बाबा रहाम रहीम के सिरसा वाले 700 एकड़ के डेरे में करीब 600 कंकाल दफ्न हैं. ये तो खुद बाबा के डेरे की कर्ताधर्ता ने पुलिस को बताया है. मगर जो नहीं बताया वो ये कि ये सारे कंकाल मोक्ष वाले हैं या फिर कत्ल किए जाने के बाद कंकाल बने हैं? दरअसल डेरे के अंदर जो मौत स्वाभाविक होती थी, उसे मोक्ष के नाम पर बाबा डेरे के अंदर ही दफन करवा देता था. जबकि बहुत से लोग डेरे से आज भी रहस्यमयी तौर पर लापता हैं. शक है कि बाबा ने उन्हें मरवा दिया. इसलिए अब सवाल ये है कि पुलिस ये फर्क कैसे करेगी कि कौन सा कंकाल मोक्ष वाला है और कौन सा कत्ल वाला?
700 के एकड़ के अपने डेरे में बाबा ने ऐसे बहुत से गड्ढ़े खोदे. उनमें पौधे भी लगाए. कभी आम के कभी अमरूद के. कभी तुलसी के तो कभी एलोवीरा के. लोगों की नज़र बाबा के पौधों पर तो थी. मगर इन गड्ढ़ों में झांक कर किसी ने नहीं देखा. देखते, तो क्या पता उसमें ठंडे हो चुके 600 जिस्मों के कंकाल नज़र आते.
बाबा के बाद डेरे की सबसे खासमखास विपासना और डॉ. पीआर नैन हरियाणा पुलिस के कब्ज़े में हैं. उनसे स्पेशल इंवेस्टिंगेटिंग टीम यानी एसआईटी लगातार पूछताछ कर रही है. डेरा सच्चा सौदा के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. पीआर नैन ने ढ़ाई घंटे हुई पूछताछ में बाबा के बारे में जो खुलासा किया है वो ना सिर्फ ज़मीन के ऊपर बल्कि ज़मीन के नीचे भी भूचाल लाने वाला है. बकौल हरियाणा पुलिस डॉ. नैन ने बताया डेरा के सिरसा मुख्यालय की जमीन के अंदर करीब 600 लोगों की हड्डियां और कंकाल मौजूद हो सकते हैं. ये बाबा के उन भक्तों की अस्थियां हैं, जिन्हें इस यकीन से डेरे की ज़मीन में दबाया गया कि ऐसा करने से उन्हें मोक्ष मिलेगा.
अब सवाल ये है कि क्या सारे कंकाल मोक्ष के मोह वाले हैं? 600 में से सभी मौत नेचुरल हुई? सभी मरने वालों के डेथ सर्टिफिकेट हैं? या फिर मोक्ष वाली लाशें और क़त्ल वाली लाशें मिला दी गईं हैं? ऐसा पहली बार नहीं है, जब डेरे की ज़मीन के अंदर अस्थियां होने का खुलासा किया गया है. इससे पहले भी डेरे के अखबार 'सच कहूं' ने ये सच उगला था कि डेरे की इन लहलहाती फसलों की नीचे कंकालों का कब्रिस्तान है.
डेरा परिसर में जेसीबी मशीनों से खुदाई के दौरान कई लोगों की अस्थियां मिल सकती हैं. जो ऐसे साधकों की होंगी जिनकी डेरे में स्वाभाविक मौत हो गई थी. ड़ेरा प्रमुख अपने अनुयायियों को मृतकों की अस्थियां नदी में बहाने से मना करते था. क्योंकि इससे प्रदूषण बढ़ता है. इसलिए मृतकों की अस्थियां डेरा प्रांगण में ही दबा दी जाती थीं. और उस जगह पर पेड़ पौधे लगा दिए जाते थे.
