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...धरी की धरी रह गई तेजपाल की झूठी शराफत

गोवा, गुनाह और गिरफ्तारी... अपनी खबरों से तहलका मचाने वाले पत्रकार तरुण तेजपाल की ज़िंदगी में आज ऐसा तहलका मचा, जिससे बचने के लिए उन्होंने सारी ताक़त लगा दी थी. यौन शोषण के इल्जाम से घिरने के बाद तेजपाल की पहली कोशिश यही थी कि वो किसी तरह अपनी गिरफ्तारी से बच जाएं, इसके लिए गोवा पहुंचने के साथ ही उन्होंने पुलिस के सामने बार-बार पेश होकर अपने इरादे भी जताए, लेकिन...

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गोवा, गुनाह और गिरफ्तारी... अपनी खबरों से तहलका मचाने वाले पत्रकार तरुण तेजपाल की ज़िंदगी में आज ऐसा तहलका मचा, जिससे बचने के लिए उन्होंने सारी ताक़त लगा दी थी. यौन शोषण के इल्जाम से घिरने के बाद तेजपाल की पहली कोशिश यही थी कि वो किसी तरह अपनी गिरफ्तारी से बच जाएं, इसके लिए गोवा पहुंचने के साथ ही उन्होंने पुलिस के सामने बार-बार पेश होकर अपने इरादे भी जताए, लेकिन अदालत पर उनकी कोशिशों का कोई असर नहीं हुआ. आख़िरकार तेजपाल की अग्रिम ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज हो गई और वो गिरफ्तार हो गए.

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लेकिन अग्रिम ज़मानत के लिए तरुण तेजपाल की ये सारी शराफ़त धरी की धरी रह गई. गोवा पहुंचने के बाद खुद को अदालत की निगाहों में अच्छा दिखाने की ये तमाम कोशिशें आख़िरकार नाकाम साबित हुई. और वही हो गया, जिससे तेजपाल लगातार बचने की कोशिश कर रहे थे. इधर, लंबी चली सुनवाई के बाद अदालत ने तेजपाल को अग्रिम ज़मानत देने से मना कर दिया और उधर क्राइम ब्रांच के दफ्तर में ही मौजूद तेजपाल को गोवा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

अदालत जहां एक तरफ़ तरुण तेजपाल पर जांच में सहयोग ना करने के पुलिस के इल्ज़ाम से मुतमईन नज़र आई, वहीं दूसरी तरफ़ वारदात के दौरान होटल में कैद उनके सीसीटीवी फुटेज और ई-मेल पर तेजपाल का कुबूलनामा भी तेजपाल की ज़मानत अर्ज़ी खारिज होने की अहम वजहों में शामिल रही.

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वैसे दिल्ली में तेजपाल और गोवा पुलिस का जो रिश्ता था, वो तेजपाल के गोवा पहुंचते ही बिल्कुल उल्टा हो चुका. दिल्ली में गोवा पुलिस तेजपाल के पीछे भाग रही थी, उनकी तलाश में छापेमारी कर रही थी, और गोवा में तेजपाल पुलिस के पीछे भाग रहे थे. तेजपाल की अग्रिम ज़मानत की अर्ज़ी पर बहस क्या शुरू हुई, तेजपाल अपनी शराफ़त दिखाने के लिए पुलिस के पास जाते रहे और पुलिस अब उन्हें ही गिरफ्तार करने के लिए उन्हीं से दूरी बनाती रही. हालात कुछ ऐसे हुए कि जब अदालत तेजपाल की अग्रिम ज़मानत अर्ज़ी पर अपना फ़ैसला सुनाने वाली थी, तब भी तेजपाल उसी गोवा क्राइम ब्रांच के दफ्तर में ही बैठे थे... जो क्राइम ब्रांच उन्हें गिरफ्तार करना चाहता था.

ये तेजपाल को अपनी गिरफ्त में लेने की गोवा पुलिस की व्यूह रचना ही थी, जिसकी वजह से तेजपाल के बार-बार खुद चल कर क्राइम ब्रांच के दफ्तर पहुंचने के बावजूद गोवा पुलिस ने एक बार भी उनसे केस के मुताल्लिक सवाल जवाब नहीं किए. बल्कि पहली बार शुक्रवार शाम को जब तेजपाल अदालत से मिले अंतरिम राहत के बाद क्राइम ब्रांच के दफ्तर पहुंचे, तो पुलिस ने उनसे कुछ दस्तावेज़ी क़ानूनी खानापूरी करवा कर उन्हें जाने दिया. अदालत में पुलिस पहले से ही तेजपाल की इन कोशिशों को मुखौटा करार दे रही थी और तो और पुलिस ने यहां तक कहा कि तेजपाल ठीक किसी गिरगिट की तरह अपना रंग बदल रहे हैं.

