मानवीय इतिहास में सीरियल किलिंग की घटनाएं काफी पुरानी हैं. 'सीरियल किलर' ठग बहराम से लेकर बिकनी किलर चार्ल्स शोभराज तक अनेकों नाम हमारे सामने हैं. aajtak.in ऐसी घटनाओं पर एक सीरीज पेश कर रहा है. इस कड़ी में आज पेश है निठारी के नर पिशाच के नाम से कुख्यात सुरेंद्र कोली की कहानी, जो बच्चों का कत्ल कर हैवानियत करता था.
साल 2006. नोएडा का निठारी गांव. कोठी नंबर डी-5. यहां से जब नरकंकाल मिलने शुरू हुए, तो पूरे देश में सनसनी फैल गई. सीबीआई को जांच के दौरान मानव हड्डियों के हिस्से और 40 ऐसे पैकेट मिले थे, जिनमें मानव अंगों को भरकर नाले में फेंक दिया गया था. कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को पुलिस ने धर दबोचा. इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब 7 मई 2006 में पायल नाम की लड़की लापता हो गई थी. वह मोनिंदर पंढेर की कोठी में रिक्शे से आई थी.
उसने रिक्शेवाले को कोठी के बाहर रोका और वापस आकर पैसे देने की बात कही थी. काफी देर बाद जब वह वापस नहीं लौटी तो रिक्शेवाला पैसे लेने के लिए कोठी का गेट खटखटाया. इस पर उसे सुरेंद्र कोली ने बताया कि पायल काफी देर पहले जा चुकी है. रिक्शेवाले का कहना था कि वह कोठी के सामने ही था, पायल बाहर नहीं निकली. यह बात पायल के घरवालों तक पहुंची. इसके बाद पायल के पिता नंदलाल ने एफआईआर लिखवाई कि उसकी बेटी कोठी से गायब हो गई. पुलिस पूरी तरह जांच में जुट गई.
नंदलाल लगातार पुलिस पर खोजबीन का दबाव बना रहे थे. इससे पहले निठारी से एक दर्जन से ज्यादा बच्चे गायब हो चुके थे. पुलिस को जानकारी मिली कि पायल के पास एक मोबाइल फोन था. जो घटना के बाद से स्विच ऑफ था. पुलिस ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई, तो मुंबई से लेकर तमाम जगहों के नंबर मिले. उन नंबरों की जांच की गई, जिसमें सुराग मिल गए. उसके आधार पर पुलिस ने कोठी पर छापा मारा. इस तरह से निठारी के नर पिशाच का काला सच सबके सामने आ गया.
नर पिशाच की कहानी खौफनाक दास्तान - निठारी का नर पिशाच सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्मोड़ा के एक गांव का रहने वाला है. सन् 2000 में वह दिल्ली आया था.
- दिल्ली में कोली एक ब्रिगेडियर के घर पर खाना बनाने का काम करता था. बताते हैं कि वह काफी स्वादिष्ट खाना बनाता है.
- सन् 2003 में मोनिंदर सिंह पंढेर के संपर्क में सुरेंद्र कोली आया. उसके कहने पर नोएडा सेक्टर-31 के डी-5 कोठी में काम करने लगा.
- 2004 में पंढेर का परिवार पंजाब चला गया. इसके बाद वह और कोली साथ में कोठी में रहने लगे थे.
- पंढेर की कोठी में अक्सर कॉलगर्ल आया करती थीं. इस दौरान वह कोठी के गेट पर नजर रखता था.
- इस दौरान कोली धीरे-धीरे नेक्रोफीलिया नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित होता गया. बच्चों के प्रति आकर्षित होने लगा.
- आरोप है कि वह कोठी से गुजरने वाले बच्चों को पकड़ कर उनके साथ कुकर्म करता और फिर उनकी हत्या कर देता.
- हालांकि, निठारी गांव के लोगों का कहना है कि पंढेर की कोठी से शरीर के अंगों का व्यापार होता था.
- उनका कहना है कि वे बच्चों को मारकर उनके अंग निकाल लेते थे. उसे विदेशों में बेंचा जाता था.
- सुरेंद्र कोली इस समय जेल में है. उसको सजा-ए-मौत मिली है, जो कि होल्ड है. वहीं पंढेर आजाद हो चुका है.