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एक कॉल के इर्द-गिर्द घूमती डबल मर्डर की कहानी

ऐसा बहुत कम होता है जब कत्ल के किसी मामले में कातिल के पकड़े जाने के बावजूद कत्ल की कहानी ना सुलझे. साजिश की परतें ना हटें. लेकिन मुंबई में हुए आर्टिस्ट हेमा उपाध्याय और उनके वकील हरीश भंबानी के डबल मर्डर की कहानी के साथ कुछ ऐसी ही हो रहा है.

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ऐसा बहुत कम होता है जब कत्ल के किसी मामले में कातिल के पकड़े जाने के बावजूद कत्ल की कहानी ना सुलझे. साजिश की परतें ना हटें. लेकिन मुंबई में हुए आर्टिस्ट हेमा उपाध्याय और उनके वकील हरीश भंबानी के डबल मर्डर की कहानी के साथ कुछ ऐसी ही हो रहा है. इस दोहरे कत्ल के सिलसिले में अब तक चार लोगों की गिरफ्तारी के बावजूद ना तो मर्डर की रीयल स्टोरी बाहर आई है और ना ही हेमा के साथ तलाक के झगड़े में उलझे उसके पति को ही क्लीन चिट मिली है.

रहस्यमयी तरीके से हुए गायब
शहर से अचानक दो लोग रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाते हैं. लेकिन साजिश का पता नहीं चलता. 24 घंटे के भीतर दोनों का कत्ल हो जाता है. लेकिन साजिश का पता नहीं चलता. अगले 24 घंटे में इस कत्ल के इल्जाम में चार लोग पकड़े जाते हैं. तीनों अपना गुनाह कुबूल कर लेते हैं. लेकिन फिर भी साजिश का पता नहीं चलता. जुर्म की दुनिया में ऐसे मामले कम ही देखने को मिलते हैं. जहां गुनहगार के पकड़े जाने के बावजूद वारदात की साजिश पोशीदा रह जाए. लेकिन मुंबई के हाई प्रोफाइल डबल मर्डर केस की कहानी कुछ ऐसी ही है.

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ऐसे हुई कहानी की शुरुआत
12 दिसंबर शनिवार को शाम 6.30 बजे कांदीवली के एक नाले में हेमा और हरीश की लाश बरामद हुई. दोनों की लाश गत्ते के डिब्बों में पैक थी और देख कर लग रहा था कि दोनों का कत्ल गला घोंट कर किया गया है. पुलिस ने जल्द ही शहर के दो अलग-अलग थानों में दर्ज मिसिंग रिपोर्ट्स की बदौलत दोनों की पहचान कर ली और तफ्तीश भी शुरू कर दी. जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि कंटेंपररी आर्टिस्ट हेमा उपाध्याय का अपने पति चिंतन उपाध्याय के साथ तलाक का मुकदमा चल रहा है और इस लड़ाई में वकील हरीश भंबानी उनका साथ दे रहे हैं. लिहाजा, शुरुआती शक चिंतन पर ही गया और जल्द ही चिंतन हिरासत में ले लिया गया. लेकिन मामला तब पहली बार उलझता हुआ लगा, जब पकड़े जाने के बावजूद चिंतन ऐसी किसी साजिश से लगातार इनकार करता रहा.

मगर, इसी बीच पुलिस को एक ऐसी बात पता चली, जिसने उसके तफ्तीश की पूरी सिम्त ही बदल कर रख दी. ये बात थी कत्ल से चंद घंटे पहले हेमा उपाध्याय के मोबाइल पर आया एक टेलीफोन कॉल. छानबीन हुई तो ये पता चला कि हेमा को टेलीफोन करनेवाले शख्स ने उसे उसके पति चिंतन के खिलाफ कुछ सुबूत देने की बात कही थी और इसी वजह से हेमा अपने वकील के साथ उससे मिलने के लिए रवाना हो गई. लेकिन इसके बाद न जाने ऐसा क्या हुआ कि दोनों का घर लौटना तो दूर, दोनों का कत्ल कर लाशें कांदीवली के नाले में निपटा दी गईं.

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पुलिस लगी छानबीन में
कातिल की तलाश में जर्रा-जर्रा छान रही पुलिस इस गुमनाम टेलीफोन कॉल का पीछा करती हुई, जल्द ही वाराणसी जा पहुंची, जहां से उसने शिव कुमार उर्फ साधु राजभर नाम एक शख्स को गिरफ्तार किया. ये शख्स ना सिर्फ दोनों कत्ल की बात कुबूल कर रहा था, बल्कि इस साजिश में शामिल दूसरे लोगों का नाम भी बता रहा था. लगे हाथ तीन और लोग भी मुंबई से गिरफ्तार कर लिए गए. लेकिन कमाल देखिए कि पुलिस को मिली इस कामयाबी को भी अब तीन से चार दिन गुजर गए, मगर मुंबई की इस हाई प्रोफाइल डबल मर्डर मिस्ट्री की साजिश अब पूरी तरह साफ नहीं हो सकी. सवाल है आखिर क्यों? क्योंकि आगे की कहानी और भी अजीब और उलझानेवाली है.

