Iran-Israel Tension & War Possibility: हमास चीफ इस्माइल हानिया की मौत का बदला लेने का ऐलान किया गया और इसी बीच हिजबुल्लाह और हूती ने इजरायल के कुछ सैन्य ठिकानों पर ड्रोन से हमला कर दिया. खबरों के मुताबिक, इस हमले में वहां एक नागरिक की मौत हो गई. जबकि कई सैनिक घायल हो गए. हालांकि ईरान ने अभी तक इजरायल पर सीधा हमला नहीं किया है. अब इजरायल कह रहा है कि अगर उसे ईरान की तरफ से हमला किए जाने के सबूत मिले तो वो चुप नहीं बैठेगा. कुल मिलाकर ईरान और इजरायल के बीच जंग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. चलिए जान लेते हैं इस तनाव और जंग के आसार की पूरी कहानी.
इजरायल पर ड्रोन से हमला
घड़ी की टिक-टिक के बीच ईरान और इज़रायल के दरम्यान जंग की आशंका लगातार बढ़ती जा रही है. ईरानी सूत्रों के हवाले से अलग-अलग न्यूज़ एजेंसीज़ पहले ही ये दावा कर चुकी हैं कि ईरान कभी भी इज़राल पर हमला कर सकता है. लेकिन इस बीच इज़रायल से आई एक खबर तनाव और बढ़ा रही हैं. इज़रायल की राजधानी तेल अवीव में रात के 3 बजकर 12 मिनट पर अंधेरे के बीच अचानक आसमान में एक ड्रोन की आवाज़ सुनाई देती है. लेकिन इससे पहले कि उस ड्रोन का पता चलता एक धमाके साथ लोगों की चीखें सुनाई देने लगती हैं. असल में ये ड्रोन पड़ोसी मुल्क यमन के उन हुती आतंकवादियों की ओर से छोड़ा गया था, जो ईरान और इजरायल के बीच चल रही इस तनातनी में इज़रायल के खिलाफ हैं और हमास का समर्थन करते रहे हैं.
इजरायल के लिए एक खतरे की घंटी
वैसे तो इस ड्रोन अटैक में एक शहरी की मौत हुई, जिसे यहां होने वाले हमलों के लिहाज़ से बहुत भयानक नहीं कहा जा सकता, लेकिन जिस तरह से आतंकियों ने महज एक ड्रोन से इज़रायल का सुरक्षा घेरा भेद कर उसकी राजधानी तक को निशाना बनाना डाला, वो इजरायल के लिए एक खतरे की घंटी जरूर है. लेकिन ये हमला अकेला नहीं है. इससे महज एक रोज़ पहले हिज्बुल्लाह इज़रायल के एक सैन्य ठिकाने पर ड्रोन अटैक से कम से कम छह फौजियों को जख्मी कर चुका है. जबकि चंद घंटों में इज़रायल जहां अपने हमले से हिज्बुल्लाह के छह लड़ाकों को मार चुका है, वहीं गाज़ा में चल रही जंग में 50 और लोग मारे गए हैं.
जंग का माहौल बनाने की कोशिश
ज़ाहिर है ये सारे हालात इस बात का ईशारा देते हैं कि ईरान के ये प्रॉक्सी यानी ईरान की ओर से छद्म युद्ध लड़ने वाले ये संगठन अब पूरी ताकत से इलाके में जंग का माहौल बनाने में लगे हैं. और फिलहाल हालत ऐसी है कि बस एक चिंगारी इस तयशुदा जंग को कुछ घंटे पहले शुरू करवा सकती है.
ईरान पर हमला करने की तैयारी
इस बीच इज़रायल ने भी साफ कर दिया है कि अगर उसे ईरान के हमले का पक्का इंटेलिजेंस इनपुट मिला, तो फिर वो ईरान के हमले का इंतज़ार नहीं करेगा. बल्कि वो खुद ही ईरान पर हमला कर देगा. लेकिन इन सबके बीच एक रिपोर्ट ने जहां सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है, वहीं ये भी ईशारा दे दिया है कि इस जंग का स्वरूप कैसा हो सकता है. ये रिपोर्ट है इंस्टीटयूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर की.
ईरान के निशाने पर है इजरायल
ईरानी आर्म्ड फोर्स की ओर से चलाए जाने वाले डेफा न्यूज़ के हवाले से इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरान इज़रायल पर कहां-कहां और कैसा हमला कर सकता है. पांच अगस्त को जारी इस रिपोर्ट में इज़रायल के उन संभावित फौजी और सिविलियन टारगेट यानी नागरिक ठिकानों का जिक्र है, जिन्हें ईरान निशाना बना सकता है. इस लिस्ट में इजरायली मिलिट्री बेस, तेल अवीव में मौजूद इजरायल के सैन्य मंत्रालय का दफ्तर, येरुशेलम की नेसेट बिल्डिंग, इजरायल के आठ एयरबेस के अलावा सिविलियन टारगेट्स में कई शहरों की अहम इमारतें, एयरपोर्ट्, गैस फील्ड, पावर प्लांट और दूसरे ठिकाने शामिल हैं.
ईरान ने तैयार की टारगेटट लिस्ट
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान की ओर से ऐसी लिस्ट जारी करने का जो मकसद हो सकता है कि वो है इजरायली डिफेंस सिस्टम का ध्यान भटकाना. असल में ईरान की ये टारगेट लिस्ट काफी लंबी है और इस लिस्ट में इजरायल बड़े हिस्से में फैले कई अहम ठिकाने मौजूद हैं, जिन्हें इस लिस्ट के जारी होने के बाद इजरायल सुरक्षित करने की कोशिश कर सकता है. यानी अपने एयर एंड मिसाइल डिफेंस एसेस्ट्स को एक बड़े इलाक़े में फैला सकता है. और इस सूरत में ईरान कुछ चुनिंदा जगहों पर हमले कर सकता है.
मुश्किल होगा मिसाइलों को हवा में इंटरसेप्ट करना
रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे पहले जब 13 अप्रैल 2024 को ईरान ने इजरायल पर मिसाइल अटैक किया था, तब अमेरिकी और इजायरली को-लिशन ने ज्यादातर मिसाइलों को हवा में ही इंटरसेप्ट कर उन्हें मार गिराया था, जिससे इजरायल को कम से कम नुकसान हुआ. लेकिन अगर इस बार हमला ईरान के अलावा इराक, लेबनान या सीरिया जैसे देशों की तरफ से भी होता है, तो इजरायल के लिए उन हमलों को इंटरसेप्ट कर पाना पहले के मुकाबले मुश्किल होगा, क्योंकि इन जगहों से हमले होने पर एक तो मिसाइल लॉन्च होने से उनके टार्गेट हिट होने तक की दूरी पहले के मुकाबले कम हो जाएगी. दूसरा, दूरी कम होने की वजह से आसमान में फ्लाइट टाइम भी कम हो जाएगा और इससे मिसाइल आसानी से पकड़ में नहीं आएंगे.
लिस्ट के ज़रिए ईरान बना रहा है मानसिक दबाव
रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे टार्गेट की सूची छापने का मकसद इन टार्गेट्स की पहचान करना कम, बल्कि सामरिक और आर्थिक असर डालना ज्यादा है. ईरान नागरिक ठिकानों को नाम इस सूची में डाल कर ये भी समझने की कोशिश कर रहा है कि इससे इजरायल को कितना नुकसान हो सकता है और इसके बदले में इजरायल ईरान पर कैसा पलटवार कर सकता है. यानी इस लिस्ट को पब्लिश करने के पीछे एक मानसिक व्यूह रचना तैयार करने का मकसद ज्यादा लगता है.
ईरान के साथ खड़ा है रूस
बड़ी पुरानी कहावत है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. इस जंग में रूस और चीन तो खैर पहले से ही ईरान के साथ खड़े होने की बात कह चुके हैं. खास कर इसलिए भी क्योंकि अमेरिका इस मोर्चे पर ईरान के खिलाफ इजरायल के साथ दे रहा है. लेकिन अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने भी ईरान के रिवेंज प्लान यानी बदले की तैयारी को अपनी हरी झंडी दे दी है. हालांकि पुतिन ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को एक सीक्रेट मैसेज भेज कर इस हमले की कुछ शर्तें भी हैं और उसे आगाह भी किया है. पुतिन के नजदीकी माने जाने वाले सर्गेई शोइगू खुद पुतिन का संदेश लेकर अब से चंद रोज़ पहले यानी हमास के नेता इस्माइल हानिया के मारे जाने के बाद ईरान पहुंचे थे, जहां उन्होंने पुतिन के नज़रिए से खामेनेई को वाकिफ करवाया. जंग की आशंकाओं के मद्देनजर शोइगू ने तेहरान में सीनियर ईरानी अफ़सरों के साथ मीटिंग भी की. सूत्रों की मानें तो इस सीक्रेट मैसेज में रूस ने ईरान को इजरायल में नागरिक ठिकानों पर हमले से बचने की सलाह दी और इसके नतीजों के बारे में भी याद दिलाया.
ईरान ने रूस से मांगा एयर डिफेंस सिस्टम्स
उधर, जंग की आशंकाओं के बीच ईरान ने रूस से सुखोई एसयू-35 फाइटर जेट्स की डिलिवरी जल्द शुरू करने की अपील की है. जबकि रूस ईरान के साथ एक विस्तृत समझौता करने की तैयारी में है. रूस पहले ही ईरान को एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम और कई तरह के रडार मुहैया करा चुका है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि ईरान ने रूस से और एयर डिफेंस सिस्टम्स की मांग की है, जबकि ईरान के पास पहले से ही रूस में बना एस-300 एयर डिफेंस सिस्टम मौजूद है, जो कई हमलों को पहले ही भांप सकता है. इस बीच कुछ सूत्रों ने दावा किया है कि जंग की संभावनाओं और उथल-पुथल के बीच रूस अब ईरान को एस-400 डिफेंस सिस्टम की भी सप्लाई शुरू करने जा रहा है.
इज़रायल के इर्द-गिर्द फाइटर जेट्स और युद्धपोत तैनात
ईरान और इज़रायल के बीच तनातनी की ये हालत कितने खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे मित्र देशों ने इज़रायल की मदद के लिए उसके इर्द-गिर्द अपने फाइटर जेट्स और युद्धपोतों को तैनात करना शुरू कर दिया है. ब्रिटेन ने रॉयल नेवी शिप्स के साथ-साथ आर.ए.एफ. हेलीकॉप्टर्स को भी स्टैंड बाय पर रखा है.
हमला ज़रूर करेगा ईरान
फिलहाल जो हालत है उसे देखते हुए ये लगता है कि हमास के नेता इस्माइल हानिया और हिज्बुल्ला के मिलिट्री चीफ फऊद शुकर की मौत को ईरान ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है और किसी भी कीमत पर इज़रायल को निशाना बना चाहता है. दोनों की मौत के बाद बढ़े तनाव को कम करने के लिए जॉर्डन और लेबनान जैसे ईरान के पड़ोसी देशों ने कूटनीतिक प्रयास शुरू कर दिए हैं, लेकिन ईरान अपने इरादे से टस से मस नहीं हो रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक जॉर्डन और लेबनान के विदेश मंत्री ने हानिया की मौत के बाद हालात को जायजा लेने और तनाव कम करने के इरादे से ईरान को दौरा भी किया, लेकिन ईरान ने साफ कर दिया कि वो हर हाल में इज़रायल पर हमला करेगा, चाहे फुल फ्लेजेड वार की ही शुरुआत क्यों ना हो जाए?
सीआईए के पूर्व निदेशक का आंकलन
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व निदेशक डेविड पेट्रियस ने ईरान इंटरनेशनल को दिए गए एक इंटरव्यू में ये उम्मीद जताई है कि ईरान भले इज़रायल पर हमला कर दे, लेकिन दोनों ही देश इस वक़्त फुल फ्लेजेड वार यानी पूरी तरह जंग में कूदने से बचना चाहेंगे, क्योंकि अगर दोनों देशों के बीच पूरी तरह जंग छिड़ गई तो दोनों ही देशों को भयानक नुकसान होगा और ईरान और इज़रायल दोनों ही ऐसा नहीं चाहेंगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से तेहरान के अंदर इस्माइल हानिया की हत्या हुई, वो ईरान के लिए एक बड़ा इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी फेल्योर और एक बड़ा झटका है.
कौन देश किसके साथ?
अब सवाल ये है कि जंग की हालत में कौन किसका साथ देगा और कैसे? सूत्रों की मानें तो इस हमले में ईरान को लेबनान में हिज्बुल्लाह, सीरिया और इराक की मिलिशिया और यमन के हूती विद्रोहियों से मदद मिल सकती है, लेकिन इनमें से किसी भी देश ने अब तक खुल कर ईरान का साथ देने की बात नहीं कही है. हालांकि रूस और चीन ने ईरान का समर्थन जरूर किया है, लेकिन जंग की हालत में ये दोनों ही देश ईरान का कितना और कैसा साथ देंगे, ये साफ नहीं है. जबकि अब से पहले जॉर्डन का रुख न्यूट्रल रहा है. क्योंकि इससे पहले जब ईरान ने इज़रायल पर मिसाइलें दाग़ी थीं, तब अमेरिका के साथ-साथ जॉर्डन ने भी इजरायल की मदद की थी. वहीं, सऊदी अरब और यूएई ने भी अमेरिका इनपुट मुहैया कराए थे. खास बात ये है कि ईरान, इराक या यमन से अगर इज़रायल को निशाना बना कर मिसाइल दाग़ी जाए, तो इन्हें जॉर्डन के आसमान को पार करना होगा, और जॉर्डन ने पिछली बार ये साफ किया था है कि वो ईरान और इज़रायल में से किसी को भी अपने हवाई सीमा का उल्लंघन करने नहीं देगा.