हुकूमत की जंग में सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद और उनकी फौज ने रूसी सेना के साथ मिल कर आखिरकार विद्रोहियों और आतंकियों को हरा ही दिया. सीरिया के शहर घोउटा पर 7 साल बाद सीरियाई सरकार और सेना का फिर से कब्जा हो गया है. मगर सच पूछिए तो शहर जीत कर भी सीरिया ये जंग हार गया. क्योंकि सीरिया ने जिस शहर को वापस जीता है, वो शहर अब शहर नहीं बल्कि क़ब्रिस्तान बन चुका है. वो मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है. मुर्दे खामोश हैं तो जिंदा बचे लोग ये यकीन करने को तौयार ही नहीं है कि ये वही सीरिया है.
बारूद से बोझल सारी फ़िज़ा
है मौत की बू फैलाती हवा
ये मरते बच्चे हाथों में
ये माओं का रोना रातों में
मालूम नहीं ये कैसी जंग है? किसके लिए जंग है. इस जंग में कोई भी जीते, हारेगा इंसान ही. आज यही सीरिया का सच है. क्योंकि कल का सीरिया तो अब रहा नहीं.
गुलिस्तां जैसा शहर बना खंडहर
इसी साल 27 फ़रवरी से 2 मार्च तक एक गुलिस्तां जैसा शहर बियाबां बन गया. सीरिय़ा के शहर पूर्वी घोउटा की सेटेलाइट से ली गईं तस्वीरें इस बात की तस्दीक करती हैं कि एक शहर क्या से क्या हो गय़ा. सीरियन ऑब्ज़रवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक राष्ट्रपति असद की सेना ने रॉकेट और मोर्टार के गोले से फिर से शहर पर हमला बोला. पिछले कुछ दिनों से जारी इन हमलों में मरने वालों की तादाद 600 से ज्यादा हो चुकी है. जिनमें आधी से ज़्यादा तादाद मासूम बच्चों की बताई जा रही है. हालांकि इन हमलों के बाद फ़ौज ने अल-नबाबिया ओटाया के गांव और हजरर्म के अलावा पूर्वी घोउटा के तकरीबन तमाम इलाकों पर करीब 7 साल बाद दोबारा अपना कब्जा जमा लिया है.
लाखों लोग हुए विस्थापित
सरकारी एजेंसी के मुताबिक सीरियन आर्मी ने घोउटा और आसपास के इलाकों को नुसरा फ्रंट के आतंकियों और विद्रोहियों से पिछले एक हफ्ते की झड़प के बाद आज़ाद करा लिया है. शनिवार यानी 3 मार्च की रात सीरियाई आर्मी की बमबारी में ज़्यादातर आतंकी और विद्रोही मारे गए और बाकी भाग खड़े हुए. मगर इस बमबारी में न सिर्फ लाखों लोग विस्थापित हुए बल्कि करोड़ों की प्रॉपर्टी स्वाहा हो गई.
यूएन ने जताई नाराजगी
सीरियाई सरकार के इस हमले के बाद यूएन में भारी विरोध जताया गया क्योंकि चंद विद्रोहियों की वजह से 4 लाख की आबादी वाले इस शहर को दर-बदर करना, जिनेवा कनवेंशन के तहत गैरकानूनी है. मगर जब कानून बनाने वाले ही कत्लेआम पर उतारू हो जाएं तो इन मज़लूमों की सुनने वाला कौन है.
सुरक्षित स्थानों की तरफ कूच
इन हमलों से बचने के लिए हज़ारों की तादाद में घोउटा के लोग अपने अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों के लिए निकल गए. हालांकि इन हमलों की निंदा के बाद सीरियाई सरकार की समर्थक मीडिया ने एक वीडियो जारी किया है. जिसमें दिखाया गया कि सफेद हेल्मेट पहने सिविल डिफेंड ग्रुप के लोग कैसे इन हमलों की जद में आए प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं.
जंग रोकने की कोशिश
वहीं दूसरी तरफ घोउटा पर कब्ज़े के बाद ये माना जा रहा है कि अब आईएसआईएस और अलनुसरा फ्रंट के आतंकियों का सीरिया और इराक से पूरी तरह खात्मा हो चुका है. बहरहाल, अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कोशिश है कि लड़ाई को किसी भी कीमत पर रोका जाए क्योंकि लाखों की तादाद में लोग या तो बेघर हो रहे हैं या मारे जा रहे हैं. इतना ही नहीं यूएन की कोशिश है कि प्रभावित इलाके में राहत और मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराने का रास्ता साफ हो. ताकि जो लोग बेघर और ज़ख्मी हैं उनकी मदद की जा सके.
ISIS के खात्मे तक संघर्ष विराम नहीं
इससे पहले सीरियाई सरकार के घोउटा हमले से कुछ दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र ने 30 दिन के संघर्षविराम के प्रस्ताव को पास किया था. लेकिन बावजूद इसके सीरियाई सरकार और रूस ने हवाई हमले जारी रखे. रूस का तर्क था कि मौजूदा हालात में संघर्षविराम तब तक लागू नहीं हो सकता जब तक इस्लामिक स्टेट या नुसरा फ्रंट जैसे आतंकी गुट इन इलाकों में सक्रिय हैं. जो न सिर्फ दमिश्क पर हमले कर रहे हैं बल्कि आम लोगों की हत्या भी कर रहे हैं. हालांकि अब सीरियाई सरकार का दावा है कि घोउटा को विद्रोहियों और आतंकियों से आज़ाद करा लिया गया है.