डेरे के अधिकारी और अखबार जो कह रहे हैं उसमें सच कितना है झूठ कितना है. फिलहाल उसे मापने का तब तक कोई पैमाना है नहीं. जब तक यहां की ज़मीन में दफ्न कंकालों का सच बाहर नहीं आ जाता. ज़मीन बोल पाती तो चीख चीखकर बयान करती कि जो दफ्न हैं वो क्यों गाड़े गए. आसमान बोलता तो गवाही देता मरने वाले मोक्ष के लिए मरे, या बाबा की मुखाल्फत में मार दिए गए. मगर ये हो नहीं सकता लिहाज़ा इस सच का इंतज़ार तब तक होगा जब तक डेरे के अंदर खुदाई शुरू नहीं हो जाती.
बाबा के डेरे में इन 600 कंकालों का सच तह दर तह दफ्न है. पहली तह पर ये लहलहाती खेती है. और दूसरी तह में लाशें हैं. जिनका सच अभी सामने आना बाकी है. मगर उससे पहले ही डेरे के लोगों के मुंह से खौफ के मारे सच्च फूटने लगा है.
बाबा के डेरे के अधिकारी ज़मीन के नीचे कंकालों की तादाद को लेकर इतने यकीन से दावा कैसे कर सकते हैं. जबकि उनके पास मरने वालों की कोई फेहरिस्त भी नहीं. क्या उन्हें इस बात का खौफ है कि सरकारी जेसीबी मशीने जब ज़मीन खोदेंगी तो कंकालों के साथ बाबा के कुकर्मों का खुलासा भी हो जाएगा. उन गुमशुदा लोगों का भी जो डेरे में आए तो थे मगर कभी वापस नहीं लौटे.
इतना तो तय है कि बाबा के डेरे में इन पौधों की जड़ें ज़मीन के नीचे इंसानी हड्डियों से टकराती ज़रूर होंगी. क्योंकि डेरे ने अब खुद इस ज़मीन के नीचे कंकालों के कब्रिस्तान की बात कबूल ली है. मगर ये दावा तो सच्चा सौदा का है. जो इन कंकालों को उन लोगों से जोड़ रहा है जो मोक्ष के लिए यहां दफ्न हैं. मगर उनका क्या करें जो बाबा के डेरे में आकर लापता हो गए. कोई 6 महीने से.. कोई सालभर से.. कोई 5 साल से.. तो कोई दस साल से.
जब तक बाबा बाहर था तब तक कहते थे कि एक बार कोई डेरे के अंदर घुस गया तो न फिर उसकी कोई खबर बाहर आती है. न मरने के बाद उसकी लाश. सब कुछ यहीं दबा दिया जाता है. 700 एकड़ के इस डेरे में ऐसे न जाने कितने ही राज़ दफ्न हैं. जिन पर आप आज ये लहलहाती फसलें दिख रही हैं. डेरे की इस जम़ीन के नीचे कितनी ज़िंदगियां दफ्न हैं. कंकाल किसके हैं. कितने हैं. मरने वाले कौन थे. कहां के थे. इसका अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है.
न तो पुलिस को अब तक उन लोगों की लिस्ट मिल पाई है जो बकौल डेरे के यहां मोक्ष पाने के लिए दफ्न हैं. हालांकि बाबा के पूर्व भक्तों का दावा है कि मोक्ष तो बहाना है. इस ज़मीन के नीचे उन तमाम लोगों की लाशें दफ्न हैं, जो बाबा के खिलाफ जाने की जुर्रत कर रहे थे. उन्हें मारकर यहां दफनाया गया है.
फिलहाल डेरा सच्चा सौदा की चेयरपर्सन विपासना इंसा और वाइस प्रेसिडेंट डॉ. पीआर नैन से हरियाणा पुलिस की एसआईटी इस बात का पता लगा रही है कि आखिर उन 600 लाशों को आश्रम में किस जगह दफ्नाया गया. ताकि इस बार जेसीबी मशीनें सिर्फ बाबा को डराने के लिए नहीं बल्कि ज़मीन से उसके राज़ खोद निकालने के लिए इस्तेमाल की जाएं. बहुत मुश्किल है जमीन के नीचे कंकालों से उनका अता पता निकालना. मगर नामुमकिन नहीं है. मेडिकल साइंस में हड्डियों की जांच कर के भी काफी कुछ पता लगाया जा सकता है. मगर सवाल ये कि डेरे में दफ्न नरकंकालों का सच आखिर है क्या.