डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम जेल में थे. उसी जेल में उन्हें कहा गया कि अब अगले 20 साल तक आप यहीं रहेंगे. इस फैसले के आते ही तमाम धड़कनें एक बार फिर तेज हो गई थीं. शुक्रवार का मंज़र सोमवार को कहीं फिर ना दिख जाए? पर शुक्र है ऐसा कुछ हुआ नहीं. हालांकि बाबा राम रहीम और उनके भक्तों ने अपनी तरफ से तो पूरा इंतजाम कर रखा था कि जहां बाबा को कड़ी सजा सुनाई जाए और वहीं दो-दो राज्यों को हिंसा में झोंक दिया जाए. इस काम के लिए बाबा के भक्तों ने 'कुर्बानी ब्रिगेड' बनाई थी. जिसके बारे में जानकर पुलिस भी हैरान रह गई.
25 अगस्त यानी जिस दिन पंचकुला की विशेष सीबीआई कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिया तो करीब तीन घंटे तक कानून को खिलौना बना कर राम रहीम के भक्तों ने पंजाब और हरियाणा में हिंसा का तांडव मचाया था. जिसमें 38 लोग मारे गए थे, डेढ़ सौ से ज्यादा गाड़िय़ां फूंक दी गईं थीं, दर्जनों सरकारी और निजी बिल्डिगों में आग लग दी गई थीं. क्योंकि राम रहीम बलात्कार के मामले में दोषी करार दिए जाना इन भक्तों को रास नहीं आ रहा था. ये लोग कानून का विरोध कर रहे थे.
इसके बाद सोमवार यानी 28 अगस्त को राम रहीम की सजा का दिन था. रोहतक जेल में ही विशेष अदालत लगाई गई. और फिर राम रहीम के गुनाहों के लिए दस साल की सजा सुनाई गई. सजा सुनए जाने के बाद कुछ चिंगारी इस रोज भी उठी. कुछ वाहनों में आग लगाने की ख़बरें आईं. मगर 25 अगस्त जैसे शोले नहीं भड़के.
इसी दौरान पुलिस को एक ऑडियो हाथ लगा. जिसमें एक आवाज इस साजिश को बेपर्दा करती है कि अदालत के फैसले से पहले ही बाबा ने अपने भक्तों को माहौल बनाने के लिए बाकायदा कैसे-कैसे रास्ते सुझाए थे. कैसे हरियाणा, पंजाब को हिंसा की आग में झोंक देने के प्लान बनाए गए थे. कैसे इसके लिए बाबा ने कुर्बानी ब्रिगेड तैयार की थी. जिसका कहा था कि फैसला खिलाफ आते ही वो हर तरफ मार-काट मचा दें. इस बातचीत में बाकायदा बाबा का नाम न लेने की भी हिदायत दी गई.
मगर पुलिस ने डेरा सच्चा सौदा के इस क़ुर्बानी गैंग का प्लान वक्त रहते डीकोड कर लिया. सिर्फ डिकोड ही नहीं किया बल्कि अंबाला पुलिस ने इस ब्रिगेड के दो लोगों को गिरफ्तार भी किया. जिनके पास से 38 लाख रुपये भी बरामद हुए. ये रुपये उन लोगों के घरवालों को पहुंचाए जाने वाले थे, जो बाबा के लिए सिर पर कफन बांध कर निकलने वाले थे.
अंबाला के एसपी अभिषेक जोरवाल के मुताबिक कुर्बानी गैंग को हिंसा फैलाने के लिए बाकायदा कोड वर्ड दिए गए थे. जहां पाधारोपण का मतलब आत्मदाह, पानी सीचंना यानी पेट्रोल डाल कर खुद को आग लगाना, कली काटना मतलब धारदार हथियार से मार डालना है.
25 अगस्त की हिंसा में जो 38 लोग मारे गए, उनमें से 30 बाबा राम-रहीम के भक्त थे. अब पुलिस ये भी जांच कर रही हैं कि इनमें से कुछ लोग जो जल कर मरे हैं क्य़ा उन्होंने आत्मदाह किया था या फिर उन्हें जबरन जला दिया गय़ा? पुलिस के मुताबिक राम रहीम के भक्तों को 25 अगस्त से पहले काफी पैसे बांटे गए थे. उन पैसों का इस्तेमाल आगजनी, तोड़-फोड़ दंगे-फसाद में करना था.
सूत्रों के मुताबिक कुर्बानी ब्रिगेड में सैकड़ों लोगों को शामिल किया गया था. इनमें वही लोग थे जो डेरा के बेहद भरोसे के थे. ब्रिगेड से जुड़े लोगों को भरोसा दिया गया था कि अगर उन्हें कुछ हो जाता है, तो उनके परिवार की देखभाल डेरा करेगा.
राम रहीम की कुर्बानी ब्रिगेड ने शुक्रवार को हिंसा का जो तांडव मचाया था, उसी का नतीजा था कि पंचकुला से खुद अदालत को उड़कर रोहतक जेल जाना पड़ा. बाकायदा जेल में अदालत लगानी पड़ी. और फिर राम रहीम को जेल से ही जेल भेजने की रस्म निभानी पड़ी.