मोहब्बत की न जाने कितनी खूबसूरत और बदसूरत कहानियां होंगी, लेकिन यह कहानी थोड़ा हट कर है. कहानी की शुरुआत एक बदनाम गली से होती है. उस गली से, जहां जहां दिन ढलते ही घुंघरुओं की झनकार में बाकी सारे शोर दब जाते थे...इन्हीं झनकारों के बीच उन दोनों की मोहब्बत की कहानी शुरू होती है...
दिल्ली के बदनाम जीबी रोड के कोठा नंबर 57 में एक क़त्ल हुआ था. क़त्ल कोठे पर रहने वाली एक सेक्स वर्कर का हुआ था. लिहाज़ा पूरे इलाके में ख़ौफ़ का माहौल था. सवाल यह था कि आखिर एक तवायफ का क़त्ल किसने और क्यों किया? जवाब ढूंढने का काम पुलिस का था.
मौका-ए-वारदात पर पहुंची पुलिस को कमरे के बिस्तर पर एक 20-22 साल की लड़की की लाश पड़ी मिली. ल़ड़की का गला किसी तेजधार हथियार से रेता गय़ा था. लिहाजा पुलिस अफसरों ने कोठा नंबर 57 की मालकिन से पूछताछ का सिलसिला शुरू किया. तभी लाश की तलाशी ले रहा एक पुलिसवाले को बिस्तर के नीचे एक मोबाइल फोन दिखाई देता है. पुलिस कांस्टेबल बिस्तर से ही रुमाल के सहारे बड़ी नज़ाकत से एक मोबाइल फ़ोन उठाता है और चुपचाप अपने अफ़सर के पास ले आता है.
पुलिस के अफसरों ने सोनिया की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. अब पुलिस के पास एक लाश और लाश के पास से मिला मोबाइल फोन ही था.
दरअसल, तफ्तीश के दौरान पुलिस को मकतूल का मोबाइल मिलता है. अहम सुराग अब इसी मोबाइल से मिलने वाला था. मोबाइल में तमाम नंबर थे. उनमें से ही किसी एक नंबर में कातिल छुपा था. आखिरकार नंबर ट्रेस करते-करते पुलिस उस शख्स तक पहुंच ही गई, जिस पर सबसे ज्यादा शक था.
बहरहाल, तमाम विरोध के बावजूद पुलिसवाले तन्नू को उठा लेते हैं. पुलिस को शक ही नहीं पूरा यकीन था कि हो न हो, तन्नू ने या तो कत्ल को अंजाम दिया है या फिर को कातिल के बारे में जरूर कुछ जानता है. यही वजह थी कि कमलानगर थाने की पुलिस नें तन्नू से सख्ती से पूछताछ शुरू कर दी.
पुलिस की सख्त पूछताछ से तन्नू घबरा जाता है. वो समझ जाता है कि अब उसकी पोल खुल चुकी है, वो बेनकाब हो गया है. पुलिस को उसके खिलाफ पुख्ता सबूत भी मिल गए हैं. लिहाजा तन्नू रोते-रोते पुलिस अफसरों के पैरों पर जा गिरता है और अपना जुर्म भी कबूल कर लेता है. लेकिन यह कहानी अभी यहीं खत्म नहीं होती. यहां से तो रेड लाइट की एक लव स्टोरी शुरू होती है.
तन्नू अब किसी तोते की तरह रेड लाइट और उस रात की कहानी सुना रहा था. लेकिन तन्नू ने अपनी जिंदगी की जो कहानी पुलिस को बताई, उसे सुनकर पुलिसवाले भी हैरान रह गए. जी हां, कहानी रेडलाइट की, कहानी इश्क की, कहानी बर्बादी की, कहानी एक कॉलगर्ल के कत्ल की....
दरअसल, तन्नू चाहता था कि वो सोनिया नाम की उस कॉलगर्ल को जिस्मफरोशी के दलदल से बाहर निकाल ले. वह सोनिया से शादी भी करना चाहता था. लेकिन सोनिया किसी भी हालत में कोठे को छोड़ना नहीं चाहती थी, जबकि तन्नू अपना सबकुछ सोनिया पर लुटा चुका था.
तन्नू ने 2 जनवरी की रात जीबी रोड के कोठा नंबर 57 पर रहने वाली अपनी माशूका को मौत की नींद सुला दिया. दरअसल, इस कहानी की शुरुआत साल 2010 में होती है, जब तन्नू जीबी रोड पर रहने वाली सोनिया के प्यार में उलझ जाता है. तन्नू पहले से ही कोठे की एक कॉलगर्ल से शादी कर चुका था. उसका एक बेटा भी था. लेकिन अब वह सोनिया से शादी करना चाहता था. तन्नू ने सोनिया के लिए अपनी बीवी के जेवर, घर-बार, जमीन-जायदाद, सब-कुछ बेच दिया, उसके बावजूद सोनिया कोठा नहीं छोड़ना चाहती थी. बस, सोनिया की यही जिद उसके कत्ल की वजह बन गई.
तन्नू अब सलाखों के पीछे है. उसका नाम कातिलों की फेहरिस्त में शामिल हो चुका है. लेकिन रेडलाइट की एक लव स्टोरी का कड़वा सच यह भी है कि तन्नू सोनिया को जिस्मफरोशी के दलदल से निकालकर ले जाना चाहता था...उससे शादी रचाना चाहता था.