साल 2020 में जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी. करोड़ों लोग बीमार थे. लाखों की जान जा चुकी थी. जब दुनिया इस बीमारी की वैक्सीन बनाने में जुटी थी. मगर ऐसे हालात में भी उत्तर कोरिया मौत का सामान बनाने में जुटा हुआ था. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर कोरिया कोरोना काल में भी खतरनाक बम बनाने में लगा हुआ था.
कोरोना के नाम से पूरी दुनिया अब भी कांप उठती है. इस बीमारी से 23 लाख 36 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 10 करोड़ 70 लाख से ज़्यादा लोग इसके संक्रमण कि शिकार बन चुके हैं. हालत ये है कि एक साल का लंबा वक्त गुज़रने के बावजूद दुनिया इस बीमारी से पार नहीं पा सकी है और वैक्सीन बनाने, लगाने से लेकर कोरोना से बचने के लिए एहतियातों का सिलसिला अब भी चल रहा है. और तो और अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देश जहां अब भी इस वायरस से बेहाल हैं, वहीं दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील वायरस के नए वैरिएंट्स से हलकान है.
लेकिन इतनी मौत, इतनी तबाही और इतने खौफ के बावजूद इस दुनिया में कोई ऐसा है, जिसे कोरोना से निपटने से भी ज़्यादा ज़रूरी परमाणु बम बनाना लगता है. जी हां, आपने ठीक समझा. ये कोई और नहीं बल्कि उत्तर कोरिया के मार्शल किम जोंग उन हैं, जिनके इस रवैये को लेकर अब संयुक्त राष्ट्र संघ यानी यूएनओ ने एक चौंकानेवाला खुलासा किया है. यूएनओ के इस पूरे खुलासे की करेंगे बात लेकिन फिलहाल आप इतना समझ लीजिए कि पिछले साल जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए वैक्सीन बनाने में जुटी थी, किम जोंग उन परमाणु बम बनाने में जुटा था.
परमाणु बमों के लिए किम जोंग उन की चाहत तो पूरी दुनिया जानती है, लेकिन साल 2020 में जब हर कोई कोरोना से लड़ने में जुटा था, तब भी किसी देश का मुखिया इस तरह के दिमागी फितूर में उलझा हो, ये सोचना भी थोड़ा अजीब लगता है. साथ ही ये सवाल भी उठता है कि आख़िर किम अपने देश को किधर ले जाना चाहता है.
वैसे आपको बता दें कि जिस किम जोंग उन के परमाणु कार्यक्रम को लेकर इस वक्त पूरी दुनिया में चर्चा है, साल 2020 में उनकी गुमशुदगी को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म था. लेकिन अब संयुक्त राष्ट्र संघ की एक खुफिया रिपोर्ट ने ये खुलासा किया है कि उत्तर कोरिया पूरे 2020 के दौरान अपने परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को आगे बढ़ाने में लगा रहा. करने का मतलब ये कि अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर किम ने तमाम नियम कानूनों की धज्जियां उड़ा दीं. क्योंकि ये रिपोर्ट किसी और ने नहीं बल्कि यूएन के उस आज़ाद निगरानी दल ने तैयार की है, जो परमाणु कार्यक्रम के नियम और शर्तों की निगरानी करते हैं.
सुरक्षा परिषद की नॉर्थ कोरिया सैंक्शन्स कमेटी को सौंपी गई इस सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर कोरिया 2020 के दौरान मिसाइलों का उत्पादन करता रहा. परमाणु केंद्रों और बैलिस्टिक मिसाइल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाता रहा. इसकी फंडिंग में उसने साइबर हैकिंग के जरिए चुराई गई 30 करोड़ डॉलर की राशि का भी इस्तेमाल भी किया.
ये रिपोर्ट ऐसे में वक्त में आई है, जब अमेरिका का राष्ट्रपति बदल चुका है. ट्रंप के बाद अब कमान जो बाइडेन के हाथों में है. ऐसे में इस रिपोर्ट के बाद उत्तर कोरिया को लेकर अमेरिका का रुख क्या होगा, ये देखने वाली बात है. हालांकि जानकारों का मानना है कि अमेरिका इसके बाद किम और उसके देश को लेकर अब और कड़ा रुख अख्तियार कर सकता है. आपको याद होगा कि 2018 और 2019 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की तीन बार बैठकें हुईं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था. लेकिन बाइडेन के सत्ता में आने के बाद अब दोनों के रिश्तों को लेकर कई सवाल हैं.
उत्तर कोरिया ने पिछले साल हुई सैन्य परेडों में भी शार्ट रेंज, मीडियम रेंज, पनडुब्बी से दागे जाने वाले और इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम का प्रदर्शन किया था. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में ये आशंका जताई गई है कि उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियार से लैस मिसाइल हैं और बहुत मुमकिन है कि उत्तर कोरिया ने अपनी शॉर्ट, मीडियम या लांग रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों को परमाणु हथियारों से लैस कर लिया है.
हालांकि 2020 में उत्तर कोरिया ने कोई परमाणु या बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण नहीं किया लेकिन उसकी बाकी तैयारियां बदस्तूर चलती रही. और इस साल वो नए सिरे से परमाणु परीक्षण कर सकता है. वैसे खुद किम पहले ही इस बात का ऐलान कर चुके हैं.