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उन 42 बोरियों के लिए 4 करोड़ देने को तैयार हो गया नारायण साईं

रेप के आरोपी नारायण साईं ने अपना केस कमजोर करने के लिए कथित रूप से जो 13 करोड़ रुपये जुटाए थे, आखिर उनका राज क्या है? क्या इस डील के पीछे कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं? क्या उन्हें जानबूझ कर सूरत पुलिस बचा रही है?

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रेप का आरोपी नारायण साईं
रेप का आरोपी नारायण साईं

रेप के आरोपी नारायण साईं ने अपना केस कमजोर करने के लिए कथित रूप से जो 13 करोड़ रुपये जुटाए थे, आखिर उनका राज क्या है? क्या इस डील के पीछे कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं? क्या उन्हें जानबूझ कर सूरत पुलिस बचा रही है? अगर नहीं तो फिर क्या एक मामूली सब इंस्पेक्टर अकेला 13 मे से 5 करोड़ रुपये की डील कर सकता है? फिर इस रकम में से सिर्फ 5 करोड़ रुपये बरामद हुए. बाकी 8 करोड़ कहां गए? आखिर क्या है 13 करोड़ के इस रिश्वत कांड का सच?

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सूरत पुलिस की क्राइम ब्रांच के सब-इंस्पेक्टर सीएम कुंभानी पर आरोप है कि उसने सूरत पुलिस को खरीदने के लिए नारायण साईं से पांच करोड़ की डील की थी. डील इस बात की कि पांच करोड़ के बदले सूरत पुलिस नारायण साईं के खिलाफ चल रहा बलात्कार का केस कमजोर कर देगी और केस से जुड़े बाकी आरोपियों को पकड़ने में ढिलाई बरतेगी. अब सवाल ये है कि क्या एक अकेला सब इंस्पेक्टर अकेले इतना बड़ा काम कर सकता है? वो भी तब जबकि वो न तो केस का आईओ यानी जांच अधिकारी है और न ही तफ्तीश से सीधे जुड़ा है. फिर हाई प्रोफाइल केस होने की वजह से सूरत पुलिस के तमाम आला अफसरों की भी इस मामले पर पैनी नजर है.

सूरत पुलिस के कमिश्नर का कहना है कि सब इंस्पेक्टर कुंभानी इस साज़िश में अकेला था. यानी बाकी पुलिस अफसर इस डील में शामिल नहीं थे. लेकिन सवाल यह है कि डील में कोई आला पुलिस अफसर शामिल ही नहीं हुआ तो फिर डील के तहत बतौर पेशगी एक करोड़ रुपए किसके लिए थे जो 12 दिसंबर की शाम पुलिस ने सूरत के गांधी सर्किल के पास कार से जब्त किए?

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एक करोड़ की बरामदगी के बाद आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने बाकी के चार करोड़ भी बरामद कर लिए. अब ज़ाहिर है ये पूरे पांच करोड़ रुपए सिर्फ और सिर्फ सूरत पुलिस के लिए ही थे. और ये बात खुद पुलिसकमिश्नर ने भी मानी है.

इन पांच करोड़ की बरामदगी से साफ है कि डील तय हो चुकी थी और उसी के बाद ये पांच करोड़ रुपए सूरत पहुंचे. सूत्रों के मुताबिक सूरत पुलिस के अलावा न्यायपालिका और जेल प्रशासन से भी नारायण साईं के गुर्ग कुछ बड़े संपर्कों की मदद से डील तय कर चुके थे और उन्हें पेशगी की कुछ रकम भी अदा की जा चुकी है. सूत्रों के मुताबिक नारायण साईं के लिए ये तमाम डील एक नेता कर रहा था और वही 13 करोड़ की इस साजिश का असली मास्टर माइंड भी है.

सूरत पुलिस ने 13 करोड़ के इस रिश्वतकांड का सच जानने के लिए 6 आईपीएस अफसरों की एक जांच टीम बनाई है. ये जांच टीम न सिर्फ न्यायपालिका, सरकारी डाक्टर और जेल प्रशासन की भूमिका की जांच करेगी बल्कि सूरत पुलिस के सीनियर अफसरों के रोल को भी टटोलेगी.

नारायण साईं ने सूरत पुलिस को पांच करोड़ में खरीदने की कोशिश की थी. पर इनमें से अकेले 4 करोड़ वो 42 बोरियों के बदले दे रहा था. दरअसल सूरत पुलिस के मालखाने में रखी इन 42 बोरियो में नारायण साईं से जुड़े तमाम दस्तावेज, कंप्यूटर और हार्ड डिस्क हैं. नारायण चाहता था कि पुलिस रद्दियों से भरी 42 बोरियां मालखाने में रख दे और असली बोरियां उसे लौटा दे.

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सूरत पुलिस ने नारायण की फरारी के दौरान अहमदाबाद के उसके आश्रम पर छापा मार कर वहां से कुल 42 बोरी दस्तावेज जब्त किए थे. इन दस्तावेजों में तमाम कागजातों के अलावा नारायण साईं का कंप्यूटर, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, सीडी सब कुछ शामिल था.

दरअसल जिस वैगन आर कार से एक करोड़ रुपए मिले हैं उसी कार में एक बोरी भी रखी थी. वह बोरी ठीक वैसी ही थी जैसी पुलिस के कब्जे में नारायण साईं की दस्तावेजों से भरी 42 बोरियां हैं. कार से बरामद बोरी में आसाराम बापू के यहां छपने वाली पत्रिका भरी थी. दरअसल ये सैंपल बोरी थी. इशरा ये था कि इसी तरह की 42 बोरियां आएंगी जिसे पुलिस मालखाने में बंद उन 42 बोरियों से बदल दिया जाएगा.

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