आसाराम की गिरफ्तारी के बाद से ही हम सब आसामराम की एकांतवास और ध्यान कुटिया के बारे में सुन रहे हैं. आखिर आसाराम को एकांतवास की जरूरत क्यों पड़ती थी? एकांतवास में वो ऐसा क्या करते थे, जो अपने भक्तों और साधकों के बीच नहीं कर सकते थे? एकांतवास में खलल पड़ने पर आसाराम ग़ुस्सा क्यों हो जाते थे? जोधपुर पुलिस की मानें तो ये एकांतवास तो सिर्फ एक बहाना था दरअसल इसकी आड़ में आसाराम का खेल पुराना था.
एकांतवास के बहाने एक लड़की से ज़्यादती के इल्जाम में जेल जानेवाले आसाराम को अब उनका यही एकांतवास भारी पड़ने लगा है. मगर, ये कोई पहला मौका नहीं है, जब आसाराम ने ध्यान या साधना के नाम पर एकांतवास का स्वांग रचा हो. ये और बात है कि अब यौन शोषण के एक मामले में पकड़े जाने के बाद आसाराम के एकांतवास और इसके लिए बनाए गए ठिकानों का सच एक-एक कर बाहर आने लगा है.
आसाराम की एक नहीं बल्कि कई एकांतवास की कुटिया है. कुटिया नंबर एक, जोधपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर मढ़ई कुटिया है, जहां 15 अगस्त को आसाराम ने एकांतवास के नाम पर ऐसा कुछ किया, जिसने उनके सितारे रातों-रात गर्दिश में पहुंचा दिए. वैसे तो मढ़ई कुटिया खेतों के बीचों-बीच बना ऐसा आलीशान फार्म हाउस है, जो यहां से गुजरनेवाले हर शख्स का ध्यान एक बार अपनी ओर जरूर खींचता है, लेकिन आसाराम और उनकी चालबाज चौकड़ी इसे ध्यान की कुटिया के नाम से ही बुलाती है.
आसाराम पर इसी ध्यान की कुटिया में 15 अगस्त को अनुष्ठान के नाम पर उन्होंने एक लड़की के साथ ज्यादती करने का इल्जाम है. चौंकानेवाली बात यह है कि आसाराम का आश्रम जोधपुर में भी मौजूद है, लेकिन जोधपुर से दूर इस ग्रामीण इलाके में आसाराम अक्सर एकांतवास के नाम पर आकर ठहरते हैं और फिर जब एकांतवास से मन भर जाता है, तो अगले ठिकाने के लिए रवाना हो जाते हैं, लेकिन जाने इस एकांतवास की कुटिया में ऐसा क्या है कि यहां आम लोगों का आना-जाना तो दूर, पास से गुजरना भी मना है.
एकांतवास की कुटिया नंबर दो की बात करें तो यह इंदौर में सरकारी जमीन पर बनी है. कहने को तो आसाराम यहां ध्यान लगाते हैं, अकेले में कुछ देर रुक कर भगवान को याद करते हैं, लेकिन इसी इमारत के पास एक शानदार स्वीमिंग पुल भी बना है और इसके चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. सवाल यह उठता है कि जिस जगह पर भगवान की भक्ति के लिए सुकून के दो पल चाहिए, वहां स्वीमिंग पुल और सीसीटीवी कैमरे जैसी ऐशो-आराम और खास हिफाजती इंतजामों की क्या जरूरत है?
इंदौर शासन की मानें तो आसाराम के ट्रस्ट को 1998 में यह जमीन जिन शर्तों के साथ गई थी, ध्यान की कुटिया बनाने के चक्कर में आसाराम और उनके शार्गिदों ने उन शर्तों की भी धज्जियां उड़ा दीं.
एकांतवास की कुटिया नंबर तीन आसाराम के जेल जाने के बाद बंद पड़ी यह ध्यान की कुटिया भी अपने-आप में कई रहस्य समेटे है. आसाराम को जाननेवालों की मानें तो राजस्थान आने पर आसाराम अक्सर इस कुटिया में आकर रुकते थे, लेकिन हैरानी इस बात की है कि आसाराम के प्रवास के दिनों में आम लोग तो दूर, साधारण साधकों को भी उनकी इस तथाकथित ध्यान की कुटिया के आस-पास फटकने की इजाजत नहीं होती थी. वैसे खास बात ये है कि यौन शोषण के इल्जाम से घिरने से ऐन पहले 4 और 5 अगस्त को भी आसाराम ने इसी एकांतवास की कुटिया में वक्त गुज़ारा था.
एकांतवास की कुटिया नंबर चार राजस्थान के पाली जिले में सिंचाई विभाग की जमीन पर पहाड़ियों के बीच बने ये कमरे आसाराम तो नहीं, आसाराम के साहबजादे नारायण साईं के एकांतवास का वो ठिकाना है, जिसे दूर तो क्या, पास से भी देख कर समझना मुश्किल है कि यहां किसी के ठहरने का इंतज़ाम भी हो सकता है. यह कमरे अब बेशक खस्ता हाल हो, लेकिन एक वक्त ऐसा था, जब नारायाण साईं अक्सर यहां आकर वक्त गुजारा करते थे.
जाहिर है गुफाओं और कंदराओं से लेकर आलीशान महलों और फ़ार्म हाउसों में बने एकांतवास के इन ठिकानों का तिलिस्म अब आसाराम के पकड़े जाने के बाद धीरे-धीरे जमाने के सामने आम होने लगे हैं.
अब सवाल ये है कि आख़िर ऐसे गुप्त ठिकानों में साधना के नाम पर होता क्या है? क्यों एक गुरु को साधना के लिए अपने ही भक्तों से दूरी बनानी पड़ती है? क्यों ऐसे ठिकानों पर आसाराम के कुछ खासमखास सेवादारों के अलावा किसी और को जाने की इजाजत नहीं होती है? क्यों ऐसे ठिकानों पर किसी के गलती से भी फटक जाने पर दुनिया को धैर्य और आध्यात्म का पाठ पढ़ानेवाले आसाराम आगबबूला हो जाते हैं? और क्यों एकांतवास की ऐसी जगहों पर आसाराम कुछ चुनिंदा लड़कियों को बुलाते रहे हैं?
पुलिस की गिरफ्त में आ चुके आसाराम और उनकी चालबाज चौकड़ी इन सवालों का चाहे जो भी जवाब दे, यौन शोषण के मामले की जांच कर रही जोधपुर पुलिस की मानें तो ये सब लड़कियों के साथ ज्यादती करने का आसाराम को वो हथकंडा है, जिसकी बदौलत आसाराम एक नहीं, कई लड़कियों को अपने सामने समर्पण के लिए मजबूर किया.
खास बात ये है कि साधना और समर्पण के नाम पर लड़कियों से नजदीकियां बढ़ाने के मुलजिम आसाराम ने इस लड़की को भी इलाज के बहाने पर जोधपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर मढ़ई कुटिया नाम के ऐसे ही एकांतवास वाली जगह पर बुलाया था, लेकिन वहां बंद कमरे में इस लड़की के साथ जो कुछ हुआ, उसे आसाराम को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. जाहिर है, जोधपुर पुलिस के मुताबिक आसाराम के एकांतवास, साधना, ध्यान की कुटिया जैसे नाम और जुमले लोगों को बेवकूफ बनाने की चाल के सिवाय और कुछ भी नहीं.