विशेष सीबीआई अदालत ने वर्ष 2011 के बहुचर्चित शहला मसूद हत्याकांड की मास्टरमाइंड जाहिदा परवेज समेत चार लोगों को शनिवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि सरकारी गवाह बने आरोपी को क्षमादान दे दिया.
विशेष सीबीआई न्यायाधीश बीके पालोदा ने भोपाल की आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या के करीब साढ़े पांच साल पुराने मामले में जाहिदा (40) के साथ उसकी अंतरंग सहेली सबा फारकी (36), सुपारी लेकर भाड़े के हत्यारों का इंतजाम करने वाले शाकिब अली उर्फ 'डेंजर' (42) और भाड़े के शूटर ताबिश (31) को दोषी करार दिया.
हत्याकांड की मास्टरमाइंड है जाहिदा
अदालत ने अपने 92 पन्नों के फैसले में कहा, 'अभियोजन ने प्रमाणित किया है कि जाहिदा ने आपराधिक षड़यंत्र के तहत शहला मसूद की हत्या की योजना बनाई, जिसमें सबा ने उसका सहयोग किया. इस वारदात के लिए शाकिब
को सुपारी दी गई. उसने शहला की हत्या की योजना को पूर्ण करने के लिए अपने साथ आरोपी इरफान और ताबिश को शामिल किया और इस अपराध के लिए देशी कट्टा और कारतूस के साथ मोटरसाइकिल भी उपलब्ध
कराई.
विशेष सीबीआई न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि ताबिश ने हथियारों को बिना लायसेंस के अपने कब्जे में रखते हुए शहला मसूद की गोली मारकर हत्या की. अपराध में प्रयुक्त मोटरसाइकिल की पहचान खत्म करने और सबूत नष्ट करने के लिए सबा ने इस वाहन का रंग बदलवाकर उसे लावारिस स्थान पर छोड़ दिया. सबा जाहिदा के साथ आपराधिक षड़यंत्र में शामिल रही.
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक अतुल कुमार ने कहा कि शहला मसूद हत्याकांड में अदालत ने भोपाल की इंटीरियर डिजाइनर जाहिदा को भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और 120 बी )आपराधिक साजिश) के तहत उम्रकैद और 1,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. उसकी सहेली सबा को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 120.बी (आपराधिक साजिश) और धारा 201 (वारदात के सबूत नष्ट करना) के तहत उम्रकैद और 1,500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
शाकिब को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120.बी (आपराधिक साजिश) और आम्र्स एक्ट के तहत उम्रकैद और 3,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. गोली मारकर शहला की हत्या करने वाले भाड़े के शूटर ताबिश को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और आम्र्स एक्ट के तहत 3,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. सीबीआई ने हत्याकांड के मुकदमे की सुनवाई के दौरान पिछले पांच वर्षों में करीब 80 गवाहों को विशेष अदालत में पेश किया था. अदालत ने मामले के पांच आरोपियों में शामिल कानपुर निवासी इरफान (31) को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की सम्बद्ध धाराओं के तहत क्षमादान दिया.
2011 में हुई थी शहला की हत्या
गौरतलब है कि आरटीआई कार्यकर्ता शहला मसूद (38) की उनके भोपाल के कोहेफिजा क्षेत्र स्थित घर के बाहर 16 अगस्त 2011 को साजिश के तहत गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. उनका शव उनकी कार की सीट पर मिला
था. सीबीआई की जांच के मुताबिक भोपाल के तत्कालीन भाजपा विधायक ध्रुवनारायण सिंह के जाहिदा और शहला, दोनों से वैवाहिक संबंध थे. शहला से सिंह की बढ़ती नजदीकियों के कारण जाहिदा आरटीआई कार्यकर्ता से जलती थी
और उसे रास्ते से हटाना चाहती थी. इसलिए उसने शाकिब को तीन लाख रुपये की सुपारी देकर अपनी ‘सौतन’ की हत्या करा दी. इस बीच, जाहिदा ने अपने खिलाफ सुनाए गए फैसले पर असंतोष जाहिर किया और मीडिया के
कैमरों के सामने चीखते हुए खुद को बेगुनाह बताया.
इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे वकील
जाहिदा, शाकिब और ताबिश के वकील संजय शर्मा ने कहा कि वह विशेष सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में अपील करेंगे. सबा के वकील सुनील श्रीवास्तव ने भी कहा कि वह अदालती फैसले के
खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.
मामले में विशेष सीबीआई अदालत के फैसला सुनाए जाते वक्त न्यायालय कक्ष के बाहर खासी भीड़ और गहमागहमी थी. पुलिस ने इसके मद्देनजर सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए थे. इस परिसर में आने.जाने वाले लोगों की तलाशी ली जा रही थी.