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पठानकोट हमला: ड्रग माफिया समझकर SP सलविंदर ने की आतंकियों की मदद!

गुरदासपुर के तत्कालीन एसपी सलविंदर सिंह आतंकवादियों की पहचान नहीं कर पाए थे. एसपी ने उन्हें ड्रग माफिया समझकर सीमा पार करने में मदद की थी.

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एसपी सलविंदर सिंह से एनआईए की टीम लगातार पूछताछ कर रही है
एसपी सलविंदर सिंह से एनआईए की टीम लगातार पूछताछ कर रही है

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पंजाब में गुरदासपुर के तत्कालीन एसपी सलविंदर सिंह ने आतंकवादियों को ड्रग माफिया समझकर उनकी मदद की थी. इस बात का खुलासा उससे पूछताछ के दौरान हुआ है.

एनआईए की टीम गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह से लगातार पूछताछ कर रही है. इसी दौरान सूत्रों ने बताया कि सलविंदर को आतंकवादियों की पहचान नहीं थी. उसे लग रहा था कि आतंकवादी ड्रग सिंडिकेट का हिस्सा हैं और इसलिए वह उन्हें सीमा पार करने में मदद करने के लिए वहां गया था. सलविंदर के कई फोन नंबरों की पहचान हुई है. सूत्रों के मुताबिक गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह के सीडीआर से एनआईए ने कई नंबरों की पहचान की है जो ड्रग तस्करी से जुड़े हुए हैं. सलविंदर इन्हें मुखबिर बता रहे हैं लेकिन एनआईए इस एंगल से जांच कर रही है कि ये नंबर ड्रग तस्करों के हैं और उस दिन सलविंदर वहां ड्रग तस्करों की घुसपैठ और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए मौजूद थे.

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माना जा रहा है कि एसपी सलविंदर सिंह इस मामले के साथ पूरी तरह जुड़ा हुआ था. और वह नियमित रूप से ड्रग माफियाओं की मदद करता आ रहा था.

घटना के दौरान आतंकियों की हकीकत सामने आने पर एसपी सलिवंदर ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को फोन किया था और उन्हें इस बात की जानकारी दी थी. लेकिन सलविंदर की खराब छवि की वजह से अधिकारियों ने देर से एक्शन लिया.

अधिकारियों की उस देरी के चलते ही बड़ा नुकसान हुआ. और इस गंभीर चूक के परिणामस्वरूप भारत को एक बड़े हमले का सामना करना पड़ा.

पहले से ही शक के घेरे में थे सलिवंदर
- एसपी सलविंदर सिंह ने आतंकियों की संख्या चार-पांच, जबकि उनके दोस्त ने चार बताया था.
- एक टैक्सी ड्राइवर की हत्या करने वाले आतंकियों ने एसपी और उनके साथियों को बिना गंभीर नुकसान पहुंचाए कैसे छोड़ दिया.
- पठानकोट जैसी संवेदनशील जगह में बिना हथियार और पुलिस टीम लिए एसपी क्यों निकले.

एसपी ने कहा था- पीड़ित हूं, संदिग्ध नहीं एसपी सलविंदर सिंह ने बताया था वह खुद पीड़ित है, संदिग्ध नहीं. उनको गंभीर चोटें लगी थी. पठानकोट के कोलिआं मोड़ पर संदिग्धों ने गाड़ी रोकी थी. गाड़ी उनका दोस्त राजेश वर्मा चला रहा था. उसी समय अचानक आतंकी उनकी गाड़ी में घुस गए. उन्होंने अंदर की लाइट बंद करने के लिए कहा. उन्हें पीछे धकेल दिया. उनके हाथ सीट के पीछे बांध दिए. उन सभी को गन प्वाइंट पर ले रखा था.

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दरगाह से लौटते वक्त हुआ था हादसा उन्होंने बताया था कि आतंकियों के ये नहीं पता चला था कि वे पुलिस अफसर की गाड़ी में हैं. अगवा किए जाने के करीब 30-40 मिनट बाद पंजाब पुलिस की चेक पोस्ट पार करते ही आतंकियों ने सबसे पहले उनको गाड़ी से गिरा दिया. उस समय वह बेहोश थे. होश में आने के बाद उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को आतंकियों की जानकारी दी, लेकिन पुलिस उनकी जानकारी पर यकीन नहीं हुआ. वह दरगाह पर मत्था टेकने के बाद वापस आ रहे थे.

 

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