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पठानकोट हमलाः गांव में मिले संदिग्धों के पैरों के निशान

पठानकोट के एक गांव में सुरक्षा एजेंसियों को संदिग्धों के पैरों के निशान मिले हैं. मामले की जांच की जा रही है.

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सुरक्षा बल पठानकोट के चप्पे-चप्पे की जांच कर रहे हैं
सुरक्षा बल पठानकोट के चप्पे-चप्पे की जांच कर रहे हैं

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पठानकोट हमले की जांच करने वाली एजेंसियों को एक गांव में पुरुषों के पैरों के निशान मिले हैं. अहम बात यह है कि पैरों के निशान दो सैट में हैं.

फौजी ने देखे पैरों के निशान
जांच एजेंसियों को इस बात की खबर पुलिस ने दी. बामियाल गांव के किनारे पैदल चलने वालों के पुल के पास पुरुषों के पैरों के निशान मिले. सबसे पहले ये निशान एक रिटायर्ड फौजी ने देखे और आतंकवादी के होने के संदेह में इस बात की सूचना फौरन पुलिस को दी.

पुलिस ने एनआईए को दिए सबूत
सूचना मिलते ही पंजाब पुलिस की टीम फौरन मौके पर पहुंच गई. और पैरों के निशान को सांचे में उतार लिया. बाद में पुलिस ने पठानकोट हमले की जांच कर रही एनआईए को पैरों के निशान वाले सांचे सबूत के तौर पर सौंप दिए. जिनका मिलान मारे गए आतंकवादियों के जूतों से किया जाएगा.

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ड्रग्स के रूप में आए हथियार
सूत्रों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तानी आतंकियों ने जो हथियार इस्तेमाल किए वे ड्रग कंसाइनमेंट को तौर पर भारत में आए थे. उसके बाद आतंकी अलग से आए. उन्होंने भारत आने के लिए उसी रास्ते का इस्तेमाल किया, जिस रास्ते से देश में ड्रग्स की तस्करी की जाती है.

NIA ने एसपी से की पूछताछ
इस मामले में कई अधिकारी भी जांच के घेरे में हैं. सूत्रों के मुताबिक गुरदासपुर एसपी सलविंदर सिंह से भी एनआईए पूछताछ कर चुकी है. सलविंदर को आतंकियों ने 31 दिसंबर को उनके दोस्त और कुक के साथ अगवा कर लिया था और उसके बाद उन्हें छोड़ दिया था. दूसरी एजेंसियां भी सलविंदर और उनके दोस्त राजेश वर्मा और कुक से पूछताछ करेंगी.

पर्रिकर ने भी मानी चूक
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर मंगलवार को स्वीकार कर चुके हैं कि कहीं ना कहीं चूक जरूर हुई है. हालांकि खुलकर उन्होंने किसी भी चूक की ओर संकेत नहीं किया. उन्होंने सवाल उठाया कि जो इलाका 2000 एकड़ में फैला है और जिसके चारों तरफ 24 किलोमीटर में भारी सुरक्षा है, वहां आतंकी घुसने में कामयाब कैसे हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि 'सुरक्षा में कहीं तो कोई समझौता हुआ है. एक बार जांच परी हो जाए तो चीजें साफ हो पाएं.' जांच का ब्योरा फिलहाल नहीं बताया जा सकता.

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शक के घेरे में अफसर
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान के ड्रग तस्करों के साथ भारतीय अफसरों के रिश्ते पहले भी शक के घेरे में रहे हैं. लेकिन आज तक इसकी कोई जांच नहीं की गई और न ही यह तश्य स्थापित किया जा सका कि ड्रग तस्करों और अफसरों की कोई सांठगांठ हो सकती है.

सीमापार से ऐसे आती है ड्रग्स
ड्रग्स तस्करी का पूरा सिंडिकेट है. सुरंग खोदने वालों से लेकर दोनों मुल्कों की जेलों में कैद अपराधी इसमें शामिल होते हैं. बीएसएफ पहले भी कह चुकी है कि पंजाब में ड्रग्स का एक बड़ा जरिया बॉर्डर फेंसिंग है, जिसके जरिये सुरंग में पाइप डाले जाते हैं और उनसे ड्रग्स पहुंचती है. सीमा क्षेत्र में कंसाइनमेंट को आसानी से क्लीयरेंस मिल जाता है और ड्रग माफिया कभी पकड़ में नहीं आ पाते.

सरकार BSF को ठहराती रही है जिम्मेदार
सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल सरकार पंजाब में ड्रग्स की तस्करी के लिए बीएसएफ को ही जिम्मेदार ठहराती रही है. हालांकि बीएसएफ हमेशा से इन आरोपों को निराधार बताकर खारिज करती रही है. ऐसे ही आरोपों पर बीएसएफ गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भी सौंप चुकी है. इसमें फोर्स ने बताया है कि ड्रग रैकेट पर अंकुश लगाने के लिए उसकी ओर से क्या कदम उठाए गए हैं.

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