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अपने ही कत्ल के लिए दी 2500 रुपये की सुपारी

ये तो फिर भी मुमकिन है कि कोई खुद अपने हाथों से अपनी जान ले ले लेकिन कोई खुद ही अपना कत्ल करवा ले और वो भी बाकायदा सुपारी देकर, ये सुनने में जरा अजीब लगता है. लेकिन कत्ल की ये वारदात कुछ ऐसी ही है, जिसमें मकतूल ने खुद ही ना सिर्फ अपने कातिल की तलाश की बल्कि उसे कत्ल के लिए राजी किया, फिर सुपारी दी और इसके बाद अपना ही कत्ल करवा लिया.

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सतबीर के सिर पर था लाखों का कर्ज
सतबीर के सिर पर था लाखों का कर्ज

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ये तो फिर भी मुमकिन है कि कोई खुद अपने हाथों से अपनी जान ले ले लेकिन कोई खुद ही अपना कत्ल करवा ले और वो भी बाकायदा सुपारी देकर, ये सुनने में जरा अजीब लगता है. लेकिन कत्ल की ये वारदात कुछ ऐसी ही है, जिसमें मकतूल ने खुद ही ना सिर्फ अपने कातिल की तलाश की बल्कि उसे कत्ल के लिए राजी किया, फिर सुपारी दी और इसके बाद अपना ही कत्ल करवा लिया.

पहले लगा सड़क हादसा
हरियाणा का रहने वाला सतबीर इस रोज सुबह भी मॉर्निंग वॉक के लिए घर से निकला था लेकिन आज वो लौट कर नहीं आया, बल्कि उसके आने से पहले ही उसकी मौत की खबर आ गई. सतबीर गांव में ही खेतों के बीच लहूलुहान पड़ा हुआ था और पास ही उसकी बाइक भी पड़ी थी, जिसे देख कर ये शक हो रहा था कि शायद वो किसी सड़क हादसे का शिकार हुआ है. फौरन घरवाले उसे लेकर पीजीआई रोहतक की तरफ भागे लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया.

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पोस्टमार्टम में सामने आया मौत का सच
लेकिन सतबीर की मौत के सदमे के बाद रोहतक में एक चौंकानेवाली खबर उसके घरवालों का इंतजार कर रही थी. खबर ये कि सतबीर की मौत सड़क हादसे में नहीं बल्कि सिर में गोली लगने की वजह से हुई. दरअसल, रोहतक में उसका पोस्टमार्टम करन वाले डॉक्टरों ने बताया कि सतबीर के सिर में गोली लगने के निशान हैं. और वो भी बिल्कुल करीब से मारी गई गोली के, जो सिर के आर-पार निकल चुकी है. ये खबर सुनते ही घरवालों के साथ-साथ खुद पुलिसवालों के भी होश उड़ गए. लोगों को ये समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर सतबीर का कत्ल किसने किया? और इसकी वजह क्या थी? वो भी तब, जब उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी.

पुलिस ने शुरू की तफतीश
अब पुलिस ने एक साथ कई टीमें बना कर मामले की तफ्तीश शुरू कर दी. पहले तो पुलिस की सारी तफ्तीश सतबीर के रिश्तेदार और जानकारों के इर्द-गिर्द घूमती रही लेकिन जल्द ही उसे एक ऐसा सुराग मिला, जो थोड़ा हट कर था, पुलिस को ये पता चला कि हाल के दिनों में सतबीर खुद से करीब तीस साल छोटे एक लड़के के साथ अक्सर उठता-बैठता था और उसका नाम था चांद.

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उम्र का फासला लाया शक
चांद उसी गांव का रहनेवाला था. अब पुलिस को उस पर शक होने लगा. शक की वजह भी सीधी सी थी, सतबीर और चांद की दोस्ती जबकि दोनों के उम्र में अच्छा खासा फासला था. सतबीर जहां 55 साल का था, वहीं चांद सिर्फ 22 साल का.

चांद ने खोला राज
ऐसे में पुलिस ने चांद से ही तफ्तीश की शुरुआत करने का फैसला किया लेकिन चांद सतबीर की मौत से कोई भी लेना-देना होने से लगातार इनकार कर रहा था. मगर, जब उससे सख्ती हुई, तो उसने ये कुबूल कर लिया कि हां, उसी ने गोली मारकर सतबीर की जान ली. चांद ने ना सिर्फ सतबीर के कत्ल की बात कुबूल की, बल्कि ये भी बताया कि इस कत्ल के लिए उसे ढ़ाई हजार रुपए भी दिए गए थे. लेकिन फिर सवाल ये था कि आखिर चांद ने अपने ही दोस्त सतबीर का कत्ल क्यों किया? और उसे सतबीर की जान लेने के लिए ढाई हजार रुपए की इस बेहद मामूली रकम की सुपारी किसने दी? जब चांद ने राज खोला, तो हर कोई चौंक गया. चांद की मानें तो सतबीर ने खुद ही अपना कत्ल करवाया क्योंकि वो और जीना नहीं चाहता था और अपनी मौत की सुपारी भी उसने खुद ही दी थी.

