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'केकड़े' से कराई मूसेवाला की रेकी, फिर किया टीवी चैनल को कॉल... सचिन बिश्नोई की क्राइम कुंडली

भारत से 3,700 किमी दूर बैठे सचिन बिश्नोई ने कभी सोचा भी नहीं था कि वो विदेश में पकड़ा जाएगा. लेकिन ऐसा ही हुआ और उसे अजरबैजान में गिरफ्तार कर लिया गया. सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में पहले दिन से ही उसका नाम आ रहा था.

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सचिन अजरबैजान में रहकर लॉरेंस का गैंग ऑपरेट करता था
सचिन अजरबैजान में रहकर लॉरेंस का गैंग ऑपरेट करता था

Gangster Sachin Bishnoi: सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड की जांच में पहले दिन से ही विदेशी कनेक्शन सामने आ रहा था. क्योंकि कत्ल की इस सनसनीखेज वारदात का एक आरोपी गोल्डी बराड़ कनाडा में बैठा था और दूसरा गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई जेल में बंद था. लेकिन जिस गैंगस्टर को मूसेवाला की हत्या का मास्टरमाइंड बताया गया, वो था सचिन बिश्नोई, जिसे अब अजरबैजान से गिरफ्तार कर भारत डिपोर्ट किया गया है. अब इसे 10 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है. आइए जानते हैं सचिन बिश्नोई की क्राइम कुंडली.

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अजरबैजान में पकड़ा गया सचिन
भारत से 3,700 किमी दूर बैठे सचिन बिश्नोई ने कभी सोचा भी नहीं था कि वो विदेश में पकड़ा जाएगा. लेकिन ऐसा ही हुआ और उसे अजरबैजान में गिरफ्तार कर लिया गया. सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में पहले दिन से ही उसका नाम आ रहा था. मगर सचिन कानून की पहुंच से बहुत दूर था.

कौन है सचिन बिश्नोई?
शातिर सचिन बिश्नोई जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भांजा है. जो विदेश में बैठकर लॉरेंस बिश्नोई गैंग को ऑपरेट करता है. सचिन वही नाम है, जिसका जिक्र मूसेवाला मर्डर केस में एजेंसियां लगातार करती रही हैं. जांच एजेंसियां सचिन को इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड करार देती रही हैं. यही वजह है कि वो शुरू से ही जांच अधिकारियों के रडार पर रहा है. पुलिस का दावा था कि सचिन के कहने पर ही संदीप उर्फ केकड़ा ने सिद्धू मूसेवाला की रेकी की थी, क्योंकि वो सचिन का दोस्त है. यानी सीधे तौर पर सचिन का इस मर्डर केस से नाता है.

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सचिन के लिए काम करता था संदीप उर्फ केकड़ा
वारदात के दिन संदीप उर्फ केकड़ा सिद्धू मूसेवाला का फैन बनकर उनके घर पहुंचा था. वो काफी देर तक वहां जमा रहा और मौका मिलने पर उसने बाहर मूसेवाला के साथ सेल्फी ली थी. इसके बाद भी वो वहीं मौजूद था. जब मूसेवाला घर से बाहर निकले तो उसने फौरन इस बात की इत्तिला शूटरों को दे दी थी. उसकी जानकारी के आधार पर ही हमलावरों ने मूसेवाला को घेर मारने की योजना बनाई थी. इसके बाद उन्होंने अपनी साजिश को अंजाम भी दे डाला था.

सचिन ने किया था टीवी चैनल को कॉल
मूसेवाला की हत्या के बाद एक शख्स ने एक टीवी चैनल को फोन करके कहा था कि उनके गैंग अपने दोस्त विक्की मिद्दूखेड़ा की मौत का बदला लेने के लिए इस हत्याकांड को अंजाम दिया है. हालांकि, वो फोन कॉल चैनल के दफ्तर में सचिन ने ही की थी, इस बात की पुष्टि जांच एजेंसियों ने अभी तक नहीं की है.

फजिल्का का रहनेवाला है सचिन
अजरबैजान में सचिन के पकड़े जाने के बाद पता चला है कि उसके पास से फर्जी पासपोर्ट भी मिला है. जिस पर तिलक राज टूटेजा का नाम लिखा है. जिसे वो इस्तेमाल कर रहा था. असल में सचिन अपना पूरा नाम सचिन थापन लिखता है, जबकि उसके पिता का असली नाम शिव दत्त है. लेकिन बरामद किए गए फर्जी पासपोर्ट पर उसके पिता का नाम भीम सेन दर्ज है. उसने पासपोर्ट में अपना पता भी गलत दर्ज कर रखा है. पासपोर्ट में उसका पता मकान नंबर 330, ब्लॉक एफ-3, संगम विहार, दिल्ली पाया गया है. जबकि उसका असली पता वीपीओ दतारियां वाली, जिला फजिल्का है.

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मूसेवाला का मर्डर
गौरतलब है कि 29 मई 2022 को पंजाब में सिद्धू मूसेवाला की हत्या कर दी गई थी. उन्हें सरेआम गोलियों से भूना गया था, इस हमले की वजह से मौके पर ही मूसेवाला की मौत हो गई थी. जांच में पता चला कि कनाडा में बैठे गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के साथ मिलकर मूसेवाला की हत्या की साजिश रची थी और फिर सचिन ने उसे अपने शूटरों के जरिए अंजाम तक पहुंचाया था.

कौन है लॉरेंस बिश्नोई?
कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई अजरबैजान से भारत डिपोर्ट किए गए सचिन बिश्नोई का मामा है. उसे सचिन का क्राइम गुरू भी कह सकते हैं. सिद्धू मेसूवाला की हत्या और सुपर स्टार सलमान खान को जान से मारने की धमकी देने वाला गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई अपराध की दुनिया में एक बड़ा नाम बन चुका है. यही वजह है कि आए दिन उससे जुड़ी कोई ना कोई खबर सामने आ जाती है. उसके बारे में हर कोई जानना चाहता है. कहां से उसने जुर्म की दुनिया में कदम रखा, कैसे उसने पूरे देश और विदेशों में भी आतंक बनाया? कैसे उसकी एक पूरी गैंगस्टर्स की टोली तैयार हुई? इन सभी सवालों के जवाब लॉरेंस की जुर्म की दुनिया में ही छिपे हुए हैं. 

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गैंग में अहम रोल निभाता है सचिन बिश्नोई
पिछले कई सालों से उसने जिस अंदाज में काम किया है, एक ऐसा पैटर्न है, जिससे उसके बारे में काफी कुछ समझा जा सकता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि लॉरेंस की क्राइम कंपनी में सब कुछ डिजिटल है. ये एक वर्चुअल संसार जैसा नज़र आता है. इस गैंग से जुड़े करीब 1000 लोग, जिसमें शार्प शूटर्स, बदमाश, केरीयर, सप्लायर, रैकी पर्सन, लॉजिस्टिक स्पोट बॉय, शेल्टर मेन सोशल मीडिया विग के सदस्य शामिल हैं. इस गैंग के टारगेट वर्चुअल नंबरों से ऑडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए तय किए जाते हैं. लारेंस इस कंपनी में मास्टर ब्रेन है तो गोल्डी बरार कंपनी की रीढ़ की हड्डी है. लारेंस का ममेरा भई सचिन बिश्नोई कंपनी का भर्ती सेल और टारगेट प्लान का प्रमुख है जबकि ऑस्ट्रीया से अनमोल और कनाडा से विक्रम बराड़ कंपनी की फाइनेंस डील को संभालते हैं.

बिश्नोई गैंग के काम करने का तरीका
हैरानी की बात ये है कि इस क्राइम कंपनी में हर टारगेट से जुड़ा शख्स केवल अपने आगे वाले एक शख्स को जानता है. इसके अलावा एक ऑपरेशन में जितने भी बंदे गैंग से जुड़े होते हैं, उन्हें बाकी गैंग मेम्बर के बारे में कोई भी जानकारी नही रहती. बकायदा एक फुलप्रूफ़ प्लानिंग के मुताबिक गैंग के सदस्यों को अलग-अलग काम सौंपे जाते हैं. यानी रेकी कौन करेगा, पनाह कौन देगा? गाड़ियां कौन सप्लाई करेगा? हथियार कौन मुहैया कराएगा? क़त्ल के बाद किस तरफ किधर भागना है, और सबसे बड़ा सवाल कि फंडिंग कैसे होगी, इसे भी क्राइम मास्टर ही तय करते हैं. किलिंग के वक्त मौजूद गैंग मेम्बर भी अक्सर एक दूसरे को नहीं जानते ताकि पकड़े जाने पर गैंग के बाक़ी सदस्यों पर आंच ना आ सके.

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मीटिंग में फरमान जारी करता था सचिन 
इस पूरी साज़िश का ताना बाना सिंग्नल एप्प के जरिये होता है, जहां बिना सिम के वर्चुअल नंबरों, इंटनरेट के नंबरों से कंपनी की सारी डील्स, सारे प्लान, पूरा ऑपरेशन और टारगेट फिक्स होते हैं. क्राइम मीटिंग में अधिकतर फरमान गैंगस्टर सचिन बिश्नोई ही देता था, जिसे आगे गैंग मेंबर फॉलो करते हैं. अपना हिस्सा लेते हैं और फिर अगले काम मे जुट जाते हैं. लॉरेंस के गैंग में 1000 के करीब गैंगस्टर बदमाश औऱ सक्रिय शॉर्प शूटर्स देश विदेश में मौजूद हैं.

जेल से ही हुक्म जारी करता है लॉरेंस बिश्नोई
तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई अपने गैंग को कुछ इस तरह चलाता है, जैसे शायद कोई कभी बाहर रह कर न चला पता. सूत्रों की मानें तो इस गैंग में करीब 700 से ज़्यादा शूटर्स हैं, जो लॉरेंस के एक इशारे पर किसी को भी मारने निकल पड़ते हैं. ये सभी शूटर्स दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैले हैं. इस गैंग का हवाला का पैसा ब्रिटेन और दुबई में भी लगा होने की जानकरियां मिली हैं. 

जुर्म ही कमाई का जरिया
फिरौती के लिए अपहरण, क़त्ल, जबरन उगाही इस गैंग का पैसे कमाने का मुख्य जरिया है. लेकिन कब कहां क्या करना है? ये आज भी जेल में बैठकर लॉरेंस ही तय कर करता है. लॉरेंस का गैंग पूरी दुनिया में फैला है. 32 साल के लॉरेन्स पर 65 से ज़्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. वो एक बार पुलिस हिरासत से फरार भी हो चुका है.

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विदेशों में ठिकाने
एजेंसियों के मुताबिक, गोल्डी बराड़ और सतिंदर ने कनाडा में ठिकाना बना रखा है. जबकि लॉरेंस का भाई अनमोल ऑस्ट्रिया में बैठा है. जेल में बैठकर लॉरेंस किसी भी काम को लेकर फैसला करता है. फिर वो पहला कमांड संपत नेहरा को देता है. उसके बाद विदेश में बैठे उसके भाई और गैंगस्टर फ़ोन कर लोगों को धमकी देते हैं. बताया ये भी जाता है कि लॉरेंस गैंग के तार पिछले 6 साल से मेक्सिको के ड्रग सिंडिकेट से भी जुड़े हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक लॉरेंस किसी भी शूटर से खुद बात नहीं करता बल्कि कांन्ट्रैक्टर से संपर्क साधता है.

 

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