वो दूसरों को तो मौत देता है पर खुद की मौत को छलावा बना कर रखा हुआ है. मंगलवार को एक बार फिर खबर आई कि दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी और आईएसआईएस का सुप्रीम कमांडर अबुबकर अल बगदादी एक हवाई हमले में मारा गया. लेकिन बगदादी की मौत की खबर की पुष्टि करने के लिए न तो इराक और सीरिया में अमेरिका की अगुआई में लड़ रही गठबंध सेना सामने आई न ही कोई और देश. वैसे आपको बता दें कि पिछले दो साल में बगदादी की ये चौथी मौत है.
उत्तरी सीरिया के शहर रक्का के एक बड़े हिस्से पर आईएसआईएस का कब्जा है. 9 जून की शाम को अमेरिका की अगुआई वाली गठजोड़ सेना को खबर मिलती है कि आईएसआईएस का सरगना अबूबकर अल बगदादी कुछ दूसरे बड़े कमांडरों के साथ कारों के एक काफिले में छुप कर सीरिया से रक्का जा रहा है. रक्का में आईएस की एक अहम मीटिंग होने वाली थी.
हवाई हमले में बगदादी की मौत की पुष्टि नहीं
खबर मिलते ही गठजोड़ सेना फौरन अलर्ट हो जाती है. सेटेलाइट की मदद से रक्का की तस्वीरें हासिल की जाती हैं. और फिर मुखबिर की खबर की तसदीक होते ही ठीक उस जगह पर आसमान से बम गिराया जाता है जहां से बगदादी की कारों का काफिला गुजरने की बात कही गई थी. निशाना सटीक था. हमले में एक साथ कई कार निशाने पर आ जाते हैं. मगर हमला आसमान से हुआ था और जिस जगह पर हमला हुआ वहां जमीन पर कोई फौज नहीं थी. यानी हमले के बाद ये देखने वाला कोई नहीं था कि जिन कारों को निशाना बनाया गया उनमें कौन लोग थे. उनमें कौन-कौन मारे गए और कौन-कौन बच गया?
ISIS के सरगना ने तोड़ा दम
हमले के तीन दिन बाद अचानक खबर आती है कि 9 जून के हवाई हमले में आईएसआईएस का सबसे बड़ा सरगना यानी बगदादी मारा गया. ये खबर कहीं और से नहीं बल्कि आईएसआईएस से ही जुड़ी न्यूज एजेंसी अल-अमाक के हवाले से आती है. एजेंसी ने दावा किया कि हवाई हमले के बाद रविवार को जख्मी बगदादी ने दम तोड़ दिया.
कुछ ने किया घायल होने का दावा
अल-अमाक के इस दावे के बाद सोमवार को ईरान और तुर्की की मीडिया भी बगदादी की मौत का दावा करती है. यहां तक कि इराकी मीडिया भी पहली बार सोमवार को हवाई हमले की पुष्टि करती है. मगर इराकी मीडिया का कहना है कि हमले में बगदादी घायल हुआ है न कि मारा गया है. इराकी समाचार चैनल अल सुमारिया टीवी ने इराक के निनवेह प्रांत के स्थानीय सूत्रों के हवाले से कहा है की बगदादी और उसके कुछ साथी गुरुवार को गठबंधन की बमबारी में घायल हो गए हैं. जिस जगह हमला हुआ वो इराक और सीरिया की सीमा के करीब और निनवेह से 65 किलोमीटर पश्चिम में है.
मौत की खबर कितनी सच कितनी झूठ
अब सवाल ये है कि ऐसे में खुद आईएसआईएस की न्यूज एजेंसी अपने सरगना के मारे जाने का दावा क्यों कर रही है? जबकि इराक समेत खुद अमेरिकी की अगुआई वाली गठजोड़ सेना तक इस मुद्दे पर पूरी तरह खामोश है. यहां तक कि अमेरिकी और ब्रिटिश मीडिया भी बगदादी की मौत को लेकर चुप्पी साधे है. अब सवाल ये है कि दुनिया का सबसे खौफनाक आतंकवादी, सैकड़ों बेगुनाहों का कातिल, सबसे वहशियाना मौत बांटने वाला शख्स, इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन, अमेरिका समेत कई देशों का मोस्ट वॉन्टेड. 175 करोड़ का सबसे बड़ा इनामी आतंकवादी, आईएसआईएस का चीफ और इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों का खलीफाअबु बकर अल बगदादी क्या सचमुच मारा गया है या फिर ये उसकी मौत का एक छलावा है?
पहले भी कई बार आ चुकी है मौत की खबर
बगदादी की मौत पर इतनी आसानी से यकीन नहीं किया जा सकता क्योंकि पिछले दो साल में ये उसकी चौथी मौत है. जो कल तक अपनी सनक की बदौलत पूरी दुनिया में मौत बांटता घूम रहा था, बेगुनाहों के सिर कलम कर रहा था, वही बगदादी खुद मारा जाए तो जाहिर है हरेक का चौंकना और मौत का पूरा सच जानना जरूरी हो जाता है. मगर बगदादी के साथ ऐसा पहली बार नहीं है. 2014 से 2015 के बीच भी वो तीन बार मर चुका था, मगर फिर हर बार उसके जिंदा होने का सबूत सामने आ जाता.
2014 में पहली बार आई मौत की खबर
इस्लामी हुकूमत कायम करने के नाम पर दुनिया भर में मौत और दहशत का तांडव मचानेवाले इस दौर के सबसे खौफनाक आतंकवादी और आईएसआईएस के चीफ अबु बकर अल बगदादी की दो साल में ये चौथी मौत है. 6 सितंबर 2014 को बगदादी की पहली मौत हुई थी. ये वो वक्त था जब एक ब्रिटिश पत्रकार का गला काटने की तस्वीरें कैमरे पर रिकॉर्ड कर बगदादी ने पूरी दुनिया को दिखाया था. तब पहली बार आईएसआईएस का जालिम चेहरा जमाने ने देखा था. इसी के बाद एक हवाई हमले में बगदादी के पहले घायल होने और फिर मरे जाने की खबर आई. मगर इस खबर के सामने आने के करीब महीने भर बाद 13 नवंबर 2014 को बगदादी का ऑडियो सामने आ गया और उसने खुद की मौत को झुठला दिया.
27 अप्रैल 2015 बगदादी की दूसरी मौत
पहली मौत के करीब छह महीने बाद बगदादी की दूसरी मौत की खबर सीरिया के गोलन हाइट्स इलाके से आई. इस बार भी बगदादी के पहले गठजोड़ सेना के हवाई हमले में घायल होने की खबर आई. फिर रेडियो ईरान ने दावा किया कि घायल होने के करीब महीने भर बाद 27 अप्रैल को सीरिया के गोलन हाइट्स इलाके में एक इजरायली अस्पताल में बगदादी की मौत हो गई. रेडियो ईरान के अलावा दो इराकी न्यूज एजेंसियों अलगाद प्रेस और अल-युम अल-तामेन का भी यही दावा था. मगर करीब तीन महीने बाद जुलाई 2015 में बगदादी के जिंदा होने का सबूत फिर से सामने आ गया.
जब तीसरी बार मरा मौत का सौदागर
12 अक्बूर 2015 को तीसरी बार बगदादी की मौत की खबर मिली. खबर आई कि अमेरिका की अगुवाई में आईएसआईएस के खिलाफ मोर्चा खोलनेवाली सेना के हवाई हमले में बगदादी बुरी तरह जख्मी हो गया. दावा किया गया कि हमले के वक्त बगदादी अपने कुछ साथियों के साथ इराक और सीरिया बॉर्डर के नजदीक एक गुमनाम ठिकाने पर जा रहा था. अबकी पहली मर्तबा ब्रिटिश अखबार गार्जियन ने इस खबर की तसदीक की थी. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि आईएसआईएस के एक काफिले पर हुए इस हवाई हमले में बगदादी जहां जख्मी हुआ था, वहीं उसके तीन साथी मारे गए थे. और ये हमला तब हुआ, जब बगदादी इराक के अल बाज इलाके से गुजर रहा था. इराक का ये इलाका सीरिया बॉर्डर से सटा हुआ है.
फिर झूठी निकली मौत की खबर
मगर महीने भर के अंदर बगदादी की इस तीसरी मौत की खबर भी झूठी निकली. और अब बगदादी की चौथी मौत की खबर आ गई है. अब देखना है कि खुद की मौत या खुद के जिंदा होने का सबूत देने बगदादी कब आता है?
कैसे पनपा ISIS?
ये बगदादी और उसके आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की जालिमाना हरकतें ही हैं कि शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरता है, जब ISIS का जिक्र न होता हो. पर सवाल ये है कि आखिर ये IS या ISIS है क्या? कहां से आया, क्यों आया, किसकी वजह से आया और इसे कौन लाया? तो आइए अब जानते हैं बगदादी और उसके ISIS के जन्म से लेकर इसे जन्म देने वाले और फिर उसे पालने-पोसने वाले तमाम लोगों के बारे में. एक लंबी लड़ाई के बाद अमेरिका इराक को सद्दाम हुसैन के चंगुल से आजाद करा चुका था. पर इस आजादी को हासिल करने के दौरान इराक पूरी तरह बर्बाद हो चुका था और उसी बर्बाद इराक से 2011 तक अमेरिका अपनी सारी सेना को वापस बुला लेता है.
इराक में आतंक की जड़ें जमाने लगा बगदादी
अमेरिकी सेना के इराक छोड़ते ही बहुत से छोटे-मोटे गुट अब अपनी ताकत की लड़ाई शुरू कर देते हैं. उन्हीं में से एक गुट का नेता था अबू बकर अल बगदादी.अल-कायदा इराक का चीफ. वो 2006 से ही इराक में अपनी जमीन तैयार करने में लगा था. मगर तब न उसके पास पैसे थे, न कोई मदद और न ही लड़ाके. बगदादी चूंकि खुद स्थानीय था जैसा कि उसके नाम से पता चलता है लिहाजा विदेशियों के इराक छोड़ते ही उसने इराक में अपनी जड़ें नए सिरे से जमाने का फैसला किया.
बर्बाद हो चुका था इराक
दरअसल अमेरिकी सेना 2011 में जब इराक से लौटीं तब तक वो इराकी सरकार को बर्बाद कर चुकी थी. सद्दाम मारा जा चुका था. इंफ्रांस्ट्रक्चर पूरी तरह से तबाह हो चुके थे और सबसे बड़ी बात ये कि वो इराक में पावर वॉकयूम यानी खाली सत्ता छोड़ गए थे. मगर संसाधनों की कमी के चलते तब बगददी ज्यादा कामयाब नहीं हो पा रहा था. हालांकि इराक पर कब्जे के लिए तब तक उसने अल-कायदा इराक का नाम बदल कर नया नाम रख लिया था आईएसआई. यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक.
बगदादी ने हजारों लोगों को जोड़ा
बगदादी ने सद्दाम हुसैन की सेना के कमांडर और सिपाहियों को अपने साथ मिला लिया था. इसके बाद उसने शुरुआती निशाना पुलिस, मिलिट्री दफ्तर, चेक प्वाइंट्स और रिक्रूरीटिंग स्टेशंस को बनाना शुरू किया. अब तक बगदादी के साथ कई हजार लोग शामिल हो चुके थे पर फिर भी बगदादी को इराक में वो कामयाबी नहीं मिल रही थी.
सीरिया तक बनाने चला पहुंच
इराक से मायूस होकर अब बगदादी ने सीरिया का रुख करने का फैसला किया. सीरिया तब गृह युद्ध झेल रहा था. अल-कायदा और फ्री सीरियन आर्मी वहां के दो सबसे बड़े गुट थे जो सीरियाई राष्ट्रपति से मोर्चा ले रहे थे. पर पहले चार साल तक सीरिया में भी बगदादी को कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली. अलबत्ता इस दौरान उसने एक बार फिर से अपने संगठन का नाम बदल कर अब आईएसआईएस कर दिया था. इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया.
ISIS के हाथ लगे गोला-बारूद
अब आईएसआईएस का बीज पड़ चुका था लेकिन अभी इस जहरीले पौधे को खाद पानी मिलना बाकी था और वो मिला अमेरिका, इजरायल, जॉर्डन, टर्की और सऊदी अरब जैसे मुल्कों की गलती से. दरअसल, इन मुल्कों ने फ्री सीरियन आर्मी के लिए जो गोला बारूद भिजवाए थे, वो आईएसआईएस के हाथ लग गए और यहीं से इन आतंकवादियों के दिन पलट गए. फ्री सीरियन आर्मी के जनरल ने पहली बार सामने आकर दुनिया से अपील की थी कि अगर उन्हें हथियार नहीं मिले तो वो बागियों से अपनी जंग एक महीने के अंदर हार जाएंगे.
आतंकवादियों को मिली ट्रेनिंग
इसी अपील के हफ्ते भर के अंदर ही अमेरिका, इजराइल, जॉर्डन, टर्की, सऊदी अरब और कतर ने फ्री सीरियन आर्मी को हथियार, पैसे, और ट्रेनिंग की मदद देनी शुरू कर दी. इन देशों ने बाकायदा सारे आधुनिक हथियार, एंटी टैंक मिसाइल, गोला-बारूद सब कुछ सीरिया पहुंचा दिया और बस यहीं से आईएसआईएस के दिन पलट गए. दरअसल जो हथियार फ्री सीरियन आर्मी के लिए थे, वो साल भर के अंदर आईएसआईएस तक जा पहुंचे क्योंकि तब तक आईएस फ्री सीरियन आर्मी में सेंध लगा चुका था और उसके बहुत से लोग उसके साथ हो लिए थे. साथ ही सीरिया में फ्रीडम फाइटर का नकाब पहन कर भी आईएस ने दुनिया को धोखा दिया इसी नकाब की आड़ा में खुद अमेरिका तक ने अनजाने में आईएस के आतंकवादियों को ट्रेंनिंग दे डाली.
अनजाने में अमेरिका से हुई गलती
हथियारों का जखीरा अब जमा हो चुका था. 15 हजार के करीब लड़ाके भी साथ हो लिए थे. इसी के बाद जून 2014 में अचानक पहली बार आईएस की ऐसी तस्वीर दुनिया के सामने आती है और देखते ही देखते एक गुमनाम संगठन अगले कुछ महीनों में ही दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन बन जाता है. यानी सच यही है कि आईएसआईएस के जन्म के पीछे जाने-अनजाने अमेरिका का ही हाथ रहा. ठीक वैसे ही जैसे अमेरिका की मदद की वजह से ओसामा बिन लादेन और अल-कायदा का जन्म हुआ. ठीक वैसे ही जैसे 1980 में ईरान के खिलाफ इस्तेमाल के लिए कैमिकल हथियार देकर अमेरिका ने सद्दाम को सद्दान हुसैन बनाया. ठीक वैसे ही सीरिया के फ्रीडम फाइटर को अमेरिका ने हथियार और ट्रेनिंग दी और अब वही फ्रीडम फाइटर आईएसआईएस के बैनर तले लड़ रहे हैं.