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सुपारी की ऐसी कहानी, जो न कभी सुनी, न कभी देखी
लेकिन सवाल ये था कि आखिर सतबीर ने ऐसा किया क्यों? अपनी जान लेने का जो काम वो खुद कर सकता था वो काम वो खुद न कर क्यों उसके लिए वो अपने कातिल की मिन्नतें करता रहा? और वो भी पूरे ढ़ाई महीने तक? तो जब पकड़े जाने पर सतबीर के कातिल ने मुंह खोला, तो सुनने वाले बस, सुनते ही रह गए. दुनिया में ऐसी सुपारी शायद इससे पहले कभी किसी ने दी हो और किसी ने ली हो, लेकिन यहां खुद ही सुपारी उठानेवाला कातिल अपनी जुबान से पूरी कहानी बयान कर रहा है.

पुलिस को सुलझानी थी इन सवालों की गुत्थी
वो बयान कर रहा है कि कैसे मकतूल के खुद कहने पर उसने उसे गोली मारी और बदले में उससे ढाई हज़ार रुपए भी ले लिए लेकिन सवाल ये था कि आख़िर एक शख्स ने खुद ही जान देने की बजाय, इस शख्स ने अपना कत्ल क्यों करवाया? ऐसा करवा कर आखिर वो क्या हासिल करना चाहता था?

सतबीर पर था 60 लाख रुपये कर्ज
सोनीपत का रहने वाले सतबीर का कामकाज अच्छा चल रहा था लेकिन वक्त ने करवट बदली और वो धीरे-धीरे कर्ज में डूबता चला गया. दरअसल, वो अपने गांव में कमेटियां डाला करता था यानी लोगों से रुपए इकट्ठा कर उसे हर महीने अलग-अलग लोगों को चुकाया करता था. लेकिन इल्जाम है कि गुजरते वक्त के साथ उसने कमेटी के पैसे खुद पर खर्च करने शुरू कर दिए और खुद कर्ज में आ गया. हालत ये हो गई कि उस पर अपने ही गांव वालों की करीब 60 लाख रुपए की देनदारी हो गई.

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बीमा की रकम पाने के लिए रची साजिश
और फिर जब उसे ये अहसास होने लगा कि वो शायद जीते जी लोगों से लिए गए ये रुपए नहीं चुका पाएगा, तो उसने इस मुसीबत से बच निकलने की अजीब और खौफनाक साजिश रच डाली. सतबीर ने पहले ही अपने नाम लाखों रुपए की बीमा पॉलिसी ले रखी थी लेकिन उसे लगता था कि अगर उसने खुद अपनी जान दे दी यानी खुदकुशी कर ली, तो शायद से बीमा के रुपए उसके घरवालों को नहीं मिलेंगे. लेकिन बगैर मरे बीमा की रकम हासिल भी नहीं की जा सकती थी. लिहाजा, उसके लिए मरना भी जरूरी था, ऐसे में उसने मन ही मन अपने लिए मौत की एक ऐसी ख्वाहिश पाल ली, जिसे वो चाहता तो अपने लिए जरूर था लेकिन अपने हाथों से अपनी जान लेना नहीं चाहता था.

ढ़ाई महीने तक चांद से करता रहा मिन्नतें
और तभी उसने गांव के लिए एक लड़के चांद को ना सिर्फ इस काम के लिए कहा, बल्कि खुद को गोली मरवाने के लिए उसे सुपारी देने की भी पेशकश की. पहले तो चांद ने इस अजीब काम को करने से इनकार कर दिया लेकिन सतबीर ने उसका पीछा नहीं छोड़ा, बल्कि पूरे ढ़ाई महीने तक मिन्नतें करता हुआ उसके पीछे घूमता रहा. और आखिरकार एक सुबह वो चांद को शराब पिला कर इस काम को अंजाम दिलवाने के लिए राजी करने में कामयाब हो गया. और यही उसकी जिंदगी की आखिरी सुबह साबित हुई.

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आखिरकार सुलझ गई हत्या की गुत्थी
इसके बाद 16 सितंबर को सतबीर का कत्ल तो हो गया, लेकिन उसकी जान लेने वाला चांद भाग निकला. सिर्फ एक कातिल और मकतूल के दरम्यान मौजूद ये राज भी शायद हमेशा-हमेशा के लिए राज ही रह जाता, अगर लोगों ने चांद और सतबीर की बेमेल दोस्ती पहले ही ना देख ली होती. पुलिस ने अब कत्ल का ये मामला बेशक सुलझा लिया है, लेकिन इसकी कहानी. अब भी रह-रह कर लोगों को हैरान कर रही है, जहां एक मरनेवाले ने खुद ही अपने कत्ल की सुपारी दी है.

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