टेलीफोन कॉल के इर्द-गिर्द कहानी
मुंबई के इस हाई प्रोफाइल डबल मर्डर केस की पूरी कहानी पहले ही दिन से एक रहस्यमयी टेलीफोन कॉल के इर्द-गिर्द घूम रही थी क्योंकि यही वो टेलीफोन कॉल थी, जिसके आने के बाद हेमा उपाध्याय कांदीवली में किसी से मिलने के लिए अपने घर से निकल गई थी और उनका कत्ल हो गया था. और इसी वजह से रहस्यमयी कॉल वाले टेलीफोन नंबर का पीछा करती हुई पुलिस वाराणसी जा पहुंची. क्योंकि ये फोन मुंबई में रह कर फोटो फ्रेमिंग का वर्कशॉप चलानेवाले विद्याधर राजभर नाम के एक ऐसे शख्स ने किया था, जो मूल रूप से वाराणसी का रहनेवाला था. और हेमा और हरीश की लाश मिलते ही विद्याधर अपने एक मुलाजिम और कत्ल में उसका साथ देनेवाले साधु राजभर के साथ घबराहट के मारे मुंबई से भाग निकला था.

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उधर, जब पुलिस को ये पता चला कि विद्याधर अपने मुलाजिम साधु के साथ वाराणसी के लिए निकल चुका है, तो मुंबई पुलिस भी वाराणसी के लिए चली. लेकिन विद्याधर और साधु राजभर का पीछा करती मुंबई पुलिस को तब एक बड़ा झटका लगा, जब उसे पता चला कि विद्याधर तो साधु के साथ वाराणसी पहुंचा ही नहीं, बल्कि वो ये कह कर बीच रास्ते में ही उतर गया कि वो वापस मुंबई पुलिस के सामने सरेंडर करने जा रहा है. ये बात थी मुंबई और वाराणसी के बीच मौजूद इटारसी रेलवे स्टेशन की. लेकिन इसी इटारसी से विद्याधर ना सिर्फ फरार हो गया, बल्कि उसने अपना मोबाइल फोन भी स्वीच्ड ऑफ कर लिया. हालांकि वाराणसी में पहले यूपी एसटीएफ और फिर मुंबई पुलिस के हत्थे चढ़ने वाले साधु राजभर ने जो खुलासा किया, वो चौंकानेवाला था. उसने पुलिस को बताया कि हेमा उपाध्याय और विद्याधर बिजनेस पार्टनर थे. और इसी पार्टनरशिप के बकाए के तौर पर विद्याधर हेमा से 5 लाख 20 हजार रुपए लेना चाहता था. जबकि हेमा ये रुपए नहीं दे रही थी.

11 सितंबर को विद्याधर ने हेमा को फोन किया और उसे उसके पति चिंतन के खिलाफ सुबूत देने के बदले फिर से अपने रुपयों की मांग की. इस बार हेमा सबूतों के लालच में रुपए चुकाने के लिए राजी हो गई, लेकिन साथ ही ये शर्त भी रख दी और पहले वो और उसके वकील हरीश भंबानी खुद सुबूतों की जांच करेंगे. विद्याधर इसके लिए राजी हो गया और दोनों कांदीवली में विद्याधर राजभर के गोदाम में जा पहुंचे.

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हेमा को मारा चांटा
लेकिन यहां पहुंचते ही कहानी में नया ट्विस्ट आ गया. विद्याधर और हेमा में रुपयों के लिए बहस होने लगी और गुस्से में विद्याधर ने हेमा को चांटा रसीद कर दिया. अब हेमा के भी तेवर बदल गए और वो भी विद्याधर को थप्पड़ मार बैठी. और बस यहीं गुस्से के माहौल में दोहरे कत्ल की जमीन तैयार हो गई. विद्याधर ने साधु समेत अपने दो मुलाजिमों को इशारा किया और तीनों ने वेयरहाउस में रखा क्लोरोफॉर्म सूंघा कर पहले हेमा को बेहोश किया और वारदात का चश्मदीद होने की वजह हरीश भंबानी को. और फिर एक-एक कर दोनों का गला घोंट कर कत्ल कर दिया गया.

लेकिन क्या इस दोहरे कत्ल की कहानी इतनी भर है? या फिर सच कुछ और है? क्योंकि फिलहाल शक के दायरे से हेमा का पति चिंतन भी फिलहाल बाहर नहीं है.

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