाई के बाद जहां इलाके के लोग खुश हैं, वहीं ये बात भी साफ़ हो गई है कि किस तरह कुछ ख़ास वजहों से वर्दीवाले भी कई बार जान-बूझकर क़ानून तोड़े जाने की अनदेखी करते हैं.
दिल्ली पूरे हिंदुस्तान में जिस्मफ़रोशी में आगे
दिल्ली और एनसीआर में जिस्मफ़रोशी के अनगिनत ऐसे अड्डे हैं, जिनके बारे में पुलिस को दूर-दूर तक भनक भी नहीं है. संयुक्त राष्ट्र संघ यानी यूएनओ की एक ताज़ी रिपोर्ट की मानें, तो दिल्ली पूरे हिंदुस्तान में जिस्मफ़रोशी और मानव तस्करी के सबसे बड़े अड्डों में से एक है.
दिल्ली की अंधेरी गलियों में वह रेडलाइट इलाका है, जहां कभी लड़कियों को शादी के नाम पर फुसलाकर, कभी नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोग इस मंडी में बेच जाते हैं. फिर इनकी किस्मत में लिखा जाता है वो काला सच, जो इन्हें रोज जीते-जी मौत का एहसास कराता है.
दिल्ली एनसीआर में लड़कियों की खरीद-फरोख्त के आंकड़े वाकई में चौंकाने वाले हैं, इन आंकड़ों में वो काला सच कैद है, जिन्हें देखकर और सुनकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी.