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Shraddha Walker Murder Case: आफताब अमीन पूनावाला ने श्रद्धा वॉल्कर का कत्ल गुस्से में अचानक नहीं किया था. बल्कि ये कत्ल उसने पूरी प्लानिंग के साथ किया था. कत्ल की प्लानिंग उसने मई में ही कर ली थी. प्लान के तहत आफताब को मुंबई छोडना था और श्रद्धा का कत्ल हिमाचल प्रदेश में ही करना था. मगर ऐन वक्त पर उसने इरादा बदल दिया था. आफताब जानबूझ कर गुस्से में कत्ल करने की बात कह रहा है. ऐसा कह कर वो कानूनी फायदा लेना चाहता है. पुलिस को भी आफताब के बयान पर यकीन नहीं है. यही वजह है कि अब आफताब के खिलाफ 120बी यानी साजिश रचने का मामला भी दर्ज हो सकता है.
लगातार झूठ बोल रहा है आफताब
पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान आफताब से एक सवाल बार-बार पूछा जा रहा था. सवाल ये कि उसने श्रद्धा का कत्ल अचानक गुस्से में किया था या फिर सोच समझ कर इसकी प्लानिंग की थी. दिल्ली पुलिस सूत्रों की मानें तो इस सवाल पर आफताब लगातार झूठ बोल रहा है और यहीं से पुलिस को लगभग ये यकीन हो चला है कि आफताब ने श्रद्धा को अचानक गुस्से में नहीं मारा, बल्कि वो श्रद्धा के कत्ल की साजिश लंबे वक्त से बुन रहा था. ये साजिश उसने तब से बुननी शुरू कर दी थी, जब उसे यकीन हो चला था कि एक रोज़ श्रद्धा उसे छोड़ कर चली जाएगी.
लग सकती है धारा 120बी
दिल्ली पुलिस के एक आला अफसर ने आजतक को बताया है कि एक बार नार्को टेस्ट कंप्लीट हो जाए, उसके बाद आफताब के खिलाफ बाकी धाराओं के साथ-साथ धारा 120बी भी लगाया जा सकता है. इसके लिए पुलिस के पास कई पुख्ता सबूत हैं.
श्रद्धा को ठिकाने लगाने का इरादा
इस साल तीन मई को ईद थी. श्रद्धा को ट्रेवलिंग का बेहद शौक था. आफताब ने ईद से पहले ही श्रद्धा से वादा किया था कि वो ईद के बाद उसे घुमाने हिमाचल प्रदेश की वादियों में ले जाएगा. ईद के बाद दोनों मुंबई से हिमाचल गए थे. दरअसल, आफताब का इरादा हिमाचल में श्रद्धा को ठिकाने लगाने का था. हिमाचल प्रदेश से श्रद्धा को वापस मुंबई लौटना था. दिल्ली आने का कोई प्लान था ही नहीं. ना श्रद्धा का. ना आफताब का. मगर हिमाचल में रहने के दौरान आफताब को ऐसा एक भी मौका नहीं मिला कि वो श्रद्धा को ठिकाने लगा सके. पर वो ठान चुका था कि बिना श्रद्धा को ठिकाने लगाए वो हिमाचल छोडेगा भी नहीं.
हिमाचल में बद्री से दोस्ती
आफताब और श्रद्धा हिमाचल के तोष में एक होटल में रुके थे. इत्तेफाक से उसी होटल में आफताब की मुलाकात बद्री नाम के एक शख्स से हुई थी. बद्री दिल्ली के छतरपुर पहाड़ी इलाके का रहनेवाला था. आफताब और बद्री में जल्दी दोस्ती हो गई. बातचीत के दौरान आफताब ने बद्री से छतरपुर इलाके के बारे में पूरी जानकारी ली. उसे बद्री से ही पता चला कि छतरपुर दिल्ली के बिल्कुल कोने में है. सन्नाटे में और आस-पास घने जंगल भी हैं.
बद्री की मदद से मिला था किराए का मकान
इधर, हिमाचल में आफताब को मौका मिल नहीं रहा था. उधर दिल्ली के छतरपुर की जानकारी मिलने के बाद तब उसने पहली बार सोचा कि श्रद्धा की लाश को ठिकाने लगाने के लिए वो जगह भी अच्छी है. हालांकि श्रद्धा हिमाचल से मुंबई वापस लौटना चाहती थी. लेकिन आफताब ने उसे हिमाचल के बजाय दिल्ली से मुंबई लौटने का आइडिया दिया. श्रद्धा तैयार हो गई. इसी के बाद दोनों 8 मई को दिल्ली पहुंचे. दिल्ली के पहाडगंज के एक होटल में रुके. फिर अगले दिन दक्षिणी दिल्ली के सैदुल्लाजाब पहुंचे. इसके बाद छतरपुर और महरौली इलाके की रेकी की. फिर आफताब ने बद्री से संपर्क किया. बद्री की मदद से ही उसने छतरपुर पहाडी इलाके में किराये पर मकान लिया. दरअसल, वो मकान महरौली के जंगल और मैदानगढी तालाब के बेहद करीब था और आफताब को ऐसी ही लोकेशन चाहिए थी.
शिफ्टिंग के तीन दिन बाद किया कत्ल
आफताब ने 15 मई को वो घर किराये पर लिया और उसी दिन अपने थोड़े बहुत सामान के साथ शिफ्ट हो गया. पुलिस सूत्रों के मुताबिक अगले दो दिनों तक आफताब ने आस पास के तमाम इलाकों की अच्छी तरह से रेकी की. इसके बाद उसने बहुत ज्यादा इंतजार भी नहीं किया. घर में शिफ्ट होने के तीसरे ही दिन यानी 18 मई को उसने श्रद्धा का इसी घर में कत्ल कर दिया, वो भी पूरी प्लानिंग के साथ.
कंप्लेन में श्रद्धा ने जो लिखा था, वही हुआ
दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक आफताब श्रद्धा का कत्ल मुंबई में इसलिए नहीं करना चाहता था, क्योंकि वहां उसे फौरन पकड़े जाने का डर था. श्रद्धा के दोस्तों की एक लंबी लिस्ट है. वो अपने दोस्तों से हर रोज संपर्क में रहा करती थी. मुंबई में श्रद्धा के कत्ल के बाद उसकी लाश को ठिकाने लगाना वहां मुश्किल भी था. पुलिस के मुताबिक ये सारी कडियां जोडने के बाद ये साफ हो जाता है कि आफताब ने श्रद्धा का कत्ल अचानक गुस्से में नहीं किया, बल्कि पूरी प्लानिंग के साथ किया है.
इस बात को साबित करने के लिए पुलिस के पास श्रद्धा के कंप्लेन की वो कॉपी भी है, जो उसने 23 नवंबर 2020 को वसई के तुलिंज थाने में दी थी. इस कंप्लेन में श्रद्धा ने दो साल पहले ही लिख दिया था कि आफताब उसे गला घोंट कर मारेगा, लाश के टुकड़े करेगा और टुकडों को फेंक देगा. 18 मई 2020 को दिल्ली में आफताब ने ठीक ऐसा ही किया. श्रद्धा की बातों को सच कर दिया.
साजिश साबित करने की चुनौती
अब सवाल ये है कि आफताब इतनी आसानी से वो भी पहले ही दिन से पुलिस के सामने ये कबूल क्यों कर रहा है कि उसने श्रद्धा का कत्ल तो किया है, मगर ये कत्ल अचानक गुस्से में हो गया. तो दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक आफताब बेहद चालाक है. उसे कानून की पूरी जानकारी है. वो ये बात अच्छी तरह जानता है कि अचानक गुस्से में हुए कत्ल और प्लान के तहत किए गए कत्ल में बडा फर्क होता है. बिना प्लान के अचानक गुस्से में होनेवाले कत्ल के लिए अमूमन कम सजा मिलती है. कम से कम फांसी या उम्र कैद तो कतई नहीं.
लेकिन अगर ये साबित हो जाए कि कत्ल पूरी साजिश के तहत की गई है तो फिर कातिल को अधिकतम सजा यानी सजा-ए-मौत या फिर उम्र कैद मिलनी पक्की है. इसीलिए दिल्ली पुलिस के सामने ये चुनौती भी है कि वो आफताब की साजिश की हर छोटी बड़ी कडियों को जोड़ कर ये साबित करे कि श्रद्धा का कत्ल अचानक नहीं बल्कि आफताब ने पूरी साजिश बुनने के बाद किया.
टुकड़े फेंकने के वक्त मोबाइल नहीं रखता था आफताब
आफताब कितना होशियार है, इसके बारे में भी दिल्ली पुलिस सूत्रों ने आज तक को जानकारी दी. पुलिस सूत्रों के मुताबिक 20 मई के बाद से जब-जब श्रद्धा की लाश के टुकडे फेंकने आफताब घर से बाहर निकलता, वो कभी अपने साथ अपना मोबाइल नहीं ले जाता था. उसे मालूम था कि मोबाइल से आगे चल कर भी लोकेशन का पता लगाया जा सकता है. यानी किस-किस रात किन-किन तारीखों को किन-किन जगहों पर उसने लाश के टुकड़े ठिकाने लगाए, अगर मोबाइल उसके पास होता तो पुलिस आसानी से उन तारीखों पर उसकी लोकेशन ढूंढ लेती.
लेकिन आफताब की चालाकी के चलते ऐसा नहीं हो पाया. पुलिस ने जब आफताब के मोबाइल की जांच की, तो पता चला 20 मई के बाद से जून के पहले हफ्ते तक हर रात उसके मोबाइल की लोकेशन उसका घर ही होता. आफताब ने खुद पूछताछ में बताया कि वो अपने साथ कभी मोबाइल लेकर बाहर नहीं जाता.
मुंबई पुलिस की पहली गलती
वैसे श्रद्धा की लाश के जिन टुकडों को ढूंढने के लिए दिल्ली पुलिस पिछले 13 दिनों से जितनी मशक्कत कर रही है, शायद इतनी मेहनत ना करनी पड़ती अगर मुंबई पुलिस वक्त रहते कार्रवाई करती. इस मामले में मुंबई पुलिस ने दो बड़ी गलती की. पहली गलती ये कि जब 23 नवंबर 2020 को श्रद्धा ने वसई के तिलुंज पुलिस स्टेशन में आफताब के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी, तब उसकी शिकायत पर वक्त रहते कार्रवाई नहीं की गई. अगर उसी वक्त आफताब को गिरफ्तार कर लिया जाता, तो तय था कि श्रद्धा आफताब के चंगुल से आजाद हो जाती.
लेकिन पुलिस ने वक्त लिया और इस वक्त का फायदा आफताब ने उठाया. उसने श्रद्धा को खुदकुशी कर लेने की धमकी देते हुए एक बार फिर अपने पास बुला लिया. तब महाराष्ट्र में महाविकास अघाडी की सरकार थी. नेता मौका चूकते नहीं हैं. सो इस पर राजनीतिक शुरू हो चुकी है और तब की सरकार पर उंगलियां भी उठ रही हैं.
मुंबई पुलिस की दूसरी गलती
मुंबई पुलिस ने दूसरी गलती सितंबर 2022 में की. श्रद्धा के पिता ने तब थाने में श्रद्धा की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई थी. ये तक लिखाया था कि श्रद्धा आफताब के साथ दिल्ली में है. लेकिन मई के बाद से उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है. लेकिन मुंबई से दिल्ली पुलिस तक पहुंचते पहुंचते मुंबई पुलिस ने दो महीने लगा दिए.
11 नवंबर को हुई थी आफताब की गिरफ्तारी
अगर सितंबर में ही दिल्ली पुलिस से संपर्क कर लिया गया होता, तो बहुत मुमकिन है कि श्रद्धा की लाश के टुकडों के सबूत कहीं आसानी से मिल जाते. लेकिन दिल्ली पुलिस तक ये मामला 9 नवंबर को पहुंचा. दिल्ली पुलिस ने फौरी कार्रवाई भी की और 11 नवंबर को आफताब को गिरफ्तार कर केस खोल दिया. यहां गौर करनेवाली बात ये है कि मुंबई पुलिस ने जब दूसरी बार दूसरी गलती की, तो महाराष्ट्र में सरकार बदल चुकी थी. अब वहां बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट की सरकार आ चुकी थी. यानी महाराष्ट्र की दोनों सरकारों ने इस मामले में गलतियां कीं. और ये मामला पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया.