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परंपरा के नाम पर डेढ़ साल तक स्कूल में खूंटी से लटकती रही युवक की लाश...

एक परंपरा की वजह से राजस्थान के एक गांव में पिछले डेढ़ साल से एक स्कूल में खूंटी से एक लाश लटकी हुई थी. आखिरकार पुलिस ने खूंटी से टंगी उस लाश को उतार लिया है और इस तरह डेढ़ साल बाद ही सही, पर मरने वाले नौजवान का अंतिम संस्कार हो सका.

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युवक की लाश
युवक की लाश

एक परंपरा की वजह से राजस्थान के एक गांव में पिछले डेढ़ साल से एक स्कूल में खूंटी से एक लाश लटकी हुई थी. आखिरकार पुलिस ने खूंटी से टंगी उस लाश को उतार लिया है और इस तरह डेढ़ साल बाद ही सही, पर मरने वाले नौजवान का अंतिम संस्कार हो सका.

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किसी ने नहीं की पोटली को उतारने की हिम्मत
राजस्थान और गुजरात सीमा के बीच मांडवा पुलिस थाना और उदयपुर जिले में आने वाले इसी थाने में पड़ता है निचली आंजणी गांव. इस गांव में है खंडहर में तब्दील हो चुका एक स्कूल और स्कूल की खूंटी से लटकी एक पोटली. पिछले डेढ़ साल से पोटली इसी तरह यहां लटकी थी. तमाम गांव के लोग, दो-दो राज्यों की पुलिस, पुलिस के आला अफसर सारे यहां आ चुके, पर किसी ने इस पोटली को उतारने की हिम्मत नहीं की. इस पोटली में डेढ़ साल पुरानी एक लाश थी, सूख और सड़ कर आधी हो चुकी थी.

ये है मौत की कीमत यानी मौताणा
वो लाश अजमेरी नाम के एक शख्स की थी. 36 साल का अजमेरी डेढ़ साल पहले मई 2014 को अपनी बहन के घर गया था और उसके बाद वो गायब हो गया. एक महीने बाद पहाड़ी पर कुछ लोगों को एक लाश मिली, जो दो टुकड़ों में थी, लाश अजमेरी की ही थी. अब चूंकि लाश अजमेरी के बहन के ससुराल के इलाके से मिली, लिहाजा अजमेरी के घर वालों ने कत्ल का इलजाम ससुराल वालों पर लगा दिया. फिर लाश को पोटली में डाल कर स्कूल में खूंटी से टांग दिया. इस मांग के साथ कि या तो अजमेरी की जान के बदले उसकी बहन के ससुराल वालों में से कोई अपनी जान दे या फिर मौताणा दे. मौताणा यानी मौत की कीमत.

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आदिवासियों की अपनी परंपरा
दरअसल मौताणा इस इलाके का रिवाज है. आदिवासियों की अपनी परंपरा. एक ऐसी परंपरा, जिसके बीच में कानून और पुलिस तक नहीं आती. यही वजह है कि सब जानते हुए भी पिछले डेढ़ साल से पुलिस इस लाश को खूंटी से नीचे नहीं उतार सकी थी. अजमेरी के घर वालों ने मौताणे के तौर पर पांच लाख रुपए की मांग की थी और कहा था कि जब तक पैसे नहीं मिल जाते ये लाश इसी तरह पोटली में टंगी रहेगी. अजमेरी का भाई ने बताया कि अभी तक उनका फैसला नहीं हुआ इसलिए लाश को लटका रखा था. उन्हें सात लोगों पर शक था, जबकि गांव के लोग कबुल नहीं कर रहे हैं.

कर दिया गया अंतिम संस्कार
दूसरी तरफ अजमेरी की बहन के ससुराल वालों का कहना है कि जब उन्होंने अजमेरी को मारा ही नहीं तो मौताणा क्यों दें. इस वजह से अजमेरी की लाश अपने अंतिम संस्कार के इंतजार में खूंटी से डेढ़ तक लटकी रही. मामला बढ़ता देख आखिरकार पुलिस हरकत में आई और गांव वालों को समझा-बुझा कर खूंटी से लाश उतार कर ले गई. पोस्टमार्टम के बाद डेढ़ साल बाद ही सही, पर अजमेरी का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

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