scorecardresearch
 

श्रद्धा मर्डर केसः जेल में आफताब कैसे खेल रहा शतरंज, जानें ऐसे कैदी को क्या-क्या मिलती हैं सुविधाएं

श्रद्धा का लिव-इन पार्टनर और मर्डर का आरोपी आफताब पुलिस रिमांड पूरी हो जाने के बाद से ही जेल की सलाखों के पीछे है. उसे तिहाड़ जेल की बैरक नंबर 4 में कड़ी के सुरक्षा और निगरानी के बीच एक सेल में रखा गया है. जहां वह बिल्कुल सामान्य रूप से रह रहा है.

Advertisement
X
आफताब जेल में समय बिताने के लिए शतरंज खेलता है
आफताब जेल में समय बिताने के लिए शतरंज खेलता है

Shraddha Walker Murder Case: श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का नार्को टेस्ट हो चुका है. अब उसका पोस्ट नार्को टेस्ट हो रहा है. वह जेल में बिल्कुल शांत रहता है. उसे कड़ी सुरक्षा के बीच सेल में रखा गया है. इस दौरान पता चला है कि वो जेल में टाइम पास करने के लिए घंटों तक अकेले ही शतरंज खेलता है. तो चलिए जानते हैं कि जेल में विचाराधीन कैदी को क्या सुविधाएं मिलती हैं. इसके लिए क्या नियम है?

Advertisement

श्रद्धा का लिव-इन पार्टनर और उसका हत्यारोपी आफताब पुलिस रिमांड पूरी हो जाने के बाद से ही जेल की सलाखों के पीछे है. उसे तिहाड़ जेल की बैरक नंबर 4 में कड़ी के सुरक्षा और निगरानी के बीच एक सेल में रखा गया है, जहां वह बिल्कुल सामान्य रूप से रह रहा है. वहां ऐसा लगता है कि जैसे उसे कुछ हुआ ही नहीं है या उसने कुछ किया ही नहीं है. वो बिल्कुल शांत रहता है और अपना शौक पूरा करता है.

जी हां, शौक, हाल ही में उसके शौक से जुड़ी एक बड़ी जानकारी सामने आई है. जेल अधिकारियों के हवाले से पता चला है कि आफताब को शतरंज खेलने का बहुत शौक है. ये खेल उसे इतना पसंद है कि वो अपनी बैरक नंबर-4 के सेल में टाइम पास करने के लिए घंटों शतरंज खेलता रहता है. वह अपनी बैरक में अकेले ही शतरंज की बिसात बिछाता है और खेलता रहता है.

Advertisement

कैदियों के अधिकार
जेल बंद विचाराधीन या सजायाफ्ता कैदी को अपने अधिकारों से जुड़ी जानकारी हासिल करने का अधिकार होता है. वह अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी मांग सकता है. कैदियों को अनुच्छेद 14, 19 और 21 के अनुसार मौलिक अधिकार मिलते हैं. जिनमें ये अधिकार मुख्य हैं-

- चिकित्सा सुविधा का अधिकार
- केस के जल्दी निपटारे का अधिकार
- समय से अधिक बंदी नहीं
- विचाराधीन कैदी को जमानत
- कैदियों को मतदान का अधिकार
- कैदियों को वेतन अथवा मजदूरी
- वकील से परामर्श का अधिकार
- खुद के विरुद्ध साक्ष्य के लिए बाध्यता नहीं
- नि:शुल्क विधिक सहायता का अधिकार

विचाराधीन कैदियों को मिलने वाली सुविधाएं ये होती हैं-

- अपने जान-पहचानवालों और परिजनों से पत्र व्यवहार का अधिकार
- जान-पहचानवालों और परिजनों से मिलने का अधिकार
- अपने वकील या उसके एजेंट से बातचीत या सलाह का अधिकार
- रेडियो, संगीत या टेलीविजन जैसी सुविधा का अधिकार
- अपने घर में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं में भाग लेने का अधिकार
- व्यक्तित्व विकास के लिए सांस्कृतिक शिक्षा पाने का अधिकार

क्या कहते हैं जेल के नियम?
किसी भी जेल में विचाराधीन या सजायाफ्ता कैदी को रखने के लिए कुछ कायदे कानून हैं. जिसके मुताबिक बिना कोर्ट की इजाजत के किसी भी विचाराधीन कैदी को सेल में नहीं रखा जा सकता है. यहां तक कि किसी दोषी को भी अगर सेल में रखा जाना है, तो इसके लिए जेल प्रशासन अदालत को वाजिब वजह बताता है. उसी के आधार पर उस कैदी को सेल में शिफ्ट किया जाता है. 

Advertisement

लागू होता है जेल मैन्युअल
दरअसल, जेल में कैदियों को रखने के लिए बाकायदा जेल मैन्युअल होता है. जेल के अधिकारी और कर्मचारी उसी मैन्युअल के हिसाब से काम करते हैं. उसी के अनुसार कैदियों को जेल में रखा जाता है. जेल मैन्युअल के मुताबिक किसी भी कैदी को जेल में प्रताड़ित नहीं किया जा सकता, फिर चाहे वो सजायाफ्ता ही क्यों ना हो. जेल में कैदियों को मिलने वाली छूट को भी कानून के हिसाब से ही खत्म और लागू किया जाता है. 

अस्पताल ले जाने का प्रावधान
जेल मैन्युअल में जेल के अनुशासन और कैदियों के रखरखाव को लेकर कई तरह के प्रावधान मौजूद हैं. मसलन, अगर कोई कैदी अपनी तबीयत को लेकर शिकायत करता है, तो उसे फौरन डॉक्टर को दिखाने या अस्पताल ले जाने का सख्त प्रावधान है. 

सश्रम सजा पाए कैदियों के लिए प्रावधान
जेल में कई इस तरह के सजायाफ्ता कैदी आते हैं, जिन्हें अदालत सश्रम कैद की सजा सुनाती है. ऐसे फैसले के तहत जेल आने वाले कैदी की सबसे पहले मेडिकल चांच कराई जाती है. ताकि डॉक्टर यह पता लगा सकें कि वो कैदी शारीरिक रूप से फिट है या नहीं? फिर डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार ही जेल में उस कैदी को काम आवंटित किया जाता है.

Advertisement

मजिस्ट्रेट जांच का प्रावधान
अक्सर इस तरह की खबरें आपने पढ़ी या सुनी होंगी कि जेल में कैदी ने आत्महत्या कर ली. या जेल में किसी कैदी का मर्डर कर दिया गया. जब इस तरह के मामले सामने आते हैं, तो ऐसे मामलों की जांच कराए जाने का प्रावधान है. यह जांच मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है. 

जेल में अपराध
इसी तरह से जेल में अगर कोई कैदी किसी अन्य कैदी या जेल कर्मचारी पर हमला करता है, या उन्हें धमकी देता है. या किसी भी तरह से जेल से भागने की कोशिश करता है. या भागने की साजिश रचता है. या भूख हड़ताल या अनशन पर बैठता है. या जेल में किसी प्रकार से कोई अवैध या प्रतिबंधित सामान लाता है, तो ऐसे सभी कृत्य अपराध की श्रेणी में आते हैं. 

पहली बार में चेतावनी देकर छोड़ने का प्रावधान
ऐसे अपराध करने वाले कैदी को पहली बार पकड़े जाने पर या ऐसा करने पर चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है. ताकि उसे सुधरने का एक मौका मिल सके अगर वो फिर से ऐसा करता है तो उसकी सजा के विस्तार की सिफारिश कोर्ट से की जा सकती है. उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है.

जेल प्रशासन को छूट खत्म करने का अधिकार
साथ ही जेल प्रशासन के पास यह अधिकार सुरक्षित है कि वे ऐसा करने वाले कैदियों को सजा में दी जाने वाली छूट को खत्म कर सकते हैं, या फिर उसमें कटौती भी कर सकते हैं. जेल प्रशासन किसी भी कैदी को मिलने वाली छूट में से 30 दिन तक की छूट को खत्म कर सकता है. 

Advertisement

नहीं दी जाती पैरोल और फरलो
जेल में सजायाफ्ता कैदियों के मानवाधिकार सुरक्षित होते हैं. लेकिन जेल में अनुशासनहीनता करने वाले या फिर जेल के नियमों को तोड़ने वाले या जेल में हिंसा करने वाले कैदियों को इन अधिकारयों से वंचित किया जा सकता है. उनकी पैरोल या फरलो जैसी सुविधाओं पर रोक लगाई जा सकती है. साथ ही उनसे जेल में मनोरंजन और खेल जैसे अधिकार भी छीने जा सकते हैं.

 

Advertisement
Advertisement