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कल तक कामयाबी और शोहरत की शिखर पर बैठे तेजपाल का तिलिस्म फ़क़त एक इल्ज़ाम से कुछ ऐसा टूटा कि जो लोग अब तक तेजपाल को नहीं जानते थे, वो भी जानने लग गए. बल्कि ना सिर्फ़ जानने लग गए, उनकी करतूत की कहानी सुन कर उन पर लानत भी बरसाने लगे. हालत ये हो गई कि चंद रोज़ पहले जिस तेजपाल ने एक सेलिब्रिटी की तरह गोवा की धरती पर क़दम रखा था, इल्ज़ाम से घिरने के बाद जब वही तेजपाल गोवा पहुंचे तो जगह-जगह काले झंडे और बैनरों ने उनका खैर-मकदम करना शुरू कर दिया... और तो और ये सिलसिला दूसरे दिन भी जारी रहा.

लेकिन पिछले कई दिनों से चले आ रहे तेजपाल की गिरफ्तारी के एपिसोड पर आख़िरकार का अदालत के फ़ैसले के बाद फुलस्टॉप लग ही गया.

मेहमान की तरह पुलिस के पास पेश होते चले गए तेजपाल
तकरीबन दस दिनों से जो तरुण तेजपाल ज़माने को ढूंढ़े नहीं मिल रहे थे. वही तरुण तेजपाल जब एक बार सामने आए तो फिर बिन बुलाए मेहमान की तरह पुलिस के पास पेश होते चले गए. हालत ये हो गई कि गोवा पहुंचने के बाद अभी पुलिस ने उन्हें एक बार भी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया, लेकिन तेजपाल थे कि महज़ चंद घंटों के दौरान दो-दो बार क्राइम ब्रांच के दफ्तर में हाज़िर हो लिए.

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तेजपाल की इस कवायद में क़ानून के लिए कितनी इज्ज़त छिपी थी, ये तो नहीं पता, लेकिन क़ानून के जानकारों की मानें तो उनकी ये कोशिश पुलिस और अदालत के सामने ये इंप्रेशन देने की ज़रूर थी कि वो बेहद प्रो-एक्टिव तरीके से जांच में सहयोग कर रहे हैं.

पुलिस और बचाव पक्ष की बहस
वैसे दिन ढलते-ढलते उनकी इस कवायद का नतीजा भी सामने आ गया. लेकिन इससे पहले तेजपाल की अग्रिम ज़मानत को लेकर पुलिस और बचाव पक्ष जो बहस हुई वो भी सुनने लायक थी. तेजपाल के वकीलों ने अपने मुवक्किल के लिए अदालत के दिल में रहम पैदा करने की हर कोशिश की. जांच में सहयोग का भरोसा तो दिया ही, ये भी कहा कि जब तक डीआईजी नहीं चाहेंगे तेजपाल गोवा नहीं छोड़ेंगे और वे ऐसा तब तक करेंगे, जब पुलिस उनके खिलाफ़ चार्जशीट दाखिल नहीं कर देती या फिर इस मामले में क्लोज़र रिपोर्ट फ़ाइल नहीं हो जाती.

कोर्ट में अर्जी मंजूर करवाने की हर संभव कोशिश
सुबह से कई किश्तों में हुई बहस के दौरान तेजपाल के वकीलों ने उनका पासपोर्ट यहां तक की एफडी समेत रुपए-पैसे से जुड़े दूसरे दस्तावेज़ ही अदालत को सौंपने की पेशकश की और कहा कि जब तक उनके मुवक्किल इतना आगे बढ़ कर पुलिस को जांच में सहयोग कर रहे हैं, तो फिर उन्हें गिरफ्तार करना ज़रूरी नहीं है. बचाव पक्ष ने यहां तक कहा कि बलात्कार का मुल्ज़िम होने का मतलब गुनहगार होना तो नहीं है. लेकिन ये माहौल मध्य युग की याद दिलाता है. तेजपाल खुद मुअज्ज़िज़ लोगों में एक हैं और हमेशा मानवाधिकारों के हक में खड़े रहे हैं, ऐसे में पूछताछ के लिए उन्हें गिरफ्तार किया जाना गैरज़रूरी है. लेकिन बीच में इन दलीलों का असर भी उल्टा पड़ने लगा. दरअसल, तेजपाल के वकीलों ने उनके खिलाफ़ शिकायत करनेवाली लड़की पर भी ये कहते हुए सवाल उठाए कि आख़िर उसने इतने दिनों बाद मामले की शिकायत क्यों की?

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हालांकि पुलिस ने 14 दिनों के लिए तेजपाल की न्यायिक हिरासत मांग कर बचाव पक्ष की तमाम दलीलों को हवा में उड़ा दिया. पुलिस ने कहा था कि तेजपाल जांच में सहयोग नहीं, बल्कि दिखावा कर रहे हैं. अगर, उन्हें सहयोग करना ही था तो वो दिल्ली में पुलिस के सामने क्यों नहीं आए? तेजपाल तभी नज़र आए, जब उन्हें अदालत से अंतरिम राहत मिली. पुलिस ने ये भी याद दिलाया कि ये तेजपाल ही थे, जिन्होंने दफ्तर में मेल कर लड़की से माफी मांगी थी.

और अब अग्रिम ज़मानत के लिए बहस ऐसे कर रहे हैं, जैसे केस का ट्रायल चल रहा हो. ज़ाहिर है, जिस मामले में महज अग्रिम ज़मानत के लिए इतनी ज़बरदस्त क़ानूनी खींचतान चल रही हो, वहां मुकदमे में अभी और भी पेंच-ओ-ख़म का आना तय